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Marwad ke Thikanon ka Itihas


मारवाड़ के ठिकानों का इतिहास (ठिकाना रोहिट के विशेष संदर्भ में, 1706-1950 ई.) :
राजस्थान के गौरवमय इतिहास में राठौड़ वंश का अभूतपूर्व योगदान रहा है जिनकी साहित्य, इतिहास और संस्कृति के विभिन्न सौपानों में भूमिका बड़ी ही महत्त्वपूर्ण रही। इतिहास के आलोक में देखने पर ज्ञात होता है कि मण्डोर के राव रणमल के सुयोग्य आत्मज एवं जोधपुर के संस्थापक राव जोधा के अनुज चांपा से राठौड़ों की चांपावत शाखा का प्रादुर्भाव हुआ था।
मारवाड़ के इतिहास में चांपावत राठौड़ों की विशेष भूमिका रहने के फलस्वरूप यहाँ के उमरावों में उन्हें शीर्ष स्थान प्राप्त होने का सौभाग्य मिला। जोधपुर की स्थापना के पीछे 200 वर्ष का संघर्षमय इतिहास रहा। राव रणमल के समय राठौड़ों के इतिहास ने एक नई करवट ली। मारवाड़ के राठौड़ों की बढ़ती हुई शक्ति और वर्चस्व के फलस्वरूप मेवाड़ के महाराणा कुंभा को चित्तौड़ की बागडोर संभालने में सफलता मिली। चांपाजी ने कापरड़ा में अपना ठिकाना स्थापित कर अपने वंशजों के उज्ज्वल भविष्य की नींव डाली। कापरड़ा गांव में आज भी उनकी छतरी विद्यमान है जो उनकी गौरवगाथाओं की याद दिलाती है।
चांपाजी के वंशजों का खूब वंश विस्तार हुआ, जिससे कई ठिकानों का निर्माण भी हुआ, जिनमें रोहिट ठिकाना भी प्रमुख रूप से है। रोहिट के चांपावत राठौड़ों ने जहाँ राज्य की ओर से लड़े जाने वाले युद्धों में रणकुशलता का परिचय दिया वहीं ठिकाने की प्रशासनिक व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान भी दिया।
मारवाड़ के उमरावों में चांपावत राठौड़ों का विशिष्ट स्थान रहा था। गोपालदास चांपावत और उसके 8 पुत्रों ने अलग-अलग युद्ध अभियानों में अपने प्राणों की आहुतियां दी थीं। शिलालेखों की खोज कार्यों में कापरड़ा, रणसी, हरसोलाव, रोहट, पाली और आऊवा की शोध यात्राएं और वहाँ से असंख्य शिलालेख जो काल के गरत में समा चुके थे उन्हें प्रकाश में लाने का प्रयास किया गया।
डाॅ. भगवानसिंह जी शेखावत द्वारा रोहिट ठिकाने पर किया गया शोध कार्य ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। ठिकाने की इकाई को न सिर्फ इसमें स्पष्ट किया गया है बल्कि मारवाड़ में यहाँ के उमरावों की भूमिका को समझने के साथ ही ठिकाने की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डाला है, जिसमें सहायक सामग्री के रूप में रोहिट ठिकाने की बहियों का भरपूर उपयोग किया गया है। मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए आशा करता हूँ कि ऐसे शोध कार्य लगोलग प्रकाश में आने से न सिर्फ मारवाड़ बल्कि राजस्थान के इतिहास में उमरावों की भूमिका को समझने में महत्त्वपूर्ण प्रकाश पड़ेगा।

Rs.450.00 Rs.500.00

AUTHOR : Dr. Bhagwan Singh Shekhawat
ISBN : 9789391446475
Language : Hindi
Publisher: Rajasthani Granthagar
Binding : HB
Pages : 224
WEIGHT : 0.470 Kg

Weight 0.470 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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