Sociology
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Rajasthani Granthagar, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hindu Sabhyata mein Nariyon ki Isthiti
विश्वविश्रुत भारतीय इतिहासकार प्रो. (डाॅ.) ए. ऐस. अल्तेकर महोदय द्वारा रचित “The Position of Women in Hindu Civilisation” नामक उत्कृष्ट और अद्वितीय ग्रन्थ का ”हिन्दू सभ्यता में नारियों की स्थिति“ शीर्षक से युक्त यह हिन्दी अनुवाद इतिहासविदों, भारतीय इतिहास के विद्यार्थियों, अँगरेज़ी भाषा से अनभिज्ञ हिन्दीभाषी और हिन्दीभाषाविद् सामान्य तथा प्रबुद्ध पाठकों के अध्ययनार्थ प्रकाशित है। उपर्युक्त मूल ग्रन्थ का सुदीर्घ कालावधि के पश्चात् हिन्दी में यह अनुवाद पहली बार प्रस्तुत है। यद्यपि किसी एक ऐतिहासिक कालावधि, किसी एक पक्ष तथा किसी एक बृहद् ग्रन्थ को आधार बना कर हिन्दू नारीजाति की स्थिति के निरूपण से सम्बन्धित ग्रन्थ विद्यमान हैं, तथापि प्रागैतिहासिक कालावधि से लेकर वर्तमान काल (1956) तक हिन्दू नारीजाति के जीवन से सम्बन्धित सम्पूर्ण अवस्थाओं और पक्षों का तुलनात्मक, समीक्षात्मक और विशद विवेचन करने के कारण प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर का ग्रन्थ सर्वातिशायी, अतिविशिष्ट और अद्वितीय है।
इस ग्रन्थ के प्रथम से एकादश तक अध्यायों में हिन्दू नारियों की बाल्यावस्था और शिक्षा, विवाह और विवाह-विच्छेद, विवाहित जीवन, विधवा की स्थिति (दो भागों में), नारियाँ और लोक-जीवन, नारियाँ और धर्म, पत्याश्रय की अवधि में मालिकाना अधिकार, मालिकाना अधिकार-उत्तराधिकार और संविभाग, वेश तथा आभूषण, नारियों के प्रति सामान्य अभिवृत्ति का प्रागैतिहासिक कालावधि से वर्तमान काल तक क्रमशः विस्तृत विवेचन किया गया है। विधवा की स्थिति – प्रथम भाग में सतीप्रथा का विस्तृत वर्णन किया गया है। अन्तिम द्वादश अध्याय में चार युगों में हिन्दू सभ्यता में नारियों की स्थिति का समग्र रूप से सर्वेक्षण करते हुए महत्त्वपूर्ण सुझावपूर्वक भावी प्रत्याशा का निरूपण किया गया है।
वैदिक वाङ्मय, रामायण, महाभारत, पुराणशास्त्र, प्रमुख धर्म- शास्त्रीय ग्रन्थों, स्मृतिग्रन्थों, कौटिलीय अर्थशास्त्र, कामसूत्र, श्रेण्य संस्कृत साहित्य, बौद्ध तथा जैन धर्मों के प्रमुख ग्रन्थों से यथाप्रसंग मूल उद्धरण तथा सन्दर्भ प्रस्तुत करने के कारण प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर महोदय का ग्रन्थ सर्वथा शास्त्रान्वित, मौलिक तथा प्रामाणिक है। उन्होंने तत्तत् ग्रन्थकारों तथा विचारकों के मतों का तुलनात्मक दृष्टि से समीक्षात्मक विवेचन करते हुए उनके औचित्य तथा अनौचित्य का भी संकेत किया है। अपिच, प्रोफेसर (डाॅ.) अल्तेकर महोदय ने विदेशी यात्रियों के विवरणों, पुरातात्त्विक ग्रन्थों आदि तथा समस्त अपेक्षित ग्रन्थसामग्री से भी यथाप्रसंग सन्दर्भ प्रस्तुत कर उनका विवेचन किया है। यह अनुवादमय ग्रन्थ अँगरेज़ी भाषा न जानने वाली हिन्दीभाषी महिलाओं के लिए विशेष रूप से पठनीय है। इसकी भाषा परिष्कृत, प्रवाहमयी तथा सुबोध है। अनुवादक ने हिन्दी अनुवाद में मूल ग्रन्थ के प्रतिपाद्य को इतना सुस्पष्ट कर दिया है कि अनुवाद मूल जैसा प्रतीत होता है।SKU: n/a -
Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hindu Shaddarshan [PB]
Vishwavidyalaya Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिHindu Shaddarshan [PB]
प्रख्यात महाग्रन्थ ‘जपसूत्रम्’ के प्रणेता महान् दार्शनिक, गणितज्ञ तथा मनीषी स्वामी प्रत्यगात्मानन्द प्रणीत ‘हिन्दू षड्दर्शन’ के भाषानुवाद का प्रस्तुतिकरण इस प्रसंग की सूक्ष्म विवेचना न होकर इसका दिशानिर्देश-मात्र है, जो सूत्ररूप से ग्रथित है। साथ ही षड्दर्शन का साररूप है। जो विशाल कलेवरयुक्त गूढ़ तत्त्व समावृत षड्दर्शन का समग्र अध्ययन नहीं कर सकते, तथापि इस विषय के प्रति जिज्ञासु हैं, उनके लिए यह ग्रन्थ एक पथ-प्रदीप के समान है। स्वनामधन्य ग्रन्थकार का पूर्वनाम था प्रमथनाथ मुखोपाध्याय, तत्पश्चात् संन्यासाश्रम में ये स्वामी प्रत्यगात्मानन्द सरस्वती के नाम से विख्यात हो गये। दर्शनशास्त्र का अध्यापक होने पर भी इन्होंने गणित तथा विज्ञान में उतनी ही दक्षता प्राप्त करके दीर्घकालपर्यन्त शिक्षण-कार्य भी किया था। कालान्तर में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार आयोजित विश्वतन्त्र सम्मेलन का इन्हें अध्यक्ष भी मनोनीत किया गया था। महान् विद्वान सर जॉन वुडरफ, महामहोपाध्याय डॉ० पं० गोपीनाथ कविराज भी इनके प्रति श्रद्धावान् थे। 96 वर्ष की आयु में दिनांक 20-10-1973 ई० को इन्होंने इस धराधाम का त्याग करके अनन्त की यात्रा का वरण किया था। यह ग्रन्थ केवल वागविलास न होकर इन मनीषी की गहन अनुभूति एवं चिन्तना पर आधारित होने के कारण अत्यन्त उपयोगी है। प्रत्यक्ष ज्ञानयुक्त है। अत: पठनीय है।
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Prabhat Prakashan, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Hindutva (PB)
‘हिंदुत्व’ एक ऐसा शब्द है, जो संपूर्ण मानवजाति के लिए आज भी अपूर्व स्फूर्ति तथा चैतन्य का स्रोत बना हुआ है। इस शब्द से संबद्ध विचार, महान् ध्येय, रीति-रिवाज तथा भावनाएँ कितनी विविध तथा श्रेष्ठ हैं। ‘हिंदुत्व’ कोई सामान्य शब्द नहीं है। यह एक परंपरा है। एक इतिहास है। यह इतिहास केवल धार्मिक अथवा आध्यात्मिक इतिहास नहीं है। अनेक बार ‘हिंदुत्व’ शब्द को उसी के समान किसी अन्य शब्द के समतुल्य मानकर बड़ी भूल की जाती है। वैसे यह इतिहास मात्र नहीं है, वरन् एक सर्वसंग्रही इतिहास है। ‘हिंदू धर्म’, यह शब्द ‘हिंदुत्व’ से ही उपजा उसी का एक रूप है, उसी का एक अंश है।
‘हिंदुत्व’ शब्द में एक राष्ट्र, हिंदूजाति के अस्तित्व तथा पराक्रम के सम्मिलित होने का बोध होता है। इसीलिए ‘हिंदुत्व’ शब्द का निश्चित आशय ज्ञात करने के लिए पहले हम लोगों को यह समझना आवश्यक है कि ‘हिंदू’ किसे कहते हैं। इस शब्द ने लाखों लोगों के मानस को किस प्रकार प्रभावित किया है तथा समाज के उत्तमोत्तम पुरुषों ने, शूर तथा साहसी वीरों ने इसी नाम के लिए अपनी भक्तिपूर्ण निष्ठा क्यों अर्पित की, इसका रहस्य ज्ञात करना भी आवश्यक है।
प्रखर राष्ट्रचिंतक एवं ध्येयनिष्ठ क्रांतिधर्मा वीर सावरकर की लेखनी से निःसृत ‘हिंदुत्व’ को संपूर्णता में परिभाषित करती अत्यंत चिंतनपरक एवं पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)
Indra Vijay
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)Indra Vijay
An Old and Rare Book
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला 6 – इन्द्रविजयः – पण्डित मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ | Pandit Madhusudan Ojha Granthamala 6 – Indravijay – Pt. Madhusudan Ojha Research CellSKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Mahan Chanakya Ki Jeevan Gatha
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रMahan Chanakya Ki Jeevan Gatha
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य अपने गुणों से मंडित, राजनीति विशारद्, आचार-विचार के मर्मज्ञ, कूटनीति में सिद्धहस्त एवं एक कठोर गुरु के रूप में विख्यात हैं और राजनीतिकारों व कूटनीतिकों के आदर्श हैं।
मौर्यवंश की स्थापना आचार्य चाणक्य की एक महती उपलब्धि है। यह वह समय था, जब मौर्यकाल के प्रथम सिंहासनारूढ़ चंद्रगुप्त मौर्य शासक थे। उस समय चाणक्य राजनीति के गुरु थे। आज भी कुशल राजनीति विशारद् को चाणक्य की संज्ञा दी जाती है। चाणक्य ने संगठित, संपूर्ण आर्यावर्त का स्वप्न देखा था, तदनुरूप उन्होंने सफल प्रयास किया।
उन्होंने नंदवंश को समूल नष्ट कर उसके स्थान पर अपने सुयोग्य एवं मेधावी वीर शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को शासक पद पर सिंहासनारूढ़ करके अपनी जिस विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया, उससे समस्त विश्व परिचित है।
चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री, गुरु, हितैषी तथा राज्य के संस्थापक थे। चंद्रगुप्त मौर्य को राजा पद पर प्रतिष्ठित करने का कार्य इन्हीं के बुद्धि-कौशल का परिणाम था। उन्हें भारत के एक महान् राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है। उनके सिद्धांत, परिभाषाएँ, सूत्र और वचन आज भी प्रासंगिक हैं।
ऐसे महान् रणनीतिज्ञ व समाजशास्त्री आचार्य चाणक्य की प्रामाणिक एवं प्रेरणाप्रद जीवनगाथा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Main Chanakya Bol Raha Hoon
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रMain Chanakya Bol Raha Hoon
विशाल साम्राज्य खड़ा करनेवाले चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु तथा विश्व-प्रसिद्ध आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य बचपन में अन्य बालकों से भिन्न एक असाधारण बालक थे। उनके पिता चणक एक शिक्षक थे, इसलिए चाणक्य भी अपने पिता का अनुसरण करके शिक्षक बनना चाहते थे। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशास्त्र की शिक्षा ग्रहण की। इसके पूर्व उन्होंने बचपन में ही वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का अध्ययन कर लिया था। उनका ग्रंथ ‘चाणक्य नीति’ साहित्य की अमूल्य निधि है।
आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में जो कहा, वह इतिहास बन गया। उनके कथन उदाहरण बन गए। उनके कथन उस काल में जितने महत्त्वपूर्ण थे, आज भी वे उतने ही प्रासंगिक हैं। उनका एक-एक कथन अनुभवों की कसौटी पर कसा खरे सोने जैसा है।
2,300 वर्ष पहले लिखे गए चाणक्य के ये शब्द आज भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं। अगर उनकी राजनीति के सिद्धांतों का थोड़ा भी पालन किया जाए तो कोई भी राष्ट्र महान्, अग्रदूत और अनुकरणीय बन सकता है।
आचार्य चाणक्य के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक तथा सभी प्रासंगिक विषयों के प्रेरणाप्रद सूत्र वाक्यों का प्रामाणिक संकलन।SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Musalmano Ki Ghar Wapsi.. Kyon Aur Kaise?
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Musalmano Ki Ghar Wapsi.. Kyon Aur Kaise?
अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकता है। किसी विचार, किसी लेख-कविता या पुस्तक के उत्तर में तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एसिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते हैं। इसे सदैव हिंसा से दबाने की कोशिश करते हैं। सदियों से, बल्कि आरंभ से ही, इस में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वयं प्रोफेट मुहम्मद ने अपने विचारों पर किसी के प्रतिवाद, संदेह का यही उत्तर दिया था।
तब क्या इस्लाम कागजी शेर नहीं है? एक दुर्बल, भयभीत मतवाद, जो केवल धमकी, हिंसा, छल-कपट, अनुचित रूप से उठाई जा रही विशेष सुविधाओं, अनुचित-असमान नियमों के बल से चल रहा है। ऐसा मत-विश्वास कितने दिन चलता रह सकता है? यह एक बुनियादी प्रश्न है, जिस से भारत और वर्तमान विश्व की कई समस्याएं जुड़ी हुई हैं।
इस समस्या का समाधान सैनिक तरीके से नहीं, बल्कि शिक्षा में है। ध्यान दें, कुरान में असंख्य बार कई प्रसंगों में ‘प्रमाण’, ‘स्पष्ट प्रमाण’, की बातें की गई है। अतः मुसलमान किसी विचार-बिन्दु, विषय में प्रमाण, सबूत, एविडेंस के महत्व से परिचित हैं। केवल उन्हें प्रमाण वाली कसौटी को उन विचारों, कानूनों, विवरणों, दलीलों पर भी लागू करके देखने की जरूरत है जिन्हें वे स्वतः-प्रमाणिक मानते रहे हैं। जैसे, मूर्तिपूजकों को घृणित समझना; इस्लाम से पहले या बाहर के मानव-समाजों को मूर्ख मानना; जीने के बदले मरने को अधिक अच्छा मानकर ‘जन्नत’ पाने के लिए हर तरह के चित्र-विचित्र काम करना; जिहाद को सब से बड़ा कर्तव्य समझना; मनुष्य को गुलाम बनाकर बेचना-खरीदना; स्त्रियों को वस्तु-संपत्ति मात्र भोग रूप में देखना; आदि मान्यताओं को विवेक से देखने की जरूरत है। ये मान्यताएं कोई ईश्वरीय देन या ‘सर्वकालिक सत्य’ नहीं हैं – इस की परीक्षा की जानी और शिक्षा दी जानी चाहिए। (पुस्तक अंश)
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Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
SAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
‘चाणक्य नीति’ आचार्य चाणक्य के विश्वविश्रुत ग्रन्थ ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ का संक्षिप्त संस्करण है, जिसमें धर्म, समाज तथा राजनीति के गूढ़ तत्त्वों को अत्यन्त सरल शैली में प्रस्तुत किया गया है । इस ग्रन्थ का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धर्मशास्त्रों में निरूपित सभी करणीय-अकरणीय कर्मों की जानकारी प्राप्त करके सत्कर्मों का अनुष्ठान कर सकता है । एक पद्य में तो यह भी कहा गया है – येन विज्ञातमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रतिपद्यते । अर्थात इसे जानने वाला व्यक्ति राजनीति का पूर्ण विद्वान बन जाता है । संस्कृत भाषा में लिखा गया यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसमें लोकव्यवहार, धर्म तथा राजनीति से सम्बन्धित ऐसी अनेक शिक्षाप्रद व उपयोगी जानकारी का समावेश हैं, जिसे जानकर कोई भी व्यक्ति, जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है ।
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, Religious & Spiritual Literature, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Sanskar Chandrika
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, Religious & Spiritual Literature, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSanskar Chandrika
संस्कार विधि की वैज्ञानिक व्याख्या-संस्कार विधि महर्षि दयानंद की व्यवहारिक विचारधारा अर्थात् क्रियात्मक पक्ष है। इस सूत्र को लेकर हमने इस ग्रंथ में संस्कार विधि की व्याख्या की है।
इस व्याख्या-ग्रंथ का लक्ष्य संस्कार विधि की आत्मा को समझने का प्रयत्न करना है। इसलिए इसे संस्कार विधि की वैज्ञानिक व्याख्या कहा है। हमने प्रत्येक संस्कार को दो भागो में बाँटा है।
विवेचनात्मक भाग तथा मंत्र-अर्थ सहित विधि भाग। विवेचनात्मक भाग में उस संस्कार के संबंध में वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक दृष्टि से विचार किया गया है। विधि भाग में संस्कार की विधि को भिन्न-भिन्न शीर्षक देकर स्पष्ट तथा सरल रूप में लिखा गया है, ताकि संस्कार कराते हुए कोई कठिनाई न आए। आईए संस्कार विधि की इस वैज्ञानिक, व्यवहारिक व्याख्या का रसास्वादन करें।SKU: n/a