मायड़ रै आंगणै
(कमल पग धरती कन्या लियौ अवतार)
Author : ‘Tanwarani’ Tarnija Mohan Rathore
Language : Rajasthani
Edition : 2024
ISBN : 9788119488629
Publisher : Rajasthani Granthagar
Mayad Re Aangane
मायड़ रै आंगणै
कमल पग धरती कन्या लियो अवतार
लुगाई जूंण री अबखायां रौ सबळौ दस्तावेज – ‘मायड़ रै आंगणै’ साहित्य में कहाणी विधा री ठावी ठौड़ मानीजै। हरेक रचनाकार आपरै आसै-पासै री घटनावां सूं घणौ प्रभावित व्हिया करै, इणरौ प्रभाव उण रै लेखन में आया करै। नवोदित रचनाकार तरनिजा मोहन राठौड़ द्मत ‘मायड़ रै आंगणै’ कहाणी संग्रै समाजू हालातां सूं अरूबरू करावण रौ अंक सबळौ जतन है। Mayad Re Aangane
दरअसल राजस्थानी साहित्य में ‘वात’ रौ घणौ महताऊ स्थान है। अलेखूं बातां आज ई राजस्थानी जन-मन में बस्योड़ी है। रात री टेम बूढा-बडेरा धूंई रै चौगीड़दै बातां सुणावतां जकौ कई-कई दिन अर रात चालती रैवती। in fact कई लोग मानै कै औ ‘वात साहित्य’ इज आधुनिक काल तक आवतै-आवतै कहाणी रूप में सांम्ही आयौ। पण भारतीय साहित्य रै परिपेख में देखां तौ लागै कै आज री राजस्थानी कहाणी अंग्रेजी साहित्य रै स्टोरी जवतलद्ध सूं हदभांत जुड़ियोड़ी है। जकौ अंग्रेजी सूं बांग्ला अर बांग्ला सूं हिंदी रै मारफत अठै तांई पूगै। हिंदी साहित्य री बात करां तौ सन् उगणीस सौ रै पैले-दूजै दसक में कहाणी पैलीपोत सांम्ही आई। जदकै राजस्थानी ‘वात साहित्य’ अपांरी अंजसजोग जूनी परंपरा है। अठै आ बात उल्लेखजोग हैं कै राजस्थानी साहित्य में शिवचंद्र भरतिया ‘विश्रांत प्रवास’ कहाणी लिख र नवौ आगाज करियौ।
Rs.150.00
Weight | 0.350 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
There are no reviews yet.