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Jaiprakash Tum Laut Aao


संविधान बनाने का काम हमने मुख्य रूप से देश के सर्वोच्च विधि-वेत्ताओं के सिर पर डाल दिया था। उनमें से बहुतेरों ने शायद ही कभी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। शायद यह सोचा गया कि संविधान बनाने का काम कानून के निष्णातों का है। यूँ देखा जाए तो हर महान् क्रांति के बाद नया संविधान क्रांतिकारियों ने स्वयं बनाया है। कानून के निष्णात लोग तो मात्र उसे योग्य परिभाषा देने में मदद करते रहे हैं, लेकिन हमारे यहाँ तो संविधान बनाने में मुख्य हाथ इन कानून-निष्णातों का ही रहा है। परिणाम यह हुआ कि स्वाधीनता आंदोलन के दरम्यान हमने जिन भावनाओं और आदर्शों की कल्पना की थी, संविधान को उनकी हवा तक का स्पर्श नहीं हुआ।’’

Rs.360.00 Rs.400.00

  •  Mamta Mehrotra
  •  9789353222352
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  184
Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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