Prabhat Prakashan
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Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Chandrashekhar Azad
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Chandrashekhar Azad
Chandra Shekhar Azad (23 July 1906 – 27 February 1931), popularly known as by his self-taken name Azad (“The Free”), was an Indian revolutionary.
Chandrashekhar Azad’s short and chequered life of a revolutionary is remembered in the annals of the history of India’s freedom struggle not merely for his indomitability in the face of odds; but for the human values he cherished. In today’s world; with the edifice of every conceivable value crumbling all around us; Azad’s life offers a paradigm for the redemption of a generation resigned to shallow ideals.
Adversity came a dime a dozen to this village youth born to poor parents rich in morality and humaneness. It’s the roots that determine the actions of a person and actions; his destiny.
At a time when we seem to be taking our freedom for granted; Azad’s biography is a reminder of the blood and toil that went into securing it. The road to preservation of freedom must be hemmed with respect for what we have; for being fortunate to be able to breathe in free air.
The crucial caveat embedded in Azad’s biography is that we face a far greater threat from the enemies within than from enemies without.SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Chandrayaan-3: India’S Graceful Moonwalk
The moon is a treasure trove of mysteries waiting to be unravelled. It holds secrets about the early history of our solar system, Earth’s evolution, and the possibility of life beyond our planet. The desire to explore the moon is not unique to any one nation or culture. It’s a shared human aspiration, a collective yearning to push the boundaries of our knowledge.
It’s a reminder that, beneath our differences, we are all stardust—connected by the same cosmic forces. And so, we come to India’s remarkable journey to the moon, a journey that has taken the nation to the forefront of lunar exploration. India, a land of diverse cultures, ancienttraditions, and a rich history, has emerged as a powerhouse in space technology as well. On the historic day, 23rd August 2023, India’s Chandrayaan-3 had a soft touchdown on the lunar surface, marking a turning point in the country’s space odyssey.
This book will take you through this epic journey and will help you explore the scientific marvels and human dedication that have fueled India’s lunar ambitions. It’snot a technical manual filled with jargon but a tale that we are proud of.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Chhaha Swarnim Pristha (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Chhaha Swarnim Pristha (PB)
भारतीय वाड.मय में सावरकर साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास पर विहंगम दृष्टि डाली है। विद्वानों में सावरकर लिखित इतिहास जितना प्रामाणिक और निष्पक्ष माना गया है उतना अन्य लेखकों का नहीं। प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदू राष्ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्ठ है यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्त की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ इतिहास का तृतीय स्वर्णिम पृष्ठ है। हूणांतक राजा यशोधर्मा के पराक्रम से उद्दीप्त पृष्ठ इतिहास का चतुर्थ स्वर्णिम पृष्ठ, मुसलिम शासकों के साथ निरंतर चलते संघर्ष और उसमें मराठों द्वारा मुसलिम सत्ता के अंत को हिंदू इतिहास का प स्वर्णिम पृष्ठ कह सकते हैं और अंतिम स्वर्णिम पृष्ठ है अंग्रेजी सत्ता को उखाड़कर स्वातंत्र्य प्राप्त करना। विश्वास है, क्रांतिवीर सावरकर के पूर्व ग्रंथों की भाँति इस ग्रंथ का भी भरपूर स्वागत होगा। सुधी पाठक भारतीय इतिहास का सम्यक् रूप में अध्ययन कर इतिहास के अनेक अनछुए पहलुओं और घटनाओं से परिचित होंगे।.
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan
CHHATRAPATI SHIVAJI
छत्रपती शिवाजी महाराज (1630-1680 ई.) भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे… सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह “छत्रपति” बने। छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों कि सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chhatrapati Shivaji : Vidhata Hindvi Swarajya ka
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणChhatrapati Shivaji : Vidhata Hindvi Swarajya ka
छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन अलौकिक है। उसमें अदम्य साहस और नेतृत्व के विरले गुण अभिव्यक्त होते हैं। वर्तमान समय में यह महान् व्यक्तित्व और भी सामयिक हो चला है। शिवाजी के स्वराज्य की संकल्पना के मूल तत्त्व यदि आज लागू किए जाएँ तो भारत निस्संदेह विश्व के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच सकता है।
‘छत्रपति शिवाजी : विधाता हिंदवी स्वराज्य का’ लिखने का मुख्य उद्देश्य महान् शिवाजी के जीवन-मूल्यों को युवा पीढ़ी से परिचित करवाना और वरिष्ठजनों के लिए उस स्वर्णिम कालखंड की स्मृति ताजा करना है।
छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य एवं साहस से परिपूर्ण तेजस्वी जीवन का विहंगम दिग्दर्शन कराती सबके लिए पठनीय कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Chhatrapati Shivaji Maharaj
वह एक महान् नायक थे और एकमात्र ऐसे व्यक्ति, जिनमें एक नए राज्य को खड़ा करने का विशाल हृदय था…
—मुगल बादशाह औरंगजेब
महान् योद्धा और कुशल प्रशासक, छत्रपति शिवाजी महाराज, जो महान् मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे और उन्होंने ही अपने लोगों के मन में मराठा अस्मिता की भावना को जाग्रत् किया।
ऐसे समय में जब मुगल साम्राज्य अपनी बुलंदियों को छू रहा था, तब शिवाजी ही एकमात्र ऐसे थे, जिन्होंने बादशाह औरंगजेब की ताकत को चुनौती देने का साहस दिखाया। उन्होंने अपनी साधारण सी 2,000 सैनिकों की सेना को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 1,00,000 की क्षमता तक पहुँचाया। अनुशासित सैन्य प्रणाली, सुगठित प्रशासनिक संरचना और पूर्णतया परंपरागत समाज की सहायता से मराठा सेना जल्दी ही ऐसी विलक्षण सैन्य शक्ति बन गई जो भारत में मुगलों को टक्कर दे सकती थी।
आदिलशाही सल्तनत और औरंगजेब जैसे खतरनाक शासकों के साथ हुई ऐतिहासिक लड़ाइयों का वर्णन करने के साथ यह पुस्तक छत्रपति शिवाजी महाराज के विजय और शौर्य की कहानियाँ बताती हैं, जिनसे हर भारतीय पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रेरणा लेता रहेगा।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Chhatrapati Shivaji Maharaj: Father Of The Indian Navy (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहासChhatrapati Shivaji Maharaj: Father Of The Indian Navy (PB)
The book highlights Shivaji Maharaj’s exceptional statesman- ship by focusing on his visionary development of the navy. Facing the challenge of protecting territories and ensuring economic prosperity, Shivaji Maharaj strategically built ships and naval bases along the Konkan Coast, showcasing his foresight in coastal defense.
The Maratha navy’s unique characteristics, including cumbrous gun-boats and coastal warfare tactics, are explored. The book narrates the 1679 fortification of Khanderi Island, a pivotal moment where the Marathas, led by Shivaji Maharaj, demonstrated unparalleled resilience against a siege by the English and Siddi forces.
The author emphasizes the Marathas’ unwavering commitment to fight till the end, even in the face of inevitable defeat, showcasing their tenacity and courage against the experienced English naval power. The work concludes by acknowledging that it is a compilation of gathered facts from various sources, expressing gratitude to the credited references listed at the end of the book.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
Chhatrasal Rachna Sanchayan “छत्रसाल रचना संचयन” Book in Hindi- Dr. Bahadur Singh Parmar
आज बुंदेलखंड समेत समस्त भारत के नागरिकों को अपनेजीवन-बोध हेतु ऐसे महापुरुषों के चरित से प्रेरणा लेने कीआवश्यकता है, जिन्होंने अन्याय का प्रतिकार कर अपनी धरती कीसौंधी भारतीय खुशबू रो सराबोर अस्मिता को जन-जन में स्थापितकिया हो। आजादी के अमृत काल में हम अपने उन विस्मृत वीरोंके प्रति नतमस्तक होते हुए उनके पुण्य-कार्यों को याद कर रहे हैं,न केवल उन्हें स्मरण कर रहे हैं बल्कि उनके पुनीत कार्यों से नईपीढ़ी को परिचित कराने में संलग्न हैं ।
वीर शिवाजी, महाराणा प्रतापऔर महाराजा छत्रसाल हमारे ऐसे आदर्श योद्धा हैं, जिनके कार्यों सेप्रेरणा लेकर हमें अपने राष्ट्र को विश्व में स्थापित करने का संकल्पपूरा करना है।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड अंचल के ऐसे शूरवीर, समर्थयोद्धा तथा कुशल राजा रहे हैं, जिन्होंने शून्य से शिखर तक कीयात्रा अपने बाहुबल, कौशल तथा विवेक से की | उनका जन्म प्रकृतिकी गोद में हुआ, उन्हें कोई राजमहल, रनिवास या घर-बखरी जन्मके समय नसीब नहीं हुआ।
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Chhuachhoot Mukta Samras Bharat
-10%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्यChhuachhoot Mukta Samras Bharat
भारत प्राचीन काल में विश्वगुरु रहा है, क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने विश्व कल्याण हेतु ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उद्घोष किया। किंतु लंबे समय तक भारत विदेशी आक्रांताओं द्वारा शोषित और शासित रहा। इसी कालखंड में उन्होंने भारत की शिक्षा, संस्कृति, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया। जो जाति व्यवस्था कर्म आधारित थी, वह धीरे-धीरे जन्म आधारित हो गई। कुछ जातियों को अमानवीय स्थिति में डालकर अस्पृश्य घोषित कर दिया। स्वतंत्रता के बाद कानून बनाकर अस्पृश्यता, यानी छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया गया, तो कुछ राहत मिली। इसके पूर्व भी हमारे संतों व समाज-सुधारकों ने इस जाति-पाँति आधारित भेदभाव का खंडन और विरोध किया था।
आधुनिक संदर्भ में जाति-पाँति, रंग, भाषा, क्षेत्र, लिंग आदि पर आधारित सभी प्रकार की विषमताओं को समाप्त कर एक समरस समाज के निर्माण की नितांत आवश्यकता है। सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी समतामूलक समरस समाज ही स्वस्थ और सुखी समाज हो सकता है। सशक्त व अखंड राष्ट्र के लिए सामाजिक समरसता अनिवार्य है। चूँकि सबके साथ से ही सबका विकास एवं सबका विश्वास संभव है। देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आरंभ से ही इस चुनौती को स्वीकार कर समरस व जातिविहीन समाज के निर्माण का संकल्प लिया था। समरसता हेतु चल रहे इस महायज्ञ में एक आहुति के रूप में यह पुस्तक ‘छुआछूत मुक्त समरस भारत’ प्रस्तुत है।
• जाति का सबसे बुरा पक्ष है कि वह प्रतियोगिता को दबाती है और वास्तव में प्रतियोगिता का अभाव ही राजनीतिक अवनति और विदेशी जातियों द्वारा उसके पराभूत होते रहने का कारण सिद्ध हुआ है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
China Mitra Ya ?
-15%Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)China Mitra Ya ?
दले हुए रणनीतिक सिद्धांत के मद्देनजर चीन भारत को अमेरिका के एक हथियार के रूप में देखता है। वह पिछले कई दशकों से भारत को घेरे में लेने और उसे दक्षिण एशिया में उलझाकर रखने की सोची-समझी नीति अपना रहा है। पाकिस्तान को जितनी चीन की ओर से हथियारों और अन्य साधनों की मदद मिली है उतनी पश्चिम के किसी देश से नहीं मिली। उत्तर में चीन ने तिब्बत का सैन्यकरण कर लिया है। उधर पूर्व में उसने बँगलादेश के साथ एक सैन्य समझौता कर लिया है। पूर्व में ही और आगे बढ़ें तो एक ओर जहाँ हम म्याँमार को लोकतंत्र का हवाला देकर झिड़क रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीन उसे अपना आश्रित बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ चुका है।
और यहाँ हम अपनी आँखें बंद किए बैठे हैं। साथ ही ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का राग और तेजी से अलाप रहे हैं।
—इसी पुस्तक से
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरुण शौरी की यह पुस्तक चीन द्वारा हासिल की जानेवाली शक्तियों, उसकी रणनीतियों और भारत के संदर्भ में उनके परिणामों की समीक्षा तो करती ही है, भारत-चीन संबंधों के अतीत, वर्तमान व भविष्य की भी पड़ताल करती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chintan Karo, Chinta Nahin
“भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण की वैश्विक आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में मंत्रमुग्ध करनेवाले अपने भाषणों के बाद बहुत प्रसिद्ध हो गए थे। उनके शक्तिशाली शब्दों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने मानव कल्याण और समाजहित के लिए जो सूत्र बताए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी प्रभावी और ओजस्वी वाणी, प्रखर चिंतन व संवेदनशीलता ने मानवता को समता और समभाव का संदेश दिया। उनके शब्दों में अद्भुत और अप्रतिम सकारात्मकता थी, जो श्रोताओं को प्रेरित करती थी और साथ ही आत्मावलोकन के लिए प्रेरित भी ।
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए सबसे उत्कृष्ट और प्रभावी भाषणों में से केवल पच्चीस संगृहीत हैं, जो कालजयी और सार्वकालिक हैं। स्वामी विवेकानंद के श्रीमुख से निःसृत ये शब्दरल हमारे जीवन को दिशा देने और सार्थकता प्राप्त करने की कुंजी हैं।
स्वतंत्र होने का साहस करें, जहाँ तक आपके विचार जाते हैं, जाने का साहस करें और उसे अपने जीवन में उतारने का साहस करें। –स्वामी विवेकानंद”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
Chitrakoot Mein Ram-Bharat Milap
चित्रकूट में राम-भरत मिलाप’ रामकथा के महत्त्वपूर्ण प्रसंग का नाट्यरूप में प्रणयन है।
यह घटना जहाँ भ्रातृप्रेम और त्याग का अद्वितीय आदर्श है, वहीं उससे राजधर्म के महान् सिद्धांत प्रस्फुटित हुए हैं।
वर्तमान परिवेश में लेखक ने रामायण की इस घटना को सामान्य जन तक पहुँचाने का प्रयास किया है।
एक ओर इस कृति का स्वागत जहाँ भारतीय जनमानस द्वारा किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर राजशासकों द्वारा भी।
आशा है कि इस कृति का व्यापक रूप से पठन-पाठन तथा मंचन होगा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Chuni Hui Kavitayen
कवि-हृदय राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी संवेदनशील मन के ओजस्वी रचनाकार हैं। राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी उनके संवेदनशील और हृदयस्पर्शी भाव कविताओं के रूप में प्रकट होते रहे। उनकी कविताओं ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और पाठकों द्वारा सराही गईं। उनकी कविताओं में स्वाभिमान, देशानुराग, त्याग, बलिदान, अन्याय के प्रति विद्रोह, आस्था एवं समर्पण का भाव है।
प्रस्तुत काव्य संकलन में संकलित कविताएँ इस मायने में वशिष्ट हैं कि ये स्वयं अटलजी द्वारा चयनित हैं। इनका एक अन्य आकर्षक और विशिष्ट पक्ष है इनका प्रस्तुतिकरण। ये कविताएँ सुंदर और कलात्मक हस्तलिपि में तथा ललित-सुंदर भाव-चित्रों से आकंठ सज्जित हैं। कविताओं में स्थित समस्त भाव अपने चित्रित में इस कलात्मकता एवं कुशलता से रचित हैं कि चित्रों को देखकर ही कविताओं का भाव सहज दृष्टिगत हो जाता है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Communist China : Avaidh Astitva
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रCommunist China : Avaidh Astitva
“यह अल्पज्ञात तथ्य है कि चीन का ‘चीन’ नाम भारत का दिया हुआ है। चीन तो स्वयं को झुआंगहुआ कहता है। इससे भी अल्पज्ञात तथ्य यह है कि महाभारत काल में चीन भारत के सैकड़ों जनपदों में से एक था। प्रशांत महासागर के तट पर पीत नदी के पास यह लघु राज्य भारत से हजारों किलोमीटर दूरस्थ था। पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपने इतिहास के अधिकांश में चीन भरतवंशी शासकों के अधीन अर्थात् परतंत्र रहा है।
आज के विशाल चीन का निर्माण तत्कालीन सोवियत संघ, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमरीका आदि के अनुग्रह, हस्तक्षेप और प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग से ही संभव हुआ है। अन्यथा पुराने चीन को कभी भी बाहरी शक्तियों से ऐसी व्यापक एवं प्रभावकारी सहायता नहीं मिलती। इसलिए यह चीन न होकर, विस्तारवादी और उपनिवेशवादी कम्युनिस्ट चीन है और इस प्रकार यह नैसर्गिक राष्ट्र न होकर कृत्रिम देश है।कम्युनिस्ट चीन के आततायी और दमनकारी साम्राज्यवाद से तिब्बतियों, मंगोलों, मांचुओं, तुर्कों और हानों की मुक्ति आवश्यक है और इसमें भारत की महती भूमिका हो सकती है। यह वैसे भी भारत का कर्तव्य है कि सदा से हमारे अभिन्न तथा आत्मीय रहे तिब्बत पर चीन का बलात् कब्जा कराने में मुख्य भूमिका भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री की ही रही। उन्होंने ही इतिहास में पहली बार चीन को भारत का पड़ोसी बनाया। अत: इस भयंकर भूल को सुधारना भारत का नैतिक दायित्व है। इन सभी दृष्टियों से यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण पथ-प्रदर्शक तथा अवश्य पठनीय है।”
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Constitution of India – Dr. P.K. Agrawal, IAS
The ‘Commentary on the Constitution of India’ by Dr. P.K.Agrawal is written in lucid and simple style. The book incorporates important case laws and trends in the law of the Constitution in India. The Constitution is a living organism and it acquires its strength and identity if it can keep pace with the changing needs of the society.
The book contains detailed comments on Panchayats, Municipalities, District Planning, Elections, Official Language, Jammu and Kashmir, Sixth Schedule and the rules for interpretation of the constitutional provisions. Perhaps, it is to cater to the needs of the students and the aspirants for the competitive examinations.
The book is also useful for the practising lawyers and legal fraternity as it contains the important leading cases on each subject at the end of every Part of the Constitution.I wish that the book will be welcomed by all.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां
Coronakaal Ki Sachchi Kahaniyan
चारों तरफ खौफ छा गया। कुछ लोग तो दुबककर कमरों में लिहाफ के अंदर घुस गए, कुछ निडर प्रकार के लोग मोबाइल कैमरे से छिपकर वीडियो बनाने का प्रयास करने लगे।
एंबुलेंस से बाहर उतरे लोग इधर-उधर के घरों का जायजा ले ही रहे थे कि पीछे से सायरन बजाती हुई पुलिस की एक जिप्सी भी आ धमकी। जिप्सी से भी उसी प्रकार के पारदर्शी आवरण में खाकी वर्दीधारी लोग उतरे और सामने के गेट की कॉल बैल दबाई।
‘अरे मिसेज दत्ता के घर?’, हर परिवार के लोग आपस में कानाफूसी करने लगे।
‘कौन बीमार हुआ होगा?’
‘कौन होना है? वही होगी, अकेले वही तो है इस घर में!’ लोग खौफ में थे। एक-दूसरे को फोन कॉल करके पूछ रहे थे किंतु बाहर निकलकर पुलिस से या एंबुलेंस वालों से पूछने की किसी को हिम्मत न हो पा रही थी। कोरोना का खौफ इस कदर था कि मानो अगर उन्होंने थोड़ा सा भी दरवाजा खोला तो झिर्री के रास्ते ही कोरोना उनके घर के अंदर भी घुस जाएगा।
—इसी कहानी संग्रह सेदेश, समाज और अपने इर्द-गिर्द घटनेवाली घटनाओं पर पैनी नजर रखनेवाले कथाकार रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कोरोनाकाल में घटित अनेक मार्मिक घटनाओं को अपनी कहानियों में पिरोकर कोरोना जैसी महामारी से उपजे हालातों के मध्य मानव, मानवता, मानव मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं का गहन विश्लेषण किया है। विपरीत परिस्थितियों, कठिनाइयों और संघर्षों के बीच ये कहानियाँ मन-मस्तिष्क को धैर्य, साहस और सुकून का बोध कराती हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, कहानियां
Dadi Amma Kahen Kahani
ईश्वर ने अभी-अभी इस पृथ्वी की रचना की थी। उन्होंने एक कदम पीछे हटकर उसे मुग्ध होकर देखा। उन्होंने मनुष्यों, जानवरों, पेड़-पौधों व समुद्रों की रचना की थी और वह रहने के लिए एक अद्भुत स्थान लगता था। परंतु किसी चीज की कमी थी। कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने छह भाइयों—दिन, रात, गरमी, सर्दी, बारिश और वायु—को बुलाया। उन्होंने छह भाइयों से नीचे धरती पर जाने और वहाँ के प्राणियों को एक सुखद व समृद्ध जीवन जीने में मदद करने का निर्देश दिया—‘तुम्हें पृथ्वी पर रहनेवाले प्राणियों के लिए आहार उपजाने में उनकी मदद करनी होगी, ताकि वे आनंदपूर्वक रह सकें। मैंने समय को दो
प्रख्यात लेखिका सुधा मूर्ति की दादी की भूमिका से उपजी ये कहानियाँ बच्चों, माता-पिता, दादा-दादी—यानी तीन पीढ़ियों के आपसी संबंधों को समझाती हैं; परिवार को प्यार के बंधन में बाँधने का काम करती हैं और बालपन के पंख लगाकर आसमान छूने को प्रेरित करती हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Dalit Rajneeti Aur Hindu Dharma
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रDalit Rajneeti Aur Hindu Dharma
“प्रस्तुत पुस्तक भारतरत्न बाबा साहेब आंबेडकर के कथन की पुष्टि करती है कि वंशानुगत आधार पर दलित व सवर्ण में कोई अंतर नहीं है एवं तार्किक व्याख्या करते हुए सिद्ध करती है कि शासकों ने जातिगत आधार पर हिंदू धर्म को विभाजित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने उच्चजाति में श्रेष्ठता का झूठा दंभ भरने की कोशिश की कि वे तो उन्हीं की भाँति भारतीय मूल के लोगों पर शासन करने के लिए यूरोप से आए और निचली जाति में यह हीन भावना भर दी कि वे न केवल गोरे शासकों से, बल्कि उच्चजाति के लोगों से भी हीन हैं। इस प्रकार उन्होंने शासक वर्ग के रूप में अपने और बहुसंख्यक आबादी के बीच एक और श्रेणी बनाने की चेष्टा की, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे। यही कारण है कि दलित नेता भारत की आजादी के संघर्ष के लिए याद नहीं किए जाते हैं।
राजनीतिक मजबूरियों के कारण सरकारें देश में विभिन्न जातियों, धर्मों और क्षेत्रों के गरीबों एवं दलितों की दशा में सुधार का दिखावा करने के लिए सैकड़ों आयोगों का गठन और उनकी रिपोर्टों पर कार्य करती रहेंगी, लेकिन इसके वांछित परिणाम नहीं मिलने वाले। समस्या कहीं और है, समस्या भ्रष्टाचार है और यदि इसकी रोकथाम न की गई तो सभी प्रयास बेकार हैं।
इस पुस्तक का उद्देसिये दलित वर्ग को सैकड़ों वर्षों तक अपमानित एवं शोषित रखने के कारणों की तर्कसंगत समीक्षा करना है। राजनीति से प्रेरित कारण सच्चाई से कितनी दूर हैं, यह बात पाठक इस पुस्तक से जान सकेंगे।”
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Prabhat Prakashan, इतिहास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Deeksha
“मैंने आपसे अपने शिष्य को दीक्षा देने का अनुरोध किया था।” “किसको दीक्षा?” “जिसको आपने शिक्षा दी है, एकलव्य को।” “उसको मैंने शिक्षा नहीं दी है।” आचार्य ने बड़ी रुक्षता से कहा, “उसे तो मेरे मूर्ति ने शिक्षा दी है। एकलव्य को यदि दीक्षा लेनी है तो उसी मूर्ति से ले।” अब तो हिरण्यधनु के रक्त में उबाल आ गया। वह भभक पड़ा, “आपने शिक्षा नहीं दी थी तो आप गुरुदक्षिणा लेनेवाले कौन थे?” उसने बड़े आवेश में एकलव्य का दाहिना हाथ उठाकर दिखाते हुए पूछा, “इस अँगूठे को किसने कटवाया था?” “बड़े दुर्विनीत मालूम होते हो जी। तुम हस्तिनापुर के आचार्य से जबान लड़ाते हो! तुम्हें लज्जा नहीं आती?” “लज्जा तो उस आचार्य को आनी चाहिए थी जिसने गुरुदक्षिणा ले ली, पर दीक्षा देने से मुकर गया।” अब हिरण्यधनु पूरे आवेश में था, “क्या यही उसकी नैतिकता है? क्या यही आचार्य-धर्म है?” “अब बहुत हो चुका, हिरण्यधनु! अपनी जिह्वा पर नियंत्रण करो। मैं तुम्हें दुर्विनीत ही समझता था, पर तुम दुर्मुख भी हो।”
“सत्य दुर्मुख नहीं होता, आचार्य, कटु भले ही हो। पर आप उस भविष्य की ओर देखिए जो आप जैसे आचार्य की ‘करनी’ के फलस्वरूप अपने संतप्त उत्तरीय में हस्तिनापुर का महाविनाश छिपाए है। आपकी ‘करनी’ का ही परिणाम है कि आप सब एक ज्वालामुखी पर खड़े हैं!” वनराज के इतना कहते-कहते ही एकलव्य ने अपने पिता के मुख पर हाथ रखा और उन्हें बलात् बाहर की ओर ले चला। —इसी पुस्तक सेSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Deendayal Upadhyay Sampoorna Vangmaya (Set 15 Vol.)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणDeendayal Upadhyay Sampoorna Vangmaya (Set 15 Vol.)
एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान
क्या बाजारवाद (पूँजीवाद) तथा राज्यवाद (साम्यवाद) विचारधाराएँ आधुनिक मानव को भीतरी सुख दिला सकती हैं? क्या इस देश के करोड़ों लोग पश्चिमी अवधारणाओं के अनुसार ही जीवन जीने को अभिशप्त हैं? क्या भारत की प्रजा के पास इसका कोई समाधान नहीं है? भारत के एक युगऋषि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इन सवालों, इन खतरों को दशकों पहले ही भाँप लिया था और भारतीय परंपराओं के खजाने में ही इनके उत्तर भी खोज लिये थे। उन्होंने व्यष्टि बनाम समष्टि के पाश्चात्य समीकरण को अमानवीय बताया था तथा व्यष्टि एवं समष्टि की एकात्मता से ही मानव की पहचान की थी। उन्होंने इस पहचान के लिए ‘एकात्म मानवदर्शन’ के रूप में एक दार्शनिक व्याख्या प्रस्तुत की थी।
पर विडंबना, उनकी यह खोज, उनका यह दर्शन आगे न बढ़ सका। प्रयास कुछ अधूरे रहे। दोष शायद परिस्थितियों का रहा। लेकिन इस शताब्दी के प्रारंभ में कुछ सामाजिक व अकादमिक कार्यकर्ताओं ने इस धारा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस समूह का अनुभव रहा कि गहन अनुसंधान एवं व्यावहारिक परियोजनाओं का सूत्रपात करने से ही इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उसी विचार व अनुभव में से उत्पत्ति हुई ‘एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान’ की। इसके विभिन्न आयामों व पहलुओं पर नियमित परिचर्चाओं व प्रकाशनों के माध्यम से जो वातावरण बना, उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। ‘एकात्म मानवदर्शन’ देश में वैचारिक बहस की मुख्यधारा का अहम हिस्सा बन गया है। प्रतिष्ठान के सामने अब लक्ष्य है, उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने का।SKU: n/a -
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Dekho Hamri Kashi (PB)
काशी ज्ञान की शलाका है और बनारस औघड़ों का ठहाका है। काशी रहस्यों की गहराई है, बनारस किस्सों की ठंडाई है। काशी दिव्य है, बनारस भव्य है। काशी प्रणम्य है, बनारस रम्य है | काशी मुक्ति है, विरक्ति है; लेकिन बनारस हेमंतजी की परम आसक्ति है। यदि काशी में बनारस की तलाश है तो “देखो हमरी काशी ‘ की उँगली पकड़िए”’रस-ही- रस। गद्य में पद्य का रस, राग और लय का आनंद इस पुस्तक की हर कथा की प्रत्येक पंक्ति में है। इन कथाओं में तथ्य, तर्क और भाव-प्रवाह भरपूर है। जैसा रस “बैताल पचीसी’ की कथाओं में है कि उन्हें कोई सामान्य पाठक भी पढ़े तो उसका मनोरंजन होगा। कोई समझदार व्यक्ति पढ़े तो उसे जहाँ ज्ञान प्राप्त होगा, वहीं उसे जीवन जीने का मार्ग भी मिल सकता है। यही बात हेमंतजी की इन कथाओं में है । इसमें ऐसे पात्र हैं, जो हेमंतजी के या हमारे-आपके अपने रोजमर्रा के जीवन के ताने-बाने में गुँथे हुए हैं । वे इतने अभिन्न हैं कि उन्हें अलग-अलग देखना संभव नहीं हो पाता ।
यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं । ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है । इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं ।
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Delhi Dange : Sazish ka Khulasa
सामने आ रहा है, दिल्ली दंगों का सच : धीरे-धीरे
‘अपनी योजना के तहत 24 फरवरी को हमने कई लोगों को बुलाया और उन्हें बताया कि कैसे पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड बोतल फेंकने हैं। मैंने अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 1.30 बजे हमने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।’
आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के इस बयान को सुनकर वे लोग चौंक सकते हैं जो आम आदमी पार्टी के चरित्र से परीचित नहीं हो। आम आदमी पार्टी ने मसजिदों और मदरसों के अपने अच्छे नेटवर्क और ताहिर हुसैन अमानतुल्ला खान जैसे नेताओं के दम पर ही पूरी दिल्ली के एकएक मुसलमान का वोट हासिल कर लिया था। जिसके बदले में मानों उत्तरपूर्वी दिल्ली को आग में झोंक देने का लाइसेंस समुदाय विशेष को दे दिया था।
अब जब उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर चार्जशीट दिल्ली पुलिस तैयार कर चुकी है। उसके बाद 23 फरवरी को मौजपुर से भड़के हिंदू विरोधी दंगों को याद करते हुए, जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर, भजनपुरा, यमुना विहार में आग की तरह फैली उस हिंसा को सी.ए.ए. के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से अलग करके देखना भूल होगी। शाहीन बाग, जामिया नगर, सीलमपुर में सी.ए.ए. के विरोध में फैलाई गई हिंसा, वास्तव में बड़े दंगे का पूर्वाभ्यास ही थी। जिस बड़े दंगे को उत्तरपूर्वी दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर 23-26 फरवरी, 2020 तक अंजाम दिया गया।
इस हिंसा के लिए 4 फरवरी से ही कई घरों में कबाड़ी से शराब और कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलें, पत्थर लेकर छत पर इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया था। मुस्लिम समुदाय ने अपनी गाडि़यों में फुल पेट्रोल, डीजल भरकर रख लिया था ताकि बोतलों में पेट्रोल डीजल भरकर बम की तरह उसे वक्त आने पर इस्तेमाल किया जा सके।
मुस्लिम परिवारों में ऐसे परचे दंगों से पहले बाँट दिए गए जिसमें दंगों की स्थिति में हिंदूओं से निपटने की तरकीब लिखी गई थी। इन सारी बातों को देखने के बाद यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में होनेवाले दंगों के लिए यमुना पार का मुस्लिम समुदाय पहले से तैयार था। जबकि हिंदूओं को इससे सँभलने का बिलकुल मौका नहीं मिला।
अब धीरे-धीरे दिल्ली दंगों की साजिश का सच सामने आ रहा है, जिसकी वजह से वामपंथी इको सिस्टम का झूठ चल नहीं पा रहा।SKU: n/a