Fiction Books
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Harf Media Private Limited, Hindi Books, इतिहास, कहानियां
Geetayan
आनंद कुमार कहते हैं कि हमने किताब के कवर पर कमल के फूल और पत्तों पर ठहरी बूंदों की तस्वीर दिखाने के क्रम में छल से आपको भगवद्गीता के पांचवे अध्याय का दसवां श्लोक पढ़ा दिया है – *ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।* *लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा।।5.10* जो सम्पूर्ण कर्मों को भगवान् में अर्पण करके और आसक्ति का त्याग करके कर्म करता है, वह *जल से कमल के पत्ते की तरह* पाप से लिप्त नहीं होता। अगर सच बताएं तो हमने पूरी पुस्तक में यही किया है, आशा है इतने से छल पर आपत्ति नहीं होगी! “मगर इन्हीं अध्यात्मिक-धार्मिक विचारों पर आधारित फ़िल्में तो संसार भर में देखी जा रही हैं? नयी पीढ़ी की इसमें रूचि नहीं, आपको ऐसा क्यों लगता है?” इस तर्क से लोग सहमत होते, लेकिन भारतीय अध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं को सीधी सरल भाषा में भी लोगों तक पहुँचाया जा सकता है, इसके लिए कोई विशेष प्रयास फिर भी नहीं किये जाते थे। अंततः 2016 में कभी रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों और जानी पहचानी सी कहानियों के साथ ही “गीतायन” की कहानियां लम्बी सोशल मीडिया पोस्ट के रूप में सामने आने लगीं। लम्बे समय तक इन्हें एक जगह इकठ्ठा करने की बात चलती रही और अंततः पिछले चार वर्षों में भगवद्गीता को आसान तरीके से रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों में दिखा देने पर लिखे गए लेखों की “गीतायन” अब एक पुस्तक के रूप में है। सिद्धांतों को यथासंभव सरल स्तर पर ही रखा गया है। इससे आगे कहाँ तक पढ़ना है, ये पाठकों पर निर्भर है।
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Vani Prakashan, उपन्यास
Ghaban
ग़बन का कथानक मुख्यतः मध्य वर्ग में दिखावे की आदत के दुष्परिणामों पर आधारित है। सामाजिक रूढ़ियों की गर्द तथा स्त्रियों में गहनों की चाहत को एक दिलचस्प कथासूत्र में बाँधा गया है। साथ ही, यह लोकप्रिय उपन्यास स्वतंत्रता संघर्ष के विभिन्न पहलुओं पर भी रोशनी डालता है।
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Hind Yugm, Literature & Fiction, उपन्यास
Ghar Wapasi (PB)
Reading books is a kind of enjoyment. Reading books is a good habit. We bring you a different kinds of books. You can carry this book where ever you want. It is easy to carry. It can be an ideal gift to yourself and to your loved ones. Care instruction keep away from fire
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Prabhat Prakashan, उपन्यास
Gharaunda
मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की कड़ी में यह पहला उपन्यास है। ‘घरौंदा’ का कालखंड लगभग 1930 से आरंभ होता है। कथा एक पाँच-छह वर्ष के बालक का पीछा करती है। इस उपन्यास में एक गरीब परिवार कड़कड़ाते जाड़े को कैसे भोगता है, टूटी चारपाई और फटी गुदड़ी केनीचे पड़े एक खाँसते-कूँखते व्यक्ति का उसके इकलौते बालक पर क्या प्रभाव पड़ता है, दिल को छूनेवाला इसका वृत्तांत उपन्यास में है।
घरौंदे बनाने और मिटाने वाले बालक जग्गू को क्या मालूम कि उसके सामने एक घरौंदा टूट रहा है। जग्गू इस उपन्यास का नायक है, जो आगे चलकर काल की ठोकरें खाता हुआ ‘जयनाथ’ बन जाता है।
वह जीवन के अनेक परिवर्तनों के साथ समाज के बदलते परिवेश का भी साक्षी बनता है—आजाद भारत का सपना, अंग्रेजों का अत्याचारी कुशासन और सांप्रदायिक दंगे।
जग्गू के शैशव का प्रतीक यह ‘घरौंदा’ बाल सुलभ जिज्ञासाओं, कुतूहल और एक माँ के लाचारी मन को गहरे तक उद्वेलित करता है।
तो क्या यह ऐतिहासिक उपन्यास है? नहीं। ऐतिहासिक उपन्यास में घटनाएँ और चरित्रों के केवल नाम सच होते हैं, बाकि सब काल्पनिक। उसमें कल्पना से परिवेष्ठित सच होता है, इसमें सत्य से परिवेष्ठित कल्पना। तो यह ग्रंथ इतिहास भी है और उपन्यास भी। काव्य के विविध उपाख्यानों के साथ आधी शताब्दी का महाख्यान है—‘घरौंदा’।SKU: n/a -
Vani Prakashan, कहानियां
GIRIJA
गिरिजा देवी का संगीत रचना सुनते हुए मन की उसाँस किसी अँधेरेी गह्वर गुफ़ा से निकलकर एक बिम्ब विधान रचती है, यह एक कला का दूसरी कला के प्रति अपने गहन आभार का स्तुतिगान भी है। संगीत के असीम कुहासे और मौन को भेदता हुआ एक भित्ति चित्र। यतीन्द्र मिश्र की यह पुस्तक एक बार पुनः इस बात की पुष्टि करती है कि हर कला संगीत के सर्वोपरि शिखर पर पहुँचने का स्वप्न देखती है। कविता के भीतर से उठता हुआ संगीत का स्वप्न…किसी संगीतकार की कला को संगीत में बाँधना कुछ वैसा ही दुष्कर कार्य है, जितना बहते झरने की कलकल धारा को अपनी मुट्ठी में समो पाना। किन्तु जितनी बूँदें भी हाथ लगती हैं, उनमें समूचे ‘सम्पूर्ण’ का रोमांचित स्वर अनुगूँजित हो जाता है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Gobind Gatha
“सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शपूर्ण जीवन और उनकी वीरता, धीरता तथा संघर्ष की लोमहर्षक अमरगाथा उपन्यास के रूप में। गुरु के बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्रात्मक विवरण जिसमें औपन्यासिकता और इतिहास की प्रमाणिकता दोनों का मनोहर संगम मिलता है- सम्मोहक और प्रवाहपूर्ण शैली में। यह उपन्यास लेखक की पूर्व कृति ‘का के लागू पाँव’ की दूसरी तथा अंतिम कड़ी है। यूं दोनों उपन्यास अपने में स्वतंत्र हैं जहाँ। ‘का काके लागू पाँव’ में उनकी नौ वर्ष तक की आयु की कथा थी, वहीं इसमें उससे आगे की गाथा है, निर्वाण तक की। उपन्यास प्रारंभ से लेकर अंत तक पाठक के मन को अपनी मोहिनी में बांधे रखता है। भगवतीशरण मिश्र की नवीनतम औपन्यासिक कृति।”
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Goli | गोली
‘‘मैं जन्मजात अभागिनी हूँ। स्त्री जाति का कलंक हूँ। परन्तु मैं निर्दोष हूँ, निष्पाप हूँ। मेरा दुर्भाग्य मेरा अपना नहीं है, मेरी जाति का है, जाति-परम्परा का है; हम पैदा ही इसलिए होते हैं कि कलंकित जीवन व्यतीत करें। जैसे मैं हूँ ऐसी ही मेरी माँ थी, परदादी थी, उनकी दादियाँ-परदादियाँ थीं। मैंने जन्म से ही राजसुख भोगा, राजमहल में पलकर मैं बड़ी हुई, रानी की भाँति मैंने अपना यौवन का शृंगार किया। रंगमहल में मेरा ही अदब चलता था। राजा दिन रात मुझे निहारता, कभी चंदा कहता, कभी चाँदनी। राजा मेरे चरण चूमता, मेरे माथे पर तनिक-सा बल पड़ते ही वह बदहवास हो जाता था। कलमुँहे विधाता ने मुझे जो यह जला रूप दिया, राजा उस रूप का दीवाना था, प्रेमी पतंगा था। एक ओर उसका इतना बड़ा राज-पाट और दूसरी ओर वह स्वयं भी मेरे चरण की इस कनी अंगुली के नाखून पर न्यौछावर था।’’
-इसी पुस्तक में से1958 में पहली बार प्रकाशित आचार्य चतुरसेन का यह अत्यंत लोकप्रिय उपन्यास राजस्थान के रजवाड़ों में प्रचलित गोली प्रथा पर आधारित है। चंपा नामक गोली का पूरा जीवन राजा की वासना को पूरा करने में निकल जाता है और वह मन-ही-मन अपने पति के प्रेम-पार्श्व को तरसती रहती है। लेखक का कहना है, ‘‘मेरी इस चंपा को और उसके शृंगार के देवता किसुन को आप कभी भूलेंगे नहीं। चंपा के दर्द की एक-एक टीस आप एक बहुमूल्य रत्न की भाँति अपने हृदय में संजोकर रखेंगे।’’
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English Books, Garuda Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Gomantak ( English )
Gomantak is translated in English by Manjula Tekal. This book is a story written in verse by Swatantryaveer Vinayak Damodar Savarkar. The story is about an idyllic village on Maharashtra’s Konkan coast, which graphically describes the Portuguese misrule, during which they forcibly converted Hindus to Christianity en masse and held bloodcurdling Inquisitions terrorizing Hindus, destroying their places of worship, etc.
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Guide
आर.के. नारायण उन पहले भारतीय लेखकों में से थे जिनको विश्व-स्तर पर साहित्यिक ख्याति मिली। ‘गाइड’ उनका सबसे बेहतरीन उपन्यास है जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इस उपन्यास में प्रेम का उत्कर्ष तो है ही, इसमें जीवन के बहुत-से अर्थ खुलकर सामने आते हैं। इसमें उलझी हुई परतों को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त किया गया है। इस उपन्यास पर इसी नाम से बनी फिल्म की लोकप्रियता आज भी कायम है। आर.के. नारायण का यह उपन्यास बार-बार पढ़े जाने लायक एक क्लासिक रचना है।
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Vani Prakashan, उपन्यास
GUJRAT KE NATH
प्रख्यात गुजराती साहित्यकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की ऐतिहासिक उपन्यासमाला गुजरात गाथा’ का प्रस्तुत खण्ड, पिछले खण्ड के छूटे हुए कथासूत्र को पकड़ कर आगे बढ़ता है। इसमें 1096-1110 ई. के मध्य, दस वर्ष, का घटनाक्रम है। पाटन की शासनपीठ पर जयसिंह देव आसीन है। एक शासक के रूप में वह अभी कच्चा और अनुभवहीन है, किन्तु राजमाता मीनलदेवी और महामात्य मुंजाल के पुष्ट अनुभवों, शासन कौशल और दूरदर्शिता के सहारे गुर्जर सोलंकी साम्राज्य की पताका फहरा रही है। घरेलू स्तर पर सब शान्त है, महामात्य मुंजाल ने सारे सूत्र एकत्र बाँध दिये हैं। जयसिंह के सौतेले भाई देवप्रसाद का पुत्र त्रिभुवनपाल लाट प्रदेश का दंडनायक है। कर्णावती का शासन भार नागर मन्त्री दादाक के जिम्मे है और खंभात उदा मेहता के पास। सोरठ का भार सज्जन मन्त्री के पुत्र परशुराम पर है। यहाँ तक तो सब ठीक है, परन्तु बाहरी मोर्चा! एक ओर मालवा के अवंतिराज का दबाव और दूसरी ओर गुजरात के ही जूनागढ़ के दुर्द्धर्ष राजा दा’ नवघण और उसके षड्यंत्रकारी पुत्रों के कुचक्र। गुजरात के नाथ’ का चौदह वर्षों का समय इन्हीं समस्याओं से जूझते, अनेक उपकथाओं, अनेक चरित्रों से होकर बीतता है। गुजरात के नाथ’ का कथाफलक विस्तृत है और विस्तार की वजह से घटनाक्रम में अनेक मोड़ आते हैं, मानव-स्वभाव के अनेक रूपों से हमारा सामना होता है। इतिहास और कल्पना के धूपछाँही रंगों से चित्रित एक स्मरणीय कथाकृति!
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Garuda Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Had Sardar Patel Been The First Prime Minister
Garuda Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रHad Sardar Patel Been The First Prime Minister
When a nation begins to pine for a person from its past, wishing he remained at the helm for longer, it indicates that the path taken by that nation is not the correct one. With Sardar Patel, especially vis-a-vis Nehru, the Indian nation still mourns the fact that the former did not become the first Prime Minister of India. This book, written by Justice (retd.) S N Aggarwal, author of “Nehru’s Himalayan Blunders”, establishes the real reasons why we still pine for Patel’s longer presence at the horizon of our national leadership. The book, quoting from authentic sources, also gives ample insight into the views and understanding of the affairs of the nation, which Sardar not only preached but also practiced. Usually, Sardar Patel, the “Iron Man” that he was, is lauded for his role in the unification of post-independent India. With Nehru botching up the only princely state he handled – namely, Jammu and Kashmir – Patel’s contribution in unifying more than 500 princely states in the Indian union becomes all the more laudable. However, this book goes beyond. “Had Sardar Patel been the first Prime Minister, the country would have been fully armed to defend herself, there could have been no danger from outside. By following the principles of patriotism, moral values and high character and discipline, there would have been no internal problem,” writes the author. And, like the case of Kashmir, in these matters too, Nehru’s conduct makes one wish all the more strongly that Sardar should have been the first Prime Minister of India.
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Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Har Barish Mein
हिन्दी साहित्य के इतिहास में साठ का दशक, निर्मल वर्मा, चेकोस्लोवाकिया और यूरोप- लगभग अभिन्न हो गये हैं। इस दौरान निर्मल वर्मा ने यूरोप की धड़कन, उसके गौरव और शर्म के क्षणों को बहुत नजदीक से देखा-सुना। इस लिहाज से यह पुस्तक एक ऐसी नियतिपूर्ण घड़ी का दस्तावेज है, जब बीसवीं शती के अनेक काले-उजले पन्ने पहली बार खुले थे। दुब्चेक काल का प्राग-वसन्त, सोवियत-स्वप्न का मोह-भंग, पेरिस के बेरिकेडों पर उगती आकांक्षाएँ- ऐसी अभूतपूर्व घटनाएँ थीं, जिन्हें हमारी ढलती शताब्दी की छाया में निर्मल वर्मा ने पकड़ने की कोशिश की, किसी बने-बनाये आईने के माध्यम से नहीं बल्कि सम्पूर्णतया अपनी नंगी आँखों के सहारे। यह पुस्तक एक बहस की शुरुआत थी- वामपन्थी विचारधारा को प्रश्नांकित करने की शुरुआत। इस पुस्तक में युवा चिन्तक निर्मल वर्मा पहली बार ‘अलोकप्रिय’ होने के खतरे उठाते दिखाई दिये थे- लेकिन इसके बाद फिर कभी किसी ने उन पर यह आरोप नहीं लगाया कि वह ‘किसी भी बारिश’ में भीगने से कतराये थे।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, उपन्यास
Hari Priya
हरि की प्रिया मीरा वर्षों पूर्व एक साधारण स्त्रा् से एक विशिष्ट महिला बन जाती है। सदियों से नारी कभी परदे में तो कभी बहुपत्नीत्व तो कभी पति प्रताड़ना तो कभी सास, ननद के विचारों तले दबी अपने अस्तित्व की खोज करती रही है। वो प्राणी है—उसे भी सामान्य रूप से जीवन की साँस लेने का अधिकार तो है, पर वंचित रह स्वयं को जीवित रखने हेतु भक्ति मार्ग ही सुरक्षित कवच होता है। संयम, नम्रता, बुद्धि व व्यवहार में स्त्रा् को पुरुष का सहयोग चाहिए, परंतु समाज को यह रास नहीं।
मीरा भी समाज से टक्कर ले स्वयं को कृष्ण प्रेम में समर्पित कर देती है। कृष्ण-प्रेम मीरा के लिए ढोंग नहीं, एक सुलझी भक्ति साधना है, जिसे गुरु ने शक्तिवान बनाया है। ऐसी ही नारी व प्राणी ईश्वर का प्रिय होता है, जो कर्म, धर्म व मन से ईश्वर में लीन होता है। निर्मल मन, दृढ़ निश्चय व संयम व्यक्ति को भक्ति में डुबो देता है। मीरा अद्भुत शक्तिसंपन्न स्वामीजी के मार्ग-सहयोग से स्वयं को सशक्त नारी बना इतिहास में उल्लेखनीय बनाती है।
कृष्णभक्त मीरा की समर्पित भक्ति का जयघोष करती पठनीय औपन्यासिक कृति।SKU: n/a