Swami Jagdishwaranand Saraswati
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Shadadarshnam
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिShadadarshnam
मैं कौन हूं? कहाँ से आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? आनंद की प्रप्ति कैसे हो सकती है? परमात्मा की उपलब्धि कैसे हो सकती है?
आदि अनेक प्रश्न मनुष्य के मष्तिष्क में चक्कर काटते रहते हैं। तत्त्वदर्शियों के मत में मनुष्य को इन विषयों का तत्वज्ञान हो सकता है। इसी तत्वज्ञान को भारतीय मनीषियों-चिंतकों ने ‘दर्शन‘ की संज्ञा प्रदान की है।
तत्वज्ञान होने पर कर्म मनुष्य को बंधन में नहीं डालते। तत्वज्ञान मनुष्य को कर्म-बंधन से छुड़ा, प्रकृति और पुरुष का विवेक कराकर मानव-जीवन के चरम लक्ष्य-मोक्ष तक पहुँचा देता है।
भारतीय दर्शनों की विशेषता है उनका व्यवहारिक पक्ष, उनका आशावाद और नैतिक व्यवस्था में विश्वास, कर्म-सिद्धांत और मोक्षमार्ग का निर्देश।
प्रस्तुत पुस्तक में व्याख्या नहीं है, जिन्हें विस्तृत व्याख्या पढ़नी हो वे आचार्य उदयवीर शास्त्री जी के ग्रंथ पढ़ें। हाँ इस ग्रंथ को पढ़ने पर भी दर्शन के अनेक रहस्य समझ आएंगे।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vedas Sanhita Set of 4
-10%Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिVedas Sanhita Set of 4
वेद चार हैं, ऋग्वेद ज्ञानकाण्ड है, यजुर्वेद कर्मकाण्ड, सामवेद उपासनाकाण्ड तथा अथर्ववेद विज्ञानकाण्ड है। ऋग्वेद मस्तिष्क का वेद है, यजुर्वेद हाथों का वेद है, सामवेद हृदय का वेद है और अथर्ववेद उदर=पेट का वेद है।
वेद में भी परमात्मा के आदेश, उपदेश और सन्देश हैं। महर्षि दयानन्द के शब्दों में ‘वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।‘ स्वयं वेद पढ़ो, उनपर आचरण करो।
हमने चारों वेदों को शुद्धतम छापने का संकल्प किया था। अपनी ओर से हमने पूर्ण प्रयत्न किया है। अब तक जितने भी संस्करण छपे हैं और जहाँ से भी छपे हैं, यह उनमें सर्वोत्कृष्ट हैं।
इस संस्करण की कुछ विशेषताएँ निम्न हैं-इन वेदों के ईक्ष्यवाचन प्रूफ रीडिंग में विषेष ध्यान रक्खा गया है। इतने शुद्ध, नयनाभिराम और सस्ते वेद अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं होंगे। इसकी टाइप अन्य संस्करणों की अपेक्षा मोटी रक्खी गई है। कम्प्यूटर की कम्पोजिंग, उत्तम कागज, बढ़िया छपाई, टिकाऊ पक्की जिल्द, इसकी अन्य विशेषताएँ हैं। पाठगण ! इन्हे आप स्वयं क्रय कीजिए और अन्यों को प्रेरित कीजिए।
गुरुकुलों में अभ्यास के लिए, वेद पाठ के लिए, वेद परायण यज्ञों के लिए तथा वेद-मन्त्रों को कण्ठस्त करने के लिए इन चारों वेदों (मूल मात्र) के यह संस्करण अत्यन्त उपर्युक्त हैं।
सामवेद में स्वर-चिह्न मन्त्रों पर जो 1, 2, 3, आदि संख्या डली हुई हैं, ये संख्याएँ उदात्त, अनुदात्त और स्वरित के चिह्न हैं। ऋग्वेद आदि अन्य वेदों में अनुदात्त का चिह्न पड़ी रेखा से और स्वरित का चिह्न खड़ी रेखा से दिखाया जाता है।
अनेक विशेषताओं से युक्त होने पर भी इसका मूल्य प्रचार-प्रसार की दृष्टि से रक्खा गया है। हम वेद का स्वाध्याय करें, वेद के अर्थों को जानें, वेद को जीवन में उतारकर अपने जीवन को सुजीवन बनाएँ।SKU: n/a