श्री गुरुदत् की सशक्त लेखनी से लिखी 200 के लगभग अनुपम उपन्यासों में से चुनकर दस खण्डों में प्रकाशित रचनाएं।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Mahabharat Mein Ashva Mimansa
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताMahabharat Mein Ashva Mimansa
महाभारत में अश्व मीमांसा : प्राचीन काल में अश्व मानव के सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग रहा है। वेद, ब्राह्मणग्रन्थ, उपनिषद, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, स्मृतियों, पुराणों, महाकाव्य आदि ग्रन्थों में अश्व सम्बन्धी सामग्री प्राप्त होती है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र तथा शुक्रनीति में अश्वों के लक्षणों, जाति, वर्ण आदि की विशद व्याख्या की गई है। वराहमिहिर की बृहत्संहिता, अपराजितपृच्छा, कामन्दकनीति, नीतिवाक्यामृत आदि ग्रन्थों में प्रासंगिक रूप से अश्व-विवेचन है। इन ग्रन्थों के समान महाभारत में अश्वों से सम्बन्धित कोई अलग अध्याय नहीं है, परन्तु महाभारत के लगभग सभी पर्यों में अश्वविषयक विषयवस्तु की प्रचुरता है।
डॉ. संदीप जोशी द्वारा सम्पादित तथा जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा सन् 2008 में प्रकाशित अश्वशास्त्रम् में अश्वों के विविध पक्षों का विस्तृत विवेचन किया गया है। अश्वों के अष्टविध लक्षण कहे गये है, आवर्त, वर्ण (रंग) सत्व (बल), छाया, गन्ध, चाल, स्वर तथा शरीर महाभारत में अश्वों के अष्टविध लक्षणों का आलेखन हुआ है।
भारतीय संस्कृति में अश्व-पूजा का विशेष महत्व रहा है। अश्वों में देवों का निवास कहा गया हैं श्रीमद्भगवद्गीता में उच्चैःश्रवा अश्व की ईश्वर की विभूति में गणना की गई है।
महाभारत अनेक युद्धों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। चतुरंगिणी सेना में अश्वसेना का विशेष महत्व था। स्थारूढ़ योद्धाओं की रक्षापंक्ति के रूप में अश्वसेना ने अपनी विशेष भूमिका निभायी है। सोमेदेवसूरी के नीतिवाक्यामृत में कहा गया है कि अश्वसेना, सेना की चलती फिरती रक्षापंक्ति (प्राचीर) है – अश्वबल सैन्यस्य जगम : प्राकार :। अश्वशास्त्रम् यह प्रतिपादित करता है कि अश्वहीन सेना जड़ से कटे हुए वृक्ष के समान नष्ट हो जाती है – अविहीनं यान्त्यन्तं छिन्नमूला इव द्रुमाः।
सैन्य संगठन की इकाइयों के विषय में महाभारत विशिष्ट जानकारी प्रदान करता है। इन्द्रियों को अश्व की संज्ञा तथा शरीर-रथ रूपक अध्यात्म चिन्तन का निर्देश देता है।
“महाभारत में अश्व मीमांसा” पुस्तक में लेखिका ने अपने गहन अध्ययन का परिचय दिया है। अश्व शब्द की व्यापकता की चर्चा उल्लेखनीय है। आशा है अश्वविषयक चर्चा – विचारणा, लेखन आदि क्षेत्रों में यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी तथा शोध के नये आयाम प्रस्तुत करेगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Mahaparakram (Hindi Translation Of 1971 Stories Of Grit And Glory)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहासMahaparakram (Hindi Translation Of 1971 Stories Of Grit And Glory)
कम सैनिकों वाली भारतीय सेना की एक गोरखा बटालियन ने दुश्मन की सीमा के काफी अंदर पहली बार हेलिकॉप्टर से किए गए ऑपरेशन में एक ऐसी पाकिस्तानी फौज को हराया, जो संख्या में उससे बीस गुना अधिक थी। भारतीय वायु सेना के लड़ाकों ने एक साहसी हवाई हमले में ढाका के गवर्नर हाउस को निशाना बनाया, जिससे ढाका में पाकिस्तानी सरकार को घुटने टेकने और आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। युद्ध के बाद पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र में युद्ध में घायल हुए चार योद्धा घनिष्ठ मित्र बन गए।
सच्ची कहानियों के इस संग्रह में दिग्गज योद्धा मेजर जनरल इयान कारडोजो बताते हैं कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वास्तव में क्या हुआ था। जीवित बचे योद्धाओं और उनके परिवार के साक्षात्कारों के माध्यम से उन्होंने हर कहानी का जीवंत वर्णन किया है।
आई.एन.एस. खुखरी की त्रासदी और उसके साथ जल में समा जानेवाले साहसी कप्तान से लेकर गोरखा बटालियन के एक कमांडिंग ऑफिसर के नैतिक साहस तक, जिन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का विरोध किया और दुश्मन के ठिकाने पर कब्जा करने की उनकी योजना को अस्वीकृत कर दिया ऐसी कहानियों से पता चलता है कि उन लोगों के मन में क्या चल रहा था, जो जल, थल और नभ में अपने सैनिकों का नेतृत्व इस लड़ाई में कर रहे थे।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Mahaparakrami Maharana Pratap
महाराणा प्रताप का नाम बहादुर राजाओं की सूची में स्वर्ण अक्षरों में उत्कीर्ण है, जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर इस देश के राष्ट्र, धर्म, संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा की।
महाराणा प्रताप के शासनकाल के समय दिल्ली में अकबर मुगल शासक था। उसकी नीति अन्य राजाओं को अपने नियंत्रण में लाने के लिए हिंदू राजाओं की ताकत का उपयोग करना था। कई राजपूत राजाओं ने अपनी गौरवशाली परंपराओं को त्यागते हुए अपनी बेटियों और बहुओं को पुरस्कार व सम्मान पाने के उद्देश्य से अकबर के हरम में भेजा।
महाराणा प्रताप की एकमात्र चिंता अपनी मातृभूमि को मुगलों के चंगुल से तुरंत मुक्त करना था। इसलिए उन्होंने घोषणा की कि, ‘मैं शपथ लेता हूँ कि जब तक चित्तौड़ को मुक्त नहीं करा लेता, तब तक सोने-चाँदी की प्लेटों में भोजन नहीं करूँगा, नरम बिस्तर पर नहीं सोऊँगा और महल की बजाय पत्ता-थाली पर खाना खाऊँगा, फर्श पर सोऊँगा और झोंपड़ी में रहूँगा। मैं तब तक दाढ़ी नहीं बनाऊँगा, जब तक चित्तौड़ को मुक्त नहीं कर दिया जाता।’’
22,000 सैनिकों की महाराणा प्रताप की सेना हल्दीघाट में अकबर के 2,00,000 सैनिकों के सामने आ डटी।
उनके वफादार घोड़े चेतक ने भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपने स्वामी की जान बचा ली और स्वयं अमर हो गया।
महाराणा प्रताप पहाड़ों, जंगलों और घाटियों में भटकते रहे। भामाशाह ने उनकी मदद की। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को बचाने के लिए 12 साल तक संघर्ष किया। उन्होंने बहुत कष्ट झेला, लेकिन आत्मसमर्पण नहीं किया।
एक महायोद्धा की अविस्मरणीय गाथा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Mahapurushon Ke Upadesh
रोम्या रोलाँ ने स्वामी विवेकानंद के बारे में कहा था, ”उनके द्वितीय होने की कल्पना करना भी असंभव है। वे जहाँ भी गए, सर्वप्रथम हुए। हर कोई उनमें अपने नेता का दिग्दर्शन करता था। वे ईश्वर के प्रतिनिधि थे तथा सब उनसे प्रभावित हो जाते थे–यह उनकी विशिष्टता थी। हिमालय प्रदेश में एक बार एक अनजान यात्री उन्हें देख, ठिठककर रुक गया और आश्चर्यपूर्वक चिल्ला उठा–‘ शिव !’ यह ऐसा हुआ, मानो उस व्यक्ति के आराध्य देव ने अपना नाम उनके माथे पर लिख दिया हो।’
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंदजी ने समय-समय पर रामायण, महाभारत, विश्व के महान् आचार्यों की कथाओं से प्रेरक उपदेश अपने अभिभाषणों में दिए, जो मानव-समाज के लिए बेहद उपयोगी हैं। इसलिए यह पुस्तक हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए ज्ञानवर्द्धछ के साथ-साथ जीवन में मार्गदर्शन करनेवाली है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
MAHARANA: सहस्र वर्षो का धर्मयुद्ध
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)MAHARANA: सहस्र वर्षो का धर्मयुद्ध
पंचमक्कारों के नरेशन्स को ध्वस्त करने वाली पुस्तक इस्लामी आक्रमणकारियों के गौरवशाली हिंदू प्रतिरोध पर आधारित है। अपनी कॉपी को आज ही बुक करें और अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों को भी ऐसा करने के लिए कहें। और इतिहास निर्माण का हिस्सा बने।
इस क्षणभंगुर अस्तित्व में यदि कोई तत्त्व स्थायी हैं तो वे हैं आत्मसम्मान तथा स्वतंत्रता। ये तत्त्व, बहुत मूल्य चुका कर प्राप्त होते हैं। मेवाड़ के महान सिसोदिया राजवंश ने अपने सुख, संपत्ति व जीवन का मूल्य चुकाकर ये तत्त्व हिंदू समाज को सहजता से दे दिए। एक सहसख्र वर्षों तक अरावली में यायावरों का सा जीवन जीने वाले मेवाड़ के इन अवतारी पुरुषों के कारण ही भारत में आज केसरिया लहराता है।
यह पुस्तक उन महापुरुषों के प्रति हिंदू समाज की कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष प्रामाणिकता से भारत के इतिहास के साथ हुए व्यभिचार को उजागर किया है । यह पुस्तक स्थापित भ्रांतियों को भंग करने के अतिरिक्त नई मान्यताओं को भी स्थापित करती है।
भारतीय उपमहाद्वीप में गत चौदह शताब्दियों से चले आ रहे हिंदू-मुस्लिम संघर्ष को यह पुस्तक उसकी भयानक नग्नता में प्रकट करती है। हत्यारे व बलात्कारी आक्रांताओं के समूह से हिंदू धर्म को बचाकर लानेवाले इन देवपुरुषों के इतिहास को किस निर्लज्जता व निकृष्टता से पोंछ डाला गया है, यह इस पुस्तक का आधार है।
सत्य कोई अवधारणा नहीं, बल्कि जीवन का मूल स्रोत है । जो समाज असत्य में जिएगा, वह बच नहीं सकता। जो समाज सत्य धारण करेगा, वह शाश्वत अमरत्व को प्राप्त होगा। मेवाड़ के महान् पुरखे तो सत्य में जीकर इहलोक व परलोक में परमगति पा गए। क्या आज के हिंदू समाज में इतना आत्मबल हे कि सत्य के लिए लड़ सके”’जी सके ”मर सके !
इन प्रश्नों के उत्तर ही निश्चित करेंगे कि हिंदू समाज सफलता के शिखर को छुएगा या अब्राह्मिक मतों की दासता भोगता हुआ मिट जाएगा।
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Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Maharishi Dayanand Sarswati Ka Jeevan Charitra
Arsh Sahitya Prachar Trust, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणMaharishi Dayanand Sarswati Ka Jeevan Charitra
आर्य समाज के संस्थापक,आधुनिक भारत के महान चिन्तक एवं समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती जी का जीवन चरित्र | 19 वीं शताब्दी में ऋषि जीवन का महत्व, भारतीय इतिहास का काल-विभाजन, ऋषि दयानंद के अविर्भाव का परिस्तिथि, भौतिक तथा आरंभिक अशांति के परिणाम, शांतिदूत के आगमन के चिन्ह |
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Hindi Books, Surya Bharti Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Mahatma Gandhi Bharat ke liye Abhishap
Hindi Books, Surya Bharti Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Mahatma Gandhi Bharat ke liye Abhishap
इस पुस्तक के संकलनकर्ता, लेखक एवम् संपादक ने यथा उपलब्ध सामग्री के आधार पर अद्यतन और प्रामाणिक सूचना उपलब्ध करवाने के लिए अपनी सर्वोत्तम जानकारी एवम् कुशलता का प्रयोग किया है। तथापि, पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि इस पुस्तक के अनुसरण में कोई भी कार्रवाई करने से पहले यथा संबद्ध संस्था से परामर्श अवश्य करें। इस पुस्तक के आधार पर की जाने वाली किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए लेखक अथवा प्रकाशक किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में न्यायिक क्षेत्राधिकार दिल्ली होगा।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Mahatma Vidur 0188
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताMahatma Vidur 0188
धर्मावतार महात्मा विदुर का जीवन-चरित्र आदर्श व्यवहार, लोक-कल्याण तथा दृढ़ ईश्वर-विश्वास और भक्ति का अनुपम उदाहरण है। उनका सदाचार और भगवत्प्रेम सर्वथा स्तुत्य है। प्रस्तुत पुस्तक में महाभारत एवं श्रीमद्भागवत के आधार पर विदुरजी की स्पष्टवादिता, नीति-निपुणता, निःस्पृहता, भगवद्भक्ति, संतोष आदि का ओजस्वी और सरल भाषा में बड़ा ही सुन्दर चित्रण किया गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Main Hoon Bharatiya
यह पुस्तक एक पुरातत्त्वविद् की आत्मकथा है, जिन्हें अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण में कार्य करने का अवसर मिला। यह पुस्तक एक प्रेरणादायी सामग्री के रूप में सामने आती है, जिसमें यह वर्णन है कि किस प्रकार उन्होंने मार्क्सवादी इतिहासकारों की संगठित ताकत का मुकाबला उनके ही गढ़ में किया, कैसे एक अकेले व्यक्ति ने साम्राज्य से भिड़ंत की। भारतीय पुरातत्त्व विभाग किस प्रकार अपने आपको प्रस्तुत करे, इस संबंध में उनके सुझाव सामान्य जन में नई सोच पैदा करते हैं और भविष्य में इस विभाग की योजना बनानेवालों को दिशा-निर्देश देते हैं। वे इस बात पर बल देते हैं कि इस विभाग की अपार संभावनाओं को एक के बाद एक आनेवाली सरकारों ने भयंकर रूप से अनदेखा किया है।
किसी सक्रिय पुरातत्त्वविद् की पहली प्रकाशित डायरी होने के कारण यह इस विषय की बारीकियों पर रोचक अंतर्दृष्टि देती है और स्पष्ट रूप से बताती है कि एक पुरातत्त्वविद् को किस प्रकार धार्मिक तथा क्षेत्रीय पक्षपातों से ऊपर उठना चाहिए।
भारतीयता और राष्ट्रवाद का बोध जाग्रत् करनेवाली पठनीय कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Main Nastik Kyon Hoon
“पहले नेता, जिनके संपर्क में मैं आया, हालाँकि आश्वस्त नहीं थे, लेकिन वह ईश्वर के अस्तित्व को नकारने का साहस नहीं कर सकते थे। भगवान् के बारे में मेरे लगातार सवालों पर वह कहा करते थे, जब भी आप चाहें, प्रार्थना करें। अब उस पंथ को अपनाने के लिए नास्तिकता रहित साहस की आवश्यकता थी।
दूसरे नेता, जिनके संपर्क में मैं आया, वह दृढ़ आस्तिक थे। मुझे उनके नाम का उल्लेख करने दें सम्मानित साथी शचींद्रनाथ सान्याल, जो अब कराची षड्यंत्र मामले में आजीवन कारावास की सजा भोग रहे हैं।
उनकी प्रसिद्ध और एकमात्र पुस्तक ‘बंदी जीवन’ (या अव्यवस्थित जीवन) के हर पहले पृष्ठ पर भगवान् की महिमा को गाया गया है।
उस सुंदर पुस्तक के दूसरे भाग के अंतिम पृष्ठ में, उनके रहस्यवादी (वेदांतवाद के कारण) भगवान् पर की गई प्रशंसा उनके विचारों का एक बहुत ही विशिष्ट हिस्सा है। —इसी पुस्तक सेमाँ भारती के अमर सपूत भगत सिंह देशभक्ति, साहस, शौर्य, त्याग, निष्ठा और समर्पण का पर्याय हैं। भारत को पराधीनता की बेडिय़ों से छुड़ाने के लिए उन्होंने अपना जीवन होम कर दिया; उनके इस बलिदान पर हमें गर्व है। वे जितने श्रेष्ठ क्रांतिकारी और स्वाधीनता सेनानी थे, उतने ही श्रेष्ठ चिंतक-विचारक- लेखक भी थे। समय-समय पर उन्होंने अपने लेखों से समाज में चेतना जाग्रत् की; क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित की, ताकि हर भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सहभागी बने।
इस पुस्तक में संकलित लेख हुताम्या भगत सिंह के गहन अध्ययन, चिंतन और भावाभिव्यक्ति की अंतर्दृष्टि देते और तत्कालीन समाज का दिग्दर्शन भी करवाते हैं।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, रामायण/रामकथा
Main Ramvanshi Hoon (PB)
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“रामायण इतिहास है। त्रेतायुग की ऐतिहासिक कथा। वस्तुत: इतिहास कथा ही तो है। अत: हमारे विद्वान पूर्वजों ने इतिहास-लेखन कथात्मक शैली में किया । रामायण इसका आदर्श उदाहरण है। यह श्रीराम का मार्ग है। यह प्रभु श्रीराम के चरित्र-चित्रण और जीवन-चरित्र की कथा है। श्रीराम युगपुरुष हैं, अवतार-पुरुष हैं, संस्कार-पुरुष हैं, आदर्श-पुरुष हैं, धर्म की प्रतिमूर्ति हैं, आर्यश्रेष्ठ हैं, नरश्रेष्ठ हैं, यह उन्हीं पुरुषोत्तम की जीवन-कथा है। यह विश्व के महानतम योद्धाओं में श्रेष्ठ धनुर्धर श्रीराम की शौर्यगाथा है । यह युगनिर्माण की कथा है।
वर्तमान काल में श्रीराम अधिक प्रासंगिक हैं। अत: आज के गुरुकुल संस्कारवान आर्यों के निर्माण की प्रयोगशाला होने चाहिए, जहाँ रामकथा का प्रत्येक श्लोक छात्र के जीवन-यज्ञ का मंत्र बने। तभी हम उन्नत राष्ट्र का निर्माण कर पाएँगे। शस्त्र और शास्त्र के अलौकिक संगम से निर्मित श्रीराम का जीवन-चरित्र आर्यावर्त की गौरव-गाथा का प्रेरणा्रोत है। यह पुरुषोत्तम श्रीराम की मर्यादा की कथा है। इसका पठन-पाठन दानव को मानव और मानव को देवता बना देगा। सनातन परंपरा का पालन करते हुए
आर्यावर्त का इतिहास लिखने के लिए लेखक ने भी कथात्मक शैली का मार्ग चुना । इसी प्रयास का प्रथम प्रतिफल था ‘मैं आर्यपुत्र हूँ । पूर्व में प्रकाशित यह पुस्तक सतयुग की प्रामाणिक कथा है । ‘ मैं रामवंशी हूँ’ इसी की अगली कड़ी है । यह त्रेतायुग की प्रामाणिक कथा है।”
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, कहानियां
Main Vidhyalay Bol Raha Hoon
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, कहानियांMain Vidhyalay Bol Raha Hoon
मैं विद्यालय बोल रहा हूँ :
प्रस्तुत लेखनी मेरे जीवन की उस यात्रा का वर्णन है, जिसका कर्ता भी मैं (विद्यालय) हूँ और कारक भी मैं (विद्यालय) ही हूँ। मैं, शिक्षक, विद्यार्थी, भवन एवं अभिभावक नामक चार महत्त्वपूर्ण स्तम्भों के सामंजस्य की कहानी भी हूँ तो वर्तमान दौर में लड़खड़ाते उसी सामंजस्य की दुहाई भी हूँ। इस यात्रा में मेरे सुंदर से उपवन का विश्लेषण भी है एवं बंजर होती भूमि का अन्वेषण भी है। मेरे विविध आयामों का प्रस्तुतिकरण भी है तो भीतर छिपी असीमित संभावनाओं का प्रकटीकरण भी है। बदलते वक्त में व्यापक हो रहे मेरे परिवेश का प्रकट स्वरूप भी है तो बदलाव की संकीर्णताओं से मेरे भीतर उपजे आवेश का भयावह रूप भी है। मुझमे छिपी संस्कारों की सुहास का प्रतिफल भी है तो मेरे भीतर पनप रही व्यसन जैसी कुरीतियों का दावानल भी है। अविद्या से मिलने वाले भौतिक संसाधनों के महत्व का गहन चिंतन भी है तो विद्या के अभाव में लुप्त हो रहे मानवीय मूल्यों का मानस मंथन भी है। मेरे अस्तित्व की खोज ही इस लेखन का मूल है जो मुझे और मेरे चारों स्तम्भों को मेरे अस्तित्व का बोध कराती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Maine Gandhi Ko Kyon Mara
“व्यक्तिगत स्तर पर मेरे और गांधीजी के बीच कोई शत्रुता नहीं थी। वे लोग, जो पाकिस्तान-निर्माण में गांधीजी का अच्छा मकसद होने की बात कहते हैं, मुझे उनसे केवल इतना कहना है कि मैंने गांधी के विरुद्ध, जो इतना बड़ा कदम उठाया, उसमें मेरे हृदय में राष्ट्रहित का शुद्ध हेतु था।
वे ऐसे व्यक्ति थे, जो बहुत सी भयावह घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे, जिनकी परिणति पाकिस्तान निर्मिति में हुई। गांधीजी के विरुद्ध की गई अपनी काररवाई के बाद मैं भविष्य में आने वाले अपने परिणाम को देख सकता था, उन परिणामों की उम्मीद कर सकता था और मुझे एहसास था कि जिस क्षण लोगों को गांधी को मेरे द्वारा गोली मारने की घटना का पता चलेगा, उन सभी का मेरे प्रति दृष्टिकोण बदल जाएगा, फिर चाहे परिस्थितियाँ कोई भी हों।
समाज में लोगों का मेरे प्रति जो सम्मान, रुतबा और सहानुभूति है, वह समाह्रश्वत हो जाएगी, नष्ट हो जाएगी और बचा हुआ मान भी कुचल दिया जाएगा। मुझे पूरा एहसास था कि समाज में मुझे सबसे नीच और घृणित व्यक्ति के रूप में देखा जाएगा। —इसी पुस्तक से
अपने समय के सबसे बड़े नेता गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे ने अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए विशेष न्यायालय में बहुत विस्तृत बयान दिया, जिसमें उन्होंने क्रमवार वे कारण बताए, जिन्होंने उन्हें इतनी बड़ी घटना की परिणति करने के लिए बाध्य किया।
ये कारण तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक- राजनीतिक परिस्थितियों को भी दर्शाते हैं कि कैसे एक अल्पसंख्यक वर्ग विशेष के दबाव में निर्णय लिये जा रहे थे, जो अंतत: बहुसंख्यकों के उत्पीडऩ और अस्तित्व का कारण बन जाते। इन्हीं से क्षुब्ध होकर नाथूराम गोडसे ने विश्व के सबसे चर्चित कांड को अंजाम दिया। प्रस्तुत पुस्तक गांधी-हत्याकांड में नाथूराम गोडसे का पक्ष प्रबलता से रखती है।”
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Manas Ka Hans
मानस का हंस” लेखक अमृतलाल नागर का प्रतिष्ठित बृहद उपन्यास है। इसमें पहली बार व्यापक कैनवास पर “रामचरितमानस” के लोकप्रिय लेखक गोस्वामी तुलसीदास के जीवन को आधार बनाकर कथा रची गई है, जो विलक्षण के रूप से प्रेरक, ज्ञानवर्धक और पठनीय है। इस उपन्यास में तुलसीदास का जो स्वरूप चित्रित किया गया है, वह एक सहज मानव का रूप है। यही कारण है कि “मानस का हंस” हिन्दी उपन्यासों में ‘क्लासिक’ का सम्मान पा चुका है और हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि माना जाता है। नागर जी ने इसे गहरे अध्ययन और मंथन के पश्चात अपने विशिष्ट लखनवी अन्दाज़ में लिखा है। बृहद होने पर भी यह उपन्यास अपनी रोचकता में अप्रतिम है।
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