History
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Amar Shaheed Ashfaqullah Khan
“भारत को आजाद कराने में क्रांतिकारियों की भूमिका अहम रही है। मैं उन अमर शहीदों की याद में खो जाता हूँ, जो बीर थे। महान् बलिदानी, त्यागमूर्ति, जो सिर पर कफन बाँधकर देश से अंग्रेजों की क्रूर सत्ता का उच्छेद करने निकल पड़े थे।
प्रस्तुत पुस्तक में संक्षेप में यह बताया गया है कि मातृभूमि की बेदी पर कितने वीरों ने शीश चढ़ाए थे। ऐसे अमर बलिदानियों की याद को ताजा रखना हमारा अभिप्राय है, जिससे भावी पीढ़ी को देशप्रेम और देशभक्ति की प्रेरणा मिलती रहे। अमर शहीद अशफाकउल्ला खान एक ऐसे ही अमर बलिदानी हैं। अशफाक हिंदू-मुसलिम एकता के पक्षधर थे। इस सुंदर, सौम्य, साहसी शहीद की शहादत को नमन है।”
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Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)
-13%Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)
कभी मीम-भीम के नाम पर, तो कभी हिन्दू धर्म के विरोधी के तौर पर बाबा साहब अम्बेडकर को अपना बनाने को दोनों ही खेमे उत्सुक दिखाई देते हैं। पुस्तक में अम्बेडकर के विचारों को आज के परिप्रेक्ष्य में रख कर लेखक ने इन दोनों खेमों के कुत्सित तर्कों को बिंदुवार ध्वस्त किया है, और ये बताया है कि अम्बेडकर के विचार इस्लाम और वामपंथ, दोनों को लेकर कितने स्पष्ट थे और जिनसे ये स्थापित होता है कि वे इन दोनों के हिमायती तो बिलकुल भी नहीं थे और इसलिए इन दोनों खेमों द्वारा अम्बेडकर को अपना बताने के प्रयास एक छलावा हैं, जिससे वे आज की अपनी राजनीति का उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
अम्बेडकर क्या सोचते थे इस्लाम और वामपंथ के बारे में? आज के इस्लामी और वामपंथी नेतृत्व में उन्हें अपना बनाने की होड़ के पीछे रंच मात्र भी सत्यता है क्या? मिथिलेश कुमार सिंह की पुस्तक इन सभी बातों को स्पष्टता से रखती है।
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
American African Gandhis
Four decades ago, America was at war with its own self, a nation torn asunder by its inability to reconcile itself with its intrinsic self. A people that murdered their own president, shot its own Nobel laureate, and more. This book covers this topic.
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
An Anthology of Discourses on Bharat
-10%English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAn Anthology of Discourses on Bharat
An Anthology of Discourses on Bharat: Essays in the Honour of Pof Kuldip Chand Agnihotri is a collection of essays elaborating on the unique aspects of Bharatiya history, culture and polity including Bharatiya Dharma and its religions, ancient language Sanskrit and the present geopolitics based on things Bharatiya that have shaped Bharat.
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
An Entirely New History of INDIA
“Indian History needs to be re-examined and freed from colonial biases and error. Driven by Christian belief in a 6000-year old planet, British scholars, and their Indian hires, post-dated Indian history to fit into erroneous Western conceptions. For their own agendas the manufactures theories such as that of an “”Aryan Invasion”” and dismissed vast evidences, such as the existence of the river Sarasvati, as “”mythical””, even though it was mentioned more than fifty times in the Vedas. The colonial gaze also erroneously represented events such as the invasion of India by Alexander the Great in the year 326 BCE and fabricated myths such as the conversion of emperor Ashoka to Buddhism, purportedly due to “”remorse”” after the terrible battle of Kalinga, when Ashoka already a Buddhist at the time of the battle.
Thus this book rewrites Indian History based on new evidence including new scientific, linguistic and genetic discoveries. It seeks to dismantle the cliches, to clarify the controversies, and to retrace, as accurately as possible, the most significant periods of Indian history—history much older than previously thought”
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Hindi Books, Vani Prakashan, इतिहास
Andhkaar Kaal: Bharat Mein British Samrajya (PB)
इस धमाकेदार पुस्तक में लोकप्रिय लेखक शशि थरूर ने प्रामाणिक शोध एवं अपनी चिरपटुता से यह उजागर किया है कि भारत के लिए ब्रिटिश शासन कितना विनाशकरी था। उपनिवेशकों द्वारा भारत के अनेक प्रकार से किये गये शोषण जिनमें भारतीय संसाधनों के ब्रिटेन पहुँचने से लेकर भारतीय कपड़ा उद्योग, इस्पात निर्माण, नौवहन उद्योग और कृषि का नकारात्मक रूपान्तरण शामिल है। इन्हीं सब घटनाओं पर प्रकाश डालने के अतिरिक्त वे ब्रिटिश शासन के प्रजातन्त्र एवं राजनीतिक स्वतन्त्रता, क़ानून व्यवस्था, साम्राज्य के पश्चिमी व भारतीय समर्थक और रेलवे के तथाकथित लाभों के तर्कों को भी निरस्त करते हैं। अंग्रेज़ी भाषा, चाय और क्रिकेट के कुछ निर्विवादित लाभ वास्तव में कभी भी भारतीयों के लिए नहीं थे अपितु उन्हें औपनिवेशकों के हितों के लिए लाया गया था। भावपूर्ण तर्कों के साथ शानदार ढंग से वर्णित यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक सर्वाधिक विवादास्पद काल के सम्बन्ध में अनेक मिथ्या धारणाओं को सही करने में सहायता करेगी।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रारम्भ 1600 में रानी एलिज़ाबेथ I के द्वारा सिल्क, मसालों एवं अन्य लाभकारी भारतीय वस्तुओं के व्यापार के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी को शामिल कर लिए जाने से हुआ। डेढ़ शती के भीतर ही कम्पनी भारत में एक महत्तवपूर्ण शक्ति बन गयी। वर्ष 1757 में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में कम्पनी बलों ने बंगाल में शासन कर रहे सराजुद्दौला को प्लासी में अपेक्षाकृत बेहतर तोपों एवं तोपों से भी उच्च स्तर के छल से पराजित कर दिया। कुछ वर्ष बाद युवा एवं कमज़ोर पड़ चुके शाह आलम II को धमका कर एक फ़रमान जारी करवा लिया जिसके द्वारा उसके अपने राजस्व अधिकारियों का स्थान कम्पनी के प्रतिनिधियों ने ले लिया। अगले अनेक दशक तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने ब्रिटिश सरकार के सहयोग से लगभग पूरे भारत पर अपना नियन्त्रण फैला लिया और लूट-खसोट, कपट, व्यापक भ्रष्टाचार के साथ-साथ हिंसा एवं बेहतरीन बलों की सहायता से शासन किया। यह स्थिति 1857 में तब तक जारी रही जब बड़ी संख्या में कम्पनी के भारतीय सैनिकों के नेतृत्व में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध पहला बड़ा विद्रोह हुआ। विद्रोहियों को पराजित कर देने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने सत्ता अपने हाथ में ले ली और 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक देश पर दिखावटी तौर पर अधिक दयापूर्ण ढंग से शासन किया।यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक सर्वाधिक विवादास्पद काल के सम्बन्ध में अनेक मिथ्या धारणाओं को सही करने में सहायता करेगी।
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Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Apane Chanakya Swayam Banen
Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रApane Chanakya Swayam Banen
चाणक्य ने अपने पिता की हत्या के बाद बचपन से ही जीवन का उद्देश्य बना लिया था मगध को एक नेक, सुशील, ईमानदारी और प्रतापी राजा प्रदान करना। अपने इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया। उन्होंने सदाचारी और पराक्रमी युवराज खोजने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और चंद्रगुप्त को ढूँढ़ निकाला। चंद्रगुप्त का पूरा व्यक्तित्व चाणक्य के द्वारा ही गढ़ा गया था। उन्होंने अपने अनेक शिष्यों को जीवन के पाठ पढ़ाए। वे यहीं तक नहीं रुके अपितु अपने ज्ञान को ‘अर्थशास्त्र’ पुस्तक में समेट दिया। अर्थशास्त्र का ग्रंथ आज अनेक रूपों में समाज के पास उपलब्ध है; बस आवश्यकता है तो उस ग्रंथ को गहनता से पढ़ने की, समझने की और जानने की।
चाणक्य ने अपने बुद्धि-कौशल से हर तरह की बाधा से पार पाने के उपाय निकाले हुए थे, जो आज भी उपयोगी हैं। सफलता पाने के लिए यथेष्ट है कि व्यक्ति चाणक्य के व्यक्तित्व को पढ़ें, समझें, जानें और फिर खुद को पहचानें। ऐसा करके प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को एक नए बिंदु पर ले जा सकता है। वह नया बिंदु संतुष्टि, सुख, खुशी, स्वास्थ्य, समृद्धि सबकुछ प्रदान करता है।
यह पुस्तक आचार्य चाणक्य के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने को उनके अनुरूप ढालकर सफलता के शिखर छूने का एक प्रबल माध्यम है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Aparajita (PB)
यह पुस्तक सिर्फ महाभारत की कथा का पुनर्पाठ भर नहीं है, अपितु महाभारत के एक प्रमुख महिला पात्र, पांडवों की माता ‘कुंती’ के साथ तात्कालिक समय की मनोयात्रा भी है। पुस्तक बताती है कि कुंती समस्त कथा में परदे के पीछे रहकर भी इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों हैं। दरअसल महाभारत में पांडवों की मानसिक गुरु कुंती ही हैं। महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में अवश्य लड़ा गया, परंतु इसकी पटकथा उस दिन से रचित होना प्रारंभ हो गई थी, जब कुंती ने पांडवों के साथ वनवास न चुनकर विदुर के धर्मगृह में रहना चुना था । बड़े युद्ध न बड़े हथियारों से जीते जाते हैं, न बड़ी सेनाओं से, न बड़े वचनों से; बड़े युद्ध जीते जाते हैं तो बड़े संकल्प से… कुंती ने यह सिद्ध किया ।
कुंती अपराजिता इसलिए नहीं हैं कि वे कभी पराजित नहीं हुईं, बल्कि वे अपराजिता इसलिए हैं कि उन्होंने किसी भी पराजय को स्वयं पर आरोहित नहीं होने दिया, कैसी भी पराजय उनको पराजित नहीं कर पाई। कुंती के साथ-साथ यह पुस्तक कृष्ण की धर्मनीति की भी विवेचना करती है, जो कहती है-धर्म का उद्देश्य एक है, परंतु समय के साथ पथ में सुधार अवश्यंभावी है; पथ-विचलन नहीं होना चाहिए, परंतु पथसुधार आवश्यक है। यह पुस्तक तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था, गुप्तचर व्यवस्था व युद्धनीति की भी झलक प्रस्तुत करती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Apne Kurukshetra Mein Akela (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Apne Kurukshetra Mein Akela (PB)
जीवन एक कुरुक्षेत्र है, जहाँ निरंतर कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध चलता रहता है। पांडवों की अवश्यंभावी जीत सदा ही दुर्धर्ष संघर्षों के पश्चात् ही प्राप्त होती है । यह संघर्ष तामसी और सात्त्विक प्रवृत्तियों के बीच, अच्छे और बुरे के बीच, शोषक और शोषित के बीच, गाँव और शहर के बीच सहित विभिन्न रूपों में निरंतर जारी है। महत्त्वपूर्ण यह है कि हर व्यक्ति अपने जीवन के महाभारत में अकेला होता है, यह युद्ध उसे स्वयं ही लड़ना होता है। अयोध्यानाथ मिश्र के इस कहानी- संकलन ‘अपने कुरुक्षेत्र में अकेला’ की कहानियों में जीवन और समाज की विषमताओं और उनके विरुद्ध संघर्ष की व्यंजना को जनपदीय सरोकारों और रचनात्मक विवेक के साथ बहुत ही प्रतिबद्धता से दर्ज किया गया है ।
अयोध्यानाथ मिश्र अपनी कहानियों में लोक में प्रचलित उक्तियों एवं मुहावरों का बहुत ही सुंदरता से प्रयोग करते हैं। उनकी कहानियाँ भोजपुरी अंचल में व्याप्त देशज व्यवहार एवं मनोजगत् का भूगोल रचती हैं। इनकी कहानियों में जो जीवन का प्रवाह, सौंदर्य, दुविधाएँ, नैतिक संघर्ष एवं सुख-दुःख का भाव – संसार सृजित होता है, वह अत्यंत प्रामाणिक एवं जीवनानुभव से ओतप्रोत प्रतीत होता है। इस संग्रह की कहानियाँ पाठकों का प्यार पाएँगी ऐसी मुझे आशा है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Apratim Bharat
ओ मेरे मन, इस पुण्यतीर्थ में हौले से जाग
यह भारत, मानवता का पारावार है
कोई नहीं जानता, किसके आह्वान पर
जानें कितनी धाराएँ मनुष्यता की
दुर्वार वेग से बहती हुई आई यहाँ
खो गई इस महासमुद्र में
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जाने कौन-कौन आए, सब इसमें समाए
कोई भी अलग नहीं, कोई विलग नहीं
अब सब एक, एक अस्तित्व है
मेरे ही भीतर है, सारे वे
कोई मुझसे दूर नहीं, सब मेरे मीत हैं
मेरे इस रक्त में सबका संगीत है
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के गीत की उपर्युक्त पंक्तियाँ भारत की सनातन संस्कृति और जीवन दर्शन को प्रतिबिंबित करती हैं, जिसमें हम अपने देश की अतुल्य, अप्रतिम और अनुपम जीवनदृष्टि को देख सकते हैं। आज के संदर्भ में उसको अधिक गहनता से, एक बड़े केनवास पर 41 हिंदी तथा अंग्रेजी के आलेखों के माध्यम से समझने और जानने का जिज्ञासा भाव ही ‘अप्रतिम भारत’ के प्रकाशन का उद्देश्य है। भारत की उस एकात्म तथा सर्वात्म जीवनदृष्टि को सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए ग्रंथ का शुभारंभ भारत के योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानंद के पुण्य स्मरण से किया गया है। वर्ष 1893 में शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में उनके संबोधन के 125 वर्ष पूर्ण होने की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विज्ञान भवन में युवा पीढ़ी को दिया गया व्याख्यान हम सबको ऊर्जा से भरेगा, ऐसा हमारा विश्वास है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा भारतीय मनीषा के गहन अध्येता श्री रमेश चंद्र लाहोटी, महामनीषी डॉ. विद्यानिवास मिश्र, प्रखर राजनेता एवं विचारक डॉ. मुरली मनोहर जोशी, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं चिंतक प्रो. रमेश चंद्र शाह, भारतीय चिंतन परंपरा के अग्रणी व्याख्याता श्री कैलाश चंद्र पंत, इतिहासवेत्ता प्रो. रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’, पुण्यश्लोक डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल, डॉ. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी के विद्वतापूर्ण आलेखों में हमें आज के परिवेश में भारतीय जीवनदर्शन को समझने में सहायता मिलेगी। नारी विमर्श के अंतर्गत मध्यकाल से आज तक भारतीय नारी जीवन और सोच में आए बदलाव से रुबरु करा रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार श्री विश्वनाथ सचदेव। भारतीय राजनीति को एक नया दृष्टिबोध देनेवाले समाज चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय के मुंबई में दिए गए व्याख्यान का पुनर्स्मरण हमारी युवा पीढ़ी को समाज परिवर्तन के लिए नए तरीके से सोचने को मजबूर करेगा। जीवन के अर्थ को बहुत ही गहनता से समझा रहा है, सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं गांधीवादी पत्रकार श्री अनुपम मिश्र का आलेख। अमेरिका से भारतीय विद्या की गहन अध्येता डॉ. मृदुल कीर्ति का उपनिषद् का हिंदी अनुवाद पाठकों को पुलकित करेगा और वाराणसी की साहित्य विदुषी श्रीमती नीरजा माधव का लेख भारतीय दर्शन एवं तत्वज्ञान के वैज्ञानिक पहलुओं से परिचित कराएगा। संस्कृति एवं कला विमर्श की दृष्टि से भारतीय संविधान में निवेशों के अभाव से परिचित करा रहे हैं मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव। प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित और डॉ. तंकमणि अम्मा के लेख हमें वर्तमान समय में सांस्कृतिक नीति तथा भारतीय संस्कृति और मूल्यों में आए बदलाव से अवगत करा रहे हैं, वहीं भारतीय कला-संगीत के मूल्यों के उजले पक्ष से परिचित करा रहे हैं विख्यात कला समीक्षक श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय। वेदों पर श्री सुरेश चतुर्वेदी तथा श्री दीनानाथ चतुर्वेदी के भारतीय जीवन में चार के अंक का महत्त्व आपको पसंद आएँगे। साथ ही व्यक्ति के तन-मन पर भारतीय संगीत के असर से परिचित करा रही हैं, कहानीकार श्रीमती अल्का अग्रवाल सिग्तिया। डॉ. हंसा प्रदीप के लेख में आपको लोरी का शिशु पर पड़नेवाले प्रभावों की जानकारी मिलेगी।
अंग्रेजी भाषा के खंड में 15 आलेख हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का राष्ट्र को आह्वान का पुनर्स्मरण; प्रख्यात उद्योगपति अजीम प्रेमजी का राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन का आह्वान तथा डॉ. रवींद्र कुमार का नव-शिक्षा पर आलेख; श्री आर. चिदंबरम का प्राचीन विज्ञान तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी पर विद्वतापूर्ण आलेख; श्री रतन शारदा का भारतीय संस्कृति और आज की समस्या के निदान पर विचारोत्तेजक आलेख; सर्वश्री अमीष त्रिपाठी, शेफाली वैद्य, एच.सी. पारीख, संदीप सिंह तथा राजन खन्ना एवं कमला देवी चट्टोपाध्याय के जीवन के विविध पहलुओं पर आलेख सुधी पाठकों को भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों से अवगत कराएँगे। डॉ. गौरी माहुलीकर तथा श्री नीरज चावला के आलेख आपको पर्यावरण, प्रकृति तथा पशु-पक्षियों के मनोरम जगत् से परिचित कराएँगे और डॉ. वरुण सूथरा का आलेख एक ऐसे व्यक्ति से परिचित कराएगा, जो भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। कुल मिलाकर ‘अप्रतिम भारत’ ग्रंथ आप सुधी पाठकों को भारतीय जीवन मूल्यों के अनछुए पहलुओं की गंगा में अवगाहन कराएगा, जिसमें सराबोर होकर आप स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करेंगे।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Arthik Evam Videsh Neeti
आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित सरदार पटेल की सोच और दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक थे। अधिक उत्पादन एवं समान वितरण उनकी आर्थिक नीति के मूल तत्त्व थे। आम जनता को उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति हेतु भरपूर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव दिखाते हुए श्रम और पूँजी निर्माण पर जोर दिया। मंत्रिमंडल की बैठकों में समय-समय पर उन्होंने आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। विदेश नीति पर भी उनका दृष्टिकोण काफी स्पष्ट व व्यावहारिक रहा है। राष्ट्रमंडल की सदस्यता प्राप्त करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु उन्होंने जोरदार प्रयास किए थे। उनके सुझाव के आधार पर एक ऐसी नीति तैयार की गई, जिससे भारत को एक सार्वभौम एवं स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रमंडल का सदस्य बने रहने में मदद मिली।
सरदार पटेल को चीन की ओर से किए गए मित्रता-प्रदर्शन तथा ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ में विश्वास नहीं था। उन्होंने चीन की तिब्बत नीति पर एक लंबा-चौड़ा नोट तैयार किया था, जिसमें इसके परिणामों के प्रति देश को चेताया भी था।
प्रस्तुत पुस्तक सरदार पटेल के व्यावहारिक एवं विशद चिंतन की यात्रा करवाती है।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Aryasamaj
लाला लाजपतराय अपनी युवा अवस्था से ही आर्यसमाज से जुड़े रहे तथा उन्होंने उन्मुक्त भाव से यह स्वीकार किया था कि देश की जो सेवा वह कर पाए हैं, उसका श्रेय आर्यसमाज एवं उसके संस्थापक महर्षि दयानंद को ही है, जिनसे प्रेरणा पाकर वह समाज तथा स्वराष्ट्र के लिए कुछ कर सके।
आर्यसमाज का सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत करने का विचार लेकर ही लालाजी ने उस समय ‘दी आर्यसमाज‘ नामक अंग्रेजी ग्रंथ लिखा था। तब से लेकर अब तक आर्यसमाज आंदोलन ने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसके लिए तो अन्य विवेचन की अपेक्षा रहेगी ही, तथापि लालाजी जी का यह ग्रंथ भी कालजयी साहित्य की श्रेणी में आ गया है।
इस पुस्तक का अध्ययन वे लोग अवश्य करें जो संक्षेप में आर्यसमाज तथा उसके संस्थापक से परिचित होना चाहते हैं। आशा है नरकेसरी लालाजी का यह अमर ग्रंथ पाठकों में स्वदेश, स्वधर्म तथा स्वसंस्कृति के प्रति प्रेम जगाने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
English Books, Rupa Publications India, इतिहास
Asoka: The Buddhist Emperor of India
Asoka: The Buddhist Emperor of India is regarded as a culturally important work in the historiography of the life and times of King Asoka. A masterpiece when it was first published, its importance has only increased with time.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Atulya Bharat Ki Khoj
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध पर्यटक आकर्षण, कई धार्मिक तीर्थ केंद्रों का घर तथा कई बड़ी पवित्र नदियों का समागम है भारत। वर्षों से इसकी संस्कृति अलग, अनोखी एवं अद्वितीय रही है। बहुधार्मिक, बहुभाषी तथा पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों से सम्मिलित इस देश को रचनाकार आदर से प्रणाम करते हैं। लेखक को भारत के 31 राज्यों को जानने और समझने का मौका मिला। भारत की गरिमामयी मिट्टी से प्राप्त अनुभवों को लेखक ने इस पुस्तक में सँजोया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुगंध से मन आज भी महक उठता है, परंतु मोक्ष एवं ज्ञान का प्रवेश-द्वार कहे जानेवाले भारत की विरासत के रहस्य को एक तरफ समस्त संसार देखने आता है तो दूसरी तरफ खुद भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं। लेखक अपनी इस पुस्तक में भारत की अनूठी सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा अपने अनुभवों का सुंदर वर्णन करते हुए अत्यंत गौरवान्वित हैं। अपनी इस भ्रमण यात्रा को इस पुस्तक में ‘अतुल्य भारत की खोज’ का नामकरण दिया गया है, जो स्वयं में इस उपमा को चरितार्थ करता है कि भारत जैसा अनुपम देश दुनिया में दूसरा नहीं है।
भाग्यशाली हूँ मैं जो इस पावन धरा पर मेरा जन्म हुआ, भारत माँ की गोद में खेलकर जीवन मेरा धन्य हुआ, काश! कभी चुका पाऊँ कर्ज इस धरा का, रात-दिन ध्यान रहता सी का।SKU: n/a -
Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aur Desh Bat Gaya
Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aur Desh Bat Gaya
अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता-हस्तान्तरण, देश-विभाजन और स्वाधीनता-संघर्ष तथा 1947 से पूर्व की मुस्लिम समस्या पर यद्यपि बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी विभाजन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और उससे सम्बन्धित अनेक प्रश्नों का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। देश-विभाजन की उस विकराल विभीषिका में लाखों लोगों ने अपने प्राण गवाएँ, सगे-सम्बन्धी, परिवार-जन खोये। जान-माल के इस भीषण संहार, विनाशलीला, दुव्र्यवहार और करोड़ों लोगों को उनकी जन्म-भूमि से विस्थापित करने का मानव इतिहास में दूसरा दृष्टान्त नहीं मिलता।
जागरूक, अध्ययनशील और विचारवान् राष्ट्रसेवी व लेखक श्री हो. वे. शेषाद्रि ने इस पुस्तक में देश की इस त्रासदी का गहन अध्ययन व आकलन के आधार पर तथ्यपरक एवं यथार्थ विवेचन प्रस्तुत किया है।
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Hindi Sahitya Sadan, उपन्यास, ऐतिहासिक उपन्यास
Aur Jamana Badal Gaya
Jamana Badal gaya series-4
भारत के विषय में भी हमारा कहना यही है। सन् 1857 से लेकर 1947 तक के सतत संघर्ष से हमने भारत से अंग्रेजो को निकाल दिया, परन्तु इसे निकालने के प्रयास में हमने भारत की आत्मा की हत्या कर दी है। हमने अंग्रेजों को निकाल कर अपनी गर्दन नास्तिक अभारतीयों और मूर्खों के हाथ में दे दी है। जहाँ देश के दोनों द्वार भारत विरोधियों (पाकिस्तानियों) के हाथ में दे दिये हैं, वहाँ भारत का राज्य ऐसे नेताओं के हाथ में सौंप दिया है, जो धर्म-कर्म विहीन हैं और कम्यूनिस्टों के पद-चिह्नों पर चलने लगे हैं।
द्वितीय विश्व-व्यापी युद्ध का इतिहास लिखने वाले एक विज्ञ लेखक ने लिखा है कि वह युद्घ तो जीत लिया गया था, परन्तु शान्ति के मूल्य पर उसके शब्द हैं-‘We won war but lost peace’। उस लेखक ने इसका कारण भी बताया है। उसके कथन का अभिप्राय यह है कि मित्र-राष्ट्रों की सेनाओं ने और जनता ने तो अतुल साहस और शौर्य का प्रमाण दिया था, परन्तु युद्ध-संचालन करने वाले राजनीतिज्ञ भूल-पर-भूल करते रहे। उनकी भूलों ने हिटलर को हटाकर, उसके स्थान पर स्टालिन को स्थापित कर दिया।SKU: n/a