Dr. Yashika
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Antas
‘अंतस’ डॉ. यशिका के अंतकरण की अनुभूतियों का सीधा-सरल काव्यानुवाद है। किसी काव्य-कौशल की स्पर्धा में प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ खुद को शामिल नहीं करतीं, ये केवल मन की निष्पाप, पवित्र और प्रांजल अनुभूतियों की छलकन हैं और फिर भी पूर्ण हैं। भारतीय स्त्री के संस्कार, उसका सहज समर्पण और नेह जैसे इन कविताओं में साकार देह पाकर इठला रहा है।
मन्नत पूरी हो जाने जैसी उपलब्धि और जिस्मोजान निछावर कर डालने के समर्पित अहसास, सामीप्य की सिहरन और दूरी होते ही हृदय का अरमान बना लेने की सोच…एक स्त्री के समर्पण और प्रेम का इससे आगे क्या उदाहरण हो सकता है?
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Sarthi
डॉ यशिका का यह प्रथम काव्य-संग्रह है। उनके दीर्घ अनुभवों ने अल्प समय में उन्हें शब्दों पर सटीक पकड़ बनाना सिखा दिया है।
उनकी अदालतों में भले ही कुछ फैसले साक्ष्यों के आधार पर दिए गए हों, लेकिन उनके मन की अदालत ने सदैव न्याय ही किया है। वादी-प्रतिवादी के सम्मुख उनकी रचनाएँ जैसे एक न्यायाधीश के रूप में सामने खड़ी हो गई हैं। कठोर निर्णय लेते हुए भी उनका कोमल हृदय भीतर से कितना पसीजा है, यह उनकी कविताओं को पढ़कर ही समझा जा सकता है। शब्दों पर गहरी पकड़, उर्दू अल्फाजों का सटीक प्रयोग उन्हें अपने समकालीन रचनाकारों से बहुत अलग, बहुत आगे ले गया है। ईश्वर उनकी लेखनी से सदैव न्याय ही प्रवाहित कराए। इसी प्रार्थना के साथ यह विश्वास भी है कि उनकी कविताएँ लोगों को एक नया उजियारा देने में सहायक सिद्ध होंगी। उनके शब्दों से पाठकों को नया हौसला मिलेगा। उनके शब्द सहारा बनेंगे उन लोगों का, जिन्हें अपनी उम्मीदों के दामन को समय की आँधियों में बचाना मुश्किल हो रहा है।
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