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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Narad Muni Ki Aatmkatha
‘नारद मुनि की आत्मकथा’ पुस्तक में कुल मिलाकर छोटे-बड़े ऐसे छियालीस वृंत हैं, जो देवर्षि नारद के अपने मुखार-विंद से निसृत हुए और जिन्हें महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास एवं गोस्वामी तुलसीदास ने पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न स्थलों पर प्रस्तुत किया है। इन आयानों से पता चलता है कि नारदजी की कथनी-करनी न केवल भेद रहित है, बल्कि सर्वत्र सात्विक और मधुर है। वे एक ओर लोक-कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, तो दूसरी ओर दक्ष-पुत्रों, वेदव्यास, वाल्मीकि, राजा बलि, बालक ध्रुव, दैत्य पत्नी कयाधू का हित साधन करते हैं और जहाँ आवश्यक समझते हैं, वहाँ ज्ञान देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
इन सब नेक और शुभ कर्मों को करते हुए भी वे राम और कृष्ण एवं विष्णु रूप अपने ‘नारायण’ को कभी विस्मृत नहीं करते। बहुआयामी सकारात्मक व्यतित्व वाले देवर्षि नारद, बिना भेदभाव के सभी से मधुर व्यवहार करते हुए व्यष्टि और समष्टि के कल्याण हेतु तत्पर रहते हैं। इसीलिए या देव, दानव और राक्षस, तो या मनुष्य, उनका आदर और सम्मान करते हैं। ऐसे दुर्लभ गुण एवं विशेषताओं वाले नारद मुनि श्रीकृष्ण के लिए भी स्तुत्य हैं।SKU: n/a -
English Books, Parimal Publications, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
NARASIMHA PURANA (English)
-10%English Books, Parimal Publications, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिNARASIMHA PURANA (English)
According to Yaska- An innovative thing irrespective of being its old is called Purana. Besides the eighteen Maha-Puranas, there are another set of the Purans known as upa-Puranas, which are more sectarian in nature. They are comparatively later in date having as well some historical background.
Nrsimha Purana occupies an important place among the upa-Purans and like other Puranas, this is also considered to be compiled by Vyasa. On the contrary, every Purana dwells at length on one or more particular subjects and in some, five primary topics-(1) Primary creation or cosmogony (2) Secondary creation (3) genealogy of gods and patriarchs (4) reigns of the Manus (5) history of the solar and lunar dynasties. Nrsimha Purana also depicts these five topics, viz. It contains various episode of the incarnation of Lord Visnu; especially incarnation of Lord Rama. There are sixty-five chapters, which describe all topics related with Purana. It describes the story of Rishi Markandeya’s victory over death and Yamagita. The form of devotion, definition of a true devotee and the character of devotees like Dhruva’s has been described in this Puran. Despite of it being small it is pregnant with meaning.
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
NARAYANI : TRUE STORY OF A SATI
-10%English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)NARAYANI : TRUE STORY OF A SATI
Narayani: True Story of a Sati takes readers on a captivating journey into the heart of modern-day Rajasthan and Haryana, where the narrative unfolds. . This tale, filled with poignant moments that resonate deeply, offers a captivating blend of history, mystery, and mythology. Through the character of Narayani, Monica Gupta introduces a heroine for our times, weaving an intriguing and inspiring journey that reminds us of the enduring power of legends. Her narrative leaves an indelible mark, reminding us that the past holds the keys to understanding our present and shaping our future.
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Gita Press, Hindi Books, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Nari-Shiksha 0336
नारी-जाति के सर्वांगीण विकास के लिये स्त्रियों के कर्तव्य, भारतीय नारी का स्वरूप, बच्चों का जीवन-निर्माण, पातिव्रत्य धर्म, हिन्दू- शास्त्रों में नारी का स्थान इत्यादि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर श्री भाईजी-कृत एक उपदेशपूर्ण विवेचन।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Narrative ka Mayajaal (PB)
-17%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Narrative ka Mayajaal (PB)
आखिर हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है ? क्या भारत 15 अगस्त, 1947 से पहले एक राष्ट्र नहीं था ?
क्या भारत में बहुलतावाद, लोकतंत्रऔर पंथनिरपेक्षता, विदेशियों द्वारा दिया गया कोई उपहार है ? क्या ब्रितानियों ने हमें देश का स्वरूप दिया ? क्या आक्रांताओं को राष्ट्र-निर्माता कह सकते हैं? द्विराष्ट्र सिद्धांत की सच्चाई क्या है ? क्यों छल-बल से समाज में मतांतरण अब भी जारी है ? क्यों देश का एक राजनीतिक वर्ग बहुसंख्यकों को तोड़ने हेतु उन्हें जातियों मेंबाँटकर टकराव, तो अल्पसंख्यकों को मजहब के नाम पर एकजुट रखने का प्रयास करता है? किसने ब्राह्मणों का दानवीकरण किया?
हिंदुत्व पर कैसे विषवमन करके फर्जी हिंदू/भगवा आतंकवाद का नैरेटिव बनाया गया ? जब भगवान् श्रीराम सनातन भारत की सांस्कृतिक पहचान हैं, तो उनकी जन्मभूमि अयोध्यामें मंदिर निर्माण में लगभग 500 वर्ष क्यों लग गए ?
इस प्रकार के कई प्रश्नों के उत्तर और उनमें से जनमे अन्य प्रश्नों का उत्तर क्या हो सकता है, यह सब विमर्श (नैरेटिव) सुनिश्चित करता है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Narsingh Puran
इस पुराण में दशावतार की कथाएँ एवं सात काण्डों में भगवान् श्रीराम के पावन चरित्र के साथ सदाचार, राजनीति, वर्णधर्म, आश्रम-धर्म, योग-साधन आदि का सुन्दर विवेचन किया गया है। इसके अतिरिक्त इस में भगवान् नरसिंह की विस्तृत महिमा, अनेक कल्याणप्रद उपाख्यानों का वर्णन, भौगोलिक वर्णन, सूर्य-चन्द्रादि से उत्पन्न राजवंशों का वर्णन तथा अनेक स्तुतियों का सुन्दर उल्लेख है।
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Rajpal and Sons
Nauva Geet
1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को जब साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया तो वे एशिया और भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे। बहुआयामी व्यक्तित्व वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर साहित्यकार, चित्रकार, चिंतक और दार्शनिक थे। उन्होंने छोटी उम्र में ही कविता लिखना शुरू किया और सोलह वर्ष की उम्र में उनका पहला कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ। उपन्यास, कहानी, गीत, नृत्य-नाटिका, निबंध, यात्रा-वृत्तांत-सभी विधाओं को उन्होंने अपनी लेखनी से समृद्ध किया। भारत और बांगलादेश, दोनों ही देशों के राष्ट्रगान इनके लिखे हुए हैं। अपने जीवन काल में इन्होंने विश्वभारती विद्यालय और शांति निकेतन विश्वविद्यालय की स्थापना की जो आज भी प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ जीवन-मूल्य प्रदान करता है। इस पुस्तक में हिन्दी के जाने-माने लेखक और कवि सुरेश सलिल का टैगोर की कुछ श्रेष्ठ कविताओं का हिन्दी में अनुवाद प्रस्तुत है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Nav Durga
सृष्टि की आदि शक्ति भगवती दुर्गा की धर्मशास्त्रों में अतुलनीय महिमा बतलायी गयी है। नवरात्र के नौ दिनों में इनके नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस पुस्तक में भगवती दुर्गा के नवों स्वरूपों के उद्भव, विकास, उपासना तथा उपासना से प्राप्त होनेवाले फलों का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया गया है। पुस्तक में आर्ट पेपर पर माँ दुर्गा के नवों स्वरूपों के आकर्षक तथा रंगीन चित्र भी दिये गये हैं।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Navgrah
भारत में नवग्रह-उपासना का इतिहास अत्यन्त पुराना है। प्रत्येक हिन्दू अपने त्रितापों के शमन एवं भौतिक उन्नति के लिये समय-समय पर नवग्रहों की उपासना करता है। इस पुस्तक में शास्त्रों के आधार पर नवग्रहों के उद्भव-विकास, ध्यान और परिचय के साथ उनकी उपासना के मन्त्र दिये गये हैं। प्रत्येक ग्रह-परिचय के साथ उस ग्रह का बहुरंगा आकर्षक चित्र दिया गया है।
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Hindi Books, Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Naxalwad Aur Samaj
-15%Hindi Books, Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Naxalwad Aur Samaj
प्रस्तुत पुस्तक, नक्सलवाद और समाज पर लेखक के नक्सलियों और उनके परिवारों के भावपूर्ण अध्ययन का परिणाम है। यह अध्ययन एक पुलिस अधिकारी के रूप में उनके अनुभवों और बचपन की उनकी यादों से फलीभूत हुआ है। लेखक का जन्मस्थान नक्सलवाद के कुख्यात केंद्र के निकट हुआ; अत: बाल्यकाल से हुए अनुभव के आधार पर लिखी इस पुस्तक में उन्होंने नक्सलवाद और एक नक्सली के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला है। नक्सलवाद के विभिन्न पहलुओं को समझने में इसने काफी मदद की है। एक प्रकार से इसे नक्सलवाद एनाटॉमी कहा जा सकता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Nazarband Loktantra
लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है, न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-‘ ‘ यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार, समर्पित, सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । ” इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। लोकतंत्र आपातकाल (सन् 1 975- 77) की घटनाओं का रोमांचक विवरण है । सरल- सीधी लोकप्रिय भाषा में लिखी गई और रोचक घटनाओं से भरपूर यह केवल एक जेल डायरी नहीं है, न ही यह सिद्धांतों का प्रतिपादन करती है बल्कि ये उस लेखक के अंतस से निकले हुए शब्द हैं जो उस समय एक बड़ी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष था और अब देश का गृहमंत्री है । लेखकने उन्नीस माह तक देश की विभिन्न जेलों में बिताई अवधिके दौरानघटित घटनाओं और अपने विचारों को लिपिबद्ध किया है । इस पुस्तक की भूमिका में पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई लिखते हैं-‘ ‘ यह डायरी एक ऐसे व्यक्तित्व को उद्घाटित करती है जो असामान्य रूप से ईमानदार, समर्पित, सुसंस्कृत और स्थिरचित्त है । यह उनकी उस प्रच्चलित आस्था की रेखांकित करती है जिसके माध्यम से वह सरकारी धूर्तता के परिणामों के मुकाबले में डटे रहे 1 एक संपादक के नाते प्रेस और अन्य जनसंचार माध्यमों की स्वतंत्रता केप्रति उनके प्रगाढ़ लगाव के। भी यह डायरी प्रकट करतीहै । ” इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक। इस पुस्तक में लोकतंत्र समर्थक वे लेख भी शामिल हैं जो लेखकने छद्म नामसे लिखे औरगुप्तरूप से वितरित किए । लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति लेखक की प्रतिबद्धता, साथ ही एक पारदर्शी समाज और अपने आदर्शो पर चलने के जन-अधिकार में दृढ़ विश्वास इस पुस्तक में उभरकर सामने आते हैं । जीवन मूल्यों और आदर्शो के प्रति गहन आस्था रखनेवाले हर भारतीयके लिएपठनीय और संग्रहणीय पुस्तक।
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Vishwavidyalaya Prakashan, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Neeb Karoli Ke Baba
घोर कलियुग की इस बीसवी शताब्दी मे भी भारत भूमि पर अनेक ऐसे सत –महात्माओं ने जन्म लिया जिनका मूल उद्देश्य सभवत मानव समाज का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपकार करना ही था । ऐसे संत –महात्माओं को इसीलिए अवतारी पुरुष कह सकते हैं क्योकि इन्होने भगवान राम और कृष्ण की ही तरह पृथ्वी का भार हल्का किया और अपने भक्तो का असीम उपकार किया ।
वैसे तो बाबा का विराट् स्वरूप है इनके लीला –कौतुक भी अगणित है, इन पर साहित्य भी प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध है तो भी हमे बाबा की जिस छवि के दर्शन हुए तथा इसके फलस्वरूप जो सुख प्राप्त हुआ उसका कुछ अंश ही सही अपने पाठको तक पहुँचाने के लिए हम् प्रयत्नशील है ।
सिद्धि माँ की असीम कृपा की अनुभूति हम इस क्षण प्रत्यक्ष रूप रवे कर रहे हैं । उन्हीं के आशीर्व्राद से यह प्रयास सभव हुआ है ।
हम उन महानुभावो के प्रति भी आभार व्यक्त करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं जिनके संस्मरणों का उल्लेख हमने इस पुस्तिका मे किया है ।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Neelambara
‘नीलाम्बरा’ में संग्रहीत कविताओं के बारे में महादेवीजी ने यह कहा है, ‘‘काव्य में प्रकृति के सहयोग की कथा कालजयी कथा है, जिसे आज का निर्मम बुद्धिवाद अब तक भुला नहीं पाया। कदाचित् भुलाने का प्रयास मनुष्य को एकांगी बनाकर उससे आनन्द-उल्लास के मूल्यवान क्षण छीन लेगा।’’ महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल इंदौर में हुई। 22 वर्ष की उम्र में महादेवी जी बौद्ध-दीक्षा लेकर भिक्षुणी बनना चाहती थीं लेकिन महात्मा गांधी से संपर्क होने के बाद अपना निर्णय बदलकर वह समाज सेवा में लग गईं। नारी-शिक्षा के प्रसार के उद्देश्य से उन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की और प्रधानाचार्य के पद की बागडोर संभाली। महादेवी जी की पहचान एक उच्च कोटि की हिन्दी कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षा-शास्त्री और महिला ‘एक्टिविस्ट’ की थी। उन्हें 1969 में साहित्य अकादमी फैलोशिप, 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1988 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। महीयसी महादेवी की संपूर्ण काव्य-यात्रा न सिर्फ आधुनिक हिन्दी कविता का इतिहास बनने की साक्षी है, भारतीय मनीषा की महिमा का भी वह जीवन्त प्रतीक है। उनकी कविताएं हिन्दी साहित्य की एक सार्थक कालजयी उपलब्धि हैं। छायावाद की इस कवयित्री की हिन्दी साहित्य में अपनी एक अनूठी पहचान है।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Neele Ghore Ka Sawar
‘नीले घोड़े का सवार’ सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यासकार डा. राजेन्द्रमोहन भटनागर कृत प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप को लेकर लिखा गया अन्यतम उपन्यास है। यह उपन्यास अनवरत शोध का परिणाम है। आपको बहुत कुछ नया ज्ञात हुआ और नये की स्थापना करना अत्यन्त आवश्यक हो गया। यह उपन्यास न केवल अपने समय का जीवित दस्तावेज़ है अपितु तत्कालीन जनजीवन की सामाजिक, आर्थिक और आंशिक रूप से धार्मिक स्थिति को समझने में मदद करने वाला ग्रन्थ है। इसके द्वारा महाराणा प्रताप का एक सर्वथा जीवन्त मानवीय चरित्र सामने आता है। कथाकार ने इतिहास का सार्थक उपयोग किया है। कथा में रोचकता की वृद्धि हुई है और सांस्कृतिक-सामाजिक सरोकारों को ज़्यादा सार्थकता हासिल हुई है।-‘आजकल’। लेखक ने एक ओर इतिहास रस का परिपाक किया है तो दूसरी ओर रचना के माध्यम से प्रताप के जीवन-संघर्ष का उदात्तीकरण भी किया है।-‘नया शिक्षक’।
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Rajpal and Sons, कहानियां, बाल साहित्य
Neeli Chidiya
हरिवंशराय बच्चन अपनी प्रसिद्ध कविता ‘मधुशाला’ के लिए तो जाने ही जाते हैं लेकिन उन्होंने बच्चों के लिए भी कविताएँ लिखीं, यह शायद बहुत कम लोग जानते हैं। इस पुस्तक में उनकी वे बाल-कविताएँ हैं, जो उन्होंने अपनी पौत्री नीलिमा के पाँचवें जन्मदिन पर लिखी थीं।
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Neerh Ka Nirman Phir
प्रख्यात हिन्दी कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ की आत्मकथा का पहला खंड, ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’, जब 1969 में प्रकाशित हुआ तब हिन्दी साहित्य में मानो हलचल-सी मच गई। यह हलचल 1935 में प्रकाशित ‘‘मधुशाला’’ से किसी भी प्रकार कम नहीं थी। अनेक समकालीन लेखकों ने इसे हिन्दी के इतिहास की ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में इतनी बेबाक़ी से सब कुछ कह देने का साहस किसी ने दिखाया। इसके बाद आत्मकथा के आगामी खंडों की बेताबी से प्रतीक्षा की जाने लगी और उन सभी का ज़ोरदार स्वागत होता रहा। प्रथम खंड ‘‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’’ के बाद ‘‘नीड़ का निर्माण फिर’’, ‘‘बसेरे से दूर’’ और ‘‘‘दशद्वार’ से ‘सोपान’ तक’’ लगभग पंद्रह वर्षों में इसके चार खंड प्रकाशित हुए। बच्चन की यह कृति आत्मकथा साहित्य की चरम परिणति है और इसकी गणना कालजयी रचनाओं में की जाती है।
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Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Neeti Aur Ramcharit
मूलत: यह पुस्तक ‘स्वान्त: सुखाय’ ही लिखी गई है। एक और लक्ष्य भी रहा है। वह है भारत तथा विदेशों में रहती भारत-मूल की युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय पारंपरिक ज्ञान से परिचित कराना।
रामचरितमानस ज्ञान का भंडार है। इस ‘दोहा शतक’ में रामचरितमानस से मूलत: ऐसे दोहों या चौपाइयों का चयन किया गया है, जो साधारण मनोविज्ञान पर आधारित हैं। इन दोहों-चौपाइयों को हिंदी में दिया गया है, साथ-साथ उनका अंग्रेजी में अनुवाद भी दिया गया है। इस कारण जो पाठक हिंदी से भली-भाँति परिचित नहीं हैं, उन्हें भी इन दोहो-चौपाइयों में छिपे ज्ञान का लाभ मिल सके। विद्वान् लेखक ने अपने सुदीर्घ अनुभव और अध्ययन के बल पर अपनी टिप्पणी भी लिखी है, जिन्हें पाठकगण अपने जीवन-अनुभवों व विचारों के अनुसार उन्हें आत्मसात् कर सकते हैं।
मानस के विशद ज्ञान को सरल-सुबोध भाषा में आसमान तक पहुँचाने का एक विनम्र प्रयास।SKU: n/a -
Garuda Prakashan, Hindi Books, उपन्यास
Neha Ki Love Story
नेहा जब भी अपने प्यार के बारे में सोचती, वह ठिठक जाती। क्योंकि उसके प्यार में लड़का और लड़की के साथ एक शर्त भी थी, जिसमें नेहा उलझ जाती है। अपने प्यार को पूरी तरह से पाने के लिए रखी गई शर्त की दहलीज पर ठिठक जाटी है। क्या उस दहलीज को पार करके ही उसकी दुनिया था? या फिर कुछ और? नेहा के लिए क्या जरूरी था, प्यार या शर्त? नेहा सोचती या कुछ काठी तब तक बहुत कुछ ऐसा हुआ, जिसने उसे उस दहलीज से ही कहीं दूर उठा कर फेंक दिया। क्या उसके लिए शर्त दोषी थी या फिर उसकी सोच, जिसने उसे सच्चे प्यार की परख समय रहते नहीं होने दी? नेहा के पास जवाब नहीं था…
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