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Ramkatha Ke naye Aayam


हिंदी में रामकथा पर बहुत कुछ काम हुआ है। इसमें सर्वाधिक विस्तृत संपूर्ण सर्वेक्षण फादर कामिल बुल्के (रामकथा) का है। रामचरितमानस और आधुनिक भारतीय भाषाओं में रचित रामचरितों का तुलनात्मक अध्ययन कई विद्वानों ने किया है। अभी तक गुजराती, मराठी, बँगला, तेलुगु एवं तमिल आदि भाषाओं के प्रमुख रामचरित काव्यों और उनमें उपलब्ध रामकथा का तुलसी के मानस के साथ तुलनात्मक अध्ययन हो चुका है। परंतु बलरामदास की दांडी रामायण और मानस की रामकथा का तुलनात्मक अध्ययन कम ही हुआ है।
प्रसिद्ध समालोचक एवं अनुवादक डॉ. शंकरलाल पुरोहित ने बलरामदास के राम-संबंधी दृष्टिकोण के मूल में जगन्नाथ और तुलसी के राम-संबंधी दर्शन के मूल में ब्रह्म की बात को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखी है।
रामकथा जहाँ भी, जिस रूप में भी कही गई है, उसके मूल में भक्तिधारा रही है। तुलसी और बलराम की रामकथा-धारा में अवगाहन कर हम इसी निष्कर्ष पर पहँुचते हैं और यह भक्तिधारा मानव मंगल तथा जनकल्याण के लिए एक विराट् फलक पर उत्कीर्ण हुई है।

Rs.315.00 Rs.350.00

Dr. Shankarlal Purohit

डॉ. शंकरलाल पुरोहित
जन्म : 1940 में।
शिक्षा : एम.ए, पी-एच.डी.।
1968 में ओडि़शा के विभिन्न महाविद्यालयों में हिंदी अध्यापन (हिंदी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, भुवनेश्वर में कुछ साल प्राचार्य रहे) कर सन् 1998 में बी.जे.बी. कॉलेज से सेवा निवृत्त हुए।
ओडि़या से हिंदी में सौ के करीब प्रमुख कृतियाँ अनूदित।
तुलनात्मक साहित्य, नाटक आदि पर दस से अधिक शोधार्थी पी-एच.डी. एवं दो डी.लिट. की डिग्री प्राप्त।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, केंद्रीय हिंदी संस्थान (गंगा शरणसिंह सम्मान), केंद्रीय साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार, हिंदी राइटर्स गिल्ड कनाडा की मानद आजीवन सदस्यता, भारतीय अनुवाद परिषद् सम्मान आदि शताधिक सम्मान-पुरस्कार, सूरीनाम में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन सुरीनाम में विश्व सम्मेलन सम्मान।

Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in
  •  Dr. Shankarlal Purohit
  •  9789386054494
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  2017
  •  184
  •  Hard Cover

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