Author: MANOHAR SHYAM JOSHI
Format: Hardcover
ISBN :9789350009574
Pages: 274
Weight | .450 kg |
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Dimensions | 7.50 × 5.57 × 1.57 in |
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Literature & Fiction, Vani Prakashan
Yuddh – 2 (Hindi, Narendra Kohali)
0 out of 5(0)युद्ध-2
‘दीक्षा’, ‘अवसर’, ‘संघर्ष की ओर’ तथा ‘युद्ध’ के अनेक सजिल्द, अजिल्द तथा पॉकेटबुक संस्करण प्रकाशित होकर अपनी महत्ता एवं लोकप्रियता प्रमाणित कर चुके हैं। महत्वपूर्ण पत्र पत्रिकाओं में इसका धारावाहिक प्रकाशन हुआ है। उड़िया, कन्नड़, मलयालम, नेपाली, मराठी तथा अंग्रेज़ी में इसके विभिन्न खण्डों के अनुवाद प्रकाशित होकर प्रशंसा पा चुके हैं। इसके विभिन्न प्रसंगों के नाट्य रूपान्तर मंच पर अपनी क्षमता प्रदर्शित कर चुके हैं तथा परम्परागत रामलीला मण्डलियाँ इसकी ओर आकृष्ट हो रही हैं। यह प्राचीनता तथा नवीनता का अद्भुत संगम है। इसे पढ़कर आप अनुभव करेंगे कि आप पहली बार एक ऐसी रामकथा पढ़ रहे हैं, जो सामयिक, लौकिक, तर्कसंगत तथा प्रासंगिक है। यह किसी अपरिचित और अद्भुत देश तथा काल की कथा नहीं है। यह इसी लोक और काल की, आपके जीवन से सम्बन्धित समस्याओं पर केन्द्रित एक ऐसी कथा है, जो सार्वकालिक और शाश्वत है और प्रत्येक युग के व्यक्ति का इसके साथ पूर्ण तादात्म्य होता है।SKU: n/a -
Vani Prakashan
Kavita Ki Pukar
0 out of 5(0)यूँ तो दिनकर जी की कविताओं के प्रायः नौ संकलन हैं, किन्तु उनके प्रमुख काव्य-संकलन ‘चक्रवाल’, ‘आज के लोकप्रिय कवि’, जिसका संकलन श्री मन्मथनाथ गुप्त ने किया था, और ‘रश्मिलोक’ व ‘संचयिता’ हैं। दिनकर जी ने ‘रश्मिलोक’ का स्वत्वाधिकार मुझे दिया है। अतएव इस संग्रह में इन पुस्तकों में सर्वाधिक आवृत्ति जिन कविताओं की हुई है, उसे ही मैंने प्रमुखता दी है। ‘सीपी और शंख’ में दिनकर जी ने विभिन्न भाषाओं के अपने कुछ पसन्दीदा कवियों का अनुवाद संकलित किया है। किन्तु बहुत-से दिनकर-प्रेमी यह मानते हैं कि यह अनुवाद उन कविताओं से मात्र प्रेरणा लेकर किया गया है और इसमें मौलिकता है। किन्तु दिनकर जी की दूसरी डी.एच. लॉरेंस की कविताओं के संग्रह ‘आत्मा की आँखें’ से कोई कविता ‘चक्रवाल’, ‘आज के लोकप्रिय कवि’ व ‘संचयिता’ में प्रायः नहीं मिली, फिर भी मैंने चयन की प्रक्रिया की अवहेलना कर इस संग्रह को अद्यतन बनाने के लिए ‘आत्मा की आँखें’ से ‘मच्छर’ और ‘आदमी’ नामक शीर्षक दो कविताओं को सम्मिलित किया है। यह कविताएँ दिनकर जी की प्रमुख कविताओं, मेरी पसन्द के अनुसार नहीं, बल्कि दिनकर जी की प्रतिनिधि कविताओं के तौर पर चुनी गयी हैं। आशा है। कि दिनकर साहित्य के अध्येता व स्नेही जनों को इस संग्रह के द्वारा सम्पूर्णता में तो सम्भव नहीं है किन्तु फिर भी दिनकर जी की सम्पूर्ण काव्य की एक छटा जरूर दिख जायेगी। -भूमिका से
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Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
ADHIKAR : MAHASAMAR – 2
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0 out of 5(0)नरेन्द्र कोहली
‘अधिकार’ की कहानी हस्तिनापुर में पाण्डवों के शैशव से आरम्भ हो कर, वारणावत के अग्निकाण्ड पर जा कर समाप्त होती है। वस्तुतः यह खण्ड ‘अधिकारों’ की व्याख्या, अधिकारों के लिए हस्तिनापुर में निरन्तर होने वाले षड्यन्त्र, अधिकार को प्राप्त करने की तैयारी तथा संघर्ष की कथा है। राजनीति में अधिकार प्राप्त करने के लिए होने वाली हिंसा तथा राजनीतिक त्रास के बोझ में दबे हुए असहाय लोगों की पीड़ा की कथा समानान्तर चलती है। सतोगुणी राजनीति तथा तमोन्मुख रजोगुणी राजनीति का अन्तर इसमें स्पष्ट होता है। एक ओर निर्लज्ज स्वार्थ और भोग तथा दूसरी ओर अनासक्त धर्म-संस्थापना का प्रयत्न। दोनों पक्ष आमने-सामने हैं।
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