Gita Press
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shri Shiv Mahapuranam (Code2020)
इस पुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shri-Krishna-Ank
भगवान् श्री कृष्ण का चरित्र इतना मधुर है कि बड़े-बड़े अमलात्मा परमहंस भी उसमें बार-बार अवगाहन करके अपने-आपको धन्य करते रहते हैं। इस विशेषांक में भगवान् श्री कृष्ण के मधुर एवं ज्ञानपरक चरित्र पर अनेक सन्त-महात्मा, विद्वान् विचारकों के शोधपूर्ण लेखोंका अद्भुत संग्रह है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shridurga Saptshati
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्री दुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shridurgasaptshati (0489)
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagvad Gita (Code 581)
यह श्रीसम्प्रदाय प्रवर्तक जगद्गुरू श्री रामानुजाचार्य द्वारा की गई विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त की पुष्टि में गीता की अद्भुत व्याख्या है, जिस का अनुकरण भक्ति-पक्ष के लगभग सभी आचार्यों द्वारा किया गया है। आचार्यश्री के इस भाष्य में प्रचलित अद्वैतवाद का श्रुति-स्मृतियों के प्रमाण सहित सुन्दर युक्तियों द्वारा खण्डन, भगवद्-आराधना पूर्वक कर्म की आवश्यकता पर बल, आत्मबोध-हेतु सतत प्रयास इत्यादि विषयों पर विशद विवेचन है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrimad Bhagvat Sudha Sagar, (Code1930)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। भगवान शुकदेवद्वारा महाराज परीक्षितको सुनाया गया भक्तिमार्गका तो मानो सोपानही है। इसके प्रत्येक श्लोकमें श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वयके साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Gita Pocket Book
Shrimadbhagvadgita is the divine discourse of Bhagvan Shri Krishna spreading light for a purposeful human life. The book contains Sanskrit text with Hindi translation, glory of Gita, contents of principal subjects of each chapter of Gita. The book also carries some essays regarding attainment of God through renunciation.
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। इस के प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। कलि सन्तरण का साधन-रूप यह सम्पूर्ण ग्रन्थ-रत्न मूल के साथ हिन्दी-अनुवाद, पूजन-विधि, भागवत-माहात्म्य, आरती, पाठ के विभिन्न प्रयोगों के साथ दो खण्डों में उपलब्ध है।
Srimadbhagavat Mahapuran has occupied its place as a crest-jewel among all the Indian literature. It is a step towards the path of devotion. Its each Shloka is full of fragrance with Shri Krishna’s love. This voluminous didactic doctrine contains the means of knowledge, a pathway to devotion. Available in two volumes. Bound with pictures.SKU: n/a -
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrimad Devibhagvat Mahapuranam
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Sundarkand (With Commentary)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है।
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथाShrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है। मूल के साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डों में उपलब्ध। सचित्र, सजिल्द।
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