मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त
जन्म : 30 अगस्त, 1953 को रायबरेली जिले के सलोन नगर में।
शिक्षा एवं दायित्व : स्नातकोत्तर (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), पी-एच.डी. (गोरखपुर विश्व विद्यालय), पूर्व प्राचार्य : गो. महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय, चौक, महाराज-गंज (उ.प्र.), पूर्व विभागाध्यक्ष एवं एसोशिएट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग, जवाहरलाल नेहरू स्मारक पो. ग्रे. कालेज, महाराजगंज (उत्तर प्रदेश)।
प्रकाशन : राष्ट्रीय महत्त्व की बीस पुस्तकें प्रकाशित और अनेक का लेखन अनवरत जारी।
सम्मान : दो बार रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु दैनिक जागरण और भोजपुरी परिवार मस्कट, ओमान द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु सम्मानित, महानिदेशक, राष्ट्रीय कैडेट कोर द्वारा सम्मानित, भारत के मान. राष्ट्रपति (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर में प्रशंसनीय सेवा हेतु इसी कोर में ‘मेजर’ के अवैतनिक रैंक से सम्मानित, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, द्वारा ‘कबीर सम्मान’ से सम्मानित, उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित।
Vishwaguru Bharat: Kal, Aaj Aur Kal
चाहे योगासन हो या चिकित्सा केविभिन्न आयाम, चाहे ज्योतिषशास्त्र, गणित या साहित्य, संगीत, कला, वास्तु के विभिन्न आयाम और चाहे विज्ञान व तकनीक, भारत सदा से ही हर क्षेत्र में विश्व का सिरमौर रहा है। देववाणी संस्कृत को विश्व को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है।
आज परमाणु शक्ति-संपन्न भारत ने जहाँ प्रथम प्रयास में ही मंगल तक को यात्रा पूरी की है, वहीं औषधि निर्माण व निर्यात के क्षेत्र में ‘ विश्व का दवाखाना ‘ बन गया है ।रक्षा सहित प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति का लक्ष्य रखकर भारत ने तेजी के साथ अपने पग बढ़ाए हैं और शीघ्र ही’दुनिया का दूसरा कारखाना’ बनने के लिए प्रयासरत है ।
सर्वे भवन्तु सुखिन: की मंगल-कामना करने वाला भारत अब पुन: अपनी’ विश्वगुरु’ की छवि प्राप्त करने लगा है ।कोविड काल में विश्व के अनेक देशों को जहाँ निःशुल्क टीका उपलब्ध कराकर भारत ने बिना किसी भेदभाव के सबके कल्याण की कामना की, वहीं आपातकाल में अनेक देशों की विभिन्न प्रकार से सहायता भी की । ‘ वसुधेव कुट्म्बकम्’की अवधारणा व तदनुरूप आचरण ने आज फिर से भारत को विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर दिया है और भगवान् बुद्ध का ‘ अप्प दीपो भव’ नाद पुन: विश्व में गूँजने लगा है ।
भारत के गौरवशाली अतीत को रेखांकितकर स्वर्णिम भविष्य का जयघोष कर हर भारतीय को गर्वित करने वाली पठनीय कृति।
Rs.425.00 Rs.500.00
Weight | 0.450 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
- Maj (Dr.) Parshuram Gupt
- 9788119032549
- Hindi
- Prabhat Prakashan
- 2023
- 344
- Soft Cover
- 450 Grams
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