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Pathik Main Aravali Ka (PB)


“अरावली सिर्फ़ पहाड़ ही नहीं है, वह हमारी सभ्यता और संस्कृति का संरक्षक भी है। अरावली की यात्रा के दौरान जहाँ मुझे ध्वस्त सभ्यताएँ भी दिखीं तो युद्ध की रणभेरियों के मैदान भी मिले। आदिदेव शिव तो बार-बार सामने आते ही रहे पर महावीर भी कोई कम मंदिरों में नहीं दिखे, यहाँ तक कि बुद्ध और मोहम्मद के चाहने वाले भी खूब मिले। कुल मिलाकर एक लघु भारत की खोज का अवसर मिला और जिस ‘आइडिया आफ़ इंडिया’ की बात बार-बार होती है, उसकी झलक अरावली में जगह-जगह मिली। लेकिन साथ ही मिले तेज़ी से ध्वस्त होते वहाँ के पहाड़, जंगल, पेड़-पौधे और प्रकृति के विनाश के अनगित उदाहरण। ये सब देखकर महसूस हुआ कि आने वाले समय में शायद अरावली पर्वत केवल किताबों में ही पढ़ने-देखने को मिलेगा और भविष्य की पीढ़ियाँ क्या इसका महत्त्व समझ पायेंगी…’’
-पुस्तक की भूमिका सेबहुचर्चित पुस्तक ‘मैं एक कारसेवक था‘ के लेखक भंवर मेघवंशी का अरावली पहाड़ पर यह एक रोचक यात्रा-वृत्तांत होने के साथ एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक-सामाजिक दस्तावेज़ है। पेशे से पत्रकार, आदत से एक्टिविस्ट, वृत्ति से घुमक्कड़, जन-आंदोलन से सरोकार और वंचितों के प्रति पक्षधरता करने वाले भंवर मेघवंशी अपनी कलम को औज़ार बना कर बदलाव की उम्मीद में सदा ही प्रयासरत रहते हैं।

Rs.338.00 Rs.375.00

Publisher : Rajpal and Sons
ISBN13 : 9789389373981
Author : Meghwanshi, Bhanwar
Format : PB
Language : Hindi

Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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