-10%
, ,

Ayodhya Itihas Sanskriti Virasat


अयोध्या : इतिहास : संस्कृति : विरासत – यह नगर सिर्फ़ धार्मिक अनुष्ठानों, व्रतों, उपवासों, पंचकोशी, चौदह कोशी और चौरासी कोशी परिक्रमाओं की लोक आस्था का ही केन्द्र नहीं है अपितु मर्यादा और उदात्त चरित्र के ध्वजवाहक प्रभु श्रीराम की लीलास्थली के रूप में यह नगरी महान सन्तों, विचारकों, वैरागियों और अद्वितीय साधकों की भी कर्मस्थली रही है। शायद इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने मर्यादा और समन्वय की गहन प्रतिष्ठा के लिए इस नगरी को अपने प्रणयन का केन्द्र बनाया। सर्वधर्म समभाव के उत्कृष्ट गुणों से युक्त इस नगर ने जैन, बौद्ध, सिख एवं अन्य धर्मों के ऐतिहासिक प्रतीकों को भी स्वयं के आँचल में पुष्पित एवं पल्लवित होने का अवसर प्रदान किया है। यहाँ के अनेक कुण्ड, मठ, मन्दिर एवं अन्य ऐतिहासिक प्रतीकों ने प्रत्येक कालखण्ड में जिज्ञासुओं एवं श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। पूरे नगर एवं उसकी परिधि में एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा द्वारा स्थापित शिलालेखयुक्त स्तम्भ भी इसके गौरवमयी इतिहास में एक और अध्याय का सृजन करते हैं।

Rs.2,250.00 Rs.2,500.00

  • DR. Lavkush Dwivedi
  •  9789355181183
  •  Hindi
  •  Vani Prakashan Books
  •  2022
  •  316
  •  Hard Cover
Weight 1.800 kg
Dimensions 9.5 × 6.9 × 3.14 in

Based on 0 reviews

0.0 overall
0
0
0
0
0

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

There are no reviews yet.