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Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan


चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ””जवाहरलाल नेहरू (एएस/103)

किसी ने ठीक ही कहा है : नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे।

अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं; और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता। और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है।

इस पुस्तक में नेहरू की मूर्खतापूर्ण भूलों का प्रयोग ‘एक सामान्य शब्द के रूप में विफलताओं, लापरवाहियों, गलत नीतियों, खराब फैसलों, निंदनीय या अशोभनीय कृत्यों, अनर्जित पदों को हड़पने आदि के लिए भी किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू की आलोचना करना नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को, जिन्हें अकसर तोड़ा-मरोड़ा गया या छिपाया गया या दबा दिया गया, व्यापक करना है, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों, और भारत का भविष्य उज्ज्वल बन सके ।

हो सकता है कोई कहे : नेहरू पर हायतौबा मचाने की जरूरत क्या है ? उन्हें गए तो बरसों हो गए । बरसों हो गए शारीरिक रूप से, किंतु दुर्भाग्य से उनकी अधिकतर सोच और नीतियाँ अब भी जीवित हैं । यह समझना जरूरी है कि उन्होंने गलत रास्ते को चुना । पर देश को उन विचारों से मुक्त होकर आगे बढ़ना पड़ेगा, जिनमें से अधिकांश अब भी जारी हैं ।

यह पुस्तक वर्तमान समय के लिए भी अत्यधिक प्रासंगिक है।

Rs.640.00 Rs.750.00

  •  Rajnikant Puranik
  •  9789390372133
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  2023
  •  520
  •  Soft Cover
Weight 0.850 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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