महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Showing 121–124 of 124 results
-
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Yogeshwar Krishan
पुस्तक का नाम – योगेश्वर कृष्ण
लेखक – पं. चमूपति जी
वर्तमान समय में हमारे जिस महापुरूष के चरित्र का सर्वाधिक विरूपण स्वयं हमारे समाज के लोगों द्वारा किया गया है वह योगेश्वर कृष्ण हैं। विधर्मियों द्वारा सदियों पूर्व शंका और विष का जो बीज पुराणों की रचना द्वारा बोया गया था उसकी विषबेल आज सबल हो चुकी है जिसके उन्मूलन का कार्य हमारे द्वारा उन महान आत्माओं के वास्तविक चरित्र का अध्ययन और हमारे निकट प्रियजनों, सम्बन्धियों के मध्य उसके प्रचार द्वारा ही संभव है। विभिन्न पुस्तकों और ग्रन्थों का ध्यान-मनोयोग से अध्ययन किया जावे तो किसी भी निष्पक्ष व्यक्ति को ज्ञात हो जाता है कि योगेश्वर कृष्ण के संबंध में ब्रह्मवैवर्त पुराणादि में उल्लेखित भ्रांतियाँ तथा इसके माध्यम से लोगों में फैली आम जनधारणा निराधार ही है। किन्तु आज जब लोग समयाभाववश ऐसा अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं तो योगेश्वर कृष्ण के चरित्र को जानने के लिए यह पुस्तक वर्तमान समय में पढ़ने और प्रचारित करने योग्य हो जाती है। योगेश्वर कृष्ण के वास्तविक चरित्र चित्रण का भरसक प्रयास पं. चमूपति जी द्वारा किया गया है।
प्रस्तुत् पुस्तक में श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का चित्रण किया है। इसमें कृष्ण जी की बचपन से लेकर मृत्यु-पर्यन्त घटनाओं का लेखनी के माध्यम से चित्रण किया गया है। कई स्थलों पर महाभारत के प्रमाण देकर कृष्ण चरित्र को प्रामाणिकता प्रदान की है।
आज भारत राष्ट्र के जनमानस को इस प्रकार के सदाचार शिक्षा की आवश्यकता है कि जिससे राष्ट्र का चारित्रिक स्तर ऊँचा उठे, उसे सदाचार की शिक्षा सत्पूरुषों के चरित्र-चित्रण से ही सम्भव है, और उन सत्पुरुषों में मानदंड की भाँति दो ही व्यक्ति आदर्श हैं– मर्यादा पुरुषोत्तम राम और योगेश्वर कृष्ण।
पुराणों में कल्पना का प्रयोग करके श्री कृष्ण जी का चरित्र चित्रण विपरीत कर दिया गया है किन्तु महाभारत तथा अन्य ग्रन्थों में उपलब्ध तथ्यों के प्रकाश में उनका यह चित्रण कोरी कल्पनाएँ ही प्रतीत होता है। अतः पुस्तक में पुराणोक्त कथाओं के काल्पनिक होने के कारण त्याज्य मानकर उन्हे सम्मिलित नहीं किया गया है। श्रीकृष्ण के यज्ञमयी जीवन चरित्र को जानने के लिए यह पुस्तक प्रकाश स्तंभ का कार्य करती है। इस पुस्तक को vedrishi.com वेबसाईट से प्राप्त किया जा सकता है।
SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Yogiraj Shrikrishn
जिस प्रकार श्रीकृष्ण नवीन साम्राज्य-निर्माता तथा स्वराज्यस्रष्टा युगपुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुए, उसी प्रकार अध्यात्म तथा तत्व-चिंतन के क्षेत्र में भी उनकी प्रवृतियाँ चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुकी थीं। सुख-दुःख को समान समझने वाले, लाभ और हानि, जय और पराजय, जैसे द्वंदों को एक-सा मानने वाले, अनुद्विग्न, वीतराग तथा जल में रहने वाले कमलपत्र के समान सर्वथा निर्लेप, स्थितप्रज्ञ व्यक्ति को यदि हम साकार रूप में देखना चाहें तो वह कृष्ण से भिन्न अन्य कौन-सा होगा?
महाभारत पर आधारित श्रीकृष्ण के महान् लोकहित विधायक जीवन का भव्य चित्रण लालाजी की समर्थ लेखनी से निकला है। पुराणोंवत श्रीकृष्ण चरित की विकृतियों को पृथक् रखकर द्वापर के उस युग विधायक तथा महाभारत के सूत्रधार श्रीकृष्ण कि यह जीवन झांकी आज की परिस्थितियों में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले रही है।SKU: n/a