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EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
पिछले कुछ दशकों में अमेठी की असली पहचान तो भुला ही दी गई। एक ऐसी भूमि, जो महर्षि च्यवन की तपस्थली, माता कालिकन देवी का धाम और राजा सोढ़ देव की वीरगाथाओं के साथ ही स्थानीय निवासियों की आस्था, विश्वास व श्रम से निर्मित होकर परिपूर्ण थी, उसने आजादी के बाद आगे बढ़ने की बजाय उलटी राह पकड़ ली। इस पर सियासत का एक कृत्रिम आवरण सा चढ़ गया और इसे एक राजनीतिक पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया।
अमेठी, कहने को तो वीवीआईपी क्षेत्र था, पर क्या स्थिति वाकई ऐसी थी? क्या इसे वह विशेष दर्जा प्राप्त हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के रूप में स्मृति इरानी यहाँ पहुँचीं, तब अमेठी की पहचान का यह आवरण खुला।
अमेठी संग्रामउसी अनदेखे सच को उजागर करती है। इसमें स्मृति इरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा है। उनकी विजय के कारकों को समझने के बहाने भारतीय राजनीतिक दलों और नेताओं की कार्यशैली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दूरदृष्टि, भाजपा की रणनीति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, गाँधी परिवार की ताकत का मिथक और क्षेत्रीय दलों के स्वार्थ का लेखा-जोखा है। इसके अलावा स्मृति इरानी की रणनीतिक, व्यवहारिक और राजनीतिक कार्यशैली को भी यह किताब सूक्ष्मता से खोलती है।
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Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, Pre Order Upcoming Books, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
-20%Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, Pre Order Upcoming Books, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
पुरातात्विक मौद्रिक अभिलेखीय ऐतिहासिक आदि साक्ष्यों से परिपूर्ण शोध – ग्रंथ
एक अद्भुत पुस्तक मेरे हाथ लगी है। राम जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सबसे अधिक समय तक बहस करने और स्कंद पुराण से श्रीराम जी के जन्म स्थल को पुरातात्विक साक्ष्यों से प्रमाणित करने वाले शंकराचार्य के वकील डॉ पी.एन.मिश्रा ने आदि शंकराचार्य की जन्मतिथि और काल निर्धारण के लिए अत्यंत श्रम साध्य कार्य करते हुए जो शोध प्रबंध लिखा है, वह ‘अमिट काल रेखा: आदि शंकराचार्य और उनका आविर्भाव काल'(507-475 ईसा पूर्व) इस पुस्तक के रूप में सामने है। यह पुस्तक दो बार में करीब दो दशक में लिखी गई है।
पहले मैं भी अंधेरे में था और सोचता था कि आदि शंकराचार्य का कार्य महत्वपूर्ण है, उनके जन्मतिथि से क्या लेना? परंतु जब पढ़ा तब पता लगा कि पश्चिमी इतिहासकारों व वितंडावादियों ने मूसा (यहूदी पैगंबर), ईसा(इसाई पैगंबर) और मोहम्मद(इस्लामी पैगंबर) के बाद आदि शंकर के जन्म की चाल क्यों चली? असल में उपनिषदों से एकेश्वरवाद (अद्वैत वेदांत दर्शन) को विश्व में सबसे पहले मजबूती से अदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। अपने दिग्विजय के दौरान उन्होंने शास्त्रार्थ से इसे संसार भर में स्थापित किया था। बाद में इसी एकेश्वरवाद के आधार पर मूसा, ईसा और मोहम्मद ने अपने अपने पंथों की रचना की।
आदि शंकराचार्य के जन्म की तिथि को 1000 साल कम करते ही, अब्राहमिकों की अवधारणा प्रथम हो गई और पश्चिमी इतिहासकारों ने यह वितंडा फैला दिया कि आदि शंकराचार्य ने अब्राहमिकों द्वारा स्थापित एकेश्वरवाद के विस्तार को देखते हुए भारतीयों को एकेश्वरवाद की ओर ले जाने का प्रयास किया!
अर्थात् आदि शंकर के जन्म को 1000 साल घटाते ही अब्राहमिकों को एकेश्वरवाद का क्रेडिट चला गया और सनातन वेदांत की अवधारणा लोगों को विस्मृत हो गई।
पश्चिम की इस साजिश को न समझते हुए कई भारतीय इतिहासकारों व विद्वानों ने भी यही वितंडा फैलाया। मैं स्वयं जनसंघ के संस्थापकों में एक दीन दयाल उपाध्याय की आदि शंकराचार्य पर लिखी पुस्तक को पढ़ कर शंकराचार्य के जन्म के समय केरल में इस्लाम के आगमन पर कंस्टीट्यूशन क्लब में मूर्खतापूर्ण भाषण दे चुका हूं। पी.एन. मिश्रा के इस शोध को पढ़कर मुझे अपनी मूर्खता पर आत्मग्लानि है। और दुख है कि लेफ्ट-राईट दोनों के इतिहासकार एक ही बात दोहराते हैं, बस उनके कहने का तरीका अलग होता है और उनके काल गणना में बस 100-200 वर्ष का अंतर होता है!
पी.एन.मिश्रा जी की इस पुस्तक से बुद्ध संबंधित जो बयान पुरी के शंकराचार्य जी देते हैं, उसकी भी पुष्टि हो जाती है। पुराणों में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में आए पूर्व बुद्ध, शुद्धोधन पुत्र सिद्दार्थ गौतम बुद्ध से बहुत पहले थे। सिद्धार्थ बुद्ध से पहले कई और बुद्ध हो चुके हैं, जिनकी पूरी व्याख्या इस पुस्तक में है और यह बौद्ध ग्रंथों में भी है, बस हम सब ने ध्यान नहीं दिया था।
इस पुस्तक से आदि शंकराचार्य के समय राजा सुधन्वा की वंशावली भी मिल गई है। राजा सुधन्वा ने आदि शंकराचार्य के साथ सेना लेकर पुनः सनातन धर्म की स्थापना की थी।
इस पुस्तक से दो प्राचीन नगरों की खोज भी स्थापित होती है।
यह पूरी पुस्तक पुरातात्विक, मौद्रिक, अभिलेखीय, ताम्रपत्र और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित शोध प्रबंध है।
दुख है कि यह पुस्तक अब नहीं मिलती। एक तो यह बहुत मोटी ग्रंथ है, दूसरा इसका मूल्य ₹2500 है। अतः प्रकाशक छापते ही नहीं। प्रकाशक के पास केवल तीन कॉपी बची थी, मैंने मूल्य भेजकर एक कॉपी अपने लिए मंगवा ली।
उनसे बात की कि यदि इच्छुक शोधार्थी या विद्वान पाठक यह पुस्तक मंगवाना चाहें तो कैसे मिलेगा? उनका कहना है कि 10 से अधिक लोगों की मांग यदि आप भेज दें तो डिजिटल प्रिंट करवा कर आपको भेज दूंगा। अतः जिनको वास्तव में आदि शंकराचार्य से जुड़ी वास्तविकता को जानना-समझना हो तो वह 8826291284 पर केवल WhatsApp कर दें। मूल्य न भेजें। 10 से अधिक लोगों का आर्डर यदि आ गया तो मैं मंगवाने का प्रयत्न करूंगा।
आगे इस पुस्तक की महत्वपूर्ण स्थापनाओं को छोटे-छोटे पोस्ट के रूप में भी मैं आपको देता रहूंगा। धन्यवाद।
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Osho Media International, ओशो साहित्य
AMRIT DWAR
“‘सदगुरु के शब्द तो वे ही हैं जो समाज के शब्द हैं। और कहना है उसे कुछ, जिसका समाज को कोई पता नहीं। भाषा तो उसकी वही है, जो सदियों-सदियों से चली आई है—जराजीर्ण, धूल-धूसरित। लेकिन कहना है उसे कुछ ऐसा नित-नूतन, जैसे सुबह की अभी ताजी-ताजी ओस, कि सुबह की सूरज की पहली-पहली किरण! पुराने शब्द बासे, सड़े-गले, सदियों-सदियों चले, थके-मांदे, उनमें उसे डालना है प्राण। उनमें उसे भरना है उस सत्य को जो अभी-अभी उसने जाना है—और जो सदा नया है और जो कभी पुराना नहीं पड़ता ” – ओशो
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
An Anthology of Discourses on Bharat
-10%English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAn Anthology of Discourses on Bharat
An Anthology of Discourses on Bharat: Essays in the Honour of Pof Kuldip Chand Agnihotri is a collection of essays elaborating on the unique aspects of Bharatiya history, culture and polity including Bharatiya Dharma and its religions, ancient language Sanskrit and the present geopolitics based on things Bharatiya that have shaped Bharat.
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Literature & Fiction, Rajpal and Sons
An Ban | अन बन
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर आधारित है, और दूसरा रिश्ता स्त्री-पुरुष का जिसका आधार है यौन संबंध। वैवाहिक जीवन में कभी-कभी यौन संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं जिनको यदि समय से न सुलझाया जाए तो वे एक नासूर बन जाती हैं जिससे शादी के मधुर मिलन में निराशा और दूरी आ जाती है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन में यौन सुख का भरपूर आनंद चाहते हैं या फिर किसी यौन-संबंधी समस्या से परेशान हैं तो यह पुस्तक आपके लिए मार्गदर्शक हो सकती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री साहित्यिक लेखक होने के साथ एक आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। जैसे-जैसे उनकी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती गई, उन्होंने अपना पूरा समय लेखन में देना शुरू किया, पर आयुर्वेद में उनकी रुचि बराबर बनी रही। यह पुस्तक उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान मरीज़ों की चिकित्सा के अनुभवों पर आधारित है।
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
An Entirely New History of INDIA
“Indian History needs to be re-examined and freed from colonial biases and error. Driven by Christian belief in a 6000-year old planet, British scholars, and their Indian hires, post-dated Indian history to fit into erroneous Western conceptions. For their own agendas the manufactures theories such as that of an “”Aryan Invasion”” and dismissed vast evidences, such as the existence of the river Sarasvati, as “”mythical””, even though it was mentioned more than fifty times in the Vedas. The colonial gaze also erroneously represented events such as the invasion of India by Alexander the Great in the year 326 BCE and fabricated myths such as the conversion of emperor Ashoka to Buddhism, purportedly due to “”remorse”” after the terrible battle of Kalinga, when Ashoka already a Buddhist at the time of the battle.
Thus this book rewrites Indian History based on new evidence including new scientific, linguistic and genetic discoveries. It seeks to dismantle the cliches, to clarify the controversies, and to retrace, as accurately as possible, the most significant periods of Indian history—history much older than previously thought”
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Sagar Publications, ध्यान, योग व तंत्र
Analysing Horoscope through Modern Techniques (PB)
A book that provides readers with a step – by – step approach to deal with the intricacies of astrology and to comprehend astrology in an easier manner, Analysing Horoscope Through Modern Techniques by M S Mehta has been written to cater to the needs of students and those interested in astrology.
The book describes the correct method to predict and to do so in an easy and quick manner and in minimum time. Basic questions pertaining to astrology like wealth, career, possession of house, intelligence, travelling abroad, personality, relationships, especially marriage, etc are dealt with in this book.
The book describes all the astrological houses starting from first to twelfth. It also presents the transit of planets and its consequence and sade sati and its implications. A chapter in the book is also devoted to dashas – both auspicious and inauspicious, their results and interpretations. Nakshatras and their role in muhurta are also described in this book. The author has also explained divisional charts. All important yogas, Rajayogas Nabhas and their relevance in astrology are explained. A special mention of the method to predict world events is also there. Even topics like the role of eclipses, comets, planetary position and earthquakes have been discussed. It explains how all these things have an impact on the life of a man. Interesting topics like the horoscope of independent India on August 15 and on January 26, 1950 have also been explained. The vast range of topics also include the transit of Gemini and Indian affairs, the entry of rahu, communal riots and even the forecasting of rain.
Analysing Horoscope Through Modern Techniques was published by Motilal Banarsidass in 2002. It is available in paperback.
Key Features :
The book has an introduction to the various planets and their implications regarding the lives of human beings.
All the houses and the impact of planets, dashas and yogas have been presented in this book.SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Anandmath (Hindi)
जीवानंद ने महेंद्र को सामने देखकर कहा, ‘‘बस, आज अंतिम दिन है। आओ, यहीं मरें।’’महेंद्र ने कहा, ‘‘मरने से यदि रण-विजय हो तो कोई हर्ज नहीं, किंतु व्यर्थ प्राण गँवाने से क्या मतलब? व्यर्थ मृत्यु वीर-धर्म नहीं है।’’जीवानंद- ‘‘मैं व्यर्थ ही मरूँगा, लेकिन युद्ध करके मरूँगा।’’कहकर जीवानंद ने पीछे पलटकर कहा, ‘‘भाइयो! भगवान् के नाम पर बोलो, कौन मरने को तैयार है?’’अनेक संतान आगे आ गए। जीवानंद ने कहा, ‘‘यों नहीं, भगवान् की शपथ लो कि जीवित न लौटेंगे।’’—इसी पुस्तक से‘आनंद मठ’ बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की अनुपम कृति है। स्वतंत्रता संग्राम के दौर में इसे स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गीता’ कहा जाता था। इसके ‘वंदे मातरम्’ गीत ने भारतीयों में स्वाधीनता की अलख जगाई, जिसको गाते हुए हजारों रणबाँकुरों ने लाठी-गोलियाँ खाइऔ और फाँसी के फंदों पर झूल गए। देशभक्ति का जज्बा पैदा करनेवाला अत्यंत रोमांचक, हृदयस्पर्शी व मार्मिक उपन्यास।
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Osho Media International, ओशो साहित्य
ANANT KI PUKAR
यह पुस्तक अपने-आप में अनूठी है, अद्वितीय है। यहां ओशो अपने कार्य, उसकी रूप-रेखा और उसके व्यावहारिक पहलुओं पर बात करते हैं, और साथ ही उन सबको भी संबोधित करते हैं जो इस कार्य का हिस्सा होना चाहते हैं। ओशो बताते हैं कि किस प्रकार इस कार्य में सहभागी होना आत्म-रूपांतरण की एक विधि बन सकता है, और कहां-कहां हम चूक सकते हैं, कैसे इस चूकने से बच सकते हैं। ओशो कहते हैं, किसी को कोई संदेश-वाहक नहीं बनना है। संदेश को जीना है, स्वयं संदेश बनना है। तब तुम एक रूपांतरण से गुजरोगे और तुम्हारा होना मात्र ही संदेश को उन सब तक पहुंचा देगा जो प्यासे हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां
Andhere Mein Ek Chehra
रस्किन बाॅन्ड ने एक बार कहा था कि वे भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करते लेकिन उनको हर समय, हर जगह भूत नज़र आते -जंगल में, सिनेमा के बाहर भीड़ में और बार में। पिछले पाँच दशकों में लिखी उनकी सभी अलौकिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। पहली कहानी शिमला के बाहर चीड़ के जंगल की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है। आखिरी कहानी उजाड़ कब्रिस्तान पर आधारित है। कहानियों में बन्दरों का झुंड है, जंगली कुत्तों का समूह है, भूत-प्रेत और चुड़ैलों के अलावा मशहूर अंग्रेज़ी लेखक रुडयार्ड किपलिंग का भूत भी शामिल है जिससे लेखक की मुलाकात लंदन में होती है। अँधेरी रात, पूरा चाँद और साथ में यह पुस्तक- भरपूर मसाला है आपके आनन्द और रोमांच के लिए। साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित रस्किन बाॅन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं -उड़ान, रूम ऑन द रूफ, वे आवारा दिन, दिल्ली अब दूर नहीं, ऐडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली और पैन्थर्स मून ।
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Hindi Books, Vani Prakashan, इतिहास
Andhkaar Kaal: Bharat Mein British Samrajya (PB)
इस धमाकेदार पुस्तक में लोकप्रिय लेखक शशि थरूर ने प्रामाणिक शोध एवं अपनी चिरपटुता से यह उजागर किया है कि भारत के लिए ब्रिटिश शासन कितना विनाशकरी था। उपनिवेशकों द्वारा भारत के अनेक प्रकार से किये गये शोषण जिनमें भारतीय संसाधनों के ब्रिटेन पहुँचने से लेकर भारतीय कपड़ा उद्योग, इस्पात निर्माण, नौवहन उद्योग और कृषि का नकारात्मक रूपान्तरण शामिल है। इन्हीं सब घटनाओं पर प्रकाश डालने के अतिरिक्त वे ब्रिटिश शासन के प्रजातन्त्र एवं राजनीतिक स्वतन्त्रता, क़ानून व्यवस्था, साम्राज्य के पश्चिमी व भारतीय समर्थक और रेलवे के तथाकथित लाभों के तर्कों को भी निरस्त करते हैं। अंग्रेज़ी भाषा, चाय और क्रिकेट के कुछ निर्विवादित लाभ वास्तव में कभी भी भारतीयों के लिए नहीं थे अपितु उन्हें औपनिवेशकों के हितों के लिए लाया गया था। भावपूर्ण तर्कों के साथ शानदार ढंग से वर्णित यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक सर्वाधिक विवादास्पद काल के सम्बन्ध में अनेक मिथ्या धारणाओं को सही करने में सहायता करेगी।
भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रारम्भ 1600 में रानी एलिज़ाबेथ I के द्वारा सिल्क, मसालों एवं अन्य लाभकारी भारतीय वस्तुओं के व्यापार के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी को शामिल कर लिए जाने से हुआ। डेढ़ शती के भीतर ही कम्पनी भारत में एक महत्तवपूर्ण शक्ति बन गयी। वर्ष 1757 में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में कम्पनी बलों ने बंगाल में शासन कर रहे सराजुद्दौला को प्लासी में अपेक्षाकृत बेहतर तोपों एवं तोपों से भी उच्च स्तर के छल से पराजित कर दिया। कुछ वर्ष बाद युवा एवं कमज़ोर पड़ चुके शाह आलम II को धमका कर एक फ़रमान जारी करवा लिया जिसके द्वारा उसके अपने राजस्व अधिकारियों का स्थान कम्पनी के प्रतिनिधियों ने ले लिया। अगले अनेक दशक तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने ब्रिटिश सरकार के सहयोग से लगभग पूरे भारत पर अपना नियन्त्रण फैला लिया और लूट-खसोट, कपट, व्यापक भ्रष्टाचार के साथ-साथ हिंसा एवं बेहतरीन बलों की सहायता से शासन किया। यह स्थिति 1857 में तब तक जारी रही जब बड़ी संख्या में कम्पनी के भारतीय सैनिकों के नेतृत्व में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध पहला बड़ा विद्रोह हुआ। विद्रोहियों को पराजित कर देने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने सत्ता अपने हाथ में ले ली और 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक देश पर दिखावटी तौर पर अधिक दयापूर्ण ढंग से शासन किया।यह पुस्तक भारतीय इतिहास के एक सर्वाधिक विवादास्पद काल के सम्बन्ध में अनेक मिथ्या धारणाओं को सही करने में सहायता करेगी।
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