Nonfiction Books
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Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Great Immortals
The book is a sequel to the author’s earlier book ‘Vedic Philosophy and Religion’. This volume contains the life story of personalities who were themselves divine, and were born with a mission in life, which they successfully completed.
The author has tried to make a beautiful garland of the life of the Immortals. Some of them belong to religions other than Hinduism, but have contributed to the culture and civilization of the sub-continent. The spiritual history has been woven through the chronology of persons and events and presented in a graphic manner.SKU: n/a -
English Books, Voice of India, इतिहास
Growth of scheduled tribes and castes in medieval India
Opening a new vista, what this work is about is contrary to modern-day make-believe, there is no evidence to show that the lower classes suffered from the tyranny of the Hindu upper classes in the medieval period. The case being exactly opposite, throughout the medieval period, the lower castes fought shoulder to shoulder with the upper castes against the foreign invaders and tyrannical rulers. Present study is only a beginning in this direction, based for the most part on medieval Muslim chronicles.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Gumnaam Nayakon Ki Gauravshali Gathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Gumnaam Nayakon Ki Gauravshali Gathayen
यह पुस्तक भारतीय इतिहास की उन नींव के पत्थरों के बारे में है, जिनके योगदान को आज की पीढ़ी न के बराबर जानती है। उन गुमनाम नायकों में एक को भगतसिंह अपना गुरु मानते थे और उनकी फोटो हमेशा अपनी जेब में रखते थे और जो भगतसिंह से चार साल छोटी उम्र में ही फाँसी चढ़ गए थे। एक 18 साल की वह लड़की थी, जो बोर्ड टॉपर थी, उसने एक ऐसे क्लब पर धावा बोलकर अपनी जान दे दी, जिसके बाहर लिखा था—इंडियंस ऐंड डॉग्स आर नॉट एलाउड। एक ऐसा आदिवासी नायक, जिसने जल, जंगल और जमीन का नारा दिया था। एक ऐसा युवक, जिसने सबसे बड़े अंग्रेज अधिकारी का गला काट दिया, एक ऐसी विदेशी महिला, जिसने भारत का पहला झंडा डिजाइन किया, भारत की नंबर एक यूनिवर्सिटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस शुरू करने में टाटा की मदद की। सन् 1857 का एक ऐसा नायक, जो 80 साल का था, कई बार अंगे्रजों को हराया, लेकिन जिंदा नहीं पकड़ा गया। एक ऐसा नायक, जिसे भारत के टाइटेनिक कांड के लिए जाना जाता है।
प्रेरणा और दिशा देनेवाले अनजान-गुमनाम नायकों की ये गाथाएँ हमारे अतीत से हमें जोड़ेंगी और भविष्य के लिए हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Gumnaam Yoddha
“जब देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब यह आवश्यक हो जाता है कि जिनके कारण हम स्वाधीन हुए, हम उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करें, उन्हें स्मरण करें। भारत में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई एक अनूठी कथा का गठन करती है, जो हिंसा से प्रभावित नहीं होती है, बल्कि एक कथा जो वीरता, बहादुरी, सत्याग्रह, समर्पण और सर्वस्व बलिदान की विविध कहानियों से भरी है।
हमारे स्वतंत्रता संग्राम के भूले हुए नायकों को स्मरण करने का यह एक विनम्र प्रयास है, जिनमें से कई प्रसिद्ध हो सकते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के लिए प्रायः अज्ञात हैं | अतीत की धुँधली स्मृतियों के रूप में पड़ी कहानियों को फिर से रचने और सामने लाने का उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन का माध्यम बनेगा।
राष्ट्र पर अपना सर्वस्व बलिदान करनेवाले हुतात्माओं का पुण्य-स्मरण हर भारतीय का पुनीत कर्तव्य है-यह पुस्तक इन राष्ट्राभिमानियों के प्रति श्रद्धासुमन है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Gyan Darpan
व्यक्ति को अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व को जानने एवं विकास करने की विधि का ज्ञान हो – यही इस पुस्तक ‘ज्ञान दर्पण’ का मूल उद्देश्य है।
‘अस्तित्व’ अदृश्य होता है । यह आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ने एवं आध्यात्मिक महापुरुषों के विचारों को समझने से अनुभव में आता है।
‘व्यक्तित्व’ दृश्य होता है। इसके विकास हेतु अपने शरीर-मन- विचार एवं भावनाओं को निरंतर शुद्ध एवं परिष्कृत करना होता है, जिससे व्यक्ति तेजवान होता है तथा लंबी आयु प्राप्त करता है ।
व्यक्ति अपने अस्तित्व एवं व्यक्तित्व का चरम विकास कर समाज कल्याण हेतु बने, यही भावना इस पुस्तक का मूल उद्देश्य है।
समाज में आज धर्म के प्रति भ्रम की स्थिति बनी है, जिससे वैयक्तिक- सामाजिक गलतियों एवं बुराइयों का प्राचुर्य दृष्टिगोचर होता है । इस धर्म के प्रति भ्रम का निवारण- निराकरण करने हेतु ‘ज्ञान दर्पण’ का प्रकाश आलोकित करना इस पुस्तक का परम लक्ष्य हैI
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Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Gyanganj [PB]
ज्ञानगंज साधारण भौगोलिक स्थान नहीं है। यद्यपि यह गुप्त रूप से भूपृष्ठï पर विद्यमान है तथापि इसका वास्तविक स्वरूप काफी दूर है। भौम (भूमि-सम्बन्धी) ज्ञानगंज कैलास के आगे उध्र्व में स्थित है। फिर भी वह साधारण पर्यटकों की गति-विधि से अतीत है। यह सिद्धस्थान तिब्बतीय गुप्त योगियों की भाषा में ज्ञानगंज के नाम से प्रसिद्ध है। अनादिकाल से हिमालय का सम्पूर्ण क्षेत्र भारतीय सन्तों के लिए तपोभूमि रहा है। प्राचीनकाल के ऋषि-मुनि से लेकर आधुनिक काल के अनेक संत-योगी हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों में तपस्या करते रहे। इसी हिमालय में तिब्बत नामक एक रहस्यमय प्रदेश है। कविराजजी के कथनानुसार यहाँ अनेक ऐसे मठ और आश्रम हैं जिनके बारे में सभ्य जगत् को जानकारी नहीं है। वे सामान्य पर्यटकों के निकट अलक्ष्य रहते हैं। इन आश्रमों में योग के साथ-साथ विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। केवल उच्चकोटि के लोग इन मठों में प्रवेश पाते हैं। ज्ञानगंज के बारे में अनेक पाठकों को उत्सुकता है, उसकी निवृत्ति इस पुस्तक से अवश्य हो जायेगी। इस संकलन में कविराजजी के दो अलख्य लेख प्रकाशित किये जा रहे हैं जो सिद्धभूमि; तथा सिद्धों की भूमि तिब्बत के नाम से प्रकाशित हैं। दोनों ही लेख ज्ञानगंज की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं। अनुक्रम : ज्ञानगंज और श्री श्रीविशुद्धानन्द, ज्ञानगंज-रहस्य, देह और कर्म एवं ज्ञानगंज की सारकथा, ज्ञानगंज की पत्रावली, राम ठाकुर की कहानी और कौशिक आश्रम सहित ज्ञानगंज का विवरण, सिद्धभूमि, सिद्धों की भूमि तिब्बत। अनुक्रम ज्ञानगंज और श्री श्रीविशुद्धानन्द ज्ञानगंज-रहस्य देह और कर्म एवं ज्ञानगंज की सारकथा ज्ञानगंज की पत्रावली राम ठाकुर की कहानी और कौशिक आश्रम सहित ज्ञानगंज का विवरण सिद्धभूमि सिद्धों की भूमि तिब्बत
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Garuda Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Had Sardar Patel Been The First Prime Minister
Garuda Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रHad Sardar Patel Been The First Prime Minister
When a nation begins to pine for a person from its past, wishing he remained at the helm for longer, it indicates that the path taken by that nation is not the correct one. With Sardar Patel, especially vis-a-vis Nehru, the Indian nation still mourns the fact that the former did not become the first Prime Minister of India. This book, written by Justice (retd.) S N Aggarwal, author of “Nehru’s Himalayan Blunders”, establishes the real reasons why we still pine for Patel’s longer presence at the horizon of our national leadership. The book, quoting from authentic sources, also gives ample insight into the views and understanding of the affairs of the nation, which Sardar not only preached but also practiced. Usually, Sardar Patel, the “Iron Man” that he was, is lauded for his role in the unification of post-independent India. With Nehru botching up the only princely state he handled – namely, Jammu and Kashmir – Patel’s contribution in unifying more than 500 princely states in the Indian union becomes all the more laudable. However, this book goes beyond. “Had Sardar Patel been the first Prime Minister, the country would have been fully armed to defend herself, there could have been no danger from outside. By following the principles of patriotism, moral values and high character and discipline, there would have been no internal problem,” writes the author. And, like the case of Kashmir, in these matters too, Nehru’s conduct makes one wish all the more strongly that Sardar should have been the first Prime Minister of India.
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Hadoti ka Lal Kila : Nahargarh
हाड़ोती का लाल किला : नाहरगढ़ : प्रस्तुत पुस्तक में नाहरगढ़ का भौगोलिक वर्णन, नाहरगढ़ के बोलते शिलालेख, खींचीवाड़ा, नाहरगढ़ क्षेत्र से संबंधित राजवंश, समकालीन भारत का इतिहास, नाहरगढ़ क्षेत्र का प्राचीन इतिहास, किले के निर्माण की आवश्यकता, परकोटे के बारे में, किले का निर्माण, तालाब व शाहीबाग, नवाब को मौत के घाट उतारना, किले के अंदर बनी इमारतें, नाहरगढ़ की अन्य इमारतें, नाहरगढ़ की लड़ाई, माँ आशापाला व धार्मिक स्थल, कोटा राज्य और नाहरगढ़, नाहरगढ़ में पंचायती राज, प्रसिद्ध तीर्थस्थल कपिलधारा एवं आसलगढ़, आस-पास के दर्शनीय स्थल अदि से सम्बंधित जानकारियां प्रस्तुत की गई है।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hadoti va Tonk ke Muslim Smarak
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिHadoti va Tonk ke Muslim Smarak
प्रस्तुत पुस्तक “हाड़ौती व टोंक के मुस्लिम स्मारक” राजस्थान के ऐतिहासिक स्मारकों की स्थापत्य शैली एवं इतिहास में एक नवीन अध्याय जोड़ने का अभिनव प्रयास है।
प्रस्तुत सचित्र संदर्भयुक्त ग्रन्थ हाड़ौती एवं टोंक के मुस्लिम स्मारकों पर केंद्रित है, जिनमें प्रत्येक स्मारक से जुड़ी मौलिक जानकारियों का समावेश किया गया है। राजस्थान के दक्षिण पूर्वी हाड़ौती क्षेत्र की तीन रियासतों कोटा, बूंदी एवं झालावाड़ व राजस्थान की एकमात्र पठान रियासत टोंक विभिन्न कालखंडों में निर्मित मस्जिदों, मकबरों, दरगाहों, खानकाहों, कुओं व बावड़ियों के स्थापत्य से अत्यंत समृद्ध हैं।
विभिन्न कालखंडों में निर्मित इन स्मारकों के निर्माण में सल्तनतकाल व मुगलकाल की मुस्लिम स्थापत्य शैलियों के स्थानीय राजपूत व आधुनिक काल की ब्रिटिश स्थापत्य शैलियों के मिश्रण से जन्मी अनोखी स्थापत्य शैली की विशिष्टता एवं ऐतिहासिकता को उजागर करने का महत्त्वपूर्ण प्रयास है यह कृति।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Haivaniyat Ka Senapati
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Haivaniyat Ka Senapati
हैवानियत का सेनापति
इस संसार में उपयोग करने हेतु वस्तुओं की कमी नहीं है, अगर वो समानता से सभी को प्राप्त हो। भोजन, पानी, जिंदगी की तमाम आवश्यक लगने वाली वस्तुओं से भी महत्त्वपूर्ण है। जब जन्म होता है तब से मनुष्य आनंद को तरसता है वो संसार में आनंद को खोजता है वो ज्यादा एकत्रित करने की चेष्टा में दूसरों को हानि पहुँचाता है। फिर जन्म होता है लालच, घमंड और जल का, जिन्हें नुकसान होता है वो बदले की प्रतीक्षा करते हैं। शैतान का जन्म यहीं से होता है। इच्छापूर्ति होने पर मानव मन शांत नहीं बैठता, वो नई इच्छाएँ बनाता है और पूरा न होने पर आपा खो बैठता है। Haivaniyat Ka Senapati
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Hindi Books, Hindu Janajagruti Samiti, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Halal Jihad (PB)
Hindi Books, Hindu Janajagruti Samiti, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Halal Jihad (PB)
हलाल जिहाद ? (भारतीय अर्थव्यवस्थापर नया आक्रमण ?)
शरीयत आधारित ‘इस्लामिक बैंक’का अनेक देशोंने विरोध किया; परन्तु ग्राहक अधिकारोंके कारण तथा कट्टर धर्मपालनके आग्रहवश ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ आज फलती-फूलती दिखाई दे रही है । मुसलमान प्रत्येक पदार्थ और वस्तु इस्लाम अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ हो, इसकी मांग कर रहे हैं । इसके लिए ‘हलाल सर्टिफिकेट’ अनिवार्य हो गया ।
‘सेक्युलर’ भारतमें ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (FSSAI) जैसी सरकारी व्यवस्था होते हुए भी ‘हलाल सर्टिफिकेट’ देनेवाली इस्लामी संस्थाओंकी क्या आवश्यकता है ?
इस पृष्ठभूमिपर यह ग्रन्थ किसी समाजकी धार्मिक श्रद्धाके विषयमें अथवा उनके धार्मिक अधिकारोंके विषयमें प्रश्न करनेके लिए अथवा उनका अपमान करनेके लिए नहीं; अपितु भारतके १०० करोड हिन्दू ग्राहकोंके अधिकारोंका सम्मान करनेके लिए, उन्हें उनके ग्राहक अधिकारों का भान दिलानेके लिए तथा राष्ट्रके सामने आसन्न एक संकटकी जानकारी देनेके लिए संकलित किया गया है !
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Haldighati ka Yuddh aur Maharana Pratap
हल्दीघाटी का युद्ध और महाराणा प्रताप : उनके पुरखे जलजला ला देने वाली ताकत के मालिक थे और वे आठ सौ सालों से तलवार चला रहे थे। उनकी सेनाओं ने बगदाद और खुरासान से चलकर, हिन्दूकुश पर्वत पार कर लिया था और अब वे गंगा-जमुना के मैदानों पर राज कर रहे थे, किंतु गुहिलों का अरावली पहाड़ अब तक उनकी पहुंच से बाहर था। खुरासान से आया बादशाह अकबर, अरावली के गर्वित मस्तक को झुकाने के लिये कृतसंकल्प था। आठ सौ सालों से खुरासानियों से मोर्चा ले रहे गुहिल भी तैयार थे। हल्दीघाटी में एक अवसर था जब, गुहिल इस लड़ाई को उसके अंतिम परिणाम तक पहुंचा देते, किंतु स्थितियां तब विषम हो गई, जब सदियों से गुहिलों के अधीन रहकर देश के शत्रुओं से लड़ते आ रहे उत्तर भारत के क्षत्रिय राजाओं ने अकबर की चाकरी स्वीकार कर ली। वे भी अकबर की सहायता के लिए महाराणा प्रताप के विरुद्ध अपनी तलवारें ले आए थे। महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी। वह लड़ा और तब तक लड़ता रहा जब तक उसने अकबर से मेवाड़ का चप्पा-चप्पा नहीं छीन लिया। पढ़िये रोंगटे खड़े करने वाले इस युद्ध का इतिहास, आधुनिक समय के सबसे चर्चित इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता की लेखनी से।
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Hindi Books, Vitasta Publishing, इतिहास
HAMARA SAMVIDHAN EK PARICHAY
भारत का संविधान प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए संविधान का पालन करने और उसके आदर्शों, संस्थाओं और राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गान का सम्मान करने को प्रत्येक नागरिक का पहला और सर्वोच्च मौलिक कर्तव्य बनाता है। ऐसा करने के लिए सबसे पहले हमें अपने संविधान से यह जानना ज़रूरी है कि हम किस प्रकार शासित होते हैं, एक नागरिक के रूप में हमारे लोकतांत्रिक अधिकार व कर्तव्य क्या हैं, आदि। हमारे विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के बीच एक लक्ष्य होना चाहिए कि अंतर्गत वे अपने संविधान में रुचि लेते हुए उसके बारे में अधिक से अधिक जानें। यह पुस्तिका बहुत ही सरल और सहज भाषा में, विश्व के सबसे बड़े संविधान और उसकी कार्यप्रणाली को बहुत ही संक्षिप्त रूप में समझाने का प्रयास है। साथ ही, यह संविधान से जुड़ी बहुत सी प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास भी करती है। .
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Hamare Balasahab Devras
बालासाहब देवरसजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक थे। उनका जीवन अत्यंत सरल था तथा वे मिलनसार प्रवृत्ति के थे, परंतु प्रसिद्धि से कोसों दूर रहने के साथ-साथ वे कुशल संगठक और दूरदृष्टा थे। बालासाहबजी के जीवन को समझने हेतु पाठकों के लिए इस पुस्तक में बाबू राव चौथाई वालेजी का संस्मरण उल्लेखनीय है। पुणे में चलनेवाली बसंत व्याख्यानमाला में हुए बालासाहबजी के ऐतिहासिक भाषण ने इस बात को प्रमाणित किया कि वे सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था, ‘‘यदि छुआछूत पाप नहीं है तो इस संसार में कुछ भी पाप नहीं है। वर्तमान दलित समुदाय जो अभी भी हिंदू है, जिन्होंने जाति से बाहर होना स्वीकार किया, किंतु विदेशी शासकों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन स्वीकार नहीं किया।’’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर शासन द्वारा लगाए गए तीनों प्रतिबंधों (वर्ष 1948, 1975 और 1992) के बालासाहबजी साक्षी रहे थे। उनके कार्यकाल में ही देश के अंदर कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटित हुईं—ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ, पंजाब की समस्या, आरक्षण विवाद, शाहबानो प्रकरण, अयोध्या आंदोलन चला इत्यादि।
ऐतिहासिक पुरुष बालासाहब देवरसजी के प्रेरणाप्रद जीवन का दिग्दर्शन कराती पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Hamare Path Pradarshak (PB)
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Hamare Path Pradarshak (PB)
मैं क्या हूँ और क्या बन सकता हूँ? वे कौन लोग थे जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपना-अपना विशिष्ट योगदान देकर मानव जाति की उत्कृष्ट सेवा की? कैसे मैं इस मायावी संसार में दिग्भ्रमित हुए बिना अग्रसर हो सकता हूँ? कैसे मैं दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव पर काबू पा सकता हूँ?
ऐसे अनेक प्रश्न छात्र तथा विभिन्न व्यवसायों से जुड़ी युवाशक्ति भारत के दूरदर्शी राष्ट्रपति से उनकी यात्राओं में अकसर पूछते हैं। राष्ट्रपति डॉ. कलाम की यह नवीनतम कृति ‘हमारे पथ-प्रदर्शक’ इन सभी प्रश्नों का उत्तर बखूबी देती है।
छात्रों एवं युवाओं हेतु प्रेरणा की स्रोत महान् विभूतियों के कृतित्व का भावपूर्ण वर्णन। कैसे वे महान् बने और वे कौन से कारक एवं तथ्य थे जिन्होंने उन्हें महान् बनाया।
अभी तक पाठकों को राष्ट्रपति डॉ. कलाम के वैज्ञानिक स्वरूप एवं प्रगतिशील चिंतन की ही जानकारी रही है, जो उनके महान् व्यक्तित्व का एक पक्ष रहा है। उनके व्यक्तित्व का दूसरा प्रबल पक्ष उनका आध्यात्मिक चिंतन है। प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. कलाम की आध्यात्मिक चिंतन-प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन है। यह पुस्तक प्रत्येक भारतीय को प्रेरित कर मानवता का मार्ग प्रशस्त करेगी, ऐसा विश्वास है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Hamari Gaurav Gathayen
सुविख्यात साहित्यकार श्री मदनगोपाल सिंहल एक सिद्धहस्त एवं कर्मठ व्यक्ति हैं। उन्होंने समाज को अपनी अनेकों प्रसिद्ध पुस्तकों के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा दी है। मुझे श्री सिंहलजी की नवीनतम कृति ‘हमारी गौरव गाथाएँ’ देखने का अवसर मिला। मैं रुग्ण हूँ तथा अस्वस्थ होने के कारण मुझ पर अधिक पढ़ने पर भी प्रतिबंध है, किंतु जब मैंने ‘हमारी गौरव गाथाएँ’ पुस्तक की स्वर्णिम गाथाओं को पढ़ना प्रारंभ किया तो बीच में न छोड़ सका।
भारत के इतिहास की एक-एक पंक्ति में हमारा स्वर्णिम अतीत छिपा हुआ है। हमारे इतिहास में समस्त विश्व को प्रेरणा देने की महान् सामर्थ्य विद्यमान है। जगद्गुरु भारत से ही समस्त विश्व के कोने-कोने में ज्ञान, बलिदान एवं शौर्य की ज्योतिर्मय किरणें पहुँच पाई हैं। श्री सिंहलजी ने भारत के इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों की कुछ गाथाओं को इस पुस्तक में सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।
1857 वीरांगना लक्ष्मीबाई, क्रांतिकारी बालक एवं ‘हिंदू एशिया’ जैसी महान् पुस्तकों के रचयिता श्री सिंहलजी की यह नवीन कृति भी आदर पाने योग्य है। अपनी सभ्यता-संस्कृति की उपेक्षा करके पाश्चात्य-संस्कृति पर गर्व करनेवाले तथाकथित भारतीयों को यह गाथाएँ प्रेरणा प्रदान करेंगी, ऐसी मुझे पूर्ण आशा है।SKU: n/a -
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Hindi Sahitya Sadan, अन्य कथेतर साहित्य
Happiness and the Art of Being
Happiness is our true nature, our essential being. The transient happiness that we seem to derive from external experiences actually arises only from within ourself, and is experienced by us due to the temporary calming of our mind that occurs whenever any of our desires are fulfilled. So long as our mind is extroverted, attending to anything other than our own essential self-conscious being, we can never experience perfect, permanent and unqualified happiness. To experience true and eternal happiness, we must attain the experience of true self-knowledge – that is, absolutely clear consciousness of our own essential being, ‘I am’. Such is the truth revealed by Bhagavan Sri Ramana.
The philosophy of Sri Ramana derives solely from his experience of true, absolute, non-dual self-knowledge, an experience that transcends all thought, both rational and irrational. However, since we imagine the existence of duality, multiplicity and relativity, we seem to lack the non-dual and absolute knowledge of our own essential self-conscious being that Sri Ramana experienced as his natural state. Therefore he presented his philosophy to us in terms of a rational and logical analysis of our present experience of ourself as a finite individual consciousness, in order to enable us to be firmly convinced of the absolute reality that underlies and supports this finite consciousness that we now mistake to be ourself.
However, the spiritual teachings of Sri Ramana are not only a rational philosophy, but are also a precise science and art. He intended his philosophy to serve only as the theoretical foundation upon which we should practise the empirical science of self-investigation (atma-vicara), which is the art of keenly self-attentive and therefore perfectly thought-free being.
This book, Happiness and the Art of Being, is an in-depth exploration of both the philosophy and the practice of the spiritual teachings of Bhagavan Sri Ramana. Though it is intended primarily to be an introduction to his teachings, it is not a brief one, because in a clear and simple manner it provides a very detailed and deep insight into their core. Therefore though it has been written with the intention that it should be easily understood even by readers who have no previous acquaintance with any form of spiritual philosophy, it should also be useful to readers who already have a good understanding of his teachings.
Like the aim of his teachings, the aim of this book is to prompt each one of us to think more deeply about the reality of all that we as a seemingly limited individual consciousness experience and know, to help us to understand that the only absolute reality in our entire experience of duality and relativity is our fundamental consciousness of our own essential being, ‘I am’, and thereby to reinforce our love and effort to attend keenly and exclusively to this essential self-consciousness ‘I am’ in order to discover its true nature.
The author of this book, Michael James, spent more than eight years studying the original Tamil writings of Sri Ramana and of his foremost disciple, Sri Muruganar, in minute detail under the clear guidance of another close disciple, Sri Sadhu Om. Therefore the central focus of this book is on the teachings of Sri Ramana as expressed in his own original writings, and hence it contains accurate and carefully worded translations by the author of the whole of Sri Ramana’s prose treatise Nan Yar? (Who am I?) and of most of the verses of his philosophical poems such as Upadesa Undiyar, Ulladu Narpadu, Ekatma Pancakam, Anma-Viddai and Upadesa Tanippakkal.SKU: n/a