Tanwar (Tomar) Rajvansh ka Ranitik evam Saanskritik Itihas
तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास
Rs.400.00
Tanwar (Tomar) Rajvansh ka Ranitik evam Saanskritik Itihas
तंवर (तोमर) राजवंश का राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास
Weight | .515 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
Author : Mahendra Singh Tanwar
Language : Hindi
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
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हिन्दी नवजागरण के प्रथम पुरुष, युग-प्रवर्तक, सर्वतोमुखी प्रतिभासम्पन्न भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन अत्यन्त विविधतापूर्ण और रसमय था। उनके साहित्य में उनका व्यक्तित्व झलकता है। 35 वर्ष के लघु जीवन में उन्होंने देश को, समाज को, साहित्य को नई दिशा प्रदान की। पत्र-पत्रिकाएँ, साहित्यिक कृतियाँ उनकी आत्म प्रकृति की सुरभि बिखेरती हैं। भारतेन्दु की दानशीलता, रसिकता, अक्खड़पन, मुक्तहस्त पैसा लुटाने की प्रवृत्ति, उनके व्यक्तित्व के प्रमुख अंग हैं। स्वाभिमान ऐसा कि— सेवक गुनीजन के, चाकर चतुर के हैं, कविन के मीत, चित हित गुन गानी के। सीधेन सों सीधे, महा बांके हम बांकेन सों, ‘हरिचन्द’ नगद दमाद अभिमानी के। चाहिबे की चाह, काहू की न परवाह, नेही, नेह के, दिवाने सदा सूरति-निवानी के। सरबस रसिक के, सुदास दास प्रेमिन के, सखा प्यारे कृष्ण के, गुलाम राधा रानी के। दानशीलता के फलस्वरूप यह दिन भी देखना पड़ा— मोहि न धन के सोच भाग्य बस होत जात धन। पुनि निरधन सो देस न होत यहौ गुनि गुनि धन। मों कहं एक दुख यह जू प्रेमिन ह्वïै मोहे त्याग्यौ। बिना द्रव्य के स्वानहु नङ्क्षह मोसो अनुराग्यौ॥ सब मिलन छोड़ी मित्रता बन्धुन नातौ तज्यों। जो दास रह्यïौ मम गेह को, मिलन हूँ मैं अब सो लज्यौ॥ ‘घर फूँक तमाशा देख’ को चरितार्थ करने वाले ऐसे उन्मुक्त अभिमानी के मनमोहक संघर्षपूर्ण व्यक्तित्व की झलकियाँ हैं, इस कृति में। अनुक्रमणिका आमुख, 1. विषय-प्रवेश, 2. व्यक्तित्व के विविध रंग, रचनाओं में आत्मचित्रण, माधवी और मल्लिका, सत्यवीर की अग्नि-परीक्षा, 3. कृतित्व के विविध आयाम, हिन्दी नाटकों के जन्मदाता, हिन्दी में सिद्धान्तनिष्ठ पत्रकारिता के प्रवर्तक, हिन्दी गद्य के परिष्कारक, निबन्ध इतिहास तथा पुरातत्त्ïव, 4. उपसंहार, एक देशभक्त की दु:खान्त जीवन-यात्रा, परिशिष्ट, भारतेन्दु जीवन-सारिणी—प्रस्तुति : डॉ० भानुशंकर मेहता, भारतेन्दु की हिन्दी-सेवा—ज्ञानचंद जैन , भारतेन्दु की प्रेमिका मल्लिका द्वारा भारतेन्दु की जन्मतिथि पर प्रस्तुत चार बंगला गीत, 4. चन्द्रास्त, 5. शाही राज्याभिषेक दरबार में भारतेन्दु परिवार का परिचय, लेखक का संक्षिप्त परिचय।
विशाल साम्राज्य खड़ा करनेवाले चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु तथा विश्व-प्रसिद्ध आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य बचपन में अन्य बालकों से भिन्न एक असाधारण बालक थे। उनके पिता चणक एक शिक्षक थे, इसलिए चाणक्य भी अपने पिता का अनुसरण करके शिक्षक बनना चाहते थे। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की। इसके पूर्व उन्होंने बचपन में ही वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का अध्ययन कर लिया था। उनका ग्रंथ ‘चाणक्य नीति’ साहित्य की अमूल्य निधि है।
आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में जो कहा, वह इतिहास बन गया। उनके कथन उदाहरण बन गए। उनके कथन उस काल में जितने महत्त्वपूर्ण थे, आज भी वे उतने ही प्रासंगिक हैं। उनका एक-एक कथन अनुभवों की कसौटी पर कसा खरे सोने जैसा है।
2,300 वर्ष पहले लिखे गए चाणक्य के ये शब्द आज भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं। अगर उनकी राजनीति के सिद्धांतों का थोड़ा भी पालन किया जाए तो कोई भी राष्ट्र महान्, अग्रदूत और अनुकरणीय बन सकता है।
आचार्य चाणक्य के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक तथा सभी प्रासंगिक विषयों के प्रेरणाप्रद सूत्र वाक्यों का प्रामाणिक संकलन।
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