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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Mohammed and the rise of Islam
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), English Books, Suggested Books, Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Mohammed and the rise of Islam
Marligoliouth was a great linguist and scholar and was for a long time a professor of Arabic at the Univ. of Oxford. The spiritual equipage of Islam and Christianity is similar; their spiritual contents, both in quality and quantum, are about the same. The central piece of the two creeds is “one true God” of masculine gender who makes himself known to his believers through an equally single, favoured individual. The whole prophetic spirituality in both is mediumistic in essence. Here everything takes place through a proxy, through an intermediary. The proxy is the favoured individual, a privileged mediator…Hitherto we have looked on Hinduism through the eyes of Islam and Christianity. Let us know learn to look at these ideologies from the vantage point of Hindu spirituality- they are no more than ideologies, lacking as they are in the integrality and inwardness of true religion and spirituality. Such an exercise would also throw light on the self-destructiveness of the modern ideologies of Communism and Imperialism, inheritors of the prophetic mission or “burden”, in its secularized version, of Christianity and Islam. The perspective gained will be great corrective and will add a new liberating dimension; it will help not only India and Hinduism but the whole world.
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Gita Press, Hindi Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Mohan
श्रीकृष्ण-चित्रकथा के इस भाग में ब्रह्माजी के मोहभंग से लेकर श्रीकृष्ण के द्वारा दर्जी और माली पर कृपा तक की नौ सुन्दर लीलाओं के वर्णन के साथ उनके आकर्षक एवं बहुरंगे चित्र भी दिये गये हैं। पुस्तक में दावाग्नि-पान, गोवर्धन-पूजा, रासलीला आदि कथाओं का वर्णन इतना सरस है कि उन्हें बार-बार पढ़ने की इच्छा का पाठक संवरण नहीं कर पाता है।
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Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Mopla (Hindi) – Veer Savarkar
मोपला अर्थात मुझे इससे क्या यह पुस्तक केरल में हुए हिन्दू नरसंहार के ऊपर आधारित है एवं इस पुस्तक में हिंदुओं की कमज़ोरी पर ध्यान दिया गया है । हर हिन्दू को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए और वीर सावरकर ने हिंदुओ की जिस कमज़ोरी को इस पुस्तक में बताया है उस से छुटकारा पाना चाहिए । मालाबार का भीषण रक्त पात व हिंदू वीनाओं का मार्मिक उपन्यास आधुनिक युग के महान क्रांतिकारी Vinayak Damodar Savarkar की लेखनी से लिखा मुसलमानों की मनोवृति का यथार्थ जीवन चित्रण।
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Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Mopla Vidroh-1921 (PB)
-10%Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Mopla Vidroh-1921 (PB)
इतिहास लेखन में तथ्यों को उनकी असली तसवीर के साथ प्रस्तुत करना ही इतिहास के साथ न्याय
होता हैै। स्वतंत्र भारत में भारत के विधाताओं ने आपसी सौहार्द की दुहाई देते हुऐ, भारत के इतिहास से
ऐसे प्रसंगों को निकाल दिया, जो रक्तरंजित थे या जिसमें अमानवीयता ने अपनी सारी हदें पार कर दी
थीं। ऐसे ही प्रसंगों में से एक प्रसंग मोपला विद्रोह भी था। इस विद्रोह को एक सामान्य भूस्वामी बनाम
ड्डषि-कर्मी के विवाद के रूप में कह कर उपेक्षित कर दिया गया जो कि इतिहास के साथ धोखा था।
मोपला विद्रोह मोपला उपद्रवियों द्वारा हिंदुओं के ऊपर किये गये अत्याचारों की दास्तान है।
वीभत्सता, संगठित हिंसा और नृशंसता को देखते हुऐ, विद्रोहियों के द्वारा किया गया यह हिंसक ड्डत्य
मालाबार के इतिहास में अभूतपर्व है।
लेखक स्वर्गीय सी. गोपालन नायर ने इस पुस्तक में मूलतः अखबारों में प्रकाशित खबरों तथा कुछ
सरकारी दस्तावेजों का हवाला दिया है, जो उन्हें उपलब्ध हो पाये। लेखक ने तथ्यों और साक्ष्यों को
सामने रख कर सत्य को उद्घाटित किया है, जो मोपला विद्रोह के यथार्थ को स्पष्ट कर देता है।“It would be well if Mr. Gandhi could be taken into Malabar to see with his own eyes the ghastly horrors which have been created by the preaching of himself and his “loved brothers” Muhammad and Shaukat Ali…How does Mr. Gandhi like the Mopla spirit as shown by one of the prisoners in the Hospital, who was dying from the results of asphyxiation? He asked the surgeon, if he was going to die, and the Surgeon answered that he feared he would not recover. “Well, I’m glad I killed fourteen infidels,” said the Brave, God-fearing Mopla, whom Gandhi so much admires, who “are fighting for what they consider as Religion, and in a manner, they consider as religious.”
Annie Besant
(New India, 29 November 1921)SKU: n/a -
English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Moplah (English)
The Moplah is translated in English by Manjula Tekal. Authored by the great scholar, poet, writer extraordinaire and eminent historian Swatantryaveer Vinayak Damodar Savarkar. The Moplah is a story of how Hindus were deceived by their delusional leaders.
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Motivating Thoughts Of Bhagat Singh (PB)
-17%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Motivating Thoughts Of Bhagat Singh (PB)
Motivating Thoughts Of Bhagat Singh
A beacon of inspiration and a founding member of the Hindustan Socialist Republican Association, Bhagat Singh played a pivotal role in shaping the course of the Indian Independence Movement. His indomitable spirit and the resounding catch phrase “Inquilab zindabad” (Long live the revolution) became emblematic of the struggle for a free India.
Shaheed Bhagat Singh remains an enduring symbol of unwavering courage and dedication to the cause of liberty. His words continue to resonate with the spirit of patriotism and determination in the hearts of millions.In this book, we present a collection of Shaheed Bhagat Singh’s powerful thoughts, translated Into English. These inspiring thoughts serve as a testament to his vision and unwavering commitment to the nation’s freedom struggle. As we remember the life and sacrifice of this remarkable revolutionary, may these thoughts inspire readers to cherish and protect the hard-earned Independence of our great nation.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Mr. M.K. Gandhi ki Champaran Diary
महात्मा गांधी को तब मिस्टर एम.के. गांधी या मिस्टर गांधी ही कहा जाता था। गांधी का चम्पारण पहुँचना एक युगांतरकारी घटना साबित हुई, पर यह प्रयोग कई मायनों में विलक्षण था। गांधी की स्वीकार्यता को बताने के साथ ही अन्याय सहनेवाले जीवंत समाज में प्रतिरोध की शक्ति के उभरने तथा खुद गांधी द्वारा अपनी पूरी ईमानदारी, निष्ठा, दम व समझ के साथ स्थानीय लोगों तथा समस्याओं से एक रिश्ता जोड़ने एवं उन हजारों-लाखों द्वारा झट से गांधी पर भरोसा करके उनको अपनाने की अद्भुत दास्तान भी है। यह अहिंसात्मक ढंग से जनता की भागीदारी और सत्य पर आधारित आंदोलन की अन्याय विरोधी शक्ति को रेखांकित करनेवाला पहला प्रयोग है।
गांधी पूरब से आए यानी कलकत्ते से और आखिर में पश्चिम अर्थात् अहमदाबाद निकल गए। कुल मिलाकर साढ़े नौ महीने चम्पारण में रहे। बाद में किसी भी आंदोलन में और किसी भी जगह पर उन्होंने इतना समय नहीं लगाया। जब अंग्रेजी सत्ता और निलहा जमात उनको चम्पारण जाने से रोक रहा था तथा टिकने नहीं दे रहा था, तब वे सबकी छाती पर मूँग दलते हुए वहीं बैठे रहे एवं अपने बाकी कामों की परवाह भी नहीं की।
नील के किसानों के शोषण के विरुद्ध शुरू हुए प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक चम्पारण आंदोलन की रोमांचक कहानी। रोज-रोज के सच्चे विवरणों के माध्यम से चम्पारण सत्याग्रह की पूरी कहानी।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Mrignayani
मानसिंह ने नाहर का बारीकी के साथ निरीक्षण किया। नाहर ने केवल एक तीर खाया था। राजा ने पूछा ‘नाहर की गरदन पर किसका तीर बैठा?’
निन्नी ने सिर झुका लिया। लाखी ने तुरंत सामने होकर उत्तर दिया, ‘निन्नी—मृगनयनी का।’
राजा ने दूसरा प्रश्न किया, ‘अरने के माथे पर बरछी किसकी खोंसी हुई है?’
लाखी बोली, ‘मृगनयनी की।’
‘वाह! धन्य हो!! तुम दोनों धन्य हो!!!’ मानसिंह के मुँह से निकला और उसने अपने गले से सोने का रत्नजडि़त हार निकालकर निन्नी के गले में डाल दिया।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Hindu Rights Forum, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Muhammad Ka Jeevan (PB)
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Hindu Rights Forum, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Muhammad Ka Jeevan (PB)
यह पुस्तक सर विलियम मूर कृत अंग्रेजी पुस्तक The life of Mahomet का हिंदी अनुवाद है। यह पुस्तक पहली बार 1861 में चार खंडों में प्रकाशित हुई थी। यह मोहम्मद के जीवन पर एक प्रमाणिक शोध ग्रंथ है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Muhnot Nainsi Ki Khyat (Set of Vol.2)
मुँहणोत नैणसी की ख्यात (हिन्दी अनुवाद) :
राजस्थान के इतिहास का सर्वाधिक विश्वसनीय स्त्रोत ‘मुँहणोत नैणसी री ख्यात’ है। जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के देश दीवान नैणसी द्वारा 17वीं शताब्दी में लिखित मूल ख्यात राजस्थानी गद्य में लिखी गई। उस काल की भाषा अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध मारवाड़ी होने के कारण किसी अन्य भाषा के प्रभाव से मुक्त थी, अतः वर्तमान शोधकर्ताओं के लिए दुरूह थी। बाबू रामनारायण दूगड़ जैसे उच्चकोटि के विद्वान ने इसका हिंदी अनुवाद कर भावी शोधार्थियों के लिए इस महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का उपयोग सुलभ कर दिया है। राजस्थान के सुप्रसिद्ध इतिहासकार पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा संपादित किये जाने से इस हिंदी अनुवाद का महत्त्व अत्यधिक बढ़ गया है। ओझाजी ने नैणसी की त्रुटियों को अपने गहन-गंभीर ऐतिहासिक अध्ययन के आधार पर पाद-टिप्पणियों में शुद्ध किया है, जो शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। नैणसी ने अपनी ख्यात में राजपूताना, गुजरात, काठियावाड़ कच्छ, बघेलखंड, बुंदेलखंड और मध्य भारत के इतिहास को अपने ग्रंथ के कलेवर में समाहित करने का प्रयास किया है। प्रस्तुत ग्रंथ में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ राज्यों के सिसोदियों (गुहिलोतों), रामपुरा के चंद्रावतों (सिसोदियों की एक शाखा), खेड़ के गुहिलों, जोधपुर, बीकानेर और किशनगढ़ के राठौड़ों, जयपुर के कच्छवाहों, सिरोही के देवड़ा चौहानों, बूंदी के हाड़ों तथा बागड़िया, सोनगरा, सांचोरा, बोड़ा, ताँपलिया, खीची, चीबा, मोहिल आदि चौहानों की भिन्न-भिन्न शाखाओं यादवों और उनकी सरवैया, जाड़ेचा आदि कच्छ और काठियावाड़ की शाखाओं, गुजरात के चावड़ों तथा सोलंकियों, गुजरात और बघेलखंड के बघेलों (सोलंकियों की एक शाखा), काठियावाड़ और राजपूताना के झालों, दहियों, गौड़ों, कायमखानियों आदि का विस्तृत इतिहास लिखा है। ‘नैणसी री ख्यात’ प्राचीनतम ख्यात तो है ही, साथ ही इसका महत्त्व ओझाजी के इस कथन से आंका जा सकता है कि यदि कर्नल जेम्स टॉड को नैणसी की ख्यात उपलब्ध होती तो निश्चय ही उसका ग्रंथ और अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय बन जाता। ‘नैणसी री ख्यात’ के महत्त्व को स्वीकार करते हुए प्रसिद्ध इतिहासकार मुंशी देवी प्रसाद ने उसे राजपूताना का अबुल फजल कहा है, तो कालिकारंजन कानूनगो ने नैणसी को अबुल फजल से अधिक श्रेष्ठ इतिहासकार बताया है। ‘नैणसी री ख्यात’ का यह हिंदी अनुवाद राजस्थान की परंपराओं और इतिहास में रुचि रखने वाले सामान्य जिज्ञासुओं के साथ ही इतिहास के गहन-गंभीर अध्येताओं तथा शोधार्थियों के लिए सहेजकर रखने योग्य सिद्ध होगा।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Mujrim Hazir
बिमल मित्र सुप्रसिद्ध सफल उपन्यासकार हैं और ‘मुजरिम हाजिर’ में उनकी औपन्यासिक कला ने यह चरम उत्कर्ष पाया है कि यह उपन्यास सहज़ ही एक महान महाकाव्य की श्रेणी में आ जाता है। बांग्ला के सर्वाधिकार लोकप्रिय उपन्यासकार बिमल मित्र का यह उपन्यास ‘आसामी हाजिर’ नाम से बंगला में दो वर्ष तक धारावाहिक प्रकाशित होता रहा है। इसके बाद इसका रंगमंच रूपांतर भी कई वर्षों तक लगातार प्रदर्शित होता रहा है। बिमल मित्र ने इसमें चरित्रनायक सदानंद के माध्यम से हमें सामाजिक जीवन के रंध्र-रंध्र मैं फैली दुर्नीति, दुराचार, ग्लानि और अन्याय को आंखों में अंगुली गडाकर दिखाया है। लेकिन उनकी दृष्टि केवल अंधकार की ओर नहीं रही है, उनके ‘सक्रिय भलेमानुस’ सदानंद ने ‘दिव्य प्रेम की पावन जोत’ भी हाथ में ले रखी है और इस तरह उपन्यासकार ने प्रखर प्रकाश की ओर भी देखा है। सदानंद की चरित्रगाथा में उन्होंने स्तर-स्तर मे विन्यस्त सामाजिक संकट को अद्भुत कौशल से उभारा है, विश्व स्तर के किसी भी उपन्यासकार के लिए चुनौती है। ‘मुजरिम हाजिर’ में जिस विशाल जगत की सृष्टि उन्होंने की है, उसकी प्रत्येक घटना, प्रत्येक चरित्र ऐसा विशाल योग्य और हृदयग्राही है कि पाठक इस जगत में अनजाने शामिल हो जाता है- यह जगत उसका ही जगत बन जाता है। प्रस्तुत उपन्यास पर आधारित धारावाहिक टीवी पर भी प्रकाशित हो चुका है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Mukandas Khichi
मुकनदास खीची : मारवाड़ के वीर शिरोमणि मुकनदासजी खीची के बारे में लोगों को अभी तक अधिक जानकारी नहीं है। इस पुस्तक के माध्यम से मुकनदास खीची की कीरत कथा उजागर करना हमारा उद्देश्य है, साथ ही आज की पीढ़ी जिस तेजी के साथ अपनी भाषा, इतिहास, रीति-रिवाज, अदब-कायदा व संस्कृति से परे होती जा रही है, उनको भी मुकनदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराना भी है।
मुकनदास खीची को इतिहास में जो स्थान मिलना चाहिए था नहीं मिला, उन्हें इतिहास से गौण कर दिया गया। पांडवों का एक वर्ष का अज्ञातवास कितना कठिन था जबकि मुकनदास खीची के सात वर्ष बालक महाराजा अजीतसिंह की जोगी के भेष में सुरक्षा, पल-पल की नजर रखना कितना कठिन कार्य था। वहीं दुर्गादास राठौड़ युद्ध करना, कूटनीति, राजपूतों को संगठित करना और महाराजा को खोया राज्य पुन: दिलाना के लिए प्रयासों में लगे रहे, तो दूसरी तरफ मुकनदास पर महाराजा को औरंगजेब की नजरों से बचाने का महत्वपूर्ण दायित्व था। अगर मुकनदास अपने कार्य में तनिक भी असफल हो जाते तो क्या दुर्गादास राठौड़ का उक्त कार्य सफल होता, ये दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं सब पहलुओं पर विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए मुकनदास के बहुमुखी व्यक्तित्व एवं कृतित्व को उजागर किया है, जो समस्त खीची बंधुओं, शोधार्थियों, इतिहास के अध्येताओं, एवं सामान्य पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Mukt Gagan Mein
यशस्वी साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा…साथ ही पूरी एक सदी के साहित्यिक जीवन तथा समाज और देश का चारों ओर दृष्टि डालता आईना और दस्तावेज़। विष्णु प्रभाकर अपने सुदीर्घ जीवन में साहित्य के अतिरिक्त सामाजिक नवोदय तथा स्वतंत्रता-संग्राम से भी पूरी अंतरंगता से जुड़े रहे-रंगमंच, रेडियो तथा दूरदर्शन सभी में वे आरंभ से ही सक्रिय रहे। शरत्चन्द्र चटर्जी के जीवन पर लिखी उनकी बहुप्रशंसित कृति ‘आवारा मसीहा’ की तरह यह भी अपने ढंग की विशिष्ट रचना है। यह आत्मकथा तीन खंडों में प्रकाशित है : पंखहीन (प्रथम खंड), मुक्त गगन में (द्वितीय खंड), और पंछी उड़ गया (तृतीय खंड)
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Hindi Books, Lokbharti Prakashan, इतिहास
Muktibodh : Vimarsh Aur Punah Path
प्रस्तुत पुस्तक में मुक्तिबोध को वर्तमान के आलोक में देखने परखने की एक कोशिश की गयी है। इसी क्रम में पुस्तक में मुक्तिबोध के लेखन के विविध पक्षों पर आलेख शामिल किये गये हैं। हर रचनाकार अपनी रचना में अपने समय और उसकी विडम्बनाओं को उकेरने की कोशिश करता है। इसका आशय यह भी होता है कि इन विडम्बनाओं को दूर किया जाना चाहिए। एक समय का सच आखिरकार ‘अतीत का वह सच’ बन जाता है जिसको वर्तमान ख़ारिज कर चुका होता है। काश रचनाकार की रचनाएँ भी ‘अतीत का सच’ बन पातीं। सही अर्थों में यह किसी भी रचनाकार का असल मन्तव्य भी होता है। मुक्तिबोध आजीवन संघर्ष के साक्षी रहे। इसीलिए संघर्ष उनकी रचनाओं का प्रत्यक्ष है। काश ‘सामूहिक मुक्ति’ का मुक्तिबोध का सपना साकार हो पाता। यह पुस्तक एक तरह से उन सपनों की पड़ताल है।
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