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Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Vijayi Bhav
हम भारतीयों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी जरूरी संसाधन पर्याप्त मात्रा में देश में उपलब्ध हैं। हमारे यहाँ बहुत सी नीतियाँ और संस्थाएँ हैं। चुनौती है तो बस शिक्षकों, विद्यार्थियों और तकनीक-विज्ञान को एक सूत्र में पिरोकर एक दिशा में चिंतन करने की।
प्रस्तुत पुस्तक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में चिंतन के विविध आयामों को खोलती है, अनेक व्यावहारिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है और कई महत्त्वपूर्ण प्रश्न पाठकों के सामने रखती है। डॉ. कलाम देश के छात्र व युवा-शक्ति को भावनात्मक, नैतिक एवं बौद्धिक विकास की ओर प्रवृत्त होने का संदेश देते हैं। वैज्ञानिक और तकनीकी खोजों को सही ढंग से मनुष्य के विकास में उपयोग करने के विचार को बल देते हैं।
विजयी भव डॉ. कलाम के भारत को महाशक्ति बनाने के स्वप्न को दिशा देनेवाली कृति है। इसमें शिक्षा व शिक्षण की पृष्ठभूमि, मानव जीवन-चक्र, परिवारों के सदस्यों के बीच पारस्परिक संबंध, कार्य की उपयोगिता, नेतृत्व के गुण, विज्ञान की प्रकृति, अध्यात्म तथा नैतिकता पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
यह कृति डॉ. कलाम की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों की श्रृंखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो हमें सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन में अपनी प्रवीणताओं और कुशलताओं के साथ विजयी होने की प्रेरणा देती है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Wah Zindagi
‘तुम यहाँ हो! मैं तो तुम्हें अंदर ढूँढ़ रही थी।’ इतने में कृतिका मुझे ढूँढ़ती बाहर चली आई।
‘यह क्या हाल बना रखा है तुमने अपना?’ और वह खिलखिलाकर हँस दी।
तभी दोनों बच्चे भी स्कूल जाने के लिए बाहर आए और कृतिका को हँसते देख वे भी मुझे देख हँसने लगे।
‘मजा आ गया आज तो?’
‘अरे पिताजी! रोज ऐसा किया करिए, छुट्टी के दिन हम भी आपके साथ भीगेंगे…।’ कहकर वे हाथ हिलाते हुए स्कूल निकल पड़े।
कुहासा छँट रहा था। मैं अपने आपको बेहद हल्का महसूस कर रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं आकाश में उड़ रहा हूँ।
जिंदगी बहुत खूबसूरत है, बस जरूरत है तो उसे इस नजरिए से देखने की।
‘वाह जिंदगी!।’ मैंने मन ही मन उस जिंदगी को धन्यवाद दिया, जो कल ही मेरे पास कुछ समय के लिए आकर मुझे जीना सिखा गई थी।SKU: n/a