Fiction Books
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Titli
जयशंकर प्रसाद बहुआयामी रचनाकार थे। कवि, नाटककार, कहानीकार होने के साथ-साथ वह उच्चकोटि के उपन्यासकार भी थे। जयशंकर प्रसाद और मुंशी प्रेमचंद समकालीन लेखक थे लेकिन दोनों के लेखन की अलग-अलग धाराएँ थीं। जहाँ प्रेमचंद की अधिकांश रचनाएँ उस समय के यथार्थवाद को उजागर करती हैं वहीं जयशंकर प्रसाद का लेखन आदर्शवादी है जिसमें भारतीय संस्कृति, इतिहास और प्राचीन गौरव-गाथाओं की झलक मिलती है। जयशंकर प्रसाद ने मात्र दो उपन्यास लिखे-कंकाल और तितली। तीसरा उपन्यास इरावती उनके निधन के कारण अधूरा रह गया। थ्ततली कृषि और ग्रामीण जीवन को केन्द्र में रखकर एक नारी की कहानी है। जो भारतीय दृष्टि और कृषि सभ्यता की पहचान करवाती है। इसमें वर्णित नारी की छवि है एक आदर्श प्रेमिका और आदर्श पत्नी की। वह कैसे अपने दांपत्य जीवन और प्रेम की पुकार के बीच अपना रास्ता चुनती है, इस द्वंद्व का दिल छू लेने वाला चित्रण इस उपन्यास में है।
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Prabhat Prakashan, उपन्यास
Tute Kaante
नूरबाई ने अपनी हँसी को समेटा । गरदन ने जरा-सी लचक खाई । बालों की एक काली लट गोरे गालों को छूकर कान के पास पहुँच गई । नूरबाई की बड़ी-बड़ी मद- भरी आँखें एक बार पूरी खुलीं, बरौनियों ने भौंहों का स्पर्श किया और फिर नीची पड़ गईं । वह मोहन को तिरछी चितवन देखने लगी । होंठों पर नुकीली मुसकान थी ।
एक क्षण बाद उसने कहा, ‘मैंने सब पा लिया, सब । और आँचल बाँधकर गाँठ लगा ली ।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, कहानियां
Udaan
सच्ची घटनाओं पर आधारित 1857 के पहले स्वतंत्रता-संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास इतिहास के शिकंजे में जकड़े प्रेम-भरे दिल की एक दास्तान है। रूथ एक अंग्रेज़ लड़की है जो अपने माता-पिता के साथ शाहजहांपुर में रहती है। चर्च में आते-जाते रूथ एक पठान नवाब जावेद खान के मन को भा जाती है। विद्रोहियों और अंग्रेज़ी फौजियों के बीच छिड़ी लड़ाई से बचने के लिए रूथ और उसकी मां को जावेद खान के पास पनाह लेनी पड़ती है। क्या जावेद खान रूथ को अपना बना पाता है? रूथ के मन में जावेद खान के प्रति घृणा और क्रोध क्या प्यार में बदल जाता है? दिल की इन्हीं सब परतों में छिपी भावनाओं को एक मार्मिक कहानी में बदल दिया है रस्किन बान्ड की कलम ने, जिस पर श्याम बेनेगल ने 1979 में ‘जुनून’ फिल्म भी बनाई थी। ‘‘रस्किन बान्ड का यह उपन्यास अति पठनीय…आखिरी पन्ना पलटते हुए अफसोस होता है कि उपन्यास खत्म हो गया…दिल को छू लेने वाली कहानी बहुत देर तक याद रहती है।’’-संडे ट्रिब्यून ‘‘1857 की आज़ादी की लड़ाई पर आधारित यदि आप कोई उपन्यास खोज रहे हैं तो रस्किन बाॅन्ड का यह उपन्यास सबसे बेहतर है।’’-हिन्दुस्तान टाइम्स
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Amar Chitra Katha, English Books, इतिहास, बाल साहित्य
Uncle Pais Favourite 50 (Amar Chitra Katha – English)
-10%Amar Chitra Katha, English Books, इतिहास, बाल साहित्यUncle Pais Favourite 50 (Amar Chitra Katha – English)
Amar Chitra Katha was started fifty years ago with the aim to educate Indian children about our country’s glorious heritage. Today, Amar Chitra Katha has grown to become synonymous with Indian mythology and history, revered by millions of people who consider Amar Chitra Katha classics to be an essential part of their childhood. This wouldn’t have been possible if it wasn’t for the vision of our dear founder, Anant Pai. To honour our beloved Uncle Pai, here is an ultimate collection of his favourite books of Amar Chitra Katha, handpicked by him.
The collection comprises genres panning from mythology to visionaries and history to classics. Revisit the tales of India’s unsung heroes, mythological legends, India’s oldest monuments, the best Indian classics.
Comics help kids learn stories faster and remember them longer. Uncle Pai had selected these as his favourite books because these embody Amar Chitra Katha’s iconic style perfectly, combining one-of-a-kind artwork with easy-to-follow language, making it accessible for everyone. Some of the stories have been written by Uncle Pai himself. Celebrate the father of Indian comics and cherish the stories he wrote and loved.
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Gita Press, Hindi Books, कहानियां
Upyogi Kahaniya 0137
कहानियाँ मनुष्य-जीवन में प्रेरणास्रोत का कार्य करती हैं। इस पुस्तक में भला आदमी, सच्चा लकड़हारा, दया का फल, मित्र की सलाह, अतिथि-सत्कार आदि 36 प्रेरक कहानियों का अनुपम संग्रह है। सरल तथा रोचक भाषा में संगृहीत ये कहानियाँ बालकोंके जीवन-निर्माण में विशेष सहायक हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Uska Apna Aakash
उड़िया की प्रतिष्ठित लेखिका तथा अपने उपन्यास ‘द्रौपदी’ पर मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय का रचना-फलक बहुत बड़ा है और वह अपने लेखन के ज़रिये बहुत बड़े पाठक समूह तक अपनी पहुँच बनाती हैं। उनकी कहानियां पुस्तकों के अलावा फिल्म के माध्यम से भी लोगों तक पहुँचती हैं और सराही गयी हैं। ‘उसका अपना आकाश’ इसी क्रम में उनका अपने ही ढंग का उपन्यास है, जिसमें एक स्वस्थ, उल्लास भरा बचपन जी कर एक लड़की असाध्य रूप से अपंग हो जाती है, फिर भी जब तक वह जीती है, उसके जीने के अपने अर्थ हैं। उसके जीने में बहुत से लोगों का सुख-दुःख शामिल है और असमय मृत्यु को पाकर भी वह जैसे भरपूर जीवन जी गयी है। अपने कथ्य, भाषा और शिल्प के कारण यह उपन्यास अपने पाठकों को प्रभावित करेगा।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Vaishali Ki Nagarvadhu (PB) | वैशाली की नगरवधू
‘वैशाली की नगरवधू’ एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: “मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।” ‘वैशाली की नगरवधू’ में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Vaishali Ki Nagarvadhu | वैशाली की नगरवधू
‘वैशाली की नगरवधू’ एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: “मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।” ‘वैशाली की नगरवधू’ में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य, कहानियां
Varunputri
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से नवाज़े गये नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद रचित हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पुराणों पर आधारित अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। नरेन्द्र कोहली ने अपनी चिरपरिचित छवि से हटकर वरुणपुत्री की रचना की है। इसमें पौराणिक कथाएँ, इतिहास, समकालीन घटनाएँ, कल्पित विज्ञान-कथा और फ़ैंटेसी का एक अद्भुत ताना-बाना रचा है। इसकी कथा वस्तु का फ़लक इतना व्यापक है कि इसमें उन्होंने धरती के सभी देशों के अतिरिक्त अन्य ग्रहों और आकाश गंगा को भी सम्मिलित किया है। राजनीति, पर्यावरण सुरक्षा, विश्व-शांति को समेटे हुए यह कथा समय और भूगोल की सारी सीमाओं को लाँघती ही चली जाती है और पाठक आनन्द और विस्मय भरी इस रचना में डुबकी के बाद डुबकी लगाता रहता है। तोड़ो कारा तोड़ो, वासुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, अभिज्ञान और आतंक उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
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Literature & Fiction, Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Vayam Raksham | वयं रक्षामः
“इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।… उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है…”
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Vani Prakashan, उपन्यास, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ve andhere din
‘अंधेरे वे दिन….’ तसलीमा के उन अँधेरे दिनों की कथा बयान करते हैं जब उन्हें दीर्घ दो महीने, घुप्प अँधियारे में आत्मगोपन करके रहना पड़ा, वह भी अपने देश में। यह उपन्यास मूलतः तथ्यपरक हैं। बांग्लादेश में प्रकाशित ‘आजकेर कागज’ ‘भोरेर कागज’ ‘इत्तफाक’ संवाद’ ‘बांग्ला बाजार’ ‘इन्क़लाब’ ‘दिनकाल’ ‘संग्राम’ वगैरह दैनिक अखबारों से उन दिनों की ख़बरों से ली गई हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Ve Awara Din
रस्टी एक 16 वर्षीय एंग्लो-इंडियन लड़का है जो देहरादून में अपने अंग्रेज़ रिश्तेदारों के साथ रहता है। विद्रोही, मनमौजी, घुमक्कड़ और हमेशा नई जगहों की खोजबीन करने के लिए उतावला रस्टी अपने घर से भाग जाता है। रास्ते में मिलता है किशन और दोनों मिलकर अनजाने रास्तों और मंज़िलों की ओर चल पड़ते हैं। चलते-चलते नए दोस्त और नए जोखिम भी मिलते हैं जो उन्हें ज़िंदगी की जटिल और उलझी सच्चाइयों को समझने में मददगार साबित होते हैं लेकिन इससे भी उनके आज़ाद और आवारा मन की गति नहीं थमती। रस्किन बान्ड के क्लासिक उपन्यास ‘रूम ऑन द रूफ’ को आगे बढ़ाती हुई शरारती, साहसी और जोखिमभरे कारनामे करनेवाले रस्टी और उसके दोस्त किशन की मन को गुदगुदाने वाली कहानी है-वे आवारा दिन। 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित रस्किन बान्ड भारत के एक बहुत ही लोकप्रिय लेखक हैं।
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Vani Prakashan, उपन्यास
Ve Din
इतिहास निर्मल वर्मा के कथा-शिल्प में उसी तरह मौजूद रहता है, जैसे हमारे जीवन में- लगातार मौजूद लेकिन अदृश्य। उससे हमारे दुख और सुख तय होते हैं, वैसे ही जैसे उनके कथा-पात्रों के। कहानी का विस्तार उसमें बस यह करता है कि इतिहास के उन मूक और भीड़ में अनचीन्हे ‘विषयों’ को एक आलोक-वृत्त से घेरकर नुमायाँ कर देता है, ताकि वे दिखने लगें, ताकि उनकी पीड़ा की सूचना एक जवाबी सन्देश की तरह इतिहास और उसकी नियन्ता शक्तियों तक पहुँच सके। इस उपन्यास के पात्र, निर्मल जी के अन्य कथा-चरित्रों की तरह सबसे पहले व्यक्ति हैं, लेकिन मनुष्य के तौर पर वे कहीं भी कम नहीं हैं, बल्कि बढ़कर हैं, किसी भी मानवीय समाज के लिए उनकी मौजूदगी अपेक्षित मानी जाएगी। उनकी पीड़ा और उस पीड़ा को पहचानने, अंगीकार करने की उनकी इच्छा और क्षमता उन्हें हमारे मौजूदा असहिष्णु समाज के लिए मूल्यवान बनाती है। वह चाहे रायना हो, इंदी हो, फ्रांज हो या मारिया, उनमें से कोई भी अपने दुख का हिसाब हर किसी से नहीं माँगता फिरता। चेकोस्लोवाकिया की बर्फ़-भरी सड़कों पर अपने लगभग अपरिभाषित प्रेम के साथ घूमते हुए ये पात्र जब पन्नों पर उद्घाटित होते हैं, तो हमें एक टीसती हुई-सी सान्त्वना प्राप्त होती है, कि मनुष्य होने का जोख़िम लेने के दिन अभी आ चुक नहीं गये।
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