अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Dash Mahavidya
दशमहाविद्याओं का सम्बन्ध भगवान् शिव की आद्या शक्ति भगवती पार्वती से है। उन्हीं की स्वरूपा शक्तियाँ काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, वगलामुखी, मातंगी और कमला नाम से प्रसिद्ध दशमहाविद्याएँ हैं। इस पुस्तक में दशमहाविद्याओं के उद्भव, विकास, ध्यान और परिचय के साथ उनके उपासनायोग्य बहुरंगे चित्र दिये गये हैं। पुस्तक के अन्त में दशमहाविद्या स्तोत्र भी संगृहीत है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Dashavatar
भगवान् धर्म की स्थापना, साधु-संरक्षण तथा भक्तों को अपने सान्निध्य का आनन्द प्रदान करने के लिये समय-समय पर अवतार लेते हैं। इस पुस्तक में भगवान के मत्स्य, कच्छप, वामन, नृसिंह, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध तथा कल्कि अवतार की कथाओं का सरल भाषा में सचित्र चित्रण किया गया है।
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English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Datta Anubhuti (English)
-10%English Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंDatta Anubhuti (English)
|| Shree || Nothing is impossible once one surrenders himself to Shree Swami Samarth. I salute the faith and devotion of those devotees who have completed 11 Girnar waris (pilgrimages). If you have faith in him, he delivers : this is what they (the above mentioned) have proved. This pilgrimage is a Herculean task not for faint hearted. The experience of these 11 pilgrimages detailed in this book are evidence of this fact. My best wishes are with all the readers of this book and I hope this book serves as a lighthouse to all of them. Avdhootanand (Jagannath Kunte) This book Published with the permission of Dutt Maharaj is an amalgamation of myriad memories of 11 Girnar pilgrimages replete with gales, a night amidst the forests, roars of the unknown wild creatures and priceless essence of the pilgrimage – realization of Dutt
* I have not gone, I am alive * Troubles are a part of this journey but they never really bother * The priceless (memorable) pilgrimage of Girnar * Witness the conquering of insensate powers * Hard to believe yet true Darshan * I believed, he listened and I experienced.
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Datta Anubhuti (Hindi)
-10%Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंDatta Anubhuti (Hindi)
सद्गुरु की शरण में जाने पर सब कुछ संभव हो जाता है। ये साधक ग्यारह बार श्री गिरनारी के दर्शन के लिए गए हैं। मै, इनकी श्रद्धा को नमन करता हूँ। यदि आप श्रद्धा रखते है तो उसका प्रतिसाद मिलता है ये सिद्ध करके इन्होने दिखाया है। भक्ति को चरम पर ले जाना होता है। लोहे के चने चबाने पर ही ब्रम्ह की अनुभूति मिलती है, इस बात का अनुभव ये साधक प्राप्त कर चुके हैं। ये पुस्तक पढ़ने के बाद हमे भी इनका अनुसरण करना चाहिए। सभी को मेरी शुभकामनाएँ! अवधूतान्द (जगन्नाथ कुंटे) साँय-साँय बहती हवा, रात का भयानक जंगल, कलेजे को चीर कर रख देने वाली जंगली जानवरों की आवाज, ऐसी परिस्थितियों में गिरनार यात्रा का प्रत्यक्ष अनुभव, साक्षात महाराज के आदेश पर ग्यारह बार की गई गिरनार यात्रा की अमूल्य निधि, महाराज की अनेकानेक अनुभव अपनी झोली में सहेज कर लाते हुए अंत में स्वयं दत्त महाराज की अनुमति से प्रकाशित पुस्तक। ‘हम गए नहीं, जिंदा हैं’ का अनुभव समस्याओं की आँच से दूर रखा अविस्मरणीय यात्रा फेरी अजब पर गजब दर्शन स्वामी जी ने पूरा किया हठ अनुभव दे ही दिया
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Devon ka uday
“हज़ारो वर्ष पूर्व सुरों की कुछ शाखाएँ अपने मूल निवास हिमालय की तराइयों से निकलकर सुदूर पश्चिम में बस गई । धीरे-धीरे वे आज के भारत से लेकर पश्चिम एशिया तक स्थान-स्थान पर फैल गए। नई सभ्यताओं ने जन्म लिया और आवागमन के नए मार्ग स्थापित हुए। विश्व के बड़े भू-भाग पर शासन करने वाले सुरों ने देव की उपाधि धारण कर ली।
समय के साथ सुर दो समूहों में विभाजित हो गए। वे, जो सुरों की कठिन सिद्धांतों वाली जीवन-पद्धति से सहमत नहीं थे, उन्होंने असुर नाम अपना लिया। सुरों और असुरों के बीच प्राय: झड़पें होती रहती थीं। पर समुद्री मार्गों की खोज के लिए उन्होंने मिलकर समुद्र-मंथन अभियान चलाया, जो उन्हें आश्चर्यों और रहस्यों के लोक में ले गया। इस रहस्य लोक में उन्हें मिला सोम नामक अमृत, जिस पर अधिकार को लेकर एक बार फिर सुरों और असुरों के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया। ‘ देवों का उदय’ प्राचीन कथाओं को लेकर लिखा गया एक उपन्यास है, जिसमें लेखकों ने सहस्त्रों वर्ष पूर्व सुरों और देवों की एक नई उभरती हुई विकसित सभ्यता की कल्पना की है।”
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Dharam ka Yatharth Swaroop
Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासDharam ka Yatharth Swaroop
भारतवर्ष मंे आज भी धार्मिक एवं जातिगत मतभेद विकट रूप में विद्यमान हैं। उपर्युक्त परिस्थितियों को सुनकर और देखकर लेखक के हृदय में एक विचार प्रस्फुटित हुआ कि क्यों न एक ऐसी पुस्तक का निर्माण किया जाए, जिसमें विभिन्न पन्थों के मूल सिद्धान्तों का परिचय और उसका उद्देश्य समाहित हो।
अतः चार महीने का अवकाश लेकर लेखक ने विभिन्न सम्प्रदायों की लगभग दो सौ पचास पुस्तकों का अध्ययन किया और उन विषयों के अधिकारिक विद्वानों से परस्पर विचार-विमर्श भी किया। तदुपरान्त यह समझ में आया कि सभी पन्थ अपने मूलरूप में परस्पर अत्यधिक साम्यता रखते हैं। सभी के मार्ग भले ही क्यों न पृथक्-पृथक् हों परन्तु सभी का लक्ष्य एक ही है।
ऋग्वेद के अनुसार ‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति‘। अर्थात् सत्य एक ही है, जिसे विद्वान् विभिन्न प्रकार से व्याख्यायित करते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न सम्प्रदायों के मूल सिद्धान्तों का उसी रूप में वर्णन किया गया है जिस रूप में वे सिद्धान्त उस पन्थ में विद्यमान हैं। निष्कर्ष में सभी पन्थों के सिद्धान्तों में विद्यमान पारस्परिक साम्यता का विवेचन किया गया है। आशा है कि जेखक का यह छोटा-सा प्रयास समाज में धर्म के नाम पर फैले अंधविश्वासों तथा वैमनस्य को दूर करेगा तथा भिन्न-भिन्न पन्थों के अनुयायियों के मध्य सौहार्द, परस्पर प्रेम को उत्पन्न करने में अपना सहयोग प्रदान करेगा और महिलाओं का यथोचित सम्मान एवं गरिमा प्रदान करने के लिए इस विकसित समाज को प्रेरित करेगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Dharma Aur Vigyan (PB)
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भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है।
हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Durga Saptashati Code 1281
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनDurga Saptashati Code 1281
सप्तशती के पाठमें विधिका ध्यान रखना तो उत्तम है ही, उसमें भी सबसे उत्तम बात है भगवती दुर्गामाताके चरणोंमें प्रेमपूर्ण भक्ति श्रद्धा और भक्ति के साथ जगदम्बाके स्मरणपूर्वक सप्तशतीका पाठ करनेवालेको उनकी कृपाका शीघ्र अनुभव हो सकता है।
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Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Dwadash Jyotirling
प्रस्तुत पुस्तक में भगवान शिव के बारहों ज्योतिर्लिंगों का सचित्र इतिहास, उनकी भौगोलिक स्थिति, सचित्र पौराणिक आख्यान, सांस्कृतिक विवरण, पर्वोत्सव, यातायात एवं ठहरने के स्थान तथा लिंग-रहस्य इत्यादि का विस्तृत विवेचन प्रकाशित किया गया है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Ek Mahatma Ka Prasad 0129
महात्माओं की महिमा अवर्णनीय है। उनका मुख्य कार्य संसार से अज्ञानान्धकार नाश कर के विमल ज्ञान का प्रकाश करना है। महात्माओं का संसार में निवास लोक-कल्याण के लिये ही होता है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही एक तत्त्वज्ञानी महात्मा के संसार-सागर से उद्धार करनेवाले अमूल्य उपदेशों का संकलन है। इसमें चित्तशुद्धि का उपाय, योग, बोध और प्रेम, गुणों के अभिमान से हानि, सत्संग करने की रीति आदि विभिन्न 30 प्रकरणों में साधना के अमृत-उपदेशों का सुन्दर संकलन है।
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Aryan Books International, English Books, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Flight of Deities and Rebirth of Temples – Episodes from Indian History
-10%Aryan Books International, English Books, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासFlight of Deities and Rebirth of Temples – Episodes from Indian History
This work examines the medieval response to temple destruction and image desecration. While temples were destroyed on a considerable scale, also noteworthy were the repeated endeavours to reconstruct them. In each instance of rebirth, the temple retained its original name, even though there was a visible downsizing in its scale and grandeur. The Keshava temple at Mathura, the Vishwanath temple at Kashi, the Somnath temple in Saurashtra, the Rama mandir at Ayodhya were among the shrines continually restored, well after Hindus had lost all semblance of political power. The Bindu Madhava, the most important Vishnu temple in Varanasi, was demolished in 1669 and a mosque constructed in its place. The temple now bearing the name Bindu Madhava is a modest structure in the shadow of the mosque, but continues the traditions associated with the site. Intriguingly, mosques built on temple sites often retained the sacred names – Bijamandal mosque, Lat masjid, Atala masjid, Gyanvapi mosque, and not to forget, masjid-i- janamsthan.
Equally worthy of study was the fate of images enshrined in temples. Many were swiftly removed by anxious devotees, many more were hurriedly buried; some remained on the move for decades, till such time they could be escorted back to their abodes. In several cases, images were damaged in flight. Countless images were lost, as their places of burial were forgotten over time. That necessitated the consecration of new images in more peaceable circumstances. So there were temples of the tenth-eleventh centuries, which housed images instated in the sixteenth. In situations where neither temple nor image could be safeguarded, the memory endured, and a shrine was recreated after an interval of several centuries.
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Ganga Gyan Sagar in four volumes
पूज्य. प० गंगाप्रसाद जी उपाध्याय के साहित्य, लेखों तथा व्याख्यानों को संग्रहीत व सम्पादित करके हमने ‘गंगा ज्ञान सागर‘ नामक ग्रंथमाला (चार भागों मंे) के नाम से धर्मप्रेमी स्वाध्यायशील जनता के सामने श्रद्धा-भक्ति से भेंट किया। आर्यसमाज के इतिहास में यह सबसे बड़ी और सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रन्थमाला है। यह इस ग्रन्थमाला का तृतीय संस्करण है। देश की प्रादेशिक भाषाओं में भी इसका पूरा व आंशिक अनुवाद निरन्तर छपता जा रहा है।
हमने अपने विद्यार्थी जीवन में ही उपाध्याय जी के लेखों, ट्रैक्टों व पुस्तकों को सुरक्षित करने का यज्ञ आरम्भ कर दिया। योजनाबद्ध ढंग से उर्दू, अंग्रेजी में प्रकाशित लेखों पुस्तकों का अनुवाद अत्यन्त श्रद्धा-भक्ति से किया। एक ही विषय पर लिखे गये मौलिक लेखों व तर्कों का मिलान करके आवश्यक, ज्ञानवर्द्धक व पठनीय पाद टिप्पणयाँ देकर इस ग्रन्थ माला की गरिमा बढ़ाने के लिये बहुत लम्बे समय तक हमने श्रम किया। यह ज्ञान राशि पूज्य उपाध्याय जी के 65 वर्ष की सतत् साधना व तपस्या का फल है।
गंगा-ज्ञान सागर के प्रत्येक भाग को इस प्रकार से संग्रहीत व सम्पादित किया गया है कि प्रत्येकभाग अपने आप में एक ‘पूर्ण ग्रन्थ‘ है। हमारे सामने एक योजना थी कि प्रत्येक भाग में सब मूलभूत वैदिक सिद्धान्त आ जायें, यह इस ग्रन्थ माला की सबसे बड़ी विषेषता है। संगठन व इतिहास विषय में भी बहुत सामग्री दी है। बड़े-बड़े विद्वानों व युवा पीढ़ी द्वारा प्रशंसित इस ग्रन्थ माला में क्या नहीं है? बहुत सी सामग्री जो सर्वत्र लोप या अप्राप्य हो चुकी थी-हमने अपने भण्डार से निकाल कर साहित्य पिता का स्मरण करवा दिया है। इतनी सूक्तियाँ व वचन सुधा किसी ग्रन्थ माला में नहीं देखी होंगी। अजय जी को सहयोग करके आर्य जन धर्मलाभ प्राप्त करें। ऋषि ऋण चुका कर यश के भागीदार बनें। -प्रा. राजेन्द्र ‘जिज्ञासु‘SKU: n/a -
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Garud Puran-Saroddhar, 1416
यह ग्रन्थ अत्यन्त पवित्र तथा पुण्यदायक है। श्राद्ध और प्रेतकार्य के अवसरों पर विशेषरूप से इसके श्रवणका विधान है। इस ग्रन्थ में मूल संस्कृत श्लोकों के साथ उनका सरल हिन्दी-अनुवाद दिया गया है। यह कर्मकाण्डी ब्राह्मणों एवं सर्व सामान्य के लिये भी अत्यन्त उपयोगी तथा प्रामाणिक ग्रन्थ है।
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Gau Mata Vishv ki Prandata
इस पुस्तक को क्यों पढ़ें? – इस पुस्तक के लेखक अपनी विद्वत्ता व खोज के लिए विश्व प्रसिद्ध थे। संसार के सब महाद्वीपों में जहाँ-जहाँ गये वहाँ गऊ की महिमा पर व्याख्यान दिये और गऊ के बारे में गहन अनुसंधान भी करते रहे।
इस पुस्तक के विद्वान लेखक ने धर्म, दर्शन, विज्ञान, अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, चिकित्सा शास्त्र व कृषि विज्ञान आदि सब दृष्टियों से गो-पालन की उपयोगिता पर पठनीय प्रकाश डाला है।
लेखक कई भाषाओं के ऊँचे विद्वान थे। इस पुस्तक में पूर्व और पश्चिम के अनेक विद्वानों व पत्र-पत्रिकाओं को उद्धृत करके अपने विषय व पाठकों से पूरा न्याय किया है। पुस्तक में मौलिकता है, रोचकता है। पुस्तक विचारोत्तेजक है और प्रेरणप्रद शैली में लिखी गई है।
पुस्तक के अनुवादक व सम्पादक ने अपने सम्पादकीय में पाठकों को बहुत ठोस व खोजपूर्ण जानकारी दी है। यह पुस्तक सत्तर वर्ष पूर्व लिखी गई थी। पुराने आँकड़े अप्रासंगिक हो गए थे सो चार नये परिशिष्ठ देकर पाठकों को गो-विषयक नवीनतम अनुसंधान से लाभान्वित किया गया है।
पुस्तक गागर मंे सागर है। गो-पालकों व विचारकों के करोड़ों वर्षों के अनुभवों का इसमें निचोड़ मिलेगा।SKU: n/a