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Kanharde Prabandh Mein Sanskriti Aur Samaj


कान्हड़दे प्रबंध में संस्कृति और समाज : कवि पद्मनाभ कृत ‘कान्हड़दे प्रबंध’ राजस्थानी भाषा एवं साहित्य का एक गौरव ग्रंथ है। प्रस्तुत प्रबंध-काव्य में कवि की काव्य-प्रतिभा तथा पांडित्य के दर्शन तो होते ही हैं, इसके अतिरिक्त इसमें अपने युग का जीवंत व मनोरम चित्रण भी हुआ है। वस्तुतः ‘कान्हड़दे प्रबंध’ कथानायक के स्वाभिमान तथा स्वदेश-प्रेम का एक बेजोड़ नमूना है। इसके रचनाकार ने मानवीय संबंधों व संवेदनाओं को कलात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है। इसमें कवि पद्मनाभ ने काव्योचित स्वतंत्रता का प्रयोग करते हुए इतिहास और कल्पना के योग से एक सुन्दर प्रबंध की योजना करने में सफलता प्राप्त की है। यद्यपि इस प्रबंध काव्य पर साहित्यिक दृष्टि से अभी तक कोई शोध कार्य सम्पन्न नहीं हुआ है, तथापि कतिपय शोध पत्रिकाओं में इसकी भाषिक संरचना पर एकाध फुटकर लेख अवश्य प्रकाशित हुए हैं। यही कारण है कि मैंने ‘कान्हड़दे प्रबंध में संस्कृति और समाज’ विषय पर शोध कार्य करने का मानस बनाया और उसी का यह सुफल इस पुस्तक के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है।

प्रस्तुत ग्रंथ को आठ अध्यायों में विभक्त किया गया है। इन अध्यायों में कवि पद्मनाभ और कान्हड़दे का परिचय, कान्हड़दे प्रबंध के प्रबंध तत्वों का मूल्यांकन एवं उनके काव्य रूप की समीक्षा, आलोच्य काव्य-ग्रंथ की छंद एवं अलंकार- योजना की विवेचना, ‘कान्हड़दे प्रबंध’ का भाषा शास्त्रीय अनुशीलन, कान्हड़दे प्रबंध में वर्णित समाज के स्वरूप, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक-जीवन, सामाजिक संस्थाओं तथा सांस्कृतिक उपादानों के सम्यक विवेचन, रचना के उद्देश्य एवं जीवन-संदेश आदि समाहित है।

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह ग्रंथ प्रत्येक इतिहासकार, शोधार्थी एवं पाठकगणों हेतु उपयोगी साबित होगा।

Rs.720.00 Rs.800.00

Author : Dr. Richa Gaur
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9789391446376
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR

Weight 0.710 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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