Gurudutt Books
Showing all 22 results
-
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bharatvarsh Ka Sanshipt Itihaas
भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास
रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये। वेद, उपनिषद् तथा दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत कराना गुरुदत्त की ही विशेषता है।
मनीषि स्व० श्री गुरुदत्त ने इस ग्रन्थ की रचना लगभग सन् 1979-80 में की। इसकी पाण्डुलिपि को पढ़ने से तथा उनके जीवनकाल में उनसे परस्पर वार्तालाप करने से यह आभास मिलता था कि वे भारतीय स्रोतों के आधार पर भारत वर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखना चाहते थे। पाश्चात्य इतिहास-लेखकों की पक्षपातपूर्ण एवं संकुचित दृष्टि से लिखे गए इतिहास की सदा उन्होंने भर्त्सना की। वे बार-बार यही कहा करते थे कि ‘‘भारतवर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखा जाना चाहिए।’’
अन्यान्य ग्रंन्थों की रचना करते हुए उन्होंने इतिहास पर भी लेखनी चलानी आरम्भ की और मनु आरम्भ कर राम जन्म तक का ही वे यह प्रामाणिक इतिहास लिख पाए थे कि काल के कराल हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया।SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
India In The Shadow of GANDHI and NEHRU (PB)
-10%Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)India In The Shadow of GANDHI and NEHRU (PB)
In the year 1966, Guru Dutt worte a book under the title of ‘Jawaharlal Nehru—a Critical Study’. The book was so controversial that it gave rise to the rumour that it had been proscribed by the Government of India. In 1967 certain newspapers did come out with the news that steps were in progress to proscribe the book and prosecute its author. However, nothing of the kind took place.
The present book is a deep study of the words and deeds of Nehru and Gandhi.
The author has taken great pains in critically studying the activities and philosophies of these two eminent personalities of our country and placing before the reader the other side of the picture. His thesis is based on works of Nehru himself and also on works of other eminent writers of the day. He was referred to more than 200 quotations which support and lead to his logical analysis. How far he succeeded in piercing through the many walls of prejudices which sustain the pet notions about, them it is for the reader to ponder and judge.
SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
MAIN HINDU HOON :मैं हिन्दू हूँ
Hindi Sahitya Sadan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)MAIN HINDU HOON :मैं हिन्दू हूँ
मैं हिन्दू हूँ
प्रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं।
विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये।SKU: n/a -
-
Hindi Sahitya Sadan, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
दासता के नये रूप
‘दासता के नये रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातन्त्र्योपलब्धि के अनन्तर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यन्त सफल अभिव्यक्ति कही जा सकती है। उनका कहना है कि ‘सत्ताधीश लोग मनुष्य को दासता की श्रृंखलाओं में बाँधने का यत्न करते रहे हैं। राजनीतिक सत्ता अथवा आर्थिक व सामाजिक प्रभुत्व प्राप्त करके लोग अन्य मनुष्यों को अपनी सत्ता प्रभाव के अधीन रखने के लिए अनेकानेक प्रकारों का प्रयोग करते हैं। ये दासता उत्पन्न करने के उपाय हैं।
SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
देश की हत्या : Desh Ki Hatya
उपन्यासकार गुरुदत्त का जन्म जिस काल और जिस प्रदेश में हुआ उस काल में भारत के राजनीतिक क्षितिज पर बहुत कुछ विचित्र घटनाएँ घटित होती रही हैं। गुरुदत्त जी इसके प्रत्यक्षदृष्टा ही नहीं रहे अपितु यथासमय वे उसमें लिप्त भी रहे हैं। जिन लोगों ने उनके प्रथम दो उपन्यास ‘स्वाधीनता के पथ पर’ और ‘पथिक’ को पढ़ने के उपरान्त उसी श्रृंखला के उसके बाद के उपन्यासों को पढ़ा है उनमें अधिकांश ने यह मत व्यक्त किया है कि उपन्यासकार आरम्भ में गांधीवादी था, किंतु शनैः-शनैः वह गांधीवादी से निराश होकर हिन्दुत्ववादी हो गया है।
SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
भारत में राष्ट्र
जीवन पद्घति का नाम धर्म है और धर्म का सार है कि जो व्यवहार अपने साथ किया जाना पसन्द नहीं करते वह किसी के साथ न करो।
राष्ट्र एक अवस्था है। राष्ट्रवाद उस अवस्था की सार्थकता का सिद्धान्त है एवं राष्ट्रीयता उक्त अवस्था की भावना है।–गुरुदत्त
1947 से जब से भारत को स्वत्रन्त्रता मिली है, कांग्रेसी नेता, तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर उनके छुटे-भय्ये तक, हिन्दू राष्ट्र की कल्पना का विरोध करते रहे हैं। हिन्दू राष्ट्र की भावना और घोषणा को देश के लिये घातक करते रहे हैं।SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
सदा वत्सले मातृभूमे : Sada Vatsale Matrabhumi
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)सदा वत्सले मातृभूमे : Sada Vatsale Matrabhumi
मातृभूमि से अभिप्राय हिमालय पर्वत, गंगा-यमुना इत्यादि नदियाँ, पंजाब, सिंध, गुजरात, बंगाल इत्यादि भू-खंड नहीं, वरन् यहीं की समाज है। अतः देश-भक्ति वस्तुतः समाज की भक्ति को कहते हैं।
भारत भूमि की जो विशेषता है, वह इस देश में सहस्रो-लाखों वर्षों में उत्पन्न हुए महापुरुषों के कारण है; उन महापुरुषों के तप, त्याग, समाज-सेवा तथा बलिदान के कारण है; उनके द्वारा दिए ज्ञान के कारण है।SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
स्वाधीनता के पथ पर : SVADHEENATA KE PATH PAR
टन……टन……टन……..टन……..। मन्दिर का घण्टा बज रहा था। देवता की आरती समाप्त हो चुकी थी। लोग चरणामृत पान कर अपने-अपने घर जा रहे थे। श्रद्धा, भक्ति, नमृता और उत्साह में लोग आगे बढ़कर, दोनों हाथ जोड़, मस्तक नवा, देवता को नमस्कार करते और हाथ की अंजुली बना चरणामृत के लिए हाथ पसारते थे। पुजारी रंगे सिर, बड़ी चोटी को गाँठ दिये, केवल रामनामी ओढ़नी ओढे़, देवता के चरणों के निकट चौकी पर बैठा अरघे से चरणामृत बाँट रहा था।
SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
हिन्दुत्व की यात्रा
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)हिन्दुत्व की यात्रा
‘हिन्दुत्व की यात्रा’ नाम से ही पुस्तक का प्रतिपाद्य विषय स्पष्ट हो जाता है। प्रस्तुत पुस्तक द्वारा विद्वान लेखक ने आदिकाल से आरम्भ कर अब तक के आर्य-हिन्दू की जीवन मीमांसा का विशद वर्णन किया है। न केवल इतना, अपितु उन्होंने तथाकथित पाश्चात्य पण्डितों ने भारतीय मानस-पुत्रों, उनकी धारणाओं एवं मान्यताओं का निवारण एवं निराकरण भी किया है जो आर्य-हिन्दू को यहां का मूल निवासी नहीं मानते।
SKU: n/a