Gita Press Books
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Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, रामायण/रामकथा
Shriramcharitmanas Sundarkand, 1919
श्रीरामचरितमानस सुंदरकाण्ड, मूल, श्रीहनुमानचालीसा सहित |
श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। इस पुस्तक में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का हिन्दी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है।
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shriramcharitmanas- With Hindi Commentary (King-Size, Deluxe Edition) 1389
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्य भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करनेवाला ऐसा ग्रंथरत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशिर्वादात्माक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग मंत्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानवमात्र के कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवान्ह और मासपरायण के विश्रामस्थान, गोस्वामी जी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अंत में रामायण जी की आरती दी गयी है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shriramcharitmanas, Sundarkand, Pocket Size 0858
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्य भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करनेवाला ऐसा ग्रंथरत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशिर्वादात्माक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग मंत्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानवमात्र के कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवान्ह और मासपरायण के विश्रामस्थान, गोस्वामी जी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अंत में रामायण जी की आरती दी गयी है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrivishnu Puran
श्री पराशर ऋषि-प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके प्रतिपाद्य भगवान् विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इसमें आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान् विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है।
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Gita Press, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrivishnu Puran 1364
श्री पराशर ऋषि-प्रणीत यह पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके प्रतिपाद्य भगवान् विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इसमें आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। भगवान् विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shwetashwatar-Upanishad
कृष्णयजुर्वेदीय इस उपनिषद् के वक्ता श्वेताश्वतर ऋषि हैं। इसमें जगतके कारणतत्त्वके रूपमें ब्रह्मका निरूपण करते हुए साधक, साधन और साध्य-विषयपर मार्मिक भाषामें प्रकाश डाला गया है। शंकराचार्य जी द्वारा करी गयी व्याख्या और हिन्दी अनुवाद सहित।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Vaman Puran
यह पुराण मुख्यरूप से त्रिविक्रम भगवान् विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्याता है। इसमें भगवान् वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजी का लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरि का कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराण का उपसंहार हुआ है।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Srimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताSrimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, Hindi Books, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
SUNDAR SAMAJ KA NIRMAN
समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिये स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज की एक सर्वजनोपयोगी पुस्तक – जिसका स्वाध्याय व्यक्ति को कर्तव्य-बोध कराकर आत्मपरिष्कार की योग्यता प्रदान करता है। A useful book for all by Swami Ramsukhdas describing the means for the upliftment of all the groups of society, reading of which enables a man to realize his duties.
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Gita Press
Swarn-Path
इस विशाल संसार में ईश्वर ही सुख-शान्ति का आगार है। जीवन की सच्ची समृद्धि प्राप्त करने के लिये हमें आस्तिक बन कर अपने जीवन एवं आदर्शों का सही निर्माण करना चाहिये। डॉ. रामचरण महेन्द्र के द्वारा प्रणीत यह पुस्तक तुम महान् हो, निराशाका अन्त, जागते रहो, जीवन-धन, अध्यात्म विद्या, गृहस्थ में संन्यास आदि अनेक शीर्षकों की सुन्दर व्याख्या के रूप में आध्यात्मिक स्वर्णपथ की सच्ची परिचायिका है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Taittiriyopanishad 0071
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिTaittiriyopanishad 0071
कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीयारण्यक के प्रपाठक सात से नौ तक वर्णित इस उपनिषद् के सप्तम प्रपाठक शिक्षावल्ली में गुरु-शिष्य परम्परा तथा भृगुवल्ली और ब्रह्मानन्दवल्ली में ब्रह्मज्ञान का सविधि निरूपण है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
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Gita Press, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
The Complete Mahabharata – (Six Volumes) | महाभारत सटीक (छ: खण्डो में)
Gita Press, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताThe Complete Mahabharata – (Six Volumes) | महाभारत सटीक (छ: खण्डो में)
विश्व के उत्कृष्ट विचारकों, तत्त्वान्वेषकों, समालोचकों द्वारा भारतीय ज्ञान के विश्वकोश के रूप में समादृत महाभारत की महिमा का कोई पार नहीं है। इसमें ज्ञान, वैराग्य, भक्तियोग, नीति, सदाचार, प्राचीन इतिहास, राजनीति, कूटनीति आदि-मानव जीवनोपयोगी विविध विषयों का समावेश है। यह शास्त्रों में पंचम वेद की मान्यता से अलंकृत है।
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English Books, Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
The Secret of Jnanayoga, English 0520
This book is a unique collection of twenty-seven didactic articles by revered Brahmalina Sri Jayadayal Goyandka describing beautifully in detail the nature and form of soul (Self) and super soul (supreme Self), sense of discretion, dispassion, natural phenomena, sentient beings etc.
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