लेखक-द्वय मानोषी सिन्हा रावल एवं योगादित्य सिंह रावल की पुस्तक “सैफरन स्वोर्ड्स” भारत के इतिहास के उस काल-खंड के बावन वीरों एवं वीरांगनाओं की कथाएँ कहती है, जिन्होंने अपनी वीरता और अदम्य साहस से देश में घुसपैठी आक्रमणकारियों, सुल्तानों, नवाबों और फिर अंग्रेजों से लोहा लिया। ये वो काल-खंड था जब देश एक-के-बाद-एक आक्रान्ताओं का सामना कर रहा था और बाद में मुगलों ने, और फिर अंग्रेजों ने देश में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
किन्तु हम कितना जानते हैं इन वीरों एवं वीरांगनाओं के बारे में?
लगभग न के बराबर।
हमें पढ़ाया जाने वाला इतिहास इनके बारे में बिरले ही जानकारी देता है; और इससे एक अवधारणा बनी कि हम कमजोर थे, मजबूर थे और हम सदैव हारे।
किन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद ये कथाएँ जीवित रहीं–इतिहास के खोए हुए पन्नों में; ब्रिटिश-काल के सरकारी अभिलखों में; विदेशी लेखकों की कृतियों में; इस्लामी आक्रमणकारियों के साथ चलने वाले इतिहासकारों के वर्णनों में; शिलालेखों पर; लोक-कथाओं में; किम्वदन्तियों में; जन-कवियों की कविताओं में और आम जन के मानस पटल पर। हमने उन्हें खोजा ही नहीं; ये मान बैठे कि जो हमें पढ़ाया जाता है, बस उतना ही सत्य है।
इन्हीं विस्मृत कथाओं को कठिन एवं अथक परिश्रम कर के लेखकगण ने ढूँढ कर आप के सामने रखा है, ताकि हम अपने इतिहास को न सिर्फ जान सकें, वरन उस पर गर्व भी कर सकें।
इन बावन कथाओं में भारत के सभी हिस्सों-पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण; सभी जातियों; स्त्री, पुरुष; 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष से ऊपर के उन योद्धाओं की कहानियाँ हैं, जिन्होंने आक्रान्ताओं को कई बार नाकों-चने चबवाए; और जब समय आया तो अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए न्योछावर हो गए।
पढ़ें और जानें हमारे योद्धा पूर्वजों के बारे में ।
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