Mahabharat Books
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Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
महाभारतम् – Mahabharatam
महाभारत धर्म का विष्वकोष है। व्यास जी महाराज की घोषणा है कि ‘जो कुछ यहां है, वही अन्यत्र है, जो यहां नहीं है वह कहीं नहीं है।‘ इसकी महत्ता और गुरुता के कारण इसे पन्चम वेद भी कहा जाता है।
लगभग 16000 श्लोकों में सम्पूर्ण महाभारत पूर्ण हुआ है। श्लोकों का तारतम्य इस प्रकार मिलाया गया है कि कथा का सम्बन्ध निरन्तर बना रहता है। इस पुस्तक में आप अपने प्राचीन गौरवमय इतिहास की, संस्कृति और सभ्यता की, ज्ञान-विज्ञान की, आचार-व्यवहार की झांकी देख सकते हैं।
यदि आप भ्रातृप्रेम, नारी का आदर्ष, सदाचार, धर्म का स्वरुप, गृहस्थ का आदर्ष, मोक्ष का स्वरुप, वर्ण और आश्रमों के धर्म, प्राचीन राज्य का स्वरुप आदि के सम्बन्ध में जानना चाहते हैं तो एक बार इस ग्रन्थ को अवश्य पढ़ें।
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