श्री कृष्ण चरित: Shri Krishna Charita
श्री कृष्ण चरित: Shri Krishna Charita
श्री कृष्ण चरित
Rs.150.00
Weight | .265 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
Author : DR. BHAWANILAL BHARTIYA
Publisher : Govindram Hasanand
Language : Hindi
ISBN : 9788170770181
Binding : (PB)
Edition : 2018
Pages : 240
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Related products
-
Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sardar Patel: The Supreme Architrect In Unification of India (Volume 2)
Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSardar Patel: The Supreme Architrect In Unification of India (Volume 2)
0 out of 5(0)How many of us really know how the issues related to North-Eastern states were handled? Or, for that matter, what was Privy Purse for the princely states? Why Sardar was worried that they were attempts not to grant them Constitutional status (Indira Gandhi got it abolished in the early 1970s)? Further, this book sheds special light on how the Hyderabad episode was handled. Coming from a former Judge, also the author of “Nehru’s Himalayan Blunders”, the book provides to-the-point arguments based on official documents, a large number of which have been quoted verbatim. For those who wanted to know anything about the humongous effort of Sardar in unifying India, be it a student or a researcher or just anyone wanting to more about one’s own country, this book is a real eye-opener. We all know that India has existed thousands and thousands of years before 1947. But, had Sardar been the king of yesteryears, he could well have been known as the ‘chakravartin’, who brought entire India under one umbrella – that is the Indian union. Read this book know how he achieved that feat – democratically.
SKU: n/aRs.599.00 -
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
NETAJI: Bharat Ki Swatantrata Aur Angrejon Ke Abhilekhagaar (Hindi)
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)NETAJI: Bharat Ki Swatantrata Aur Angrejon Ke Abhilekhagaar (Hindi)
0 out of 5(0)यह पुस्तक डॉ कल्याण कुमार डे के ऐतिहासिक शोध का एक मौलिक कार्य है, जो की 1971 में सार्वजानिक किये गए ब्रिटिश अभिलेखागार के प्रामाणिक अभिलेखों पर आधारित है। ये अभिलेख उस समय के प्रमुख ब्रिटिश नायकों के बीच भारत की स्थिति के बारे में पत्रों के आदान-प्रदान, रिपोर्टों एवं मिनटों के रूप में उपलब्ध हैं। भारत में उस समय के ब्रिटिश राज के प्रमुख पात्रों में एक ओर वाइसराय फील्ड मार्शल विसकाउंट वैवेल, ब्रिटिश भारतीय सेना के जनरल सर क्लॉड औचिनलेक एवं अन्य पदाधिकारी – जैसे विभिन्न राज्यों के राज्यपाल एवं गुप्तचर विभाग – और, दूसरी ओर, लन्दन में सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इंडिया, लार्ड पेथिक लॉरेंस, एवं अन्य पदाधिकारी आपस में निरंतर संवाद कर रहे थे; जिसके फलस्वरूप अन्ततः उन्होंने भारत को शीघ्र छोड़ने का निर्णय लिया।
SKU: n/aRs.199.00 -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Delhi Dange : Sazish ka Khulasa
0 out of 5(0)सामने आ रहा है, दिल्ली दंगों का सच : धीरे-धीरे
‘अपनी योजना के तहत 24 फरवरी को हमने कई लोगों को बुलाया और उन्हें बताया कि कैसे पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड बोतल फेंकने हैं। मैंने अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 1.30 बजे हमने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।’
आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के इस बयान को सुनकर वे लोग चौंक सकते हैं जो आम आदमी पार्टी के चरित्र से परीचित नहीं हो। आम आदमी पार्टी ने मसजिदों और मदरसों के अपने अच्छे नेटवर्क और ताहिर हुसैन अमानतुल्ला खान जैसे नेताओं के दम पर ही पूरी दिल्ली के एकएक मुसलमान का वोट हासिल कर लिया था। जिसके बदले में मानों उत्तरपूर्वी दिल्ली को आग में झोंक देने का लाइसेंस समुदाय विशेष को दे दिया था।
अब जब उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर चार्जशीट दिल्ली पुलिस तैयार कर चुकी है। उसके बाद 23 फरवरी को मौजपुर से भड़के हिंदू विरोधी दंगों को याद करते हुए, जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर, भजनपुरा, यमुना विहार में आग की तरह फैली उस हिंसा को सी.ए.ए. के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से अलग करके देखना भूल होगी। शाहीन बाग, जामिया नगर, सीलमपुर में सी.ए.ए. के विरोध में फैलाई गई हिंसा, वास्तव में बड़े दंगे का पूर्वाभ्यास ही थी। जिस बड़े दंगे को उत्तरपूर्वी दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर 23-26 फरवरी, 2020 तक अंजाम दिया गया।
इस हिंसा के लिए 4 फरवरी से ही कई घरों में कबाड़ी से शराब और कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलें, पत्थर लेकर छत पर इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया था। मुस्लिम समुदाय ने अपनी गाडि़यों में फुल पेट्रोल, डीजल भरकर रख लिया था ताकि बोतलों में पेट्रोल डीजल भरकर बम की तरह उसे वक्त आने पर इस्तेमाल किया जा सके।
मुस्लिम परिवारों में ऐसे परचे दंगों से पहले बाँट दिए गए जिसमें दंगों की स्थिति में हिंदूओं से निपटने की तरकीब लिखी गई थी। इन सारी बातों को देखने के बाद यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में होनेवाले दंगों के लिए यमुना पार का मुस्लिम समुदाय पहले से तैयार था। जबकि हिंदूओं को इससे सँभलने का बिलकुल मौका नहीं मिला।
अब धीरे-धीरे दिल्ली दंगों की साजिश का सच सामने आ रहा है, जिसकी वजह से वामपंथी इको सिस्टम का झूठ चल नहीं पा रहा।SKU: n/aRs.125.00
There are no reviews yet.