इतिहास
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Six Glorious Epochs Of Indian History(PB)
Six Glorious Epochs of Indian History is a learning experience which covers the period of Muslim invasions in India and brave retaliation by the natives. No less was the struggle of Indian manes against British rule and for freedom and liberation of the mother country. The author’s tribute to the martyrs and his letters to dear ones from Andamans, miscellaneous statements and writings are also included in this book. The first four epochs are covered in only hundred plus pages while the last two epochs span almost four hundred plus pages, signifying the importance that the author gave to this period.
So far we have been given the picture of British rule, the history and politics in India by foreign and leftist writers, but in this book Veer Savarkar makes us look at the country’s history and politics from the Bharatiya perspective. Not only does he analyse the mistakes committed by Hindus since the time of Alexander’s invasion till the British rule, he tries to enlighten our minds with the prevalent situation in his time. All that he himself learnt from history, he tries to correct through this book of his.SKU: n/a -
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
SOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासSOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
History, Archaeology, Prayers, Beliefs, Myths, Legends All Form Part Of This Book On The Famous Temple Of Somnatha. The Old Temple Was In Ruins And A New Construction Was Announced By Sardar Valabhbhai Patel On November 13, 1947. This Book Contains The Details Of The New Construction As Well As The History Of The Old One.
It Was Due To Munshiji’s Indefatigable Efforts That This Shrine Rose Up Again Like The Phoenix. Hence This Book Has Been Written Straight From The Heart With All Emotions And Passion. Thousands Of People Visit The Somnatha Temple In Saurashtra. The Temple Dedicated To Lord Shiva Is At Prabhasa On The Southern Coast Of Saurashtra. Kulapati Has Traced Not Only The History Of This Place But Also Of The Country Since Pre Historic Times. Lord Somnatha Was Worshipped Even Five Thousand Years Ago In The Indus Valley As Pashupati. Maps, Sketches And Photographs Speak Volumes Of The Shrine At Somnatha While Kulapati Has Put In Words The Story Of The Lord. Not Only Has The Author Personally Visited And Studied The Temple And The Area Thoroughly, He Has Researched And Collected Material For This Book From Hindu And Muslim Chroniclers And Added Them To The Book.SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Sonal Varani Sanskriti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिSonal Varani Sanskriti
सोनल वरणी संस्कृति
आखी दुनिया में सगती, भगती, साहित्य अर संस्कृति रै परवांणै राजस्थान प्रदेस आपरी न्यारी अर ऊजळी ओळखांण राखै। अठै रौ मानखौ आभै रै उणियार आपरौ स्वाभिमान सदैव सवायौ राख्यौ। समै रै परवां सदैव सगती रौ सबळौ सत सरूप बण आखै मुलक में धरम री धजा फहराई अर मानवता री मरजाद राखता थकां आपरै साहित्य – सिरजण री सौरम आखी दुनिया में फैलाई जिणरै पांण आज अठै री ठरकै री धिराणी मायड़ भासा राजस्थानी अर उणरी रंगरूड़ी-रूपाळी संस्कृति आखै संसार में आपांरौ मान बधावै। accordingly साचाणी इण मनमौवणी संस्कृति माथै सकल मानव समाज नै घणौ गुमेज है। राजस्थान री इणी’ज चित्तहरणी संस्कृति नै राजस्थानी रचनाकार श्रीमती निर्मला राठौड़ आपरै निबंधां मांय जिण रूपाळै ढंग सूं उकेरी है वा घणी महताऊ अर अंजसजोग है। Sonal Varani Sanskriti
राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप (Sonal Varani Sanskriti)
आधुनिक राजस्थानी साहित्य में महिला रचनाकार री दीठ सूं अंक नाम घणौ महताऊ मान्यौ जावै, वो है – श्रीमती निर्मला राठौड़। असल में आपरै अणभव रै पांण साहित्य सिरजण री हूंस लेयर लगोलग सिरजण करण वाळा निर्मलाजी मूळ रूप सूं अंक कवयित्री है जकौ आपरी महताऊ रचनावां रै पांण राजस्थानी साहित्य जगत में बोत ई कम समै मांय आपरी ऊजळी ओळखांण बणाई। emphatically इणांरी पैली राजस्थानी काव्य पोथी ‘दीठ-दरसाव’ इण बात री सबळी साख भरै। surely सिरजण री इणी ‘ज कड़ी मांय आ पोथी ‘सोनल वरणी संस्कृति’ मायड़ भासा मांय लिख्यौ थकौ अंक निबंध संग्रै है जिण मांय राजस्थानी संस्कृति सूं जुड़ियोड़ा न्यारा-न्यारा विसयां माथै कुल सतरा निबंध है।
al in all आं निबंधां मांय राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप, मायड़ भासा रौ मैतव, परिवार रौ थंभ व्है पिता, फागण महिनौ फूटरौ, दायजै रौ दवाळ, सावण आयौ सोवणौ, अखी मौरत आखातीज, बधती रेवै बेटियां, दसा माता रौ वरत, ब्याव री रंगरूड़ी रीतां, बछ बारस रौ बरत, सीतळा माता रौ मेळौ, मन सूं मांड्या मांडणां, बडी तीज रौ बरत, गरीबी में गुजराण, at last ऊब छट रौ उच्छब अर गोरबंद नखराळौ खास तौर सूं उल्लेखजोग है। Sonal Varani Sanskriti
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Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Stalinist “Historians” spread the big lie
The Babri Masjid built on the site of the Rama-Janmabhumi at Ayodhya is verily the tip of an iceberg which remains submerged in the hundreds of histories written by Muslim historians, in Hindu literary sources which are slowly coming to light, in the accounts of foreign travelers who visited India and the neighboring lands during medieval and modern times, and above all in the reports of the archaeological surveys carried out in all those countries which had been for long the cradles of Hindu culture.
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English Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Sturdy Sikhs Of Ganganagar
Sturdy Sikhs Of Ganganagar (Dimension Of their Growth) : This is the Maiden authentic research work on the multidimensional activities of the Sturdy Sikhs of the Gang Canal division of Sriganganagar. The monograph, being of immense historical significance, is entirely based on the archival material preserved in the Rajasthan State Archives, Bikaner. The book is intended to serve as an important reference work for all those interested in the Sikh history of Rajasthan.
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Subhas Death That Wasn’t
In modern times, we have remained hooked to numerous mysteries that have kept people confounded; in most cases, the veracity of facts and arguments presented has been far from satisfactory. One of the most intriguing mysteries pertains to the death of Netaji Subhas Chandra Bose, the legendary leader whom all Indians adore so dearly; his survival or death remains completely shrouded in mystery.
The present book does not limit itself to resolving this mystery in its unique way; it also lays bare the convictions and beliefs that have been associated with his life and decisions, in essence appearing equally mysterious as his death, including his relations with Gandhiji. To bring out the truth, it also convincingly deals with his survival theories, like that of Gumnami Baba in Faizabad (Ayodhya) and others.
The book is also about the enduring rich legacy that this leader has left behind, helping people to be inspired by his mind-boggling adventures and thought-provoking ideas and how he lived and sacrificed for his ideals and freedom.
This book is a humble tribute to the great soul with an insightful vision to resolve the mystery.
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Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Subhash Chandra Bose Ki Adhoori Atmkatha
सुभाषचंद्र बोस की ‘भारत की खोज’; जवाहरलाल नेहरू की तुलना में उनके जीवन में काफी पहले ही हो गई; यानी उन दिनों वे अपनी किशोरावस्था में ही थे। वर्ष 1912 में पंद्रह वर्षीय सुभाष ने अपनी माँ से पूछा था; ‘स्वार्थ के इस युग में भारत माता के कितने निस्स्वार्थ सपूत हैं; जो अपने निजी स्वार्थ को त्याग कर इस आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं? माँ; क्या तुम्हारा यह बेटा अभी तैयार है?’’ 1921 में भारतीय सिविल सेवा से त्यागपत्र देकर वह आजादी की लड़ाई में कूदने ही वाले थे कि उन्होंने अपने बड़े भाई शरत को पत्र लिखा; ‘‘केवल बलिदान और कष्ट की भूमि पर ही हम अपने राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।’’ दिसंबर 1937 में बोस ने अपनी आत्मकथा के दस अध्याय लिखे; जिसमें 1921 तक की अपनी जीवन का वर्णन किया था और ‘माई फेथ-फिलॉसोफिकल’ शीर्षक का एक चिंतनशील अध्याय भी था। सदैव ऐसा नहीं होता कि जीवन के बाद के समय में लिखे संस्मरणों को शुरुआती; बचपन के दिनों की प्राथमिक स्रोत की सामग्री के साथ पढ़ा जाए।
बोस के बचपन; किशोरावस्था व युवावस्था के दिनों के सत्तर पत्रों का एक आकर्षक संग्रह इस आत्मकथा को समृद्ध बनाता है। इस प्रकार यह ऐसी सामग्री उपलब्ध कराता है; जिसकी सहायता से उन धार्मिक; सांस्कृतिक; नैतिक; बौद्धिक तथा राजनीतिक प्रभावों का अध्ययन किया जा सकता है; जिनसे भारत के इस सर्वप्रथम क्रांतिधर्मी राष्ट्रवादी के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण हुआ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Suno Maa (PB)
भारतीय रेल का एक कर्मचारी, जिसने केवल इसलिए सप्ताह में चार भारतीय रेल को कुर तक की यात्रा का गान किया, क्योकि इस यात्रा के बीच एक स्टेशन ऐसा आता है, जहाँ पर उसकी माँ रहती है। वहीं पर उसकी माँ अपने हाथों से बने खाने के साथ अपने बेटे की प्रतीक्षा करती है और बेटा भी अपनी माँ का चेहरा देखने के लिए लालायित रहता है।
इस धरती पर माता का प्यार दैवीय प्रेम का सबसे निकटतम रूप होता है। हमारी माता जीवन की पहली शिक्षक होती है, वही हमें जीवन जीना सिखाती है। उसका लाड़-प्यार हमारे भीतर साहस और आत्मविश्वास के उस तत्त्व की रचना करता है, जो जीवनपर्यंत कठिन चुनौतियों का सामना करने हेतु आवश्यक होता है। वह जीवन की सबसे पहली और सच्ची दोस्त होती है। उसका घर, परिवार और रसोईघर, वह जगह होती है, जहाँ पर जाकर हम तरोताजगी और नव ऊर्जा का अनुभव करते हैं। एक माँ का प्यार उसकी संतान को जीवन भर उस स्थिति में भी सँभाले रखता है, जब माँ इस दुनिया से विदा हो जाती है।
सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ माँ ऐसी भी होती हैं, जो अपने ही बच्चे के साथ छल करती हैं। इस पुस्तक में एक छोटी सी लड़की लिली दिल तोड़ने वाली अपनी दुःखद कहानी सुनाती है। इस कहानी में शिकार लड़की गुलामों का व्यापार करनेवालों के चंगुल में फँस चुकी है और हमें किसी भी तरह से उसे वहाँ से मुक्त करवाना है।
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध – यह नाम चार साल की एक लड़की के नाम पर रखा गया है। लिली को पचास डॉलर के लिए एक दलाल को बेच दिया गया था और उस दलाल ने उसे आगे सौ डॉलर के लिए एक वेश्यालय में बेच दिया। यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि कितनी आसानी से एक बच्ची का सौदा कर दिया गया। आप मात्र कल्पना करें कि एक बच्ची की नीलामी मवेशियों की तरह की गई। कल्पना करें कि एक बच्ची को दूसरे देश में अवैध तरीके से भेजा गया, जहाँ पर आप मात्र एक कैदी हों। कल्पना करें कि एक बच्चे की अपनी माँ उसे चार साल की छोटी सी अवस्था में बेच दे । यह सब लिली के साथ घटित हुआ । लिली एक आश्रय गृह में बड़ी हुई और उसके जीवन का उद्देश्य माँओं को अपने बच्चों से प्यार करना सिखाना है। क्योंकि मेरी माँ मुझसे प्यार नहीं करती, अन्यथा वह मुझे कभी नहीं बेचती – उसका यह कथन ही इस पुस्तक का प्रेरणास्त्रोत है।
लिली के माध्यम से हम इस समस्या की जड़ से निपटने और मानव तस्करी को रोकने के प्रयास शिक्षा व रोजगार की अपनी पहल के मजबूत भाग के साथ करते हैं। हमने भारत, नेपाल और यू.के. के संगठनों के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया है। लिली के समर्थन प्राप्त प्रोजेक्ट्स की तसवीरें विपुल संगोई द्वारा उपलब्ध करवाई गईं। ये हमारे क्रिया-कलापों की व्यापक रेंज, जो मुफ्त स्कूलों से लेकर संगीत और नृत्य सिखाने वाली कक्षाओं, रोजगारपरक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण तक विस्तृत हैं, को दरशाती हैं। लिली कमेटी स्वेच्छा से काम करती है। हमारे काम ने 3,00,000 जिंदगियों को स्पर्श किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी का व्यवसाय वार्षिक स्तर पर 100 बिलियन डॉलर का अनुमानित है और इसमें निरंतर विस्तार हो रहा है। यह किसी के भी साथ, किसी भी समय हो सकता है।
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English Books, Penguin, इतिहास
Sunrise over Ayodhya
On 9 November 2019, the Supreme Court, in a unanimous verdict, cleared the way for the construction of a Ram temple at the disputed site in Ayodhya.
As we look back, we will be able to see how much we have lost over Ayodhya through the years of conflict. If the loss of a mosque is preservation of faith, if the establishment of a temple is emancipation of faith, we can all join together in celebrating faith in the Constitution. Sometimes, a step back to accommodate is several steps forward towards our common destiny.
Through this book, Salman Khurshid explores how the greatest opportunity that the judgment offers is a reaffirmation of India as a secular society.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)
Supreme Court Mein Ramlala(PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)Supreme Court Mein Ramlala(PB)
इस पुस्तक में अयोध्या विवाद की सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के हर बारीक-से-बारीक पहलुओं का वर्णन किया गया है। 40 दिन की सुनवाई में किस दिन किस पक्षकार ने क्या दलीलें दीं? उनके क्या जवाब दिए गए और कोर्ट के किस-किस जज ने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की? अयोध्या विवाद की 40 दिन की सुनवाई में अखबारों की सुर्खियाँ केवल गिनी-चुनी कोर्ट की टिप्पणियाँ और दलीलें ही बनी थीं, जबकि कोर्ट की सुनवाई में उनसे इतर भी बहुत कुछ घटित हुआ था। अखबारों व टी.वी. चैनलों की खबरों में इन जानकारियों का अभाव रहता है कि दिन भर चली सुनवाई में खास टिप्पणियों के अलावा क्या कुछ हुआ। बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद की दिन भर की सुनवाई में पूरे दिन क्या-क्या हुआ? इनके जवाब आपको इस पुस्तक के माध्यम से मिलेंगे।
पुस्तक में अयोध्या विवाद का संक्षिप्त वर्णन, इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला किन प्रमुख आधारों पर दिया गया था, इसकी जानकारी भी दी गई है। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और 8 साल तक लंबित रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से विवाद को सुलझाने के दो प्रयास किए और दोनों ही विफल रहे।
आखिर कैसे तीन हिस्सों में विभाजित जमीन के मालिक रामलला साबित हुए। इस सवाल का जवाब भी आपको इस पुस्तक में मिलेगा। पुस्तक के अंत में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राय देनेवाले जज के 116 पेज के अडेंडम को विस्तार दिया गया है, जिसमें एक जज ने बिना अपना नाम बताए तथ्यों के आधार पर बताया है कि विवादित स्थल ही भगवान् राम का जन्मस्थल है। इन सभी सुनी-अनसुनी जानकारियों के साथ इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
“इस अदालत को एक ऐसे विवाद का समाधान करने का कार्य सौंपा गया था, जिसकी जड़ें उतनी ही पुरानी थीं जितना पुराना भारत का विचार है। इस विवाद के घटनाक्रम मुगल साम्राज्य से लेकर मौजूदा संवैधानिक शासन तक फैले हैं।”
“ऐतिहासिक निर्णय का अंतिम वाक्य—
निष्कर्ष यह है कि मस्जिद बनने से पहले भी हिंदुओं की आस्था यही थी कि भगवान् राम का जन्मस्थान वही है, जहाँ बाबरी मस्जिद थी और इस आस्था की पुष्टि दस्तावेजों और मौखिक गवाही से हो चुकी है।”SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Surya Siddhant (2 Volumes)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSurya Siddhant (2 Volumes)
सूर्य सिद्धान्त
(1 व 2 भाग, मूल व रंगनाथ की टीका सहित,
उपयोगी संस्करण)
भाष्यकार – श्री महावीरप्रसाद श्रीवास्तव
विश्व को भारत की अप्रतिम देन है गणित। इसमें भी ग्रह-गणित का कोई सानी नहीं। ज्योतिष के मूख्य अंग के रूप में गणित का जो महत्व रहा है, वह सूर्य सिद्धांत से आत्मसात् किया जा सकता है। वर्तमान में सूर्य सिद्धान्त 6 वीं शताब्दी में बहुत प्रमाणिक रूप से गणित के बहुत से सिद्धान्त और अनेक विषयों को सामने लेकर आया है। हालांकि इसका स्वरूप बाद का है।
मय- सूर्य सम्वाद रूप इस ग्रंथ में मध्यमाधिकार, स्पष्टाधिकार, त्रिप्रश्नाधिकार, चन्द्रग्रहणाधिकार, सूर्यग्रहणाधिकार, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुत्यधिकार, उदयास्ताधिकार, चन्द्रश्रृंगोन्नत्यधिकार, पाताधिकार, भूगोलाध्यायाधिकार आदि 14 अधिकार ओर 500 श्लोक हैं। यह ग्रन्थ खगोल की अनेक घटनाओं के अध्ययन और अध्यापन के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है और इस पर अनेक टीकाएँ प्रकाशित होती रही हैं।
प्रस्तुत् ग्रंथ की टीका सुप्रसिद्ध गणितज्ञ महावीर प्रसाद श्रीवास्तव ने किया है। इसमें भाष्यकार ने आधुनिक गणित के साथ समन्वय करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है कि इस सिद्धान्त में जो गणित की गहराइयाँ हैं, वो आधुनिक गणित से अलग नहीं हैं। वेधादि में जो मामूली सा अंतर आता है, वह सूक्ष्मता के कारण है किन्तु मौलिक सिद्धान्त नहीं बदलता है।
इसमें रंगनाथ की गूढ़ प्रकाशटीका को भी सम्मलित किया है। यह ग्रंथ विद्यार्थियों ओर शोधार्थियों के लिए परम उपयोगी है। इसे आर्यावर्त संस्कृति संस्थान ने प्रकाशित किया है और मुझे इसकी भूमिका, समीक्षा का अवसर दिया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swami Vivekananda Ka Yuva Jagran
“भारत की आध्यात्मिकता तथा पश्चिम की विज्ञान और तकनीक—इन दोनों के समन्वय से आनेवाले समय में एक नए भारत का निर्माण होगा, इस दिशा में महान् युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानंद ने जोर दिया। ऐसा करना है, तो युवा और आनेवाली पीढ़ी के मानस में परिवर्तन करना होगा।
अगर भारत वर्ष का उत्थान करना है तो सबसे पहले भारत के विभिन्न घटकों पर विश्वास आवश्यक है—अपनी धरती पर, अपनी परंपराओं पर, अपनी संस्कृति पर, अपने गौरवशाली अतीत पर।
यह एक प्रखर संदेश हमें स्वामीजी से प्राप्त होता है। एक बात उन्होंने हमेशा कही कि एक नया भारत खड़ा हो रहा है।
स्वामी विवेकानंद ने युवकों से यह भी अपेक्षा रखी थी—क्या तुम्हें अपने देश से प्रेम है? यदि हाँ, तो आओ, हम लोग उच्चता और उन्नति के मार्ग पर प्रयत्नशील हों। पीछे मुडक़र, मत देखोSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swaraj Ka Shankhnaad : Ekal Abhiyan
किसी भी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति की पूँजी होती है समाज के सामान्य व्यक्ति की समझ, जिसमें शिक्षा की भूमिका का महत्त्वपूर्ण होना स्वयंसिद्ध है। हिंदुस्तान की जनसंख्या को यदि दो भागों में विभक्त करें तो एक बड़ा वर्ग उन ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है जहाँ न सरकार की पहुँच है, न सड़क है, न समाज; शक्ति के रूप में दिखता है और न ही पहुँच है साफ जल की। जो प्रकृति एवं धरती के जितना निकट, वही सांस्कृतिक मूल्यों का धनी है और जो इससे जितना दूर है वही नैतिक गिरावट का साम्राज्य है। किंतु यह विडंबना? जहाँ शिक्षा एवं वैभव है, वहाँ संस्कृति नहीं; और जहाँ नैतिकता है, वहाँ निरक्षरता एवं गरीबी में जीवन जीने को बाध्य हैं। अतः समाधान का मार्ग भी यही है। दोनों वर्गों को आत्मीयता के सेतु से जोड़ दें तो एक की आर्थिक गरीबी दूर होगी तो दूसरे की सांस्कृतिक। और इसी उद्देश्य के समर्पित है एकल अभियान; जिसे सही अर्थों में ‘ग्राम शिक्षा मंदिर’ कहा जाता है।
शिक्षा-संस्कृति-स्वराज को समर्पित एक महाअभियान ‘एकल’ की गौरवगाथा है यह पुस्तक।SKU: n/a -
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swatantrata ke Pujari Maharana Pratap
स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रताप : मेवाड़ भारतीय स्वतंत्रता का सदैव प्रहरी बना रहा। महाराणा संग्रामसिंह मेवाड़ का शासक हिन्दुवां सूरज और भारतदृभूमि का अंतिम हिन्दू सम्राट था। जिसने झण्डे के नीचे दो बार भारतीय नरेशों ने विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया था। इस पुस्तक का नायक उसी महाराणा संग्रामसिंह का पौत्र, महाराणा उदयसिंह का पुत्र महाराणा प्रतापसिंह है। स्वाभिमानी स्वतंत्रताकामी महाराणा प्रतापसिंह दीर्घकालीन भारतीय वीर परम्परा के इतिहास पुरुषों में राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले वीर पुरुष एवं महान व्यक्तित्व थे। महाराणा प्रताप ने तत्कालीन मुगल सत्ता के प्रबलतम शासक अकबर से लोहा लिया और अपनी मातृभूमि की रक्षा, भारतीय स्वाभिमान भारतीय स्वातंत्र्य गौरव और आदर्श हिन्दू शासन व्यवस्था की रक्षा के लिए आजीवन जूझने का प्रण लिया और जीवन पर्यन्त उसका निर्वहन किया। महाराणा प्रतापसिंह के युद्ध कौशल, वीरता, प्रशासनिक दक्षता, शौर्य, स्वातंत्र्य प्रेम विपत्ति सहने की शक्ति, महाराणा के साथी सहयोगी योद्धा, मेवाड़ की आर्थिक स्थिति तथा महाराणा उदयसिंह और महाराणा अमरसिंह के कार्य-कलापों के अनेकानेक छुए-अनछुए पक्षों पर पहली बार विद्वान लेखक ने प्रकाश डाला है। इसके अलावा फारसी ग्रंथों व प्रतापसिंह के समसामयिक और परवर्ती राजस्थानी ग्रन्थों पर विचार कर प्रतापसिंह को लेकर भ्रांत धारणाओं का निवारण कर कतिपय अचर्चित प्रसंगों और महाराणा के सहयोगी योद्धाओं को खोज कर उन्हें भी उजाकर किया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swatantrata Sangram Ke Andolan
भारत की स्वतंत्रता के लिए नरम-गरम, खट्टे-मीठे हर तरह के आंदोलन हुए। कबीलाई लोगों ने अपने अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखने के लिए अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों से हिंसक आंदोलन किए किसानों ने अन्याय का मुकाबला कभी नरमी और कभी गरमी से किया। कामगारों ने सामूहिक एकता से माहौल अपने पक्ष में किया। सन् 1 8 5 7 का स्वातंत्र्य समर इस दौर में मील का पत्थर साबित हुआ। इस चिनगारी को योद्धा मंगल पांडे ने अपनी शहादत देकर हवा दी और इसकी लपटों में नाना साहेब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुरशाह जफर आदि आजादी के अग्रणी सेनानियों ने अपनी आहुतियाँ दीं।
कूका आंदोलन, भील आंदोलन, प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध, ‘बंग-भंग’ आंदोलन, होमरूल आंदोलन, जलियाँवाला कांड, काकोरी कांड, दांडी-यात्रा आदि ऐसे कुछ आंदोलन हैं जिनमें लाखों-लाख भारतीयों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी शहादत दी-और अंततः हमें आजादी मिली।
प्रस्तुत पुस्तक में देश की स्वतंत्रता से जुड़े कुछ प्रमुख आंदोलनों का जिक्र है, जो आजादी के महत्त्वपूर्ण आंदोलनों के एक लघु दस्तावेज जैसे हैं। इन्हें संकलित करने का उद्देश्य यही है कि आज की युवा पीढ़ी को एक ही स्थान पर भारत के सभी महत्त्वपूर्ण स्वाधीनता आंदोलनें की पूरी जानकारी मिल जाए। भारती स्वातंत्र्य संग्राम के प्रेरणाप्रद बलिदानों का पुण्य स्मरण कराती महत्त्वपूर्ण कृति।SKU: n/a