Nonfiction Books
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Architecture of Rajasthan
This book is about the historic city of Jaipur, the pink city of India. It is a unique city designed and established by Sawai Jai Singh II in 1727 A.D. The grandeur blueprint of this walled city has largely remained unchanged until now, even after 293 years. Despite various ups and downs, the city continued to flourish as a trade and religious center till mid 20th century.
Jai-Nagar, stamped as the World Heritage City by UNSECO, was fabricated in a blooming and charming architectural style, which is unique in many senses. It is a testimony of the intellect of Sawai Jai Singh and his successors. It is their inherent passion for art and architecture that unfolds into the magnificent buildings of this walled city.
The book will explore the palaces, Havelis, temples, gardens, kharkhanas, bawaris, streets, mohallas, etc. of the walled city, along with the forts in its vicinity. It is an attempt to bring forward the Rajput architectural features, and also highlight the impact of Mughal architecture. In fact, in Jaipur, the regional art and architectural traditions of Rajputs perfectly blended with the Mughal architectural traditions and emerged as the Dhoondhari style of architecture.SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Artha Samgraha
Written by Sri Laugakshi Bhaskar. With ‘Mimansa Samgrah Kaumudi’ Sanskrit Commentary by Sri Rameshwar Yogi and Hindi Commentary by Dr. Kameshwar Nath mishra :
लौगाक्षिभास्करकृत l रामेश्वरयोगिकृत ‘मीमांसासंग्रहकौमुदी’ संस्कृत तथा डॉ. कामेश्वरनाथमिश्रकृत ‘प्रकाशिका’ हिन्दी व्याख्या सहित
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Arthik Evam Videsh Neeti
आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित सरदार पटेल की सोच और दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक थे। अधिक उत्पादन एवं समान वितरण उनकी आर्थिक नीति के मूल तत्त्व थे। आम जनता को उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति हेतु भरपूर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव दिखाते हुए श्रम और पूँजी निर्माण पर जोर दिया। मंत्रिमंडल की बैठकों में समय-समय पर उन्होंने आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। विदेश नीति पर भी उनका दृष्टिकोण काफी स्पष्ट व व्यावहारिक रहा है। राष्ट्रमंडल की सदस्यता प्राप्त करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु उन्होंने जोरदार प्रयास किए थे। उनके सुझाव के आधार पर एक ऐसी नीति तैयार की गई, जिससे भारत को एक सार्वभौम एवं स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रमंडल का सदस्य बने रहने में मदद मिली।
सरदार पटेल को चीन की ओर से किए गए मित्रता-प्रदर्शन तथा ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ में विश्वास नहीं था। उन्होंने चीन की तिब्बत नीति पर एक लंबा-चौड़ा नोट तैयार किया था, जिसमें इसके परिणामों के प्रति देश को चेताया भी था।
प्रस्तुत पुस्तक सरदार पटेल के व्यावहारिक एवं विशद चिंतन की यात्रा करवाती है।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य
Aryasamaj
लाला लाजपतराय अपनी युवा अवस्था से ही आर्यसमाज से जुड़े रहे तथा उन्होंने उन्मुक्त भाव से यह स्वीकार किया था कि देश की जो सेवा वह कर पाए हैं, उसका श्रेय आर्यसमाज एवं उसके संस्थापक महर्षि दयानंद को ही है, जिनसे प्रेरणा पाकर वह समाज तथा स्वराष्ट्र के लिए कुछ कर सके।
आर्यसमाज का सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत करने का विचार लेकर ही लालाजी ने उस समय ‘दी आर्यसमाज‘ नामक अंग्रेजी ग्रंथ लिखा था। तब से लेकर अब तक आर्यसमाज आंदोलन ने जो उतार-चढ़ाव देखे हैं, उसके लिए तो अन्य विवेचन की अपेक्षा रहेगी ही, तथापि लालाजी जी का यह ग्रंथ भी कालजयी साहित्य की श्रेणी में आ गया है।
इस पुस्तक का अध्ययन वे लोग अवश्य करें जो संक्षेप में आर्यसमाज तथा उसके संस्थापक से परिचित होना चाहते हैं। आशा है नरकेसरी लालाजी का यह अमर ग्रंथ पाठकों में स्वदेश, स्वधर्म तथा स्वसंस्कृति के प्रति प्रेम जगाने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ashutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणAshutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
This book is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he is established in the highest state of Samadhi but the medical world considers him to be clinically dead.
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English Books, Rupa Publications India, इतिहास
Asoka: The Buddhist Emperor of India
Asoka: The Buddhist Emperor of India is regarded as a culturally important work in the historiography of the life and times of King Asoka. A masterpiece when it was first published, its importance has only increased with time.
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास
ASSASSINATION OF RAJIV GANDHI AN INSIDE JOB?
For twenty-three years a myth has been perpetuated that former Prime Minister Rajiv Gandhi was assassinated by the LTTE because it feared his triumphant return to power at the conclusion of the 1991 general elections, underway, when Rajiv, out of power was assassinated on 21 May 1991. But if this basic premise is knocked off and the alternate scenario is shown that the Congress which returned to power in 1991 even after Rajiv’s assassination considerably short of a simple majority, had no chance of returning to power, had Rajiv not been sacrificed thus, then the entire bottom of this myth is knocked off and the whole theory falls flat on its nose. This is the premise on which everyone starting from CBI-SIT to the Supreme Court and numerous analysts and theorists have built their castles of conspiracy. This book is also about conspiracies and intrigue, but it has attempted to explode this myth and seeks to find why Rajiv was killed if he was not likely to return to power in the 1991 mid-term elections?
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Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books, अन्य कथेतर साहित्य
Astavarga Rahasya (Hindi)
Ayurveda is the science of eternal life. It is an important part of our prosperous and glorious history. Astavarga is a name of a group of eight vitality promoting and anti-aging medicinal plants (Jivaka, Rishabhaka, Meda, Mahameda, Kakoli, Ksirkakoli, Riddhi and Vriddhi) mentioned in Ayurveda. It is an important ingredient of “Cyavanaprasa”. This book is intended for attention of researchers, cultivators of medicinal plants, and the billions of people who wish to have knowledge of medicinal plants. It is an attempt for error free identification of Astavarga plants, to offer a reliable and detailed use of these valuable plants. The identification and description of Astavarga plants presented in this book is based on ancient ayurvedic literature and research of the complete shastras.
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Religious & Spiritual Literature, Vani Prakashan, इतिहास
Atharvved Ka Madhu
अथर्ववेद की मधु अभीप्सा गहरी है। यह सम्पूर्ण विश्व को मधुमय बनाना चाहती है। सारी दुनिया में मधु अभिलाषा का ऐसा ग्रन्थ नहीं है। कवि अथर्वा वनस्पतियों में भी माधुर्य देखते हैं। कहते हैं, “हमारे सामने ऊपर चढ़ने वाली एकलता है। इसका नाम मधुक है। यह मधुरता के साथ पैदा हुई है। हम इसे मधुरता के साथ खोदते हैं। कहते हैं कि आप स्वभाव से ही मधुरता सम्पन्न हैं। हमें भी मधुर बनायें।” स्वभाव की मधुरता वाणी में भी प्रकट होती है। प्रार्थना है कि हमारी जिह्वा के मूल व अग्र भाग में मधुरता रहे। आप हमारे मन, शरीर व कर्म में विद्यमान रहें। हम माधुर्य सम्पन्न बने रहें। यहाँ तक प्रत्यक्ष स्वयं के लिए मधुप्यास है। आगे कहते हैं, “हमारा निकट जाना मधुर हो। दूर की यात्रा मधुर हो। वाणी में मधु हो। हमको सबकी प्रीति मिले।” जीवन की प्रत्येक गतिविधि में मधुरता की कामना अथर्ववेद का सन्देश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Athashri Vedavyasa Katha (HB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Athashri Vedavyasa Katha (HB)
Athashri Vedavyasa Katha “अथ श्री वेदव्यास कथा” Book In Hindi – Omprakash Pandey
महर्षि व्यास भारतीय वाङ्मय के शिखर प्रणेता हैं। उनकी प्रसिद्धि कृष्ण द्वैपायन, वेदव्यास और महर्षि पाराशर के रूप में भी है। उन्होंने चारों वेदों का वर्गीकरण, महाभारत जैसी शतसाहस्री संहिता, अष्टादश पुराणों और वेदांत के ब्रह्मसूत्रों का भी प्रणयन किया। उन्होंने कुरुवंश को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। पांडवों और कुरुओं, दोनों को ही समय-समय पर सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। द्वापर दुविधा का युग था। अपने युग के दिग्भ्रमित समाज को उन्होंने वासुदेव कृष्ण के साथ सही दिशा देने का भगीरथ प्रयत्न किया। कुरुक्षेत्र के रणस्थल पर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उपदिष्ट गीता का तत्वज्ञान महाभारत के अंतर्गत होने के कारण ही अभी तक हमें उपलब्ध है। इसका श्रेय भी द्वैपायन व्यास को ही है। दशावतार की अवधारणा भी वेदव्यास के प्रयत्न से ही सुरक्षित है। भगवान् श्रीकृष्ण की संपूर्ण जीवन-कथा और विचारराशि को व्यास ने ही श्रीमद्भागवत के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने का भगीरथ प्रयत्न किया है। श्रीकृष्ण यदि अपने युग के निर्माता हैं, तो व्यास भी उनके समानांतर ही युगद्रष्टा हैं। द्वापर की यह सबसे बड़ी उपलब्ध है, जो उसे वासुदेव कृष्ण और कृष्ण द्वैपायन के रूप में दो कृष्ण प्राहृश्वत हुए। महाभारत और पुराणों में भगवान् श्रीकृष्ण की कथा तो विस्तार से मिल जाती है, लेकिन व्यासजी ने अपने विषय में कुछ भी नहीं कहा। व्यासजी के जीवन-विषय में जनसामान्य की अजस्र जिज्ञासा आज भी है, जिसे ध्यान में रखकर ही उपलब्ध साक्ष्यों और सूत्रों को सँजोकर इस ‘अथश्री वेदव्यास कथा’ का प्रणयन किया गया है।
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, अन्य कथेतर साहित्य
Athato Dharm Jigyasaa
धर्म के यथार्थ स्वरूप का दार्शनिक विवेचन-साधारण तौर पर लोगों के बीच धर्म या तो विवाद का विषय रहा है या फिर परंपरा का, जबकि यह चिंतन व विचार-विमर्श का विषय होना चाहिए। समाज में धर्म के विषय में फैली भ्रांतियों और असमंजस की स्थिति का निराकरण एवं इसके यथार्थ स्वरूप का उद्घाटन आवश्यक है। जिसकी चर्चा इस पुस्तक में तथ्य परक एवं तार्किक ढंग से की गई है।
इस पुस्तक में भौतिक तथ्यों एवं आंकड़ों का उल्लेख करके विषय को अधिक रोचक एवं प्रामाणिक बनाया गया है। धर्म ईश्वरोक्त है अर्थात् ईश्वर के द्वारा मनुष्य मात्र के लिए निर्धारित आचरण संबंधी निर्देश ही धर्म कहलाता है। प्रस्तुत पुस्तक में इस सिद्धांत का सफलता पूर्वक प्रतिपादन किया गया है।
‘धर्म का स्वरूप‘ इस पुस्तक का मुख्य अध्याय है। जिसके अंतर्गत धर्म के सूक्ष्म तत्व की विस्तृत व्याख्या की गई है। विशेष तौर पर अहिंसा, सत्य और विद्या जैसे विषयों की व्याख्या काफी रोचक और ज्ञानवर्धक है। धर्म के नाम से प्रचलित छः मुख्य संप्रदाय यह समूह (ईसाई, मुस्लिम, हिंदू, नास्तिक, बौद्ध, यहूदी) का संक्षेप विवरण ‘धर्माभास‘ नामक अध्याय में दिया गया है।
ताकि पाठकों को इनके बारे में साधारण तथ्य मालूम हो सकें। यह पुस्तक बुद्धिजीवी और तार्किक पाठकों को अवश्य पसंद आएगी। निःसंदेह इस उच्चकोटि की पुस्तक रचना के लिए लेखक को मेरा साधुवाद और इसकी सफलता हेतु बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
– डॉ. वागीष आचार्य, गुरुकुल एटाSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Atulya Bharat Ki Khoj
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, विविध पर्यटक आकर्षण, कई धार्मिक तीर्थ केंद्रों का घर तथा कई बड़ी पवित्र नदियों का समागम है भारत। वर्षों से इसकी संस्कृति अलग, अनोखी एवं अद्वितीय रही है। बहुधार्मिक, बहुभाषी तथा पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों से सम्मिलित इस देश को रचनाकार आदर से प्रणाम करते हैं। लेखक को भारत के 31 राज्यों को जानने और समझने का मौका मिला। भारत की गरिमामयी मिट्टी से प्राप्त अनुभवों को लेखक ने इस पुस्तक में सँजोया है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुगंध से मन आज भी महक उठता है, परंतु मोक्ष एवं ज्ञान का प्रवेश-द्वार कहे जानेवाले भारत की विरासत के रहस्य को एक तरफ समस्त संसार देखने आता है तो दूसरी तरफ खुद भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं। लेखक अपनी इस पुस्तक में भारत की अनूठी सांस्कृतिक उपलब्धियों तथा अपने अनुभवों का सुंदर वर्णन करते हुए अत्यंत गौरवान्वित हैं। अपनी इस भ्रमण यात्रा को इस पुस्तक में ‘अतुल्य भारत की खोज’ का नामकरण दिया गया है, जो स्वयं में इस उपमा को चरितार्थ करता है कि भारत जैसा अनुपम देश दुनिया में दूसरा नहीं है।
भाग्यशाली हूँ मैं जो इस पावन धरा पर मेरा जन्म हुआ, भारत माँ की गोद में खेलकर जीवन मेरा धन्य हुआ, काश! कभी चुका पाऊँ कर्ज इस धरा का, रात-दिन ध्यान रहता सी का।SKU: n/a -
Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
AULESYA TATHA ANYA KAHANIYAN
अलेक्सांद्र कुप्रीन की ‘ओलेस्या तथा अन्य कहानियाँ’ पुस्तक की कथा जंगल में रहने वाली एक समाज-बहिष्कृत सुंदर लड़की और उसकी दादी की है,जिन्हें गाँव वाले डायनें समझते हैं। कथानक उस अल्प- परिचित, अलप-उद्घघाटित विषय का है, जिस पर आज भी बहुत कम सहीतियक रचनाएँ सारे यूरोप- अमेरिका में मिलती हैं। कुप्रीन, और चेखव की ही परंपरा में,रूसी साहित्य के उस स्वर्ण-काल के लेखक हैं जिनके पास समाज के हर तबके के पात्र के लिए के अचूक अंतर्दृष्टि थी।
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Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aur Desh Bat Gaya
Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aur Desh Bat Gaya
अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता-हस्तान्तरण, देश-विभाजन और स्वाधीनता-संघर्ष तथा 1947 से पूर्व की मुस्लिम समस्या पर यद्यपि बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी विभाजन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और उससे सम्बन्धित अनेक प्रश्नों का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। देश-विभाजन की उस विकराल विभीषिका में लाखों लोगों ने अपने प्राण गवाएँ, सगे-सम्बन्धी, परिवार-जन खोये। जान-माल के इस भीषण संहार, विनाशलीला, दुव्र्यवहार और करोड़ों लोगों को उनकी जन्म-भूमि से विस्थापित करने का मानव इतिहास में दूसरा दृष्टान्त नहीं मिलता।
जागरूक, अध्ययनशील और विचारवान् राष्ट्रसेवी व लेखक श्री हो. वे. शेषाद्रि ने इस पुस्तक में देश की इस त्रासदी का गहन अध्ययन व आकलन के आधार पर तथ्यपरक एवं यथार्थ विवेचन प्रस्तुत किया है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Aur Panchhi Ud Gaya
यशस्वी साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा…साथ ही पूरी एक सदी के साहित्यिक जीवन तथा समाज और देश का चारों ओर दृष्टि डालता आईना और दस्तावेज़। विष्णु प्रभाकर अपने सुदीर्घ जीवन में साहित्य के अतिरिक्त सामाजिक नवोदय तथा स्वतंत्रता-संग्राम से भी पूरी अंतरंगता से जुड़े रहे-रंगमंच, रेडियो तथा दूरदर्शन सभी में वे आरंभ से ही सक्रिय रहे। शरत्चन्द्र चटर्जी के जीवन पर लिखी उनकी बहुप्रशंसित कृति ‘आवारा मसीहा’ की तरह यह भी अपने ढंग की विशिष्ट रचना है। यह आत्मकथा तीन खंडों में प्रकाशित है : पंखहीन (प्रथम खंड), मुक्त गगन में (द्वितीय खंड), और पंछी उड़ गया (तृतीय खंड)
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
Aurangzeb’s Iconoclasm: Illustrations from Primary Source
-10%English Books, Garuda Prakashan, इतिहासAurangzeb’s Iconoclasm: Illustrations from Primary Source
Based on Emperor Aurangzeb’s Court Bulletins (Akhbarat) from Rajasthan State Archives, Bikaner and credible Persian works, this book “Aurangzeb’s Iconoclasm” features paintings, court orders and other such material to bring out the nature of reign that Aurangzeb had unleashed. Many of these paintings, reproduced masterfully in miniature style from original documents kept in the state archives. They are now part of permanent exhibition at Chhatrapati Shivaji Maharaj Museum of Indian History in Pune, set up by the author, Francois Gautier.
Clearly answers the question on the destruction of the Kashi Vishwanath temple, on Aurangzeb’s orders, the site of the current Gyanvapi Masjid.
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Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books, अन्य कथेतर साहित्य
Aushadh Darshan (English)
Acharya Balkrishna Ji, as a hobby, started studying several medicines used in ancient medical practices which exhibited miraculous effect on the chronic diseases. Soon his detailed collection was applauded to such an extent that it became a necessity to publish this research in the form of a book, named as, Ausadh Darshan. This book has gained rapid popularity and about 10 million copies have been sold till date. It consists of the most effective methods suggested by Swami Ramdev Ji and Acharya Balkrishna Ji in order to treat fatal diseases. Aushadh Darshan is available in multiple languages.
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Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books, अन्य कथेतर साहित्य
Aushadh Darshan (Hindi)
Acharya Balkrishna Ji, as a hobby, started studying several medicines used in ancient medical practices which exhibited miraculous effect on the chronic diseases. Soon his detailed collection was applauded to such an extent that it became a necessity to publish this research in the form of a book, named as, Ausadh Darshan. This book has gained rapid popularity and about 10 million copies have been sold till date. It consists of the most effective methods suggested by Swami Ramdev Ji and Acharya Balkrishna Ji in order to treat fatal diseases. Aushadh Darshan is available in multiple languages.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Autobiography of A Yogi (Hindi Version)
श्री परमहंस योगानंद जी भारत के उन प्राचीन ऋषियों एवं संतों के आदर्श प्रतिनिधि रहे हैं, जो भारत का वैभव हैं। इस संसार में योगानंदजी की उपस्थिति अंधकार के बीच चमकने वाले प्रकाश-पुंज की तरह थी। परमहंस योगानंद, एक आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ, जिनकी जीवनी दैवीय कृपा और आत्म-प्राप्ति की धुनों से गूँजती है।
इस आत्मकथा में हम योगानंद के जीवन की गहराइयों में उतरते हैं, भारत की प्राचीन आध्यात्मिक भूमि से लेकर अमेरिका के जीवंत तटों तक उनके कदमों का पता लगाते हैं, जहाँ उन्होंने कालातीत ज्ञान के बीज बोए थे। उनकी कहानी मात्र एक ऐतिहासिक वृत्तांत नहीं है, बल्कि हर इनसान के भीतर निहित असीम संभावनाओं की गहन खोज है। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से योगानंद ने दुनिया भर में साधकों के आध्यात्मिक उत्साह को प्रज्वलित किया, आत्म-खोज और ईश्वर के साथ संवाद का मार्ग आलोकित किया।
इस आत्मकथा में योगानंद के असाधारण जीवन के सार को समाहित करने, उनके आध्यात्मिक विकास, उनके परिवर्तनकारी अनुभवों और उनकी अमूल्य शिक्षाओं के धागों को एक साथ बुना गया है। यह आत्मकथा प्रेरणा की किरण के रूप में काम करे, जो आपको शांति, ज्ञान और दिव्य प्रेम के आंतरिक क्षेत्रों की ओर मार्गदर्शन करे, जिसे योगानंद ने दुनिया के साथ साझा करने के लिए बड़ी उत्सुकता से उद्घाटित किया है।
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Vani Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Awadh Ki Tharu Janjati : Sanskar Evam Kala
‘आदिवासी थारू जनजाति’ भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ़ तराई क्षेत्र में घने जंगलों के बीच निवास करती है जो कि भारत की प्रमुख जनजातियों में से उत्तर भारत की एक प्रमुख जनजाति है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के तीन ज़िलों लखीमपुर खीरी, बहराइच व गोण्डा में थारू जनजाति निवास करती है। जहाँ अवध क्षेत्र मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का जन्म स्थान पावन धाम प्राचीन धार्मिक धर्म नगरी है और मेरा परम सौभाग्य है कि मेरा जन्म अवध के अयोध्या में हुआ है। वहीं अवध क्षेत्र की एक विशेषता रही है। थारू जनजाति का आवासित होना उनकी समृद्धि, संस्कृति व लोक परम्परा से युक्त उनका इतिहास गौरवशाली होना इनकी कला और संस्कृति का हमारी लोक संस्कृति के साथ घनिष्ठ सम्पर्क है। थारू जनजाति की सभ्यता, संस्कृति, संस्कार, लोक कला अपने आप में लालित्यपूर्ण विधा है। इसका प्राचीन इतिहास से लेकर आधुनिक इतिहास तक विस्तार है लेकिन कतिपय कारणों से यह अभी तक समृद्ध कला प्रकाश में नहीं आयी है। इनकी संस्कृति, सभ्यता अभी तक पूरे अवध और उसके बाहर भी प्रकाश में नहीं आयी है और ना ही प्रचार-प्रसार हुआ है। मेरा लक्ष्य है कि थारू जनजाति की लोक कला संस्कृति और लोक जीवन पद्धति जो कि हमारे अवध का एक गौरवशाली अंग है, इस पुस्तक के माध्यम से जन सामान्य में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। थारू जनजाति एक जनजाति ही नहीं एक लोक परम्परा है, इसको एक जाति के रूप में जब हम देखते हैं, तो पाते हैं कि इन्होंने हमारी एक विरासत को सँभाल कर रखा है जो अभी तक बची हुई और सुरक्षित है। इस संस्कृति, कला और परम्परा को नयी पीढ़ी तक पहुँचाने, सुरक्षित रखने के उद्देश्य से यह सर्वेक्षण का कार्य किया गया है।
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Vani Prakashan, इतिहास
Awadh Sanskriti Vishwakosh – 1
प्राचीन अवध के अन्तर्गत इन आठ राज्यों का उल्लेख प्राप्त होता है-1. वत्स 2. कौशाम्बी 3. कोसल-साकेत 4. श्रावस्ती 5. कान्यकुब्ज 6. अन्तर्वेद 7. भारशिव (बैसवारा) 8. शर्की (जौनपुर)। यही रामराज्य की वास्तविक परिधि थी। यद्यपि कवियों ने रामराज्य को देश-देशान्तर तक व्याप्त दिखाया है, किन्तु वह मंगलाशा मात्र है। गोस्वामी जी ने लिखा है- “सप्तद्वीप सागर मेखला” किन्तु यह कथन एक प्रकार की कवि प्रौढ़ोक्ति है। अकबर ने पूरे मुगल राज्य को 1590 ई. में कुल 12 सूबों में बाँटा था। सूबाए औध में 5 सरकारें थीं-लखनऊ, फैजाबाद, खैराबाद, बहराइच, गोरखपुर। बाद में गोरखपुर अलग कमिश्नरी से जुड़ गया। मध्यकाल में अयोध्या पर समय-समय पर कई वंशों ने राज्य किया, जिनमें मुख्य हैं-1. खिलजी वंश 2. तुगलक वंश 3. मुगल वंश 4. सोलंकी राजा 5. कान्यकुब्ज नरेश 6. परिहार वंश 7. लोदी वंश 8. गहरवार वंश 9. नवाबी शासन। अंग्रेजी शासन में अवध के भीतर सुल्तानपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, टाँडा और मानिकपुर को सम्मिलित कर लिया गया और गोरखपुर को पृथक कर दिया गया। बाद में अयोध्या पर शाकद्वीपीय राजाओं का अधिकार रहा। लाला सीताराम ने ‘अयोध्या का इतिहास’ में इन सबका विस्तृत विवरण दिया है। इस विशाल क्षेत्र का भौगोलिक परिवेश अत्यन्त बहुरंगी तथा सुरम्य है। इसकी अधिकांश भूमि वनों से ढकी है। भूवैज्ञानिक संरचना की दृष्टि से यह क्षेत्र कई हिस्सों में बँटा है। इस क्षेत्र का काफी भाग हिमालय की तराई (गाँजर) क्षेत्र में आता है। खीरी, बहराइच, गोण्डा, बलरामपुर, सीतापुर, श्रावस्ती जिले इसी गाँजर क्षेत्र के जिले हैं। उत्तर में यह हिमालय की एक समानान्तर श्रेणी है। दूसरा क्षेत्र गंगा यमुना का मैदान (दोआबा) कहलाता है।
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