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Karmayogi Banen


मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है, मनुष्य स्वयं साधक है एवं जो मार्ग साधक को साध्य तक पहुँचाता है, वही योग है। कर्मयोग मनुष्य का चित्त शुद्ध करता है, उपासना योग चित्त स्थिर करता है, राजयोग एवं ज्ञानयोग ज्ञान-प्राप्ति में सहायता करता है एवं भक्तियोग, जो कि इन सभी योगों का आधार है, इन योगों को पूरी निष्ठा एवं समर्पण से करने की प्रेरणा देता है।

भले ही प्रत्येक योग लक्ष्य-प्राप्ति के लिए आवश्यक है और उनका अपना महत्व है, परंतु इस साधना की शुरुआत किसी भी सामान्य व्यक्ति को कर्मयोग से करनी चाहिए। इसलिए इस पुस्तक का शीर्षक ‘कर्मयोगी बनें’ रखा गया है। हम इस पुस्तक के माध्यम से अपने आध्यात्मिक सफर को कर्मयोग से प्रारंभ करें और उपासना, ज्ञान व भक्तियोग को अपनी यात्रा में समाहित करते हुए अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर हों।

प्रस्तुत पुस्तक वेदांत दर्शन पर केंद्रित है। इसको सामान्य बोलचाल की भाषा में लिखा गया है, साथ ही कई क्लिष्ट विषयों को आसानी से समझाने के लिए चित्रों का उपयोग किया गया है, जिससे पाठक न केवल इन योगों को समझ सकें बल्कि अपने जीवन में भी उतार सकें।

Rs.399.00 Rs.475.00

  •  Dr. Vikrant Singh Tomar
  •  9789355219992
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  2023
  •  240
  •  Soft Cover
Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

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