Nonfiction Books
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास
Vibhajit Bharat (HB)
Ram Madhavराम माधव राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं और भू-राजनीतिक, सामरिक एवं सुरक्षा अध्ययन तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विशेष दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने अनेक देशों की यात्राएँ की हैं और 20 से अधिक देशों के विश्वविद्यालयों तथा अन्य कार्यक्रमों में व्याख्यान दे चुके हैं। सन् 1990 से 2001 के बीच, एक दशक से भी ज्यादा समय तक वे सक्रिय पत्रकारिता कर चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखते हैं। अंग्रेजी और तेलुगु में उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं—डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी की ‘ए बायोग्राफी’ (तेलुगु), कान्होजी आंग्रे की ‘द मराठा नेवल हीरो’ (तेलुगु), ‘विविसेक्टेड मदरलैंड’ (तेलुगु), ‘इंडिया-बँगलादेश बॉर्डर एग्रीमेंट 1974—ए रिव्यू’ (अंग्रेजी) और ‘कम्युनल वॉयलेंस बिल अगेंस्ट कम्युनल हार्मोनी’ (अंग्रेजी)।
वे दिल्ली स्थित सामरिक अध्ययन एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध अध्ययन के विचार केंद्र इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास
Vibhajit Bharat (PB)
Ram Madhavराम माधव राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं और भू-राजनीतिक, सामरिक एवं सुरक्षा अध्ययन तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विशेष दिलचस्पी रखते हैं। उन्होंने अनेक देशों की यात्राएँ की हैं और 20 से अधिक देशों के विश्वविद्यालयों तथा अन्य कार्यक्रमों में व्याख्यान दे चुके हैं। सन् 1990 से 2001 के बीच, एक दशक से भी ज्यादा समय तक वे सक्रिय पत्रकारिता कर चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखते हैं। अंग्रेजी और तेलुगु में उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें प्रमुख हैं—डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी की ‘ए बायोग्राफी’ (तेलुगु), कान्होजी आंग्रे की ‘द मराठा नेवल हीरो’ (तेलुगु), ‘विविसेक्टेड मदरलैंड’ (तेलुगु), ‘इंडिया-बँगलादेश बॉर्डर एग्रीमेंट 1974—ए रिव्यू’ (अंग्रेजी) और ‘कम्युनल वॉयलेंस बिल अगेंस्ट कम्युनल हार्मोनी’ (अंग्रेजी)।
वे दिल्ली स्थित सामरिक अध्ययन एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध अध्ययन के विचार केंद्र इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं।
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Prabhat Prakashan, उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Vibhajit Savera
Prabhat Prakashan, उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Vibhajit Savera
मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की शृंखला की यह तीसरी और अंतिम कड़ी है। इसका कालखंड आजादी के बाद का है। गुलामी की जंजीरें कटने के बाद देश ने आजादी का सवेरा देखा, पर यह सवेरा विभाजित था। देश दो भागों में बँट गया था—भारत और पाकिस्तान। अंग्रेज चाहते थे कि दोनों देश हमेशा एक-दूसरे के विरोधी बने रहें। एक ओर वे जिन्ना की पीठ ठोंकते। दूसरी ओर ‘अमनसभाइयों’ को भी उत्साहित करते। अमनसभाई तो थे ही सुराजियों के विरोधी। फिरंगियों ने इनका संगठन बनाया ही इसीलिए था। अमनसभाई अंग्रेज अफसरों के यहाँ ‘डालियाँ’ भिजवाते रहे और सुराजियों की गुप्त सूचनाएँ भी उन्हें देते रहे। इसी उलझन में भारतीय राजनीति आगे बढ़ रही थी कि एक सिरफिरे हिंदू ने गांधीजी को गोली मार दी। अहिंसा का पुजारी हिंसा के घाट उतार दिया गया। इसके कारणों पर भी उपन्यास में विचार हुआ है। ‘टु नेशन थ्योरी’ के आधार पर सांप्रदायिक हिंसा का जो नंगा नाच हुआ, उसका भी चश्मदीद गवाह है यह उपन्यास। ‘विभाजित सवेरा’ खंडित भारत का सार्थक, संवेदनापूर्ण और यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है इसमें लेखक की अनुभूति की सघनता, आत्मीयता और भावुकता है। कथा अंत तक विभाजित सवेरे का दंश भोगती रहती है। आजादी की मरीचिका और देश के सामने मुँह बाए खड़ी ज्वंलत समस्याओं से अवगत कराता है—‘विभाजित सवेरा’।
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Harper Collins, Hindi Books, इतिहास
Vibhinnata
About the Book: Vibhinnata: An Indian Challenge to Western Universalism India is more than a nation state. It is also a unique civilization with philosophies and cosmologies that are markedly distinct from the dominant culture of our times-that of the West. In this book, thinker and philosopher Rajiv Malhotra addresses the challenge of a direct and honest engagement with differences, by reversing the gaze and looking at the West from the dharmic point of view. In doing so, he challenges many hitherto unexamined beliefs that both sides hold about themselves and each other, pointing out the integral unity that underpins dharmas metaphysics and contrasts this with Western
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Gyan Ganga Prakashan, Suruchi Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Vichar Navneet
Gyan Ganga Prakashan, Suruchi Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Vichar Navneet
“विचार नवनीत” परम पूजनीय श्री गुरुजी के विचारों पर आधारित है। यह संकलन मूल अंग्रेजी ग्रंथ “Bunch Of Thoughts”का हिंदी अनुवाद है। “विचार नवनीत” के हिंदी अनुवाद का दुष्कर कार्य लखनऊ में बैंक अधिकारी श्री भारत भूषण जी आर्य ने किया। श्री विरेश्वर जी द्विवेदी (पूर्व संपादक, ‘राष्ट्र धर्म’ मासिक) ने इसे और अधिक सुस्पष्ट तथा संशोधित किया। बरेली कॉलेज के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ० भगवान शरण भारद्वाज जी ने हिंदी अनुवाद को पूर्ण करने के काम में 15 दिन अहर्निश परिश्रम किया।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Vichar Pravah Book in Hindi
डॉ. लोहिया समाजवादियों से कहते थे कि तुम निरंतर अपने में बदलाव करते रहो। नीति और सिद्धांत का खूँटा पकडे़ रहो, परंतु रणनीति बदलते रहो। आज समग्रता में डॉ. लोहिया को पढ़ने, जानने और समझने की आवश्यकता है। वे कहा करते थे कि जब किसान का एक हाथ हल की मूठ पर रहेगा और दूसरी आँख दिल्ली की सत्ता पर रहेगी, उस दिन परिवर्तन आएगा। राह सही रहे, परंतु राही बदलते रहें तो चिंता नहीं— दृष्टि और दिशा सही रहनी चाहिए। मैं भी गाँववाला हूँ। किसान हूँ। अपनी भाषा में और अपनी दृष्टि से कुछ लिखता हूँ और बोलता हूँ। डॉ. लोहिया कहा करते थे कि कभी भी दो महापुरुषों में तुलना मत करना। समय, परिस्थति और कारण एक नहीं होते हैं। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, प्रशासनिक और भौगोलिक परिस्थिति एक समान नहीं होती हैं। हर युग और समय में जो तत्कालीन और दीर्घकालीन परिस्थितियाँ होती हैं, उसी के अनुरूप काम करना पड़ता है। हर युग की अपनी समस्याएँ होती हैं, उनके निदान के उपाय खोजे जाते हैं। महापुरुषों की दृष्टि में समग्रता और व्यापकता के साथ-साथ करुणा होती है। वे समग्रता में चिंतन करते हैं और अपने तरीके से विश्लेषण करते हैं। भाषा और शब्दो में अंतर हो सकता है, परंतु भावना, चिंतन और दृष्टि में भेद नहीं होता है। समाजवादी विचारों से ओत-प्रोत आलेखों का संग्रह।
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Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Vijayi Bhav
हम भारतीयों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी जरूरी संसाधन पर्याप्त मात्रा में देश में उपलब्ध हैं। हमारे यहाँ बहुत सी नीतियाँ और संस्थाएँ हैं। चुनौती है तो बस शिक्षकों, विद्यार्थियों और तकनीक-विज्ञान को एक सूत्र में पिरोकर एक दिशा में चिंतन करने की।
प्रस्तुत पुस्तक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में चिंतन के विविध आयामों को खोलती है, अनेक व्यावहारिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है और कई महत्त्वपूर्ण प्रश्न पाठकों के सामने रखती है। डॉ. कलाम देश के छात्र व युवा-शक्ति को भावनात्मक, नैतिक एवं बौद्धिक विकास की ओर प्रवृत्त होने का संदेश देते हैं। वैज्ञानिक और तकनीकी खोजों को सही ढंग से मनुष्य के विकास में उपयोग करने के विचार को बल देते हैं।
विजयी भव डॉ. कलाम के भारत को महाशक्ति बनाने के स्वप्न को दिशा देनेवाली कृति है। इसमें शिक्षा व शिक्षण की पृष्ठभूमि, मानव जीवन-चक्र, परिवारों के सदस्यों के बीच पारस्परिक संबंध, कार्य की उपयोगिता, नेतृत्व के गुण, विज्ञान की प्रकृति, अध्यात्म तथा नैतिकता पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
यह कृति डॉ. कलाम की पूर्व प्रकाशित पुस्तकों की श्रृंखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जो हमें सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन में अपनी प्रवीणताओं और कुशलताओं के साथ विजयी होने की प्रेरणा देती है।SKU: n/a -
Vani Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
VIKAS KA SAMAJSHASTRA
पिछले कुछ वर्षों से विकास और आधुनिकीकरण की हवा दुनिया-भर में अन्धड़ का रूप धारण किए हुए है। उससे उड़ती हुई गर्दो-गुबार आज आँखों तक ही नहीं, दिलो-दिमाग तक भी जा पहुँची है। ऐसे में जो मनुष्योचित और समाज के हित में है, उसे देखने, महसूसने और उस पर सोचने का जैसे अवसर ही नहीं है। मनुष्य के इतिहास में यह एक नया संकट है, जिसे अपनी मूल्यहंता विकास-प्रक्रिया के फेर में उसी ने पैदा किया है। यह स्थिति अशुभ है और इसे बदला जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में इस बदलाव को कैसे सम्भव किया जा सकता है या उसके कौन-से आधारभूत मूल्य हो सकते हैं, यह सवाल भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना कि बदलाव। कहना न होगा कि सुप्रतिष्ठित समाजशास्त्री डॉ. श्यामाचरण दुबे की यह कृति इस सवाल पर विभिन्न पहलुओं से विचार करती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Vinashparva
यह विडंबना ही है कि स्वतंत्रता पाने के बाद जिन तथ्यों को लेखनीबद्ध करके देश की भावी पीढि़यों के लिए सहेजा जाना चाहिए था, वह कार्य आज भी अधूरा है। भारत की शिक्षा-व्यवस्था, भारत की स्वास्थ्य सेवाएँ और भारत के उद्योग, इन सबका हृस अंग्रेजी शासन में कैसे होता गया, इस पर विस्तार से कभी नहीं लिखा गया। अंग्रेजों की क्रूरता, बर्बरता, निर्ममता और भारतीयों पर किए हुए उनके अन्याय व अत्याचार के साथ ही अंग्रेजों द्वारा भारत की लूट का तथ्यपूर्ण विवरण इस पुस्तक में संकलित हैं। साथ ही अंग्रेजों के आने के पहले भारत की स्थिति क्या थी, अंग्रेजों ने कैसे भारत की जमी-जमाई व्यवस्थाओं को छिन्न-भिन्न किया और उनके जाने के बाद भारत की स्थिति क्या रही इस पर विस्तार से प्रकाश डालनेवाली यह पुस्तक अपनी सहज-सरल प्रस्तुति तथा प्रवाहपूर्ण भाषा-शैली के चलते नई पीढ़ी को अपनी ओर अवश्य आकर्षित करेगी।
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Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Vindicated by Time
The Constitution of independent India adopted in January 1950 made things quite smooth for Christian missions. They surged forward with renewed vigor. Nationalist resistance to what had been viewed as an imperialist incubus during the Struggle for Freedom from British rule broke down when the very leaders who had frowned upon it started speaking in its favor. Voices that still remained ‘recalcitrant’ were sought to be silenced by being branded as those of ‘Hindu communalism’. Nehruvian Secularism had stolen a march under the smokescreen of Mahatma Gandhi’s Sarva-Dharma-Samabhava. The Christian missionary orchestra in India after independence has continued to rise from one crescendo to another with applause from the Nehruvian establishment manned by a brood of self-alienated Hindus spawned by missionary-macaulayite education. The only rift in the lute has been K.M. Panikkar’s Asia and Western Dominance published in 1953, the Report of the Christian Missionary Activities Committee Madhya Pradesh published in 1956, Om Prakash Tyagi’s Bill on Freedom of Religion introduced in the Lok Sabha in 1978, Arun Shourie’s Missionaries in India published in 1994, and the Maharashtra Freedom of Religion Bill introduced in the Maharashtra Legislative Assembly by Mangal Prabhat Lodha on 20 December 1996. Panikkar’s study was primarily aimed at providing a survey of Western imperialism in Asia from CE 1498 to 1945. Christian missions came into the picture simply because he found them arrayed always and everywhere alongside Western gunboats, diplomatic pressures, extraterritorial rights and plain gangsterism. Contemporary records consulted by him could not but cut to size the inflated images of Christian heroes such as Francis Xavier and Matteo Ricci. They were found to be not much more than minions employed by European kings scheming to carve out empires in the East. Their methods of trying to convert kings and commoners in Asia.
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Hindi Books, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Vishwa Guru Bharat
विश्वगुरु भारत
लेखक
महामहोपाध्याय
प्रो. अभिराज राजेन्द्रमिश्रप्राचीन भारत की भूमि! मानवता की आधारशिला! हे समादरणीय मातृभूमि! तेरी जय हो, जय हो।
जबकि नृशंस आक्रमणों को शताब्दियाँ अभी भी जनपथ की धूलिपतों के नीचे दफन नहीं हो पाई हैं, हे विश्वास की पितृभूमि! प्रेम, कवित्व एवं विज्ञान की वसुन्धरा! तेरी जय हो।
ईश्वर करे हम अपने पाश्चात्य के भविष्य में भी तुम्हारी अतीत की पुन: प्रतिष्ठा का अभिनन्दन करें!!
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
VISHWA KA ITIHAS
इतिहास अतीत की घटनाओं का तथ्यात्मक वर्णन मात्र नहीं है, अपितु यह मानव केसुंदर भविष्य के निर्माण में भी अत्यंत सहायक है। इस प्रकार इतिहास हमारा पथ-प्रदर्शक है। ‘विश्व का इतिहास’ नामक इस पुस्तक में मानव सभ्यता केआरंभ से लेकर वर्तमान तक का विवरण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। जैसा कि हम जानते हैं, इतिहास एक वृहद् विषय है तथा इसका आंकलन विभिन्न पक्षों, यथा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक इत्यादि को दृष्टिगत रखकर किया जाता है। जब हम विश्व के इतिहास की बात करते हैं तो इसे लिखना एक चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि इसमें घटनाओं की महत्ता को देखते हुए उनका चयन करना होता है।
प्रस्तुत पुस्तक में मैंने विश्व की समस्त प्रमुख सभ्यताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। इसमें विश्व के इतिहास की प्रमुख घटनाओं और स्थितियों को विवेचनात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है तथा तथ्यों की प्रामाणिकता के साथ-साथ विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण पर विशेष बल दिया गया है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Vishwa Patal Par Apana Desh (HB)
-17%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रVishwa Patal Par Apana Desh (HB)
Vishwa Patal Par Apana Desh “”विश्व पटल पर अपना देश”” Book in Hindi- R.K. Sinha
‘विश्व पटल पर अपना देश’ आर.के. सिन्हा के उन आलेखों का संग्रह है, जिसमें भारत की आन-बान और शान की चर्चा की गई है । बेशक भारत का अतीत गौरवशाली रहा है, लेकिन पिछले एक दशक से दुनियाभर में भारत का डंका फिर से बज रहा है और पुरजोर बज रहा है । इसमें भी दो राय नहीं कि ऐसा हमारी मजबूत सरकार और सक्षम नेतृत्व की वजह से ही संभव हो पाया है। सिन्हाजी अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं । प्रस्तुत पुस्तक में उन्होंने न सिर्फ नए भारत का यशोगान किया है, बल्कि अपने ठोस तकों से यह साबित भी किया है कि ऐसा करना क्यों जरूरी है । नया भारत चीन की मार खाकर “हिंदी-चीनी भाई-भाई ‘ का नारा नहीं लगाता; वह पाकिस्तान के हर कुत्सित कार्य को छोटे भाई की नासमझी भी नहीं मानता; न ही अनावश्यक सुरक्षा जाँच के नाम पर अमेरिका में अपमानित होता है। बकौल सिन्हा, नरेंद्र मोदी का नया भारत जरूरत पड़ने पर चीन के गले में अँगूठा डालता है, पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राक करता है और अमेरिका के राष्ट्रपति चाहे डोनाल्ड ट्रंप हों अथवा जो बाइडेन, न सिर्फ खुलकर गले लगाते हैं, बल्कि आगे बढ़कर अगवानी करते हैं और शान में रात्रिभोज कराते हैं। आज के भारत को जी-20 के देश अपनी अध्यक्षता का दायित्व सौंपते हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विश्व के लोग शांति की राह दिखाने के लिए आशा भरी निगाह से देखते हैं । उम्मीद की जानी चाहिए कि यह पुस्तक हमारी विदेश नीति को समझने में सहायक होगी और शोधकर्ताओं के काम आएगी ।
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