Ramayan Books
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Ramkatha Aaram
‘जातस्य हि धु्रवोर्मृत्यु ध्रुवजन्म मृतस्य च’, अर्थात् जिसकी मृत्यु निश्चित है, उस मृतक का जन्म भी निश्चित है। हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार व चिंतक-विचारक डॉ. विवेकी राय इस विधान से बाहर कैसे रह सकते थे।
उनके सृजन-संसार का विपुल भंडार साहित्य-जगत् को उपलब्ध है। हालाँकि उनके रचना-कर्म की अमूल्य गठरी में अभी बहुत कुछ है, जिसे लोकमानस तक पहुँचाया जाना शेष है। उसकी एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है बाबूजी की शुचिता और संबंधों के बीच रचना विधान का लोकसृजन करती यह कृति ‘रामकथा आराम’। उनकी यह धरोहर पाठक तक पहुँचे, जिससे साहित्य की विपुल संपदा को और समृद्धि मिले।
सोलह रचनाशिल्पियों की विधागत दक्षता को पन्नों पर उकेरती यह कृति न सिर्फ ऋषि-परंपरा की साहित्यिक विपुलता को आम पाठक वर्ग तक संप्रेषित करेगी बल्कि विविध विधाओं में रचे विधान को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर एक नई दृष्टि का सूत्रपात करेगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, रामायण/रामकथा
Ramkatha Ke naye Aayam
हिंदी में रामकथा पर बहुत कुछ काम हुआ है। इसमें सर्वाधिक विस्तृत संपूर्ण सर्वेक्षण फादर कामिल बुल्के (रामकथा) का है। रामचरितमानस और आधुनिक भारतीय भाषाओं में रचित रामचरितों का तुलनात्मक अध्ययन कई विद्वानों ने किया है। अभी तक गुजराती, मराठी, बँगला, तेलुगु एवं तमिल आदि भाषाओं के प्रमुख रामचरित काव्यों और उनमें उपलब्ध रामकथा का तुलसी के मानस के साथ तुलनात्मक अध्ययन हो चुका है। परंतु बलरामदास की दांडी रामायण और मानस की रामकथा का तुलनात्मक अध्ययन कम ही हुआ है।
प्रसिद्ध समालोचक एवं अनुवादक डॉ. शंकरलाल पुरोहित ने बलरामदास के राम-संबंधी दृष्टिकोण के मूल में जगन्नाथ और तुलसी के राम-संबंधी दर्शन के मूल में ब्रह्म की बात को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखी है।
रामकथा जहाँ भी, जिस रूप में भी कही गई है, उसके मूल में भक्तिधारा रही है। तुलसी और बलराम की रामकथा-धारा में अवगाहन कर हम इसी निष्कर्ष पर पहँुचते हैं और यह भक्तिधारा मानव मंगल तथा जनकल्याण के लिए एक विराट् फलक पर उत्कीर्ण हुई है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
Rom-Rom Mein Ram (HB)
लगभग पांच सौ साल पहले अयोध्या में रामजी का मंदिर तोड़ दिया गया था। उस जगह पर एक ढांचा बनाकर उसे मस्जिद का नाम दिया गया। हमारे देवताओं की मूर्तियां टुकड़े-टुकड़े करके उसके फर्श और सीढ़ियों में गाड़ दी गईं। पराजित हिंदू जाति इसको रोक नहीं सकी, पर मंदिर टूटने की पीड़ा एक बुरे सपने की तरह पूरे समाज के मन में जलती रही। इस पीड़ा में 74 संघर्ष हो गए। लाखों लोगों ने प्राण दे दिए। कोर्ट में भी 70 सालों तक मामला उलझा रहा।
अब सपना नहीं सत्य है कि मंदिर बन गया है। यह भव्य है। एक हजार साल से अधिक आयु का है। इसमें जन्मस्थान पर रामजी विराजेंगे। आगे राम राज्य की ओर बढ़ना है। समाज के जीवन में और राज्य की संस्थाओं में मर्यादा, शील और पराक्रम लाना है। सभी धर्माधारित जीवन जीएँ। सबको रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और रोजगार मिले। भारत परम वैभव को प्राप्त करे। इस सबका समय आ रहा है।
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Manoj Publication, बाल साहित्य, रामायण/रामकथा
Sampoorna Ramayana Story Book (Hindi)
Sawan presents the illustrated form of the divine book Ramayan. The book will help children to learn many valuable lessons from Rama and his life. The title consists of every part of Lord Rama’s life journey. Give your children a gift of moral values and bravery from Lord Rama and Lakshmana with this beautiful storybook. Order your copy now!
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, रामायण/रामकथा
Shiv Ki Mahima
भगवान् शिव की महिमा अपरंपार है। पुराणों में उन्हें सृष्टि का जन्मदाता भी माना जाता है। कहते हैं, जब उन्होंने इस सृष्टि की रचना करने का मन बनाया तो स्वयं ब्रह्मा की उत्पत्ति की तथा उन्हें इस सृष्टि को बढ़ाने का आदेश दिया। भगवान् शिव की अनेक कथाओं का हमारे पुराणों में वर्णन मिलता है। उनकी अनेक चमत्कारी कथाएँ जन-जन में प्रचलित हैं। भगवान् शिव की कुछ चमत्कारी कथाओं को सरल भाषा व चित्रों के माध्यम से हमने इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। कथाओं को लिखते समय पूरा ध्यान रखा गया है कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुँचे। यदि फिर भी किन्हीं शब्दों से किसी भक्त को ठेस पहुँचती है तो हम उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं। हमें विश्वास है कि यह पुस्तक बाल पाठकों सहित प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए भी उपयोगी रहेगी।
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Manoj Publication, रामायण/रामकथा
Shree Ramcharit Manas (Gutka)
पढ़ना सबको आता है, पढ़ना एक कला है, पढ़ने से मस्तिष्क व्यापक होता है और व्यक्तित्व में निखार आता है। पर क्या और कैसे पढ़ना है, ये सबको नहीं पता। इसीलिए हमने आपकी पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए सरल, सुगम भाषा में इस पुस्तक को तैयार किया है। इस पुस्तक श्री रामचरितमानस रामायण (मीडियम साइजहार्ड बाउंड) में वह विषयवस्तु प्रस्तुत किया गया है, जिसको पढ़ने से ज्ञानार्जन हो सके। इसे आप भी पढ़ें और दूसरों को भी ज्ञानार्जन करने को प्रेरित करें।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
SHRI RAM KI ATMAKATHA
श्रीराम लोकमानस में रचे-बसे हैं। इससे बड़ा सत्य यह है कि श्रीराम से पुराना कोई नाम नहीं है। श्रीराम के चरित्र से हजारों वर्षों से मानव ने स्वयं को पुनीत किया है। भगवान् श्रीराम के हृदय में तो मैत्रीभाव, सौहार्द भाव है। वे विरोधी के कल्याण की ही सोचते हैं।
उनके हृदय में तो बस सबके लिए कल्याण-भाव है। भगवान् श्रीराम के मन में शत्रुभाव का नितांत अभाव है। उन्होंने अपना अनर्थ करनेवाले रावण के प्रति भी हमेशा उदारता दिखाई, समझाया और धर्म की रीति का पालन करते हुए धर्मयुद्ध में राक्षसों का संहार किया। ऐसे श्रीराम की राजकुमार से भगवान् के परमपद तक की जीवन-यात्रा साधना के साथ होना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य रहा है। धैर्यशीलता, सत्यशीलता और कृपाशीलता की संयुक्त झलक श्रीराम के चरित्र में स्थान-स्थान पर मिलती है। उनके अवतरण से समाज में समभाव, और सत्यनिष्ठा, अद्वितीय कर्त्तव्य से पीडि़त, शोषित और वंचितों के सम्मान की श्रीवृद्धि हुई और समाज में जीवन-मूल्यों की स्थापना हुई। पुस्तक में श्रीराम के राजकुमार, ब्रह्मचारी, शिष्य, परिव्राजक, पुत्र, पति, वनवासी, जिज्ञासु, ऋषि-सत्ता के प्रति श्रद्धावान्, परम योद्धा, भ्राता, मित्र, शत्रु, राजा, त्यागी, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि सभी रूपों में अनुकरणीय आदर्श के रूप में चरित्र को उकेरने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक श्रीराम का अयोध्या के राजकुमार से भगवद्पद तक प्रेरक एवं पुनीत प्रस्तुतीकरण है।SKU: n/a -
Manoj Publication, रामायण/रामकथा
Shri Ramcharit Manas- Ramayan (Hindi Edition)
Shri Ramcharitmanas Ramayan (Hindi Edition) by Goswami Tulsidas तुलसीकृत ‘रामचरितमानस’ भारतीयों के गले का हार है,आदर्श व अनुकरणीय है। रामचरितमानस में स्थापित आदर्शों का अनुसरण होता है। रामचरितमानस के धीरोदात्त नायक राम का जीवन तो भारतीयों के लिए एक आदर्श जीवन है। वे एक आदर्श मित्र, आदर्श भाई, आदर्श पुत्र, आदर्श शिष्य, आदर्श प्रजापालक एवं आदर्श राजा थे। उनके द्वारा स्थापित रामराज्य आज भी भारत का राष्ट्रीय लक्ष्य है, जिसे हमें प्राप्त करना है। ‘रामचरितमानस’ विश्व का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ही नहीं है, यह व्यक्ति के लिए एक आचरण-संहिता भी है, जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर जीवन-निर्माण के सूत्र सुसज्जित हैं। आजकल के पाठक को सरल रूप से पढ़ने और आसानी से समझने के लिए इसे नाट्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। पृष्ठभूमि को यथारूप में रखने के लिए एक नए पात्र ‘रमायणी’ की अवधारणा की गई है, जो रामलीला के मंचन के समय अनिवार्य रूप से उपस्थित रहता है। आशा है, यह कृति दृश्य एवं श्रव्य प्रसार माध्यमों द्वारा जन-जन तक पहुँचेगी तथा असंख्य लोग इस कृति से अनमोल मोती ग्रहण करके अपने जीवन को सफल बनाकर समाज को समुन्नत करने में अपना योगदान देंगे।
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Sundarkand (With Commentary)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है।
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथाShrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है। मूल के साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डों में उपलब्ध। सचित्र, सजिल्द।
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English Books, Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( English Code 0452 & 0453)
English Books, Gita Press, रामायण/रामकथाShrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( English Code 0452 & 0453)
Valmiki Ramayan is one of the world’s most remarkable classics and excels in its moral appeal. It is full of lessons for all and deserves to be read with interest and profit by all lovers of healthy literature. It is noted for its poetic excellence and is the oldest specimen of epic poetry. It stands equal in rank to the Vedas. Valmiki Ramayan is available in two volumes with Sanskrit text and English translation. Hard-bound with illustration.
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( Gujarati Code 1939 & 1940)
Shrimadvalmikiya Ramayan is one of the world’s most remarkable classics and excels in its moral appeal. It is full of lessons for all and deserves to be read with interest by all lovers of healthy literature. It is noted for its poetic excellence and is the oldest specimen of epic poetry. It stands equal in rank to the Vedas. Shrimadvalmikiya Ramayan is available in two volumes.
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan, (Code1953)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है।
इस पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का प्रकाशन किया गया है। इसमें केवल संस्कृत के मूल श्लोक मोटे अक्षरों में दिये गये हैं।
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