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Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
स्वाधीनता के पथ पर : SVADHEENATA KE PATH PAR
टन……टन……टन……..टन……..। मन्दिर का घण्टा बज रहा था। देवता की आरती समाप्त हो चुकी थी। लोग चरणामृत पान कर अपने-अपने घर जा रहे थे। श्रद्धा, भक्ति, नमृता और उत्साह में लोग आगे बढ़कर, दोनों हाथ जोड़, मस्तक नवा, देवता को नमस्कार करते और हाथ की अंजुली बना चरणामृत के लिए हाथ पसारते थे। पुजारी रंगे सिर, बड़ी चोटी को गाँठ दिये, केवल रामनामी ओढ़नी ओढे़, देवता के चरणों के निकट चौकी पर बैठा अरघे से चरणामृत बाँट रहा था।
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