राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Showing 121–144 of 185 results
-
Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Perversion of India’s political parlance
Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Perversion of India’s political parlance
As one surveys India’s political parlance, the first feature one notices is that while certain people and parties are described as Leftist, certain others are designated as Rightist. The second feature which invites attention is that these contradistinctive labels – Leftist and Rightist – have never been apportioned among people and parties concerned by an impartial tribunal like, say, the Election Commission. What has happened is that certain people and parties have appropriated one label – Leftist – for themselves, and reserved the other label – Rightist – for their opponents, without permission from or prior consultation with the latter. The third feature which one discovers very soon is that people and parties who call themselves Leftist, also claim to be progressive, revolutionary, socialist, secularist, and democratic. At the same time, they accuse the ‘Rightists’ of being reactionary, revivalist, capitalist, and fascist. The fourth feature of the Indian political scene needs a somewhat deeper look because it goes beyond the merely political and borders on the philosophical. The Leftists claim that they are committed to a scientific interpretation of the world-process including economic, social, political, and cultural developments, and that, therefore, their plans and programmes are not only pertinent but also profitable for the modern age. Simultaneously, they accuse that the ‘Rightists’ are addicted to an obscurantist view of the same world-process and, therefore, to such outmoded forms of economy, polity, and culture as are bound to be injurious at this stage of human history. One cannot help concluding that the dictionaries are not al all helpful in deciphering the Leftist language. The source of that language has to be sought elsewhere. There is no truth whatsoever in the Leftist claim that India’s prevailing political parlance took shape in the course of India’s fight for freedom against British imperialism.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Political Mysteries
-10%Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Political Mysteries
The author, Mr. K.R. Malkani through this book, explains various political issues which had drastic effects on the world. Who hatched the conspiracy of killing Mahatma Gandhi? How the former Prime Minister of India. Lal Bahadur Shastri died in suspicious circumstances Under what mysterious circumstances was Pt. Deendayal Upadhyaya murdered? Why were me Kashmir Princess and Kanishka blown up? Likewise, there are many other issues with which the author has desk. These are the result of five years of his painstaking research that this book has tuned out to be an excellent source of information about various political assassinations as well mysterious happenings.
SKU: n/a -
Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rajasthan mein Rajshahi ka Ant
राजस्थान में राजशाही का अन्त : जिस समय राजपूताना रियासतों को भारत में मिलाया गया था, उस समय राजाओं को यह विश्वास दिलाया गया था कि भावी लोकतंत्र में छोटी रियासतों को उनकी निकटवर्ती रियासतों में मिलाकर बड़ी प्रशासनिक इकाइयों का निर्माण किया जाएगा तथा बड़ी रियासतों को भारत के भीतर, स्वतंत्र रियासत के रूप में बने रहने दिया जाएगा, किंतु देश की आजादी के बाद रियासतों में उत्तरदायी शासन की मांग के लिए प्रजामण्डल आंदोलन चले, जिनके कारण रियासतों में बेचैनी फैल गई तथा लगभग दो वर्ष के बहुपक्षीय संघर्ष के पश्चात भारत सरकार को ये रियासतें राजस्थान में मिलानी पड़ी और राजस्थान का वर्तमान स्वरूप सामने आया। इस दौरान विभिन्न रियासतों में बहुत सी घटनाएं घटी। रियासती संविधानों का निर्माण हुआ, लोकप्रिय सरकारें बनीं किंतु जन-आक्रोश के समक्ष रियासतें टिक नहीं सकीं। जब रियासतों का विलोपन होने लगा तब सरदार पटेल पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने राजाओं के साथ धोखा किया है। इस पुस्तक में उस ऐतिहासिक युग की घटनाओं को विस्तार एवं विश्वसनीयता के साथ लिखा गया है।
SKU: n/a -
Yash Publication, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Raktanchal Bengal ki Raktcharitra Rajniti
पुस्तक के बारे मै
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा बंद होने की संभावना जताई गई थी। ममता बनर्जी के राज में हर चुनाव में विरोधी दलों की राजनीतिक हिंसा की आशंका सच साबित हुईं हैं। पुस्तक में 2014 के लोकसभा और 2016 के विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनावों में हिंसा व धांधली की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। 2011 से 2018 तक राजनीतिक कारणों से हत्या और संघर्षों की विस्तृत जानकारी दी गई है। पुस्तक बताती है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कटमनी, सिंडीकेट को लेकर संघर्ष, ठेके कब्जाने के लिए खूनखराबा, रंगदारी वसूलने और अवैध धंधों पर कब्जा करने के लिए किस तरह एक-दूसरे को काटते रहे और बमों से उड़ाते रहे। वर्चस्व बनाए रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने आंतक फैलाने के लिए माकपा, कांग्रेस और फिर भाजपा के कार्यकर्ताओं का किस तरह कत्ल किया। विरोधियों को सबक सिखाने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार, बच्चों की पिटाई और घरों को आग लगाने की घटनाओं के उदाहरण के साथ बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति का पुस्तक में पूरी बेबाकी और निष्पक्षता से खुलासा किया गया है। राजनीतिक हिंसा पर मुख्यमंत्री का राज्यपालों से टकराव पर सटीक विश्लेषण के साथ ममता बनर्जी के जीवन और राजनीति पर गहराई से आकलन किया गया है।
SKU: n/a -
Yash Publication, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Raktranjit Bengal Loksabha Chunav 2019
पुस्तक में 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले, मतदान के दौरान और मतदान के बाद राजनीतिक हिंसा का विस्तार से वर्णन किया गया है। 2019 में राजनीतिक हिंसा में मारे गए लोगों और घायलों के उदाहरण रक्तरंजित बंगाल के प्रमाण दे रहे हैं। राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में आतंक फैलाने के लिए कैसे जगह-जगह घरों को फूंका गया। राजनीतिक संघर्ष को लेकर हुई बमबाजी और गोलीबारी से शहर और गांवों के लोग कैसे पूरे साल दहलते रहे। बढ़ती राजनीतिक हिंसा के साथ ही पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का बढ़ता जनाधार, वामदलों के साथ कांग्रेस का सिमटता आधार और तृणमूल कांग्रेस की वोटों के लिए तुष्टीकरण नीति का गहराई से आकलन किया गया है। राजनीति में अवैध हथियारों और काला धन के बढ़ते प्रभाव को उजागर किया गया है। राजनीति चमकाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार, राज्यपालों, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों पर हमलों का सटीक विश्लेषण।
SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rashtriya Aandolan Mein Hindi Press Ki Bhumika
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रRashtriya Aandolan Mein Hindi Press Ki Bhumika
राष्ट्रीय आंदोलन में हिन्दी प्रेस की भूमिका
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में जन-चेतना के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका हिन्दी प्रेस एवं अनेक पत्र-पत्रिकाओं की हैं। मानव जीवन के विकास की प्रक्रिया में पत्र-पत्रिकाएँ सहायक रही हैं। भारतीय बुद्धिजीवियों ने जागरूकता के लिए अनेक पत्र-पत्रिकाओं को एक साधन के रूप में प्रयोग करने का प्रयास किया। Rashtriya Aandolan Hindi Press
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को आगे बढ़ाने में बुद्धिजीवियों को इन पत्र-पत्रिकाओं से मदद मिल रही थी। राष्ट्रीय आन्दोलन के समय महिलाओं के द्वारा निकाले जा रहे पत्र-पत्रिकाओं का राष्ट्रीय आन्दोलन में भूमिका एवं सामाजिक समस्याओं आदि का वर्णन किया गया है।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rashtriya Aarakshan Neeti Aur Aligarh Muslim Vishwavidyalaya
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रRashtriya Aarakshan Neeti Aur Aligarh Muslim Vishwavidyalaya
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) देश के प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है, किंतु दुर्भाग्य से इसकी स्थापना से लेकर आज तक इस बात को लेकर विवाद है कि क्या यह अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान है? वास्तव में इसकी स्थापना से लेकर संविधान सभा, संसद और न्यायपालिका ने सदैव इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय स्वीकार किया; साथ ही इसके संस्थापकों ने भी इस बात को हमेशा माना कि यह देश के सभी वर्गो धर्मो के लिए बना है। इस पुस्तक की रचना के पीछे भी यही उद्देश्य है कि चूँकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत राष्ट्र की धरोहर है, अतः केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के कारण इस विश्वविद्यालय में भी राष्ट्र आरक्षण नीति के तहत SC/ST/OBCs को आरक्षण मिले तथा राष्ट्र निर्माण तथा सामाजिक न्याय की प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हो।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मिलनेवाला SC/ST/OBCs आरक्षण, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में भी मिले, यही इस पुस्तक का वैचारिक अधिष्ठान है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रRashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra
यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दीर्घ-यात्रा पर अनेक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, फिर भी संघ सदैव ही सुर्खियों में रहता है। हाल के दिनों में संघ के कामकाज को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि एक ओर इन दिनों में बहुत से स्वयंसेवक सरकार में शीर्ष पदों पर पहुँचे हैं, वहीं दूसरी ओर संघ के हिंदू-राष्ट्र और एकात्मता के मूल विचार अब हमारे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र की मुख्यधारा बन गए हैं। भारत के लिए संघ का दृष्टिकोण क्या है? यदि भारत एक हिंदू-राष्ट्र बन जाता है, तो इसमें मुसलमानों और अन्य धर्मों का क्या स्थान होगा? इतिहास-लेखन की संघ की परियोजना कितनी बड़ी है? क्या हिंदुत्व जाति की राजनीति को खत्म कर देगा? परिवार की बदलती प्रकृति और विभिन्न सामाजिक अधिकारों पसंघ का क्या दृष्टिकोण है? संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुनील आंबेकरजी ने इस पुस्तक में इन सवालों का विश्लेषण किया है। आंबेकरजी को तथ्यों की गहरी समझ है, इसी कारण से वे विचार की स्पष्टता और उसके विस्तार, दोनों पर ध्यान केंद्रित करने में सफल हुए हैं। एक स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने शाखा पद्धति में कार्य किया है और उसे अपने जीवन में जिया है, उसी के आधार पर संघ की आंतरिक कार्य-प्रणाली, निर्णय-प्रक्रिया और समन्वयक-दृष्टि पर गहराई से दृष्टिपात किया है। वास्तविक जीवन के अनुभवों से भरपूर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ उन सभी के लिए एक पठनीय पुस्तक है, जो संघ-शक्ति की कार्यप्रणाली और इसकी भविष्य की योजनाओं को समझने के इच्छुक हैं।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra (PB)
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रRashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra (PB)
यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दीर्घ-यात्रा पर अनेक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, फिर भी संघ सदैव ही सुर्खियों में रहता है। हाल के दिनों में संघ के कामकाज को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि एक ओर इन दिनों में बहुत से स्वयंसेवक सरकार में शीर्ष पदों पर पहुँचे हैं, वहीं दूसरी ओर संघ के हिंदू-राष्ट्र और एकात्मता के मूल विचार अब हमारे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र की मुख्यधारा बन गए हैं। भारत के लिए संघ का दृष्टिकोण क्या है? यदि भारत एक हिंदू-राष्ट्र बन जाता है, तो इसमें मुसलमानों और अन्य धर्मों का क्या स्थान होगा? इतिहास-लेखन की संघ की परियोजना कितनी बड़ी है? क्या हिंदुत्व जाति की राजनीति को खत्म कर देगा? परिवार की बदलती प्रकृति और विभिन्न सामाजिक अधिकारों पसंघ का क्या दृष्टिकोण है? संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुनील आंबेकरजी ने इस पुस्तक में इन सवालों का विश्लेषण किया है। आंबेकरजी को तथ्यों की गहरी समझ है, इसी कारण से वे विचार की स्पष्टता और उसके विस्तार, दोनों पर ध्यान केंद्रित करने में सफल हुए हैं। एक स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने शाखा पद्धति में कार्य किया है और उसे अपने जीवन में जिया है, उसी के आधार पर संघ की आंतरिक कार्य-प्रणाली, निर्णय-प्रक्रिया और समन्वयक-दृष्टि पर गहराई से दृष्टिपात किया है। वास्तविक जीवन के अनुभवों से भरपूर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ उन सभी के लिए एक पठनीय पुस्तक है, जो संघ-शक्ति की कार्यप्रणाली और इसकी भविष्य की योजनाओं को समझने के इच्छुक हैं।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Saath Ke Hemant
“पत्रकार-लेखक-समाजधर्मी हेमंत शर्मा शोख, शरारती, संजीदा, हँसमुख, मिलनसार हैं, साथ ही दायित्वपूर्ण लेखन के अप्रतिम उदाहरण भी । उनका लेखन उत्प्रेरक है, उद्देगजनक भी है और अनुरंजक भी। संवेदना और भाषा के इन अलग-अलग गुण-स्वभाव के लेखक हिंदी में हैं, मगर इन सबका एकत्र संयोग हमें हेमंत में ही दिखाई देता है। हेमंत की शरारत में जो गहरी आत्मीयता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। हेमंत का लेखन जादूगर के तमाशे की तरह है, जो लोगों को अपने काम के रास्ते जाते हुए से बिलमाकर रोक लेता है, बाँध लेता है, विस्मय में डाल देता है, अपने कौशल के लिए वाहवाही निकलवा लेता है।
हेमंतजी अपने सक्रिय जीवन के साठ साल पूरे करने जा रहे हैं। बिना किसी सीढ़ी का सहारा लिये, बिना किसी के कंधे पर चढ़े उन्होंने जीवन में स्पृहणीय ऊँचाई प्राप्त की है। इसके पीछे उनकी अथक मेहनत, गहरी सूझ, अटल संकल्प और व्यावहारिक कुशलता का बेजोड़ सम्मिलन है। उन्होंने ख्याति और समृद्धि के ऊँचे शिखर पर आसन जमाया है। हेमंत की उपलब्धियाँ विलक्षण हैं। उनकी प्रतिभा विस्मथघजनक है। उनका व्यवहार विमुग्धकारी है।
मीडिया, कला-जगत्, राजनीति और विभिन्न भावभूमि की प्रमुख विभूतियों से उनके नितांत अनौपचारिक और गहरे संबंध हैं। यह कृति उनके ऐसे ही अपनों और आत्मीयों के उनके विषय में व्यक्त भावों का पठनीय संकलन है।”
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sabhi Ke Liye Kanoon
आज हमारे पारिवारिक, सामाजिक एवं दिन-प्रतिदिन के जीवन में कानून की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो गई है। कानून एक ऐसा विषय है, जिसके संबंध में प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य जानकारियाँ होनी ही चाहिए। कानून के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ सभी नागरिकों की आवश्यकता बन गई है।
यह पुस्तक अपने पाठकों को सामान्य कानूनों की भरपूर जानकारी प्रदान करेगी। इसमें सरल व सुगम भाषा में तथ्यों को वर्णित किया गया है। इस पुस्तक को पढ़कर पाठकगण—अदालतों के प्रकार, एफ.आई.आर. दर्ज कराने के तरीके, जमानतों के तरीके, अपील के तरीके, सड़क दुर्घटना का मुआवजा, विवाह एवं तलाक, उपभोक्ता कानून, प्रोपर्टी ट्रांसफर, बीमा, टैक्स, चेक के अनादरण, श्रमिक कानून, दहेज, अपराधों के प्रकार और हमारे कानून का संक्षेप में इतिहास—आदि के संबंध में जानकारियाँ प्राप्त करेंगे। इसके माध्यम से पाठक भारतीय दंड संहिता की प्रमुख धाराओं के अंतर्गत शामिल अपराधों और उनकी सजाओं के बारे में भी जान सकेंगे। हमें विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक पाठकों को कानून संबंधी अनेक महत्त्वपूर्ण व उपयोगी जानकारियों से समृद्ध करेगी।SKU: n/a -
Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
-33%Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
THE AUTHOR
संदीप देवसंदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
SKU: n/a -
Hindi Books, Manoj Publication, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sampoorn Chankya Neethi
चाणक्य जैसे चमत्कारी व्यक्तित्व की नीति का वर्णन करने से पहले अगर उसकी जीवनी पढ़ लिया जाए, तो उसकी नीति को समझना आसान हो जाएगा। इसीलिए इस पुस्तक में चाणक्य की जीवनी पहले दिया गया है। यह ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण सांसारिक जीवन के अनुभवों का सार है। आज भी यह उतना ही प्रासंगिक है, जितना 2000 साल पहले। जीवन को आसान बनाने वाली चाणक्य की नीति जीवन के सभी प्रश्नों का समुचित उत्तर भी प्रदान करती है।.
SKU: n/a -
Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
SAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
‘चाणक्य नीति’ आचार्य चाणक्य के विश्वविश्रुत ग्रन्थ ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ का संक्षिप्त संस्करण है, जिसमें धर्म, समाज तथा राजनीति के गूढ़ तत्त्वों को अत्यन्त सरल शैली में प्रस्तुत किया गया है । इस ग्रन्थ का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धर्मशास्त्रों में निरूपित सभी करणीय-अकरणीय कर्मों की जानकारी प्राप्त करके सत्कर्मों का अनुष्ठान कर सकता है । एक पद्य में तो यह भी कहा गया है – येन विज्ञातमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रतिपद्यते । अर्थात इसे जानने वाला व्यक्ति राजनीति का पूर्ण विद्वान बन जाता है । संस्कृत भाषा में लिखा गया यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसमें लोकव्यवहार, धर्म तथा राजनीति से सम्बन्धित ऐसी अनेक शिक्षाप्रद व उपयोगी जानकारी का समावेश हैं, जिसे जानकर कोई भी व्यक्ति, जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है ।
SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sampurn Chanakya Neeti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSampurn Chanakya Neeti
सम्पूर्ण चाणक्य नीति : चाणक्य – भारतीय इतिहास के एक युग पुरुष ! असंभव को संभव कर दिखाने वाले ऐसे शास्त्रविहीन योद्धा, जिन्होनें अपनी नीतियों के बल पर ही भारत के इतिहास को एक सुनहरा मोड़ दिया। समाज, राजनीति, धर्म और कर्म का खुला विवेचन किया है, चाणक्य ने इन नीतियों में, ये नीतियां जीवन की अंधेरी राहों में सूर्य किरणों सा मार्गदर्शन करती हैं। जीवन की अति गूढ़तम गुत्थिओं को सुलझाने वाली सुस्पष्ट नीतियों की अभूतयपूर्व प्रस्तुति।
SKU: n/a -
Akshaya Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Samyavad ke Sau Apradh
Akshaya Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Samyavad ke Sau Apradh
श्री शंकर शरण ने अपनी इस पुस्तक में साम्यवाद के सौ अपराधों का ब्यौरा दिया है, उसकी सै(ान्तिक और दार्शनिक पृष्ठभूमि यही है। इस अपराधें के विवरण से शरण ने तथ्यों को बड़े ही समुचित ढंग से जुटाया है, और उन्हें अपनी भाषा एवम् विवेचन-शक्ति से जीवन्त बनाया है। साम्यवाद की एक विशेषता रही है।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sanasdeeya Pranali
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sanasdeeya Pranali
हमारे 99 फीसदी विधायक अल्पमत निर्वाचकों द्वारा चुने जाते हैं, उनमें से कई डाले गए वोटों का महज 15-20 फीसदी वोट पाकर निर्वाचित हो जाते हैं—यह आबादी का बमुश्किल 4-6 फीसदी बैठता
है। तो हमारी संसदीय प्रणाली कितनी प्रतिनिधि प्रणाली है?
लोकसभा में 39 पार्टियों के साथ, 14 पार्टियों से मिलकर बनी सरकार के साथ, क्या यह प्रणाली मजबूत, संशक्त और प्रभावी सरकारें प्रदान कर रही हैं, जिसकी हमारे देश को जरूरत है? क्या यह प्रणाली ऐसे व्यक्तियों के हाथों में सत्ता सौंप रही है, जिनके पास मंत्रालयों को चलाने की, विधायी प्रस्तावों का आकलन करने की, वैकल्पिक नीतियों का मूल्यांकन करने की क्षमता, समर्पण और निष्ठा है? या यह खराब-से-खराब लोगों को विधायिका और सरकार में ला रही है? जब वे सत्ता में होते हैं तो क्या यह उन्हें लोगों का भला करने के लिए प्रेरित करती है, या यह उन्हें कहती है कि कार्य-प्रदर्शन मायने नहीं रखता है, कि ‘गठबंधनों’ को बनाए रखना कार्य-प्रदर्शन का स्थानापन्न है? क्या यह प्रतिरोधी और बाधा खड़ी करनेवाली राजनीति को अपरिहार्य नहीं बनाती है?
इससे पहले कि हम यह निष्कर्ष निकालें कि इस प्रणाली का समय पूरा हो गया है, शासन का कितना पूजन हो, ताकि हमें लगे कि हमें अवश्य ही विकल्प तैयार करना चाहिए?
वह विकल्प क्या हो सकता है?
तब क्या होता है, जब ये विधायक ‘संप्रभुता’ का दावा करते हैं और उसे अपना बना लेते हैं? न्यायपालिका ने जो बाँध खड़ा किया है—कि संविधान के आधारभूत ढाँचे को बदला नहीं जा सकता— राजनीतिक वर्ग के खिलाफ एक आवश्यक सुरक्षा नहीं है? लेकिन क्या कोई वैकल्पिक प्रणाली तैयार की जा सकती है, जो इस आवश्यक बाँध को तोड़ेगी नहीं, उसका उल्लंघन नहीं करेगी? उस विकल्प का मार्ग कौन प्रशस्त करेगा? उसकी अगुवाई कौन करेगा? इस झुलसानेवाली समालोचना में अरुण शौरी इन सवालों और अन्य मुद्दों को उठाते हैं। हमारे वक्त के लिए अनिवार्य। हमारे देश की दृढता के लिए आवश्यक।SKU: n/a -
Hindi Books, Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sandeep Deo Hindi Collection Book
-15%Hindi Books, Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSandeep Deo Hindi Collection Book
- Kahani Communisto Ki: Khand 1 (1917-1964)
- Hamare Shri Guruji – Hindi (PB)
- Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
- Swami Ramdev Ek Yogi Ek Yodha
- Shri Guruji : Prerak Vichar (Hindi)
SKU: n/a