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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
ADBHUT SANNYASI
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासADBHUT SANNYASI
यह गाथा है एक निस्पृह योगी की, चिरंजीवी तपस्वी की, कठिनतम कर्तव्यरत निर्विकार पुरुषार्थी की, अपराजेय योद्धा की।
वे आवेशावतार नहीं थे, न ही अंशावतार। क्रोधावतार कहकर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता।
आज तक पृथ्वी पर उनके शौर्य की झलक है, वह उनकी साक्षात् उपस्थिति में कितनी प्रभावी रही होगी। वे उस भृगुकुल के भूषण थे, जिसकी महिमा का विस्तार पवित्र नदियों और समुद्रों, पर्वतों और गहन वनों में विद्यमान असंख्य आश्रमों में ही नहीं संपूर्ण त्रैलोक्य में था, भगवान् विष्णु के वक्षस्थल से लेकर हिमगिरि में भृगु शिखर तक। मदांध सत्ता की कुटिलता के विरुद्ध जनप्रतिरोध का प्रबलतम स्वर हैं परशुराम। आजकल के कथित लोकतंत्रों के जन्म के युगों पूर्व वे तंत्र पर लोक के प्रभावी नियंत्रण के अधिष्ठाता हैं। यदि भारतीय चेतना यूरोपीय प्रभुत्व की बंधक न हुई होती तो स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लिए मानवीय संघर्ष की गाथा परशुराम से प्रारंभ हुई होती; कथित फ्रांसीसी क्रांति से नहीं।
वे कोरे योद्धा नहीं थे। उन्होंने साधारण मनुष्यों को शास्त्र और शस्त्र दोनों सौंपकर वह सामर्थ्य दिया कि वे स्वयं अभ्युदय और निःश्रेयस पा सकें।
उनकी अद्भुत जीवनगाथा हमारे युग को भी स्वमंगल से सर्वमंगल और अराज से स्वराज हेतु प्रेरित कर सके, यही इस कृति का पावन प्रयोजन है।SKU: n/a -
Gita Press, रामायण/रामकथा
Adhyatma Ramayan (Code-74)
यह परम पवित्र गाथा भगवान् शंकर द्वारा आदिशक्ति जगदम्बा पार्वतीजी को सुनायी गयी थी। यह कथा ब्रम्हाण्डपुराण के उत्तरखण्ड में आयी है, अतः इसके रचयिता भी महामुनी व्यास हैं। इसमें परम रसायन रामचरित्र का वर्णन और प्रसंगानुसार भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, उपासना, सदाचार सम्बन्धी उपदेश एवं अध्यात्मतत्व के विवेचन की प्रधानता है। सरल भाषानुवाद में मूल के साथ सचित्र, सजिल्द।
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Chaukhamba Prakashan, English Books, रामायण/रामकथा
Adhyatma Ramayana Of Vedavyasa Set Of 2 Vols.
-10%Chaukhamba Prakashan, English Books, रामायण/रामकथाAdhyatma Ramayana Of Vedavyasa Set Of 2 Vols.
Adhyatma Ramayan is a magnificently rendered, eternally divine classical epic story of Lord Ram, a manifestation of the transcendental Supreme Being, as the king emperor of Ayodhya. Being incorporated in the Brahmand Puran’s Uttar Khand, it is the most ancient, authentic and authoritative version on Lord ram’s eternal and sublime story. Flowing from the prolific, expert and flourishing hand of the legendary sage Veda Vyas, the prodigious classifier of the Vedas and the Captivating narrator of the ancient Purans, this enchanting version of Ramayan is masterpiece of classical literature narrated in a style befitting the exalted stature of its author veda Vyas. The holy book is completely soaked and infused, bristling and brimming over as it is, over as it is, with the eclectic virtues of devotion and faith, morality and ethics, righteousness and virtuousness. The epic stands out from all other myriad versions of Ramayan in its high spiritual and metaphysical quotient, as it incorporates in its text, as its integral fabric, the profoundest of tenets and doctrines enshrined in and expounded by the Vedas and the Upanishads. This volume describes the text in great detail, incorporating commentary explanatory & relevant notes when required. An elaborate life sketch of sage Vedavyasa incorporating numerous little known facts about him, have been included to give a special unique flavour to this book. besides this, important metaphysical concepts appearing in the text have been explained in a separate appendix.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Afghanistan
अफगानिस्तान : शांति की तलाश, । युद्ध की राह’ एक ऐसे देश का प्रामाणिक विवरण है, जो कभी युद्ध से समृद्ध था और अब युद्ध से तबाह हो गया है । प्रेम राजा जहीर शाह के सौम्य शासन के तहत एक उदार, स्वतंत्र, स्थिर और धर्मनिरपेक्ष अफगानिस्तान की झलक पेश करके पाठकों को समृद्ध करते हैं, जो कई लोगों के लिए अब भी पहेली ही है। लेखक अप्रैल 1978 की क्रांति के बाद अस्थिरता की लंबी अवधि पर चर्चा करते हैं, जिसकी वजह से सोवियत संघ के जरिए कम्युनिस्ट सत्ता में आए।
लेखक सोवियत संघ को हराने के लिए तालिबान बनाने में अमेरिका और पाकिस्तान की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हैं । अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करते हुए तालिबान के खिलाफ अमेरिका द्वारा लड़े गए बीस साल के युद्ध का एक दिलचस्प विवरण प्रदान करते हुए वह अमेरिकी वापसी की दुःखद तसवीर प्रस्तुत करते हैं, जिससे अफगान एक बार फिर तालिबान की दया पर छोड़ दिए गए और गरीबी के साथ-साथ पाषाण युग में वापस धकेल दिए गए। वर्तमान कथा, हालाँकि काफी संक्षेप में है, लेकिन आधिकारिक, मनोरम और कलात्मक रूप से निर्मित है। यह पाठकों की कल्पना एक ऐसे देश को ले आती है, जिसका उथल-पुथल से भरा अतीत अब भी शांति की तलाश में है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Agni Puran (Code1362)
विषय की विविधता एवं लोकोपयोगिता की दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है। इस में परा-अपरा विद्याओं का वर्णन, महाभारत के सभी पर्वों की संक्षिप्त कथा, रामायण की संक्षिप्त कथा, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारों की कथाएँ, सृष्टि-वर्णन, दीक्षा-विधि, वास्तु-पूजा, विभिन्न देवताओं के मन्त्र आदि अनेक उपयोगी विषयों का अत्यन्त सुन्दर प्रतिपादन किया गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Agni Raag
‘अग्नि-राग’ समकालीन संदर्भों में नारी-सशक्तीकरण की कहानी है। धधकती अग्नि-ज्वाला में जलती-झुलसती दीपिका की कहानी। विवाह का झाँसा देकर एक डॉक्टर वर्षों उसका यौन-शोषण करता है। जब युवती को डॉक्टर का विवाह अन्यत्र तय हो जाने की सूचना मिलती है, तो वह किस प्रकार प्रतिशोध लेती है—इसका उपन्यास में चित्रण है। बलात्कार-पीडि़ता के प्रति समाज की प्रतिक्रिया, मीडिया की प्रतिक्रिया, कानून की प्रतिक्रिया आदि का यह ऐसा विश्वसनीय आख्यान है, जिसमें अनुरंजन और चिंतन दोनों मौजूद हैं।
बलात्कार के आँकड़े बताते हैं कि औरत दिनोदिन असुरक्षित हुई है। घर, स्कूल, सड़क, खेत-खलिहान—कहाँ पर ‘निर्भयाकांड’ नहीं होते? देह-शोषण की शिकार औरत अमूमन लोक-लाज अथवा ग्लानि के चलते अपना मुँह बंद रखती है या फाँसी के फंदे पर झूल जाती है। किंतु जब किसी रेप-पीडि़ता के भीतर आग धधक उठती है, तो वह अपने अर्धनारीश्वर रूप में एक मिसाल बन जाती है। नारीगत कोमलता और पौरुषेय कठोरता की धूपछाँही द्युति एक विलक्षण आलोक-लोक सिरज देती है। यही अग्नि-राग है।
पंचतत्त्वों से बने हर मानव शरीर में अग्नि का वास है, कहीं कम, कहीं ज्यादा। इसलिए यदि ‘अग्नि-राग’ की दीपिका अपनी नन्ही सी लौ से अन्य रेप-पीडि़ताओं के अँधेरे जीवन को प्रकाशमान करने का उद्यम करती है, तो उसके इस संकल्प और साहस को नमन करने का जी चाहता है। ‘अग्नि-राग’ इसी संवेदना का उपन्यास है।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Agnigarbha
प्रेमचन्द के बाद विश्व प्रसिद्ध श्रेष्ठ उपन्यासकारों में श्री अमृतलाल नागर का एक विशिष्ट स्थान है। उनके अन्य उपन्यास ‘मानस का हंस’, ‘खंजन नयन’, ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’, ‘बूंद और समुद्र’, ‘बिखरे तिनके’, ‘सेठ बांकेमल’, ‘भूख’, ‘सात घूंघट वाला मुखड़ा’ तथा ‘अमृत और विष’ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि हैं, जिनमें मानव-जीवन की सजीव अभिव्यक्ति अत्यन्त रोचक शैली में हुई है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Agyatvaas
2011 में ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, 2008 में ‘व्यास सम्मान’ और 1969 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित श्रीलाल शुक्ल की यह कृति हिन्दी का श्रेष्ठ उपन्यास है। इसका कथानक और शैली लेखक की रचनाशीलता और जीवन्तता का उत्तम उदाहरण है। प्रत्येक पात्र अपना अलग-अलग व्यक्तित्व रखता है और जीवन के विभिन्न आयामों का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर प्रदेश के एक अंचल विशेष का इसमें मोहक चित्रण हुआ है। ‘अज्ञातवास’ में मनुष्य की अपने आपको खोजने की कहानी प्रतीकात्मक रूप में कही गयी है। 2008 में उनके साहित्यिक योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से नवाज़ा।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Agyeya Ki Sampurna Kahaniyaan
‘‘मेरी कहानियां नयी हैं या पुरानी, इस चर्चा में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। हर साहित्य धीरे या जल्दी पुराना पड़ता है, कुछ पुराना पड़ कर फिर नया भी होता है, इस बारे में कुछ पहले भी कह चुका हूं। नयी-पुरानी की काल-सापेक्ष चर्चा में कहानी को उसके काल की अन्य कहानियों के संदर्भ में देखना चाहिए। उस समय वह कितनी नयी या पुरानी, पारंपरिक या प्रयोगशील थे…इससे आगे इतना-भर जोड़ना काफी है कि मैंने प्रयोग किये तो शिल्प के भी किये, भाषा के भी किये, रूपाकार के भी किये, वस्तुचयन के भी किये, काल की संरचना को लेकर भी किये लेकिन शब्द-मात्रा की व्यंजकता और सूचकता की एकान्त उपेक्षा कभी नहीं की।’’ – पुस्तक की भूमिका से 1978 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित हीरानन्द सच्चिदानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (7 मार्च 1911 – 4 अप्रैल 1987) बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे। उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता और आलोचना, सभी विधाओं में लिखा। उनकी विशेषता यह थी कि उन्होंने अपने लेखन में कई नये प्रयोग किये और इसी के लिए उन्हें जाना जाता है। लेखक के अतिरिक्त लम्बे अरसे तक वे नवभारत टाइम्स के सम्पादक भी रहे। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका सप्तक और दिनमान की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त अमेरिका, जर्मनी और भारत के कई विश्वविद्यालयों में उन्होंने अध्यापन का कार्य भी किया। 19 वर्ष की उम्र में वे भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और दिल्ली कांस्परेंसी केस में गिरफ्तार किये गये। उन्हें तीन साल दिल्ली और मुल्तान की जेल में कैद रखा गया। कारावास के दौरान लिखी 18 कहानियों सहित उनकी 67 कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां
AIIMS Mein Ek Jung Ladte Huye
कोरोना
‘‘हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी है मैंने
मुझे आज भी गानी है।
मैं तो अपने पथ-संघर्षों का
पालन करते आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक
अब तुमको तो बैरंग जाना है
पूछ सको तो पूछो मुझको
मैंने मन में क्या ठाना है।
तुम्हें पता है मैं संघर्षों का
दीप जलाने आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है।
मैं तिल-तिल जल
मिटा तिमिर को
आशाओं को बोऊँगा,
नहीं आज तक सोया हूँ
अब कहाँ मैं सोऊँगा!
देखो, इस घनघोर तिमिर में,
मैं जीवन-दीप जलाया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी
मुझे आज भी गानी है।’’
—रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
6 मई, 2021, दिल्ली, एम्सSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aise The Bharat Ke Gaon
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAise The Bharat Ke Gaon
देश का अधिकांश गुणी समाज आज भी गाँवों में ही निवास करता है। कभी-कभार, बुजुर्गों की जुबानी सामाजिक ज्ञान की बहुत सी बातें सुनने को मिल जाती हैं, जो हमारी किताबों का हिस्सा नहीं होतीं। सच में, भारतीय गाँवों की कल्पना के पीछे पुरखों का गजब चिंतन रहा है। जहाँ आहार और गौरव की सुरक्षा होय विज्ञान, कला, अध्यात्म और सामाजिक अर्थशास्त्र के चारों मजबूत स्तंभ हों। छोटे-छोटे औजारों से बड़े-बड़े काम करने संभव हों। घर का वास्तु-विज्ञान आरोग्य के लिए श्रेष्ठ हो, प्रकृति से घिरे हुए गाँव में हरे-भरे खेत-खलियान, निर्मल जल लेकर बहती हुई नदियाँ, तालाब, कुएँ, हमेशा गुनगुनाती और उत्सव मनातीं, मेहनती औरतों की मुसकान हो। युवाओं के चेहरे पर संतोष का भाव हो। गाय के साथ भागते-दौड़ते बच्चों की खिलखिलाहट हो। बुजुर्गों के होंठों पर भी मुस्कान हो। ऐसे गाँवों की कहानी है इस पुस्तक में।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aitihasik Kalkram mein Gurjar
ऐतिहासिक कालक्रम में गुर्जर : भारतीय संस्कृति को लम्बे समय तक विदेशी आक्रांताओं के आघातों से सुरक्षित रखने का दायित्व गुर्जर शासकों ने बखूवी निभाया है। इस वीर जाति ने प्रागैतिहासिक काल से आज तक अपने शौर्य से भारतीय संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने हेतु हर कालखण्ड में महती भूमिका निभाई है। समय के थपेड़ो में कतिपय गुर्जर समूह इस्लाम या अन्य धर्मावलम्बी बनें, परन्तु वहाँ भी इन्होनें अपनी संस्कृति व स्वरुप को नही छोड़ा।
इस वीर जाति की शौर्य गाथाओं के मूल से इनकी उत्पति एवं विकास, कालान्तर में राजनैतिक पतन तक की तत्व तथा विवेचना करने का प्रयास इस पुस्तक में संकलित आलेखों में किया गया है।
यह पुस्तक सुधि पाठकों की उत्कंठा को पूर्ण करने का प्रयास है, जो इतिहास में भ्रान्तियों से मुक्त इतिहास के अध्ययन की जिज्ञासा रखते हैं। पुस्तक में प्रकाशित आलेख, प्रस्तुतकर्ता विद्वानों का स्वयं का शोध प्रयत्न है।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aitihasik Kila : RANTHAMBHORE
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAitihasik Kila : RANTHAMBHORE
ऐतिहासिक किला : रणथम्भौर किले के गौरवशाली इतिहास को प्रस्तुत कृति के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने हेतु कई प्राचीन ग्रंथों का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। वर्तमान सन्दर्भ में इसका निरीक्षण करके, वहाँ उपस्थित पर्यटकों, आसपास के ग्रामीण लोगों एवं पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों व विषय से सम्बन्धित व्यक्तियों का साक्षात्कार किया गया। पुस्तक में रणथम्भौर किले का इतिहास, यहाँ शासन करने वाले चैहान वंश के वीर शासकों व अन्य शासकों का इतिहास, किले की स्थापत्य कला, जल प्रबंधन, हम्मीर विषयक रचनाओं व सम्बन्धित साहित्य का विश्लेषणात्मक वर्णन है। किले का हर वह हिस्सा जो अब तक अछूता रहा, उसे भी सहेजने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
प्रस्तुत कृति में न केवल ऐतिहासिक वर्णन है अपितु रणथम्भौर की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक स्थितियों के साथ किले की वास्तुकला को विवेचित करते हुए संगीत कला, धर्म और शिक्षा को वर्णित करने का प्रयास किया गया है। इसमें बाघ परियोजना का भी संक्षिप्त विवरण है।
मुझे पूरा विश्वास है कि यह पुस्तक रणथम्भौर किले के इतिहास व किले से सम्बन्धित अन्य पहलुओं की जानकारी हेतु मील का पत्थर साबित होगी। यह पाठकों, शोधार्थियों एवं पर्यटकों की किले के प्रति जिज्ञासा को शांत कर सकेगी व उनके लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगी।SKU: n/a -
Osho Media International, ओशो साहित्य
Akath Kahani Prem Ki
सुप्रसिद्ध संत शेख फरीद के कुछ अनूठे पदों के माध्यम से ओशो के दस अमृत प्रवचनों का संकलन। इस वार्तालाप में प्रति दूसरे दिन ओशो ने जिज्ञासुओं की विभिन्न जिज्ञासाओं और प्रश्नों के उत्तर दिए हैं। ‘शेख फरीद प्रेम के पथिक हैं और जैसा प्रेम का गीत फरीद ने गाया है; वैसा किसी ने नहीं गाया। कबीर भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्यान की भी बात करते हैं। दादू भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्यान की बात को बिलकुल भूल नहीं जाते।
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
प्रेम है वासना से मुक्ति; ध्यान है विचार से मुक्ति
प्रेम दुस्साहस है
धार्मिक क्रांति ही एकमात्र क्रांति है
प्रेम का प्रारंभ है, अंत नहींSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
AKHAND BHARAT : Swapana Aur Yatharth
हिदुत्व की विचारधारा बहुत उदार है, सहिष्णु है, अहिंसक है, शांतिप्रिय है, विविधतावादी है, सर्वसमावेशी है। ये गुण ही उसकी पहचान हैं। उसकी विशेषता हैं। उसकी शक्ति हैं; किंतु राजनीति से प्रेरित नकारात्मक मस्तिष्क ने मीडिया और शैक्षिक जगत् पर अपने वर्चस्व का दुरुपयोग कर हिंदुत्व के विरुद्ध ऐसा विषाक्त वायुमंडल पैदा कर दिया है, मानो संसार का सबसे खराब विचार-प्रवाह हिंदुत्व ही है। वोटबैंक की राजनीति का ही दुष्परिणाम है कि पंथनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक विकेंद्र्रीकरण के नाम पर सत्तालोलुप राजनीतिज्ञ हिंदू समाज को जाति और क्षेत्र के नाम पर बाँट रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत को अखंड रखने के उपाय क्या हैं? अखंड भारत का रूप क्या होगा? उसका मार्ग क्या होगा? क्या इसका वस्तुपरक आकलन आवश्यक नहीं है? आदि यक्ष- प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में खोजने की कोशिश की गई है।
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Akhand Bharat ke Shilpakar Sardar Patel
आधुनिक भारतीय इतिहास में शायद ही ऐसा कोई राजनेता है, जिसने भारतवर्ष को एकजुट और सुरक्षित करने में सरदार पटेल जितनी बड़ी भूमिका अदा की है, लेकिन दुर्भाग्य है कि पटेल की ओर से ब्रिटिश भारत की छोटी-छोटी रियासतों के टुकड़ों को जोड़कर नक्शे पर एक नए लोकतांत्रिक, स्वतंत्र भारत का निर्माण करने के सत्तर वर्ष बाद भी, हमारे देश को एकजुट करने में पटेल के महान् योगदान के विषय में न तो लोग ज्यादा जानते हैं, न ही मानते हैं। पटेल के संघर्षमय जीवन के सभी पहलुओं और उनके साहसिक निर्णयों को अकसर या तो राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया जाता है या उससे भी बुरा यह कि महज वाद-विवाद का विषय बनाकर भुला दिया जाता है।
अनेक पुरस्कारों के विजेता और प्रसिद्ध लेखक, हिंडोल सेनगुप्ता की लिखी यह पुस्तक सरदार पटेल की कहानी को नए सिरे से सुनाती है। साहसिक ब्योरे और संघर्ष की कहानियों के साथ, सेनगुप्ता संघर्ष के प्रति समर्पित पटेल की कहानी में जान फूँक देते हैं। साथ ही उन विवादों, झगड़ों और टकरावों पर रोशनी डालते हैं, जो एक स्वतंत्र देश के निर्माण के क्रम में भारतीय इतिहास के कुछ सबसे अधिक दृढसंकल्प वाले लोगों के बीच हुए। जेल के भीतर और बाहर अनेक यातनाओं से चूर हुए शरीर के बावजूद, पटेल इस पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरते हैं, जो अपनी मृत्युशय्या पर भी देश को बचाने के लिए काम करते रहे। अखंड भारत के शिल्पकार सरदार पटेल पर हिंडोल सेनगुप्ता की यह कृति आनेवाली पीढि़यों के लिए पटेल की विरासत को निश्चित रूप से पुनर्परिभाषित करेगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, कहानियां, बाल साहित्य
Amar Bal Kahaniyan
देवी बलिदान माँग रही है, जो सिर देना चाहे वह आगे बढ़े! बढ़ो!! बढ़ो!!”
एक सिख बढ़ता है! यह कौन? अरे-यह तो वह आदमी है, जिसे कल तक हम छोटी जाति का होने के कारण अपने से छोटा समझ रहे थे।
वह आगे बढ़ा, तंबू के भीतर गया। तलवार का ‘छप’ सा शब्द हुआ, फिर खून की धारा तंबू के भीतर से निकलकर बाहर की जमीन को सींचने लगी।
“हाँ-हाँ, देवी बलिदान माँग रही है, दूसरा कौन है,—वह आगे बढ़े—बढ़ो! बढ़ो!!”
एक दूसरा बढ़ा, उसी की तरह का मामूली आदमी। फिर तंबू में ‘छप-छप’ शब्द, फिर खून की लाल धारा।
फिर गुरु की ललकार—तीसरा बढ़ा, चौथा बढ़ा, पाँचवाँ बढ़ा, छठा बढ़ा, सातवाँ बढ़ा—तंबू से निकली खून की धारा मोटी होती जा रही है—सामने की जमीन लाल-लाल हो रही है।
“बस अब नहीं—देवी खुश हो गई। बोलो—सत्य श्री अकाल। वाहे गुरुजी का खालसा, वाह गुरुजी की फतह!” और यह क्या, वे सातों शहीद वीर भी तंबू से बाहर खड़े मुसकरा रहे हैं। क्या ये जी उठे? हाँ, जी उठे! आओ, सभी अमृत पीओ। शहादत का अमृत पीओ, सिंह बनो, सिंह।
आज से सभी सिंह कहलाएँगे! सिंह-सिंह के सामने कोई आदमी क्या खाकर टिक सकता है।SKU: n/a -
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Amar Balidani Tatya Tope
तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय रणनीतिकार तथा कुशल सेनानायक थे। सन् 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट पटौदा जिले के येवला गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पांडुरंग राव भट्ट थे। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था। अपने आठ भाई-बहनों में तात्या सबसे बड़े थे। सन् 1857 के स्वातंत्र्य समर की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई। जल्दी ही क्रांति की चिनगारी समूचे उत्तर भारत में फैल गई। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा हो जाने के करीब एक साल बाद तक तात्या संघर्ष की कमान सँभाले रहे और ब्रिटिश सेना को छकाते रहे। वे परिस्थिति को देखकर अपनी रणनीति तुरंत बदल लेते थे। अंतत: परोन के जंगल में तात्या टोपे के साथ विश्वासघात हुआ। नरवर का राजा मानसिंह अंग्रेजों से मिल गया और उसकी गद्दारी के कारण तात्या 8 अप्रैल, 1859 को सोते हुए पकड़ लिये गए। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ने के आरोप में 14 अप्रैल, 1859 को तात्या को फाँसी दे दी गई। कहते हैं, तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ़ कदमों से ऊपर चढ़े और फाँसी के फंदे को पुष्प-हार की तरह स्वयं अपनी गरदन में डाल लिया। इस प्रकार तात्या मातृभूमि-हित निछावर हो गए।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
AMARNATH YAATRA
यात्रा जीवन का रोमांच है। यात्रा का बाहरी-सुख अंतस के आनंद को भी झंकृत करता है। इसलिए यात्रा करना जहाँ आनंदप्रद होता है, वहीं यह उस स्थान की सभ्यता-संस्कृति को भी जानने का अवसर देती है। तीर्थ स्थलों की यात्रा आनंद के साथ-साथ हमें भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देती है।
ऐसी ही एक अत्यंत पवित्र अमरनाथ-यात्रा संपूर्ण दृष्टि से सत्यं शिवं सुंदरम् का जीवंत रूप है। अमरनाथ-यात्रा के दौरान, जब प्रकृति का अनुपम सौंदर्य, अनायास उद्घाटित होता है, तभी यह समझ आता है कि हिंदू-परंपरा में सौंदर्य को सत्य और शिव के समकक्ष क्यों स्थान दिया गया है! यों ही यात्रा में तीर्थयात्रियों की अप्रतिम श्रद्धा, सेना की चुस्ती और स्थानीय-कश्मीरियों के अकल्पनीय-सहयोग से एक शुभ और संगीतमय वातावरण निर्मित हो जाता है। यहाँ शुभ से मिलन है। अमरनाथ-यात्रा भारत की आत्मा का गहन अवलोकन भी है। भारत सत्य के प्रयोग की अनूठी भूमि रही है। यहाँ सत्य की गहरी प्यास देखी जा सकती है। अमरनाथ-यात्रा इसकी बानगी प्रस्तुत करती है।
अमरनाथ-यात्रा की इस वृत्तांत-गंगा में डुबकी लगाने के लिए आप सभी पाठकों का आमंत्रण है। बस आपको पूर्व धारणाओं, किस्सों और मान्यताओं का वस्त्र अनावतरित करना पड़ेगा। यह थोड़ा कठिन है, परंतु असंभव नहीं। तभी इस डुबकी में हमें आनंद की झलक मिल सकेगी। संपूर्ण अमरनाथ यात्रा का सरस एवं तथ्यपरक रोमांचक वर्णन।SKU: n/a