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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vedas Sanhita Set of 4
-10%Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिVedas Sanhita Set of 4
वेद चार हैं, ऋग्वेद ज्ञानकाण्ड है, यजुर्वेद कर्मकाण्ड, सामवेद उपासनाकाण्ड तथा अथर्ववेद विज्ञानकाण्ड है। ऋग्वेद मस्तिष्क का वेद है, यजुर्वेद हाथों का वेद है, सामवेद हृदय का वेद है और अथर्ववेद उदर=पेट का वेद है।
वेद में भी परमात्मा के आदेश, उपदेश और सन्देश हैं। महर्षि दयानन्द के शब्दों में ‘वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।‘ स्वयं वेद पढ़ो, उनपर आचरण करो।
हमने चारों वेदों को शुद्धतम छापने का संकल्प किया था। अपनी ओर से हमने पूर्ण प्रयत्न किया है। अब तक जितने भी संस्करण छपे हैं और जहाँ से भी छपे हैं, यह उनमें सर्वोत्कृष्ट हैं।
इस संस्करण की कुछ विशेषताएँ निम्न हैं-इन वेदों के ईक्ष्यवाचन प्रूफ रीडिंग में विषेष ध्यान रक्खा गया है। इतने शुद्ध, नयनाभिराम और सस्ते वेद अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं होंगे। इसकी टाइप अन्य संस्करणों की अपेक्षा मोटी रक्खी गई है। कम्प्यूटर की कम्पोजिंग, उत्तम कागज, बढ़िया छपाई, टिकाऊ पक्की जिल्द, इसकी अन्य विशेषताएँ हैं। पाठगण ! इन्हे आप स्वयं क्रय कीजिए और अन्यों को प्रेरित कीजिए।
गुरुकुलों में अभ्यास के लिए, वेद पाठ के लिए, वेद परायण यज्ञों के लिए तथा वेद-मन्त्रों को कण्ठस्त करने के लिए इन चारों वेदों (मूल मात्र) के यह संस्करण अत्यन्त उपर्युक्त हैं।
सामवेद में स्वर-चिह्न मन्त्रों पर जो 1, 2, 3, आदि संख्या डली हुई हैं, ये संख्याएँ उदात्त, अनुदात्त और स्वरित के चिह्न हैं। ऋग्वेद आदि अन्य वेदों में अनुदात्त का चिह्न पड़ी रेखा से और स्वरित का चिह्न खड़ी रेखा से दिखाया जाता है।
अनेक विशेषताओं से युक्त होने पर भी इसका मूल्य प्रचार-प्रसार की दृष्टि से रक्खा गया है। हम वेद का स्वाध्याय करें, वेद के अर्थों को जानें, वेद को जीवन में उतारकर अपने जीवन को सुजीवन बनाएँ।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan
Vedas Set of 4
मानवता की अपूर्व धरोहर चारों वेदों का सरल परिचय प्राप्त करें-पाठकों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि चारों वेदों में विवेचित विषयों तथा उनकी विषय वस्तु का सरल शैली में परिचय प्राप्त कराने के लिए हमारे विशेष अनुरोध पर प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् डॉ. भवानीलाल भारतीय जी ने चारों वेद संहिताओं का परिचयात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत चार पुस्तकों में किया है।
वैदिक संहिता साहित्य से परिचय प्राप्त करने में यह ग्रंथमाला अपूर्व सहायक सिद्ध होगी।SKU: n/a -
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Yajurveda
यजुर्वेद का मुख्य विषय मानवोचित कर्म को बताना है तथापि यह नहीं कहा जा सकता कि इस वेद में कर्म के अत्यरिक्त कोई अन्य विषय व्याख्यात नहीं हुआ है। यजुर्वेद में इनसे पृथक् ईश्वर, जीव, प्रकृति, सृष्टि-रचना, जीवन-मृत्यु आदि दार्शनिक विषयों पर गहन चिंतन प्राप्त होता है। दार्शनिक तत्व के साथ-साथ समाज शास्त्र जिसमें मनुष्यों के सर्वहितकारी नियम, वर्ण और आश्रम व्यवस्था, नारी सम्मान आदि का मूल, बीज रुप में उल्लेखित है। राष्ट्र भावना का और राष्ट्र में मनुष्यों के योगदान पर यजुर्वेद प्रकाश डालता है और राष्ट्र को सबल बनाने का उपाय बताता है। यजुर्वेद पर्यावरण के महत्व और उसकी सुरक्षा पर भी उपदेश करता है। यजुर्वेद का मन्त्र “द्यौः शान्तिः.-यजु.36-17” अनेक स्थानों पर दृष्टिगोचर होता है जिसमें समस्त ब्रह्माण्ड सभी के लिए शान्तिदायक हो ऐसी प्रार्थना की गयी है। यहां शान्तिदायक ब्रह्माण्ड तभी होगा जब इनका संतुलन बना रहे और ये प्रदूषणादि दोषों से पृथक रहें। इस प्रकार यजुर्वेद पर्यावरण के महत्व पर उपदेश करता है। इस वेद में अनेक विषयों का उपदेश है, जैसे औषधिशास्त्र का “सुमित्रिया न आप ओषधयः सन्तु”- ऋ.6.22 आदि। गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त पर, जैसे – आकृष्णेन रजसा वर्तमानो..-ऋ.33.43 आदि।
कृषि विद्या पर भी कृषन्तु भूमिं शुनं – यजु.12.69 आदि अनेक मन्त्र हैं। पशुपालन और गौरक्षा का “यजमानस्य पशुन् पाहि”-यजु.1.1 आदि मन्त्रों द्वारा उपदेश हैं। गणित विद्या पर “एका च मे तिस्त्रश्च मे तिस्त्रश्च.”- यजु.18.24 आदि मन्त्रों द्वारा उपदेश है। यजुर्वेद के 18वें अध्याय में अनेक खनिजों के नामों को बताया गया है।
प्रस्तुत भाष्य महर्षि दयानन्द सरस्वती रचित है। इस भाष्य में ऊपर वर्णित सभी विषयों के अतिरिक्त अन्य विषयों का भी समावेश है। यह भाष्य नैरुक्त प्रक्रिया से सम्पन्न विज्ञान और दर्शनों की कसौटियों पर खरा उतरता है। जहां अन्य भाष्य केवलमात्र कर्मकांड युक्त है, वहीं ये भाष्य लौकिक, अलौकिक आदि ज्ञान-विज्ञान से युक्त है। इस भाष्य में व्यवहारिक ज्ञान की प्रचुरता है। भाष्यकार ने भाष्य में अर्थ प्रमाण की दृष्टि से निरूक्त, अष्टाध्यायी, तैत्तरीय संहिता, शतपथ ब्राह्मण का प्रमाण दिया है, जिससे भाष्य की शैली की प्रमाणिकता सिद्ध होती है। सभी मन्त्रों का उत्तम और जीवन में उपयोगी विषयों के अनुरूप यह भाष्य है। इस भाष्य के अध्ययन करने पर आप स्वयं कह उठेंगे कि “सर्वज्ञानमयो हि सः।
भाष्यकार : महर्षि दयानन्द सरस्वती
सम्पूर्ण यजुर्वेद भाष्य प्रथम बार कंप्यूटर द्वारा मुद्रित, शुद्धतम् सामग्री, नयनाभिराम डिजिटल छपाई, आकर्षक आवरण, उत्तम कागज, सुंदर टाइप, शब्दार्थ व मन्त्रानुक्रमणिका सहित एक खण्ड में प्रस्तुत |
यजुर्वेद का विषय केवल कर्मकाण्ड ही नहीं है, बल्कि इसमें वर्णित है अध्यात्म एवं दर्शन ,सृष्टि-रचना तथा मोक्ष, नैतिक तथा आचारमूलक शिक्षाएं , मनोविज्ञान बुद्धिवाद, समाज दर्शन , राष्ट्र भावना, पर्यावरण का संरक्षण। काव्य तत्व के अतिरिक्त यजुर्वेद में विद्यमान है, विश्व मानव की एकता जैसे उपयोगी विषय ।
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