Prabhat Prakashan
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Sunderkand
संवत् 1631 में तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। दो वर्ष, सात महीने और छब्बीस दिन में यह अद्भुत ग्रंथ संपन्न हुआ। सुंदरकांड मूलतः गोस्वामी तुलसीदास कृत इसी श्रीरामचरित मानस का एक भाग है। सुंदरकांड में हनुमानजी द्वारा किए गए महान् कार्यों का वर्णन है। मानस पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्त्व माना जाता है। सुंदरकांड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन कर लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। साथ ही उनकी असीम शक्ति, बुद्धि-कौशल और अनन्य भक्ति का पता चलता है। सुंदरकांड का पारायण वाले साधक को असीम ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त होती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Suno Maa (PB)
भारतीय रेल का एक कर्मचारी, जिसने केवल इसलिए सप्ताह में चार भारतीय रेल को कुर तक की यात्रा का गान किया, क्योकि इस यात्रा के बीच एक स्टेशन ऐसा आता है, जहाँ पर उसकी माँ रहती है। वहीं पर उसकी माँ अपने हाथों से बने खाने के साथ अपने बेटे की प्रतीक्षा करती है और बेटा भी अपनी माँ का चेहरा देखने के लिए लालायित रहता है।
इस धरती पर माता का प्यार दैवीय प्रेम का सबसे निकटतम रूप होता है। हमारी माता जीवन की पहली शिक्षक होती है, वही हमें जीवन जीना सिखाती है। उसका लाड़-प्यार हमारे भीतर साहस और आत्मविश्वास के उस तत्त्व की रचना करता है, जो जीवनपर्यंत कठिन चुनौतियों का सामना करने हेतु आवश्यक होता है। वह जीवन की सबसे पहली और सच्ची दोस्त होती है। उसका घर, परिवार और रसोईघर, वह जगह होती है, जहाँ पर जाकर हम तरोताजगी और नव ऊर्जा का अनुभव करते हैं। एक माँ का प्यार उसकी संतान को जीवन भर उस स्थिति में भी सँभाले रखता है, जब माँ इस दुनिया से विदा हो जाती है।
सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ माँ ऐसी भी होती हैं, जो अपने ही बच्चे के साथ छल करती हैं। इस पुस्तक में एक छोटी सी लड़की लिली दिल तोड़ने वाली अपनी दुःखद कहानी सुनाती है। इस कहानी में शिकार लड़की गुलामों का व्यापार करनेवालों के चंगुल में फँस चुकी है और हमें किसी भी तरह से उसे वहाँ से मुक्त करवाना है।
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध – यह नाम चार साल की एक लड़की के नाम पर रखा गया है। लिली को पचास डॉलर के लिए एक दलाल को बेच दिया गया था और उस दलाल ने उसे आगे सौ डॉलर के लिए एक वेश्यालय में बेच दिया। यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि कितनी आसानी से एक बच्ची का सौदा कर दिया गया। आप मात्र कल्पना करें कि एक बच्ची की नीलामी मवेशियों की तरह की गई। कल्पना करें कि एक बच्ची को दूसरे देश में अवैध तरीके से भेजा गया, जहाँ पर आप मात्र एक कैदी हों। कल्पना करें कि एक बच्चे की अपनी माँ उसे चार साल की छोटी सी अवस्था में बेच दे । यह सब लिली के साथ घटित हुआ । लिली एक आश्रय गृह में बड़ी हुई और उसके जीवन का उद्देश्य माँओं को अपने बच्चों से प्यार करना सिखाना है। क्योंकि मेरी माँ मुझसे प्यार नहीं करती, अन्यथा वह मुझे कभी नहीं बेचती – उसका यह कथन ही इस पुस्तक का प्रेरणास्त्रोत है।
लिली के माध्यम से हम इस समस्या की जड़ से निपटने और मानव तस्करी को रोकने के प्रयास शिक्षा व रोजगार की अपनी पहल के मजबूत भाग के साथ करते हैं। हमने भारत, नेपाल और यू.के. के संगठनों के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया है। लिली के समर्थन प्राप्त प्रोजेक्ट्स की तसवीरें विपुल संगोई द्वारा उपलब्ध करवाई गईं। ये हमारे क्रिया-कलापों की व्यापक रेंज, जो मुफ्त स्कूलों से लेकर संगीत और नृत्य सिखाने वाली कक्षाओं, रोजगारपरक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण तक विस्तृत हैं, को दरशाती हैं। लिली कमेटी स्वेच्छा से काम करती है। हमारे काम ने 3,00,000 जिंदगियों को स्पर्श किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी का व्यवसाय वार्षिक स्तर पर 100 बिलियन डॉलर का अनुमानित है और इसमें निरंतर विस्तार हो रहा है। यह किसी के भी साथ, किसी भी समय हो सकता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Super 30 Anand Ki Sangharsh-Gatha
पटना में एक निम्न मध्यम परिवार में जनमे आनंद कुमार को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उनकी ‘सुपर 30’ नाम की संस्था गरीब बच्चों को आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाती है। ‘सुपर 30’ की स्थापना वर्ष 2002 में हुई और अब तक 390 में से 333 विद्यार्थी आई.आई.टी. की प्रवेश परीक्षा में सफल रहे। चाहे दिहाड़ी मजदूर का बेटा हो या फिर ऑटो ड्राइवर की बच्ची, बिजली मिस्त्री का बेटा हो या फिर फेरी लगानेवाले की बेटी, निर्धन-से-निर्धन परिवार के विद्यार्थियों को भी आई.आई.टी. में प्रवेश दिलाने का श्रेय आनंद कुमार को जाता है।
‘सुपर 30’ के विद्यार्थियों को वे अपने साथ रखते हैं और वे उनसे कोई फीस नहीं लेते बल्कि उनके रहने-खाने का खर्च भी खुद ही वहन करते हैं। आनंद कुमार ‘सुपर 30’ के लिए कोई भी सरकारी एवं गैर सरकारी वित्तीय मदद नहीं लेते। अब तक देश-विदेश के बड़े-से-बड़े उद्योगपतियों ने उन्हें आर्थिक मदद की बात कही, लेकिन उन्होंने आदरपूर्वक मना कर दिया।
उन्हें अनेक देशी-विदेशी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन्होंने एम.आई.टी., हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, टोकियो, ब्रिटिश कोलंबिया जैसे कई बड़े विश्वविद्यालयों के अलावा देश-विदेश के बड़े संस्थानों में व्याख्यान दिए हैं। उन पर अनेक वृत्तचित्र और फिल्में बनाई गई हैं। बावजूद इसके अहंकार आनंद को छू भी नहीं पाया है। जीवन के आरंभ से ही चुनौतियों से जूझनेवाले आनंद कुमार आज भी स्वयं आगे बढ़कर चुनौतियों को चुनते हैं और अपनी जिजीविषा, अदम्य इच्छाशक्ति और सादगी के बल पर उन्हें पार भी कर लेते हैं। अभी हाल में ही ‘क्वीन’ फेम फिल्म निर्देशक विकास बहल ने उनके जीवन पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)
Supreme Court Mein Ramlala(PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)Supreme Court Mein Ramlala(PB)
इस पुस्तक में अयोध्या विवाद की सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के हर बारीक-से-बारीक पहलुओं का वर्णन किया गया है। 40 दिन की सुनवाई में किस दिन किस पक्षकार ने क्या दलीलें दीं? उनके क्या जवाब दिए गए और कोर्ट के किस-किस जज ने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की? अयोध्या विवाद की 40 दिन की सुनवाई में अखबारों की सुर्खियाँ केवल गिनी-चुनी कोर्ट की टिप्पणियाँ और दलीलें ही बनी थीं, जबकि कोर्ट की सुनवाई में उनसे इतर भी बहुत कुछ घटित हुआ था। अखबारों व टी.वी. चैनलों की खबरों में इन जानकारियों का अभाव रहता है कि दिन भर चली सुनवाई में खास टिप्पणियों के अलावा क्या कुछ हुआ। बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद की दिन भर की सुनवाई में पूरे दिन क्या-क्या हुआ? इनके जवाब आपको इस पुस्तक के माध्यम से मिलेंगे।
पुस्तक में अयोध्या विवाद का संक्षिप्त वर्णन, इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला किन प्रमुख आधारों पर दिया गया था, इसकी जानकारी भी दी गई है। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और 8 साल तक लंबित रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से विवाद को सुलझाने के दो प्रयास किए और दोनों ही विफल रहे।
आखिर कैसे तीन हिस्सों में विभाजित जमीन के मालिक रामलला साबित हुए। इस सवाल का जवाब भी आपको इस पुस्तक में मिलेगा। पुस्तक के अंत में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राय देनेवाले जज के 116 पेज के अडेंडम को विस्तार दिया गया है, जिसमें एक जज ने बिना अपना नाम बताए तथ्यों के आधार पर बताया है कि विवादित स्थल ही भगवान् राम का जन्मस्थल है। इन सभी सुनी-अनसुनी जानकारियों के साथ इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
“इस अदालत को एक ऐसे विवाद का समाधान करने का कार्य सौंपा गया था, जिसकी जड़ें उतनी ही पुरानी थीं जितना पुराना भारत का विचार है। इस विवाद के घटनाक्रम मुगल साम्राज्य से लेकर मौजूदा संवैधानिक शासन तक फैले हैं।”
“ऐतिहासिक निर्णय का अंतिम वाक्य—
निष्कर्ष यह है कि मस्जिद बनने से पहले भी हिंदुओं की आस्था यही थी कि भगवान् राम का जन्मस्थान वही है, जहाँ बाबरी मस्जिद थी और इस आस्था की पुष्टि दस्तावेजों और मौखिक गवाही से हो चुकी है।”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swami Vivekananda Ka Yuva Jagran
“भारत की आध्यात्मिकता तथा पश्चिम की विज्ञान और तकनीक—इन दोनों के समन्वय से आनेवाले समय में एक नए भारत का निर्माण होगा, इस दिशा में महान् युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानंद ने जोर दिया। ऐसा करना है, तो युवा और आनेवाली पीढ़ी के मानस में परिवर्तन करना होगा।
अगर भारत वर्ष का उत्थान करना है तो सबसे पहले भारत के विभिन्न घटकों पर विश्वास आवश्यक है—अपनी धरती पर, अपनी परंपराओं पर, अपनी संस्कृति पर, अपने गौरवशाली अतीत पर।
यह एक प्रखर संदेश हमें स्वामीजी से प्राप्त होता है। एक बात उन्होंने हमेशा कही कि एक नया भारत खड़ा हो रहा है।
स्वामी विवेकानंद ने युवकों से यह भी अपेक्षा रखी थी—क्या तुम्हें अपने देश से प्रेम है? यदि हाँ, तो आओ, हम लोग उच्चता और उन्नति के मार्ग पर प्रयत्नशील हों। पीछे मुडक़र, मत देखोSKU: n/a -
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Swaraj Ka Shankhnaad : Ekal Abhiyan
किसी भी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति की पूँजी होती है समाज के सामान्य व्यक्ति की समझ, जिसमें शिक्षा की भूमिका का महत्त्वपूर्ण होना स्वयंसिद्ध है। हिंदुस्तान की जनसंख्या को यदि दो भागों में विभक्त करें तो एक बड़ा वर्ग उन ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है जहाँ न सरकार की पहुँच है, न सड़क है, न समाज; शक्ति के रूप में दिखता है और न ही पहुँच है साफ जल की। जो प्रकृति एवं धरती के जितना निकट, वही सांस्कृतिक मूल्यों का धनी है और जो इससे जितना दूर है वही नैतिक गिरावट का साम्राज्य है। किंतु यह विडंबना? जहाँ शिक्षा एवं वैभव है, वहाँ संस्कृति नहीं; और जहाँ नैतिकता है, वहाँ निरक्षरता एवं गरीबी में जीवन जीने को बाध्य हैं। अतः समाधान का मार्ग भी यही है। दोनों वर्गों को आत्मीयता के सेतु से जोड़ दें तो एक की आर्थिक गरीबी दूर होगी तो दूसरे की सांस्कृतिक। और इसी उद्देश्य के समर्पित है एकल अभियान; जिसे सही अर्थों में ‘ग्राम शिक्षा मंदिर’ कहा जाता है।
शिक्षा-संस्कृति-स्वराज को समर्पित एक महाअभियान ‘एकल’ की गौरवगाथा है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swarkokila Lata Mangeshkar
स्वर सामाज्ञी, स्वरकोकिला, नाइटिंगेल ऑफ इंडिया और संगीत की देवी के रूप में प्रसिद्ध लता मंगेशकर की आवाज का पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत लता मंगेशकर की आवाज में भारत का दिल धड़कता है। विदाई गीत हो या ममता भरी लोरी, मंगल वेला हो या मातमी खामोशी, उन्होंने हर भावना को अपने सुरों में ढालकर लोगों के मन की गहराईयों को छुआ है। उनकी आवाज में माँ की ममता, नवयौवना की चंचलता, प्रेम की मादकता, विरह को टीस, बाल-सुलभ निश्छलता, भक्त की प्रुकार और स्त्री के तमाम रुपों के दर्शन होते हैं।
जीते जी किंवदंती बन चुकी लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 30,000 से अधिक जीत गाए हैं। उनका यह जलवा मधुबाला, नर्गिस से लेकर जीनत अमान, काजोल और माधुरी दीक्षित तक बरकरार रहा। उन्होंने शास्त्रीय, सुगम, भजन, गजल, पॉप-सभी प्रकार के गायन में अपने सुरों का लोहा मनवाया।
उनकी आवाज की यह खूबी है कि वे सुरों के तीनों सप्तकों-मंद्र, मध्य और तार में बड़ी सहजता से गा लेती हैं। उनकी लोकप्रियता देश की सीमा लाँघ विदेश तक भी जा पहुँची है। इसका कारण यह है कि वे जो भी गाती हैं, दिल से गाती हैं हर गीत में वे ऐसी आत्मा भर देती हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। एक वाक्य में कहें तो-भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं लता मंगेशकर।
इस पुस्तक में स्वरकोकिला लता मंगेशकर की संगीतमय जीवन-यात्रा का वर्णन है, जिसमें अथक संघर्ष है और सफलता के शिखर तक पहुँचने की कहानी भी।
रोचक शैली में लिखी गई यह जीवन-जाथा पठनीय तो है ही, प्रेरणा देनेवाली भी है।
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Swatantrata Sangram Ke Andolan
भारत की स्वतंत्रता के लिए नरम-गरम, खट्टे-मीठे हर तरह के आंदोलन हुए। कबीलाई लोगों ने अपने अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखने के लिए अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों से हिंसक आंदोलन किए किसानों ने अन्याय का मुकाबला कभी नरमी और कभी गरमी से किया। कामगारों ने सामूहिक एकता से माहौल अपने पक्ष में किया। सन् 1 8 5 7 का स्वातंत्र्य समर इस दौर में मील का पत्थर साबित हुआ। इस चिनगारी को योद्धा मंगल पांडे ने अपनी शहादत देकर हवा दी और इसकी लपटों में नाना साहेब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुरशाह जफर आदि आजादी के अग्रणी सेनानियों ने अपनी आहुतियाँ दीं।
कूका आंदोलन, भील आंदोलन, प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध, ‘बंग-भंग’ आंदोलन, होमरूल आंदोलन, जलियाँवाला कांड, काकोरी कांड, दांडी-यात्रा आदि ऐसे कुछ आंदोलन हैं जिनमें लाखों-लाख भारतीयों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी शहादत दी-और अंततः हमें आजादी मिली।
प्रस्तुत पुस्तक में देश की स्वतंत्रता से जुड़े कुछ प्रमुख आंदोलनों का जिक्र है, जो आजादी के महत्त्वपूर्ण आंदोलनों के एक लघु दस्तावेज जैसे हैं। इन्हें संकलित करने का उद्देश्य यही है कि आज की युवा पीढ़ी को एक ही स्थान पर भारत के सभी महत्त्वपूर्ण स्वाधीनता आंदोलनें की पूरी जानकारी मिल जाए। भारती स्वातंत्र्य संग्राम के प्रेरणाप्रद बलिदानों का पुण्य स्मरण कराती महत्त्वपूर्ण कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Tattvadarshan Sunderkand-Ratnamani
-13%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासTattvadarshan Sunderkand-Ratnamani
सनातम धर्म का आधार वेद, उपनिषद्, पुराण, शास्त्र हैं। ‘रामचरितमानस’ श्रीराम का अयन है। इसमें चार विषय हैं—कर्म क्या है ? ज्ञान क्या है ? भक्ति क्या है ? शरणागति क्या है ? सुंदरकाण्ड पंचम सोपान है, इसमें इन चारों प्रश्नों का उत्तर सुंदर भावों में प्रकट होता है।
हनुमानजी ने रावण को चार चीजों का उपदेश दिया— भक्ति, वैराग्य, विवेक और नीति। भगवान् की प्रेमपूर्वक सेवा का नाम भक्ति है जो हनुमानजी ने सुंदर भावरूप में प्रकट किया है। भक्तिरूपी वृक्ष भावरूपी बीज से ही पैदा होता है। भगवत् चरणों का आश्रय मानव जीवन को कुशल बना देता है; भक्त भगवान् में जीता है, यही शरणागति है।
‘सुंदरकाण्ड’ वर्तमान युग में एक औषधि है, जो मानव जीवन के तापों को शांत करता है, शक्ति प्रदान करता है और सबको विषम परिस्थितियों में भी जीना सिखाता है। जो इसका पाठ नित्य करते हैं, वे अनुभव करते हैं कि श्रीहनुमानजी के चरित्र में कितना विश्वास, प्रताप, तेज और भक्ति है। जब पाठ में इतना बल है तो उसके एक-एक शब्द के अर्थ को जब जानेंगे, पहचानेंगे तो कितना आनंद होगा, इसकी गहराई को अनुभव करने के लिए यह ग्रंथ पाठकों के लिए अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा।
इसी अटूट विश्वास के साथ यह ग्रंथ आपके अध्ययन हेतु प्रस्तुत है; आप सभी इसका लाभ प्राप्त करें और अपने जीवन को सुंदर बना सकें, यही इसके लेखन-प्रकाशन की सार्थकता है।
जय श्रीराम ! जय हनुमान !”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Teen Din, Do Raten
इतना सुख है जीवन में! इतना कुछ है मेरे मन में! और अब तक मैं इससे वंचित था, अनजान था! भारतीय मध्यवर्ग में बढ़ती बाजारवाद, उपभोक्तावाद और भोगवाद की प्रवृत्तियों के संदर्भ में इससे बेहतर स्वीकारोक्ति नहीं हो सकती। लालसाएँ आदमी को घेरे रहती हैं, कुछ प्रत्यक्ष रूप में सामने आती हैं, तो कुछ अंतस में दबी रहती हैं और अनुकूल अवसर पाते ही पूर्ति हेतु सिर उठाने लगती हैं। लगता है जैसे आधुनिकतम महानगरीय मध्यवर्ग अपनी सभी लालसाओं की पूर्ति के लिए बेताब है। इसमें दो फाड़ की नौबत आ चुकी है। एक जो खुलकर इस खुलेपन को जी रहा है और दूसरे के पास आर्थिक संसाधन कम पड़ रहे हैं। ऐसे में उसे जब मौका मिलता है तो वह इसे जीने के लिए अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ता। बाजार इस वर्ग की मजबूरी और इच्छाओं को समझते हुए हमेशा चारा फेंकने की जुगत में रहता है। वह गैर-जरूरी चीजों के प्रति भी भ्रमपूर्ण लगाव पैदा कर भावनाओं का दोहन करने से नहीं चूकता। एक नई उपभोक्ता संस्कृति साकार ही नहीं हो रही, दिन-ब-दिन विकराल भी होती जा रही है। कुशल व्यवसायी सिर्फ माल नहीं बेच रहे, बड़ी चालाकी से विचार भी प्रत्यारोपित कर रहे हैं। उदारवाद के पीछे की चालाकी और चतुराई को उजागर करना नितांत आवश्यक हो गया है।
‘तीन दिन, दो रातें’ एक इनामी किस्से की कथा के बहाने इसी ज्वलंत समस्या को परत-दर-परत बेनकाब करता है। प्रसिद्ध लेखक वीरेंद्र जैन की यह खासियत है कि वे अपनी चुटीली भाषा-शैली के जरिए कथानक को चरम पर ले जाते वक्त भी यथार्थ को सहेजते हैं। इसीलिए उनका यह उपन्यास भौतिकवाद के विनाशकारी परिणामों का पुख्ता दस्तावेज बन पड़ा है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Tenaliram Se Seekhen Samasyaon Ke Hal
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Tenaliram Se Seekhen Samasyaon Ke Hal
“हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को उत्कृष्टता के शिखर पर देखना चाहता है। मगर उत्कृष्टता के पर्वत पर पहुँचने के लिए एक-एक कदम उत्कृष्टता के साथ ही रखना पड़ता है । अगर लापरवाही से कदम बढ़ाया जाए तो फिसलने व गिरने का डर बना रहता है। उत्कृष्टता के शिखर तक पहुँचने के लिए अनिवार्य है कि पीछे छोड़नेवाले हर कदम को सर्वोत्तम बनाया जाए, ताकि वह न केवल दूसरों को मार्ग दिखा सके, बल्कि पीछे निशान भी छोड़ सके। उत्कृष्टता सदैव सकारात्मक परिणाम देती है।
तेनालीराम एक ऐसे व्यक्ति थे, जो हर छोटे-बड़े काम को अपनी बुद्धि के साथ करते थे और कभी भी पीछे नहीं हटते थे। ज्ञान के चक्षु खोलने का कार्य शिक्षा करती है। तेनालीराम शिक्षित थे। उनकी शिक्षा ने भी उनके ज्ञान को बढ़ाया, जिस कारण वे हर कार्य को चतुराई से करके अपने शत्रुओं व प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते रहे।
तेनालीराम केवल एक थे। उनके जैसा कोई नहीं बन सकता। मगर हाँ, उनकी कहानियों एवं उनके जीवन को जान कर कोई भी स्वयं को शिखर पर ले जा सकता है। हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए ‘एक पठनीय पुस्तक ।”
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
The Gita of Option Trading : Trading Options with Purpose (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताThe Gita of Option Trading : Trading Options with Purpose (PB)
The title of this book, ‘The Gita of Option Trading: Trading Options With Purpose’ highlights the idea that option trading, like life itself,requires purpose, discipline, and a deep understanding of the underlying principles. This book draws inspiration from the Bhagavad Gita to provide traders with a framework for approaching option trading with clarity and a sense of purpose.The Bhagavad Gita is known for teaching balance and detachment.Similarly, successful option trading involves a balanced strategy where traders carefully weigh the risks and benefits of each trade while keeping emotions in check. The concepts from the Bhagavad Gita can help traders develop the balance and impartiality needed to thrive in the fast-paced world of option trading.A must read book for seasoned players in field of Option Trading.
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
The Hero of Kargil & Other Stories
The stories in this book pertain to the wars, which India has fought since its Independence in 1962, 65, 71 and 99. The war stories have always aroused the curiosity of the readers. Although many books have been written on conflicts between India and its neighbours, no author has attempted to write stories. This book is therefore unique, the only one of its kind, a book of fiction on events and characters, in the background of war.
The wars have topical interest and as time passes, one forgets them and gets engrossed in current issues. This is natural. However, certain events such as missile attack on Karachi, shattering of enemy offensive by Hunter aircraft at Longewala, the role played by the aircraft carrier INS VIKRANT and the heroics of men in uniform have a lasting value, an element of permanence.
These stories provide insight into ethos, culture and lifestyle of the armed forces, their values, hardships and character. The stories narrate the account of war and unfold its conduct in easy and interesting manner.
The stories have been written in simple and endearing style. It is a book, which ought to be read by all, the old and young.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-1
“इक्कीस साल का पृथ्वी एक अधेड़ और रहस्यमयी अघोरी ओम् शास्त्री की तलाश कर रहा है, जिसे पकड़कर भारत के एक सुनसान द्वीप पर अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच भेज दिया गया | विशेषज्ञों की एक टीम ने जब उस अघोरी को नशे की दवा दी और पूछताछ के लिए सम्मोहित किया, तो उसने दावा किया कि वह सभी चार युगों-सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग–(हिंदू धर्म के अनुसार चार युग) को देख चुका है और रामायण तथा महाभारत की घटनाओं में हिस्सा ले चुका है |
जीवन के बाद मृत्यु के नियम को भी बेअसर साबित करनेवाले ओम् के अविश्वसनीय अतीत से जुड़े खुलासे सभी को हैरान कर देते हैं। उस टीम को यह भी पता चला कि ओम् हर युग के दूसरे अमर लोगों की भी तलाश कर रहा है। ऐसे विचित्र रहस्य अगर सामने आ गए तो प्राचीन धारणाएँ हिल जाएँगी और भविष्य की दिशा ही बदल जाएगी। तो यह ओम् शास्त्री कौन है? उसे पकड़ा क्यों गया? पृथ्वी उसे क्यों ढूँढ़ रहा है?
सवार हो जाइए ओम् शास्त्री के रहस्यों, पृथ्वी की तलाश और हिंदू पौराणिक कथाओं के रहस्यों से भरे अन्य अमर लोगों के कारनामों की इस नाव पर, और चलिए एक रोचक और रोमांचक यात्रा पर|”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-2
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Part-2
“द हिडन हिंदू-2
अब भी अतीत की बातों के उत्तर ढूँढ़ते ओम् का साक्षात्कार अज्ञात से होता है। मृत संजीवनी पुस्तक दुष्टों के हाथ लग जाने के बाद क्या धर्मपरायण लोग
विजयी हो पाएँगे?
मृत संजीवनी में कौन से रहस्य हैं, जो गलत हाथों में पड़ने पर अराजकता और विनाश ला सकते हैं ?
ओम् कौन है? एल.एस.डी. और परिमल की वास्तविकता क्या है? अन्य अमर लोग कहाँ छिपे हैं? क्या हैं ये शब्द, जो अजीबोगरीब गूढ़ जगहों में बिखरे पड़े हैं और नागेंद्र इन्हें क्यों इकट्ठा कर रहा है ?
‘द हिडन हिंदू-2′ के साथ एक रोमांचक यात्रा पर उन स्थानों तक चलिए, जहाँ आप पहले कभी नहीं गए हैं, जबकि अविभाज्य त्रिमूर्ति उन शब्दों को ढूँढ़ती है, जिनका नश्वर, , देवताओं और राक्षसों के लिए अमरता से भी बड़ा एक उद्देश्य है ।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-3
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Part-3
देवध्वज कौन है–नागेंद्र या ओम ? परिमल और एल.एस.डी. एक-दूसरेपर भरोसा नहीं कर पाते हैं; जबकि नागेंद्र मृत्यु हो जाने के बाद भी पुनर्जीवित होजाता है–पूर्ण स्वस्थ और पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली रूप में । परशुरामऔर कृपाचार्य धराशायी हो चुके ओम् के अतीत में उलझ गए हैं; जबकि वृषकपिनिश्चित मृत्यु से लड़ रहा है, जो मिलारेपा को पहले ही निगल चुकी है।
शक्तिशाली अश्वत्थामा समझ नहीं पाते कि अन्य चिरंजीवी सभी मोर्चों परकैसे नष्ट हो गए । शेष शब्द कहीं छपे हैं ? क्या नागेंद्र उन सभी को ढूँढ़कर श्लोकपूरी कर पाएगा, या जो चिरंजीवी हैं, वे उसे रोक लेंगे ? निश्चित विनाश की ओरबढ़ते चिरंजीवी लोगों के अप्रत्याशित रहस्य को जानें, जिनका समय समाप्त होताजा रहा है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Set Of 3
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Set Of 3
The Hidden Hindu (Hindi) Part-1
“इक्कीस साल का पृथ्वी एक अधेड़ और रहस्यमयी अघोरी ओम् शास्त्री की तलाश कर रहा है, जिसे पकड़कर भारत के एक सुनसान द्वीप पर अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच भेज दिया गया | विशेषज्ञों की एक टीम ने जब उस अघोरी को नशे की दवा दी और पूछताछ के लिए सम्मोहित किया, तो उसने दावा किया कि वह सभी चार युगों-सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग–(हिंदू धर्म के अनुसार चार युग) को देख चुका है और रामायण तथा महाभारत की घटनाओं में हिस्सा ले चुका है |
जीवन के बाद मृत्यु के नियम को भी बेअसर साबित करनेवाले ओम् के अविश्वसनीय अतीत से जुड़े खुलासे सभी को हैरान कर देते हैं। उस टीम को यह भी पता चला कि ओम् हर युग के दूसरे अमर लोगों की भी तलाश कर रहा है। ऐसे विचित्र रहस्य अगर सामने आ गए तो प्राचीन धारणाएँ हिल जाएँगी और भविष्य की दिशा ही बदल जाएगी। तो यह ओम् शास्त्री कौन है? उसे पकड़ा क्यों गया? पृथ्वी उसे क्यों ढूँढ़ रहा है?
सवार हो जाइए ओम् शास्त्री के रहस्यों, पृथ्वी की तलाश और हिंदू पौराणिक कथाओं के रहस्यों से भरे अन्य अमर लोगों के कारनामों की इस नाव पर, और चलिए एक रोचक और रोमांचक यात्रा पर|”The Hidden Hindu (Hindi) Part-2
अब भी अतीत की बातों के उत्तर ढूँढ़ते ओम् का साक्षात्कार अज्ञात से होता है। मृत संजीवनी पुस्तक दुष्टों के हाथ लग जाने के बाद क्या धर्मपरायण लोग विजयी हो पाएँगे? मृत संजीवनी में कौन से रहस्य हैं, जो गलत हाथों में पड़ने पर अराजकता और विनाश ला सकते हैं ?
ओम् कौन है ? एल.एस.डी. और परिमल की वास्तविकता क्या है ? अन्य अमर लोग कहाँ छिपे हैं? क्या हैं ये शब्द, जो अजीबोगरीब गूढ़ जगहों में बिखरे पड़े हैं और नागेंद्र इन्हें क्यों इकट्ठा कर रहा है ?
‘द हिडन हिंदू-2′ के साथ एक रोमांचक यात्रा पर उन स्थानों तक चलिए, जहाँ आप पहले कभी नहीं गए हैं, जबकि अविभाज्य त्रिमूर्ति उन शब्दों को ढूँढ़ती है, जिनका नश्वर, , देवताओं और राक्षसों के लिए अमरता से भी बड़ा एक उद्देश्य है ।”The Hidden Hindu (Hindi) Part-3
देवध्वज कौन है–नागेंद्र या ओम ? परिमल और एल.एस.डी. एक-दूसरेपर भरोसा नहीं कर पाते हैं; जबकि नागेंद्र मृत्यु हो जाने के बाद भी पुनर्जीवित होजाता है–पूर्ण स्वस्थ और पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली रूप में । परशुरामऔर कृपाचार्य धराशायी हो चुके ओम् के अतीत में उलझ गए हैं; जबकि वृषकपिनिश्चित मृत्यु से लड़ रहा है, जो मिलारेपा को पहले ही निगल चुकी है।
शक्तिशाली अश्वत्थामा समझ नहीं पाते कि अन्य चिरंजीवी सभी मोर्चों परकैसे नष्ट हो गए । शेष शब्द कहीं छपे हैं ? क्या नागेंद्र उन सभी को ढूँढ़कर श्लोकपूरी कर पाएगा, या जो चिरंजीवी हैं, वे उसे रोक लेंगे ? निश्चित विनाश की ओरबढ़ते चिरंजीवी लोगों के अप्रत्याशित रहस्य को जानें, जिनका समय समाप्त होताजा रहा है।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
THE INDIA THEY SAW (SET OF 4 VOLS)
AUTHOR : SANDHYA JAIN / MEENAKSHI JAIN
An account of the grandeur of ancient India as perceived by her foreign visitors from hoary times; and their wonder at her rich philosophical efflorescence and material abundance. The foreigners marvelled at the deep spiritual convictions that allowed yogis and widows to ascend a burning pyre without murmur; the social harmony of myriad tribes and castes; and above all; the common culture and love of justice permeating and binding all in seamless unity. Beginning with the Greeks and especially those who accompanied Alexander; these accounts comprise our first records into the social; moral; legal; and economic life of the Indian people; and the early
development of the civilisational paradigm of dharma; artha; kama and moksa. The rise of Christianity pushed Europe into a cocoon. Thereafter; Buddhist pilgrims from China traversed the land between the fourth and the eighth centuries; visiting the major monasteries and sites associated with the Buddha; and left interesting memoirs behind. This uninhibited intellectual and spiritual exploration of India’s Sanskritic or Indic culture ended abruptly with the rise of Islam in Arabia in the seventh century; and its outward thrust into Europe; north Africa; Central Asia and the Indian sub-continent; where it fought to establish political and religious supremacy. Possibly the last Buddhist monk to take the land route to India was the Korean pilgrim Hye Ch’O; who arrived as the armies of Islam began cutting through Central Asia…SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Indian War Of Independence 1857 (PB)
Veer Savarkar was the first man who called the mutiny of 1857 ‘A War of Independence’. Until his time, no Indian had dared to say so. The martyrs of 1857 are really fortunate that they got such a historian to tell their history who himself was both a historian and a creator of history. At times, we visualise Veer Savarkar coloured in the red colour of that revolution, as if he himself was present on the battlefield and participated in the heroic war. At other times, we see him patiently analyse the strengths and weaknesses of both sides—why the mutineers lost and why the British won. The way he analyses the politico-military aspects of the revolution shows his wisdom as a youth of 26 years.
The Indian War of Independence, 1857, is a step by step account of the uprising of Indian Hindus and Muslims against the ruthless British rulers. Tracing footsteps of the barefooted, undernourished and almost unarmed Indian masses challenging the British bullets by the sheer force of their will power, the author establishes beyond an iota of doubt that the uprising was a War of Independence and not a mere Sepoy Mutiny as dubbed by the British.
Some glaring truths about this book:
• This book became the Bible for Indian revolutionaries.
• The book was proscribed by the British Government before its publication.
• The book was smuggled into India and England after it was published in Holland.
• The demand for this book was so enormous that it used to be sold and resold at the stupendous price of Rs. 300 (in 1910).SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan
The Law of Attraction
यह पुस्तक अब्राहम की मूल शिक्षा की सशक्त मौलिक बातों को प्रस्तुत करती है। इन पृष्ठों में आप देख सकते हैं कि वांछित और अवांछित, सभी प्रकार की चीजें ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली सिद्धांत ‘द लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ के द्वारा (जो अपनी ही तरह आकर्षित रहता है) आप तक पहुँचती हैं। संभवतः आपने भी ऐसी कहावतें अवश्य सुनी होंगी, जिन खोजा तिन पाइयाँ, चोर-चोर मौसेरे भाई, खुद पर करो यकीन (यकीन यानी वह सोच, जो आपके दिमाग में चलती रहती है)। बीते जमाने में कुछ महानतम शिक्षकों ने भले ही ‘आकर्षण के नियम’ की ओर संकेत किया, लेकिन इसकी इतनी स्पष्ट और व्यावहारिक संदर्भों में व्याख्या पहले कभी नहीं की गई, जैसी कि सर्वश्रेष्ठ लेखकों एस्थर और जेरीहिक्स की इस नवीनतम पुस्तक में की गई है।
इसमें आप ब्रह्मांड को नियंत्रित करनेवाले सर्वभूत ‘नियमों’ के विषय में पढ़ेंगे और यह भी जानेंगे कि अपने हित में उनका उपयोग किस प्रकार करें। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मिले ज्ञान से आपके दैनिक जीवन के सारे असमंजस दूर हो जाएँगे। अंततः आप समझ जाएँगे कि आपके और आपके संपर्क में आनेवाले लोगों के जीवन में सबकुछ क्यों घटित हो रहा है। यह पुस्तक आपको खुशी-खुशी जो है, उसे बनाए रखने, उसमें वृद्धि करने या जो भी इच्छा हो, उसे पूरा करने में सहायता देगी।
जीवन में सफल होने के सूत्र बताती व्यावहारिक पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
The Law of Attraction and Practical Mental Influence
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रThe Law of Attraction and Practical Mental Influence
The book “The Law of Attraction and Practical Mental Influence” is authored by an influential writer named Atkinson.
It is considered a classic in the New Thought movement, focusing on the law of attraction.
Atkinson draws parallels between the law of Gravitation and the mental law of attraction, highlighting their similarities.SKU: n/a