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Bhrashtachaar Ka Kadva Sach


देश में बहुत सी स्वैच्छिक संस्थाएँ भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह है। भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक प्रबल जनमत खड़ा करने की आवश्यकता है। किसी भी स्तर पर रत्ती भर भी भ्रष्टाचार सहन न करने की एक कठोर प्रवृत्ति की आवश्यकता है, तभी हमारे समाज से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है।
आज की सारी व्यवस्था राजनैतिक है। शिखर पर बैठे राजनेताओं के जीवन का अवमूल्यन हुआ है। धीरे-धीरे सबकुछ व्यवसाय और धंधा बनने लग पड़ा। दुर्भाग्य तो यह है कि धर्म भी धंधा बन रहा है। राजनीति का व्यवसायीकरण ही नहीं अपितु अपराधीकरण हो रहा है। राजनीति प्रधान व्यवस्था में अवमूल्यन और भ्रष्टाचार का यह प्रदूषण ऊपर से नीचे तक फैलता जा रहा है। सेवा और कल्याण की सभी योजनाएँ भ्रष्टाचार में ध्वस्त होती जा रही हैं।
एक विचारक ने कहा है कि कोई भी देश बुरे लोगों की बुराई के कारण नष्ट नहीं होता, अपितु अच्छे लोगों की तटस्थता के कारण नष्ट होता है। आज भी भारत में बुरे लोग कम संख्या में हैं, पर वे सक्रिय हैं, शैतान हैं और संगठित हैं। अच्छे लोग संख्या में अधिक हैं, पर वे बिलकुल निष्क्रिय हैं, असंगठित हैं और चुपचाप तमाशा देखने वाले हैं। बहुत कम संख्या में ऐसे लोग हैं, जो बुराई के सामने सीना तानकर उसे समाप्त करने में कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।
देश इस गलती को फिर न दुहराए। गरीबी के कलंक को मिटाने के लिए सरकार, समाज, मंदिर सब जुट जाएँ। यही भगवान् की सच्ची पूजा है। नहीं तो मंदिरों की घंटियाँ बजती रहेंगी, आरती भी होती रहेगी, पर भ्रष्टाचार से देश और भी खोखला हो जाएगा तथा गरीबी से निकली आतंक व नक्सलवाद की लपटें देश को झुलसाती रहेंगी।

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Shanta Kumar

प्रबुद्ध लेखक, विचारवान राष्ट्रीय नेता व हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री शान्ता कुमार का जन्म हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले के गाँव गढ़जमूला में 12 सितंबर, 1934 को हुआ था। उनका जीवन आरंभ से ही काफी संघर्षपूर्ण रहा। गाँव में परिवार की आर्थिक कठिनाइयाँ उच्च शिक्षा पाने में बाधक बनीं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आकर मात्र 17 वर्ष की आयु में प्रचारक बन गए। तत्पश्चात् प्रभाकर व अध्यापक प्रशिक्षण प्राप्त किया।
दिल्ली में अध्यापन-कार्य के साथ-साथ बी.ए., एल-एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण कीं। तत्पश्चात् दो वर्ष तक पंजाब में संघ के प्रचारक रहे। फिर पालमपुर में वकालत की। 1964 में अमृतसर में जनमी संतोष कुमारी शैलजा से विवाह हुआ, जो महिला साहित्यकारों में प्रमुख हैं। 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में ‘जम्मू-कश्मीर बचाओ’ आंदोलन में कूद पड़े। इसमें उन्हें आठ मास हिसार जेल में रहना पड़ा।
शान्ता कुमार ने राजनीतिक के क्षेत्र में शुरुआत अपने गाँव में पंच के रूप में की। उसके बाद पंचायत समिति के सदस्य, जिला परिषद् काँगड़ा के उपाध्यक्ष एवं अध्यक्ष, फिर विधायक, दो बार मुख्यमंत्री, फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री तक पहुँचे।
शान्ता कुमार में देश-प्रदेश के अन्य राजनेताओं से हटकर कुछ विशेष बात है। आज भी प्रदेशवासी उन्हें ‘अंत्योदय पुरुष’ और ‘पानी वाले मुख्यमंत्री’ के रूप में जानते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें— मृगतृष्णा, मन के मीत, कैदी, लाजो, वृंदा (उपन्यास), ज्योतिर्मयी (कहानी संग्रह), मैं विवश बंदी (कविता-संग्रह), हिमालय पर लाल छाया (भारत-चीन युद्ध), धरती है बलिदान की (क्रांतिकारी इतिहास), दीवार के उस पार (जेल-संस्मरण), राजनीति की शतरंज (राजनीति के अनुभव), बदलता युग-बदलते चिंतन (वैचारिक साहित्य), विश्वविजेता विवेकानंद (जीवनी), क्रांति अभी अधूरी है (निबंध), भ्रष्टाचार का कड़वा सच (लेख), शान्ता कुमार : समग्र साहित्य (तीन खंड) तथा कर्तव्य (अनुवाद)।

Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

 

  •  Shanta Kumar
  •  9789350480595
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  2015
  •  208
  •  Hard Cover

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