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Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan


राष्ट्रवादी लेखन के प्रमुख हस्ताक्षर गुरुदत्तजी ने ऐसे साहित्य की सृष्टि की है, जिसको पढ़कर इस देश की कोटि-कोटि जनता ने सम्मान का जीवन जीना सीखा है। सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद गुरुदत्तजी ने लगभग सारा समय साहित्य के सृजन में लगाना शुरू किया और मृत्युपर्यंत जुटे रहे। उन्होंने 250 के लगभग पुस्तकें लिखीं, जिनमें प्रायः 200 उपन्यास हैं, कुछ पुस्तकें राजनीति पर हैं। जिनमें प्रमुख है—‘भारत गांधी-नेहरू की छाया में’। कुछ संस्मरणात्मक पुस्तकें हैं और शेष भगवद्गीता, उपनिषदों तथा वेदों पर उनकी टीकाएँ व भाष्य हैं।
उनके उपन्यासों के विषय में बहुत कुछ लिखा जा चुका है। उनके उपन्यासों की भाषा सरल है और कथानक अति रोचक। उनकी कहानियाँ चाहे राजनीतिक, ऐतिहासिक या सामाजिक हों, सबमें राष्ट्रवादी विचारधारा और भारत के भवितव्य के विषय में उनका चिंतन झलकता है। सामाजिक समरसता, मानवीय संवेदना, राष्ट्र के लिए समर्पण और जीवन-मूल्य ही उनकी कहानियों का मूल स्वर रहे।
प्रस्तुत संग्रह में उनकी ऐसी ही बहुचर्चित कहानियाँ संकलित हैं, जो पाठकों को रुचिकर लगेंगी और उनमें सामाजिक चेतना जाग्रत् करेंगी।

Rs.350.00

THE AUTHOR

Gurudutt
8 दिसंबर, 1894 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में जनमे गुरुदत्त हिंदी साहित्य के देदीप्यमान नक्षत्र हैं। इन्हें क्रांतिकारियों का गुरु कहा जाता है। जब ये नेशनल कॉलेज, लाहौर में हेडमास्टर थे, तो सरदार भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु इनके सबसे प्रिय शिष्य थे, जो बाद में आजादी की जंग में फाँसी का फंदा चूमकर अमर हो गए। उन्होंने दो सौ से अधिक उपन्यास लिखकर अपार ख्याति अर्जित की। संयुक्त राष्ट्र महासंघ के साहित्यिक संगठन ‘यूनेस्को’ द्वारा सन् 1973 में जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार गुरुदत्त 1960-1970 के दशकों में हिंदी साहित्य में सर्वाधिक पढ़े जानेवाले लेखक रहे हैं। ‘स्वाधीनता के पथ पर’, ‘स्वराज्य दान’, ‘दासता के नए रूप’ (राजनीतिक उपन्यास), ‘कुमारसंभव’, ‘अग्नि-परीक्षा’, ‘परित्राणाय साधूनाम्’ (पौराणिक उपन्यास), ‘पुष्यमित्र’, ‘विक्रमादित्य’, ‘पत्रलता’, ‘गंगा की धारा’ (ऐतिहासिक उपन्यास) के साथ-साथ ‘देश की हत्या’ उनका सर्वाधिक चर्चित उपन्यास है।
स्मृतिशेष : 8 अप्रैल, 1989।

Weight .300 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

Author : Gurudutt
ISBN : 9789351862697
Language : Hindi
Publisher: Prabhat Prakashan
pages : 176
Binding : HB

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