अन्य कथा साहित्य
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Setu Bhanjan
‘‘ऊपरी तौर पर देखें तो लगता है कि यह युद्ध सरकारों और आतंकियों का है किन्तु सत्य यह है कि यह युद्ध धरती और समुद्र का है और उसमें एक बड़ा और बलवान चरित्र रामसेतु भी है। किसी को दिखाई नहीं दे रहा किन्तु रामसेतु ही युद्ध कर रहा है; और उसका युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है।’’
भारत-श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु का विवरण रामायण में पाया जाता है। लेकिन क्या यह सेतु मात्र कल्पना है या यथार्थ-लम्बे समय से यह विवाद का विषय रहा है और-यही इस उपन्यास का केन्द्र भी है। जहाँ एक ओर यह आस्था का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर भौतिक, वैज्ञानिक प्रमाणों की भी बात है। समय-समय पर अलग राजनैतिक दल अपने मतलब के लिए रामसेतु का प्रयोग करते आये हैं और इन राजनैतिक दाँवपेंचों के बीच उलझे इसके रहस्य को उजागर करने में कल्पित पात्र वरुणपुत्री भी रहस्यमयी भूमिका निभाती है। अपने लोकप्रिय उपन्यास वरुणपुत्री के बाद एक बार फिर लेखक नरेन्द्र कोहली इस उपन्यास में मिथक, फ़ैंटेसी, पौराणिक घटनाएँ, वैज्ञानिक तर्क का एक अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करते हैं।
पिछले छह दशकों से साहित्य जगत को समृद्ध करते आ रहे नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में की जाती है। उपन्यास, कहानी, व्यंग्य, निबन्ध – अलग-अलग विधाओं में अब तक उनकी सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से उन्हें अलंकृत किया गया है।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Shiksha Kya Hai
‘शिक्षा क्या है’ में जीवन से संबंधित युवा मन के पूछे-अनपूछे प्रश्न हैं और जे. कृष्णमूर्ति की दूरदर्शी दृष्टि इन प्रश्नों को मानो भीतर से आलोकित कर देती है पूरा समाधान कर देती है। ये प्रश्न शिक्षा के बारे में हैं, मन के बारे में हैं, जीवन के बारे में हैं, विविध हैं किंतु सब एक दूसरे से जुड़े हैं। ‘‘गंगा बस उतनी नहीं है, जो ऊपर-ऊपर हमें नज़र आती है। गंगा तो पूरी की पूरी नदी है, शुरू से आखिर तक; जहां से इसका उद्गम होता है, उस जगह से वहां तक, जहां यह सागर से एक हो जाती है। सिर्फ सतह पर जो पानी दीख रहा है, वही गंगा है, यह सोचना तो नासमझी होगी। ठीक इसी तरह से हमारे होने में भी कई चीज़ें शामिल हैं, और हमारी ईजादें, सूझें, हमारे अंदाज़े, विश्वास, पूजा-पाठ, मंत्र-ये सब-के-सब तो सतह पर ही हैं। इनकी हमें जांच-परख करनी होगी, और तब इनसे मुक्त हो जाना होगा-इन सबसे, सिर्फ उन एक या दो विचारों, एक या दो विधि-विधानों से ही नहीं, जिन्हें हम पसंद नहीं करते।’’
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English Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji & Suraj
• The king (ruler or administrator) should fix a time for his meals. Normally, he should not alter them. A king (administrator) must not consume intoxicants. He should also not permit persons close to him to indulge in such substances. If a king is without a weapon, he must not stare at the ground for too long.
• What was the size of the personal treasury (of the leader) and the royal one while taking oath before the commencement of his task? What was the difference between both treasuries when he finally quit the scene? The difference is the measure of his financial probity and character.
• Shivaji — “Kanhoji, I had promised you not to award him the sentence of death, which I have kept. But had I not punished him (Khandoji Khopda), the message that would have been conveyed to the people is that influence and contacts can trump even a crime as grave as treason. Would that have been proper for Swarajya?
• It is therefore the duty of every leader to detect and isolate traitors from his system, punish him and remorselessly prevent the tendency of betrayal from developing.
• Jungles in Swarajya also have plenty of mango and jackfruit trees, whose wood can be used in the building of ships, but these should not be touched, as these aren’t tress that can grow to their fullest in only a couple of years. The people have planted those trees and looked after them like their own children.SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Ke Management Sootra
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Ke Management Sootra
आज के प्रतिस्पर्धी युग में सफल व्यक्ति कहलाने के लिए यदि कोई उद्योगपति नहीं बन सकता; तो उसे या तो नेतृत्वकर्ता बनना पडे़गा या फिर प्रशासक या प्रबंधक। ऐसे में यदि भारत को अपनी पूरी संभावनाओं के साथ इस विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में सफल होना है; तो उसे अपने भावी नेतृत्वकर्ताओं अर्थात् युवाओं के समक्ष स्वदेशी प्रेरणा-पुरुष को ही सामने रखना पडे़गा। इस दृष्टि से राष्ट्र-निर्माण के लिए भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा सफल व आदर्श प्रेरणा-पुरुष के अतिरिक्त और कौन हो सकता है?
साधन को संसाधन (रिसोर्स) बनाने की योजना बनाने व उसे ठीक प्रकार से लागू करने की प्रक्रिया को ही प्रबंधन (मैनेजमेंट) या प्रबंधन कला या प्रबंधन कौशल कहा जाता है। अब यदि हम इसे शिवाजी महाराज के जीवन पर लागू करें तो प्रबंधन की परिभाषा इस प्रकार होगी—‘सही पारिश्रमिक देकर लोगों के माध्यम से काम करने की कला।’
जी हाँ; यदि शिवाजी महाराज प्रबंधन कला के विशेषज्ञ नहीं होते तो स्थानीय मालव जनजाति के लोगों से कैसे संगठित सेना का विकास कर पाते? और यदि उच्च कुशलता संपन्न यह सेना नहीं होती; तो फिर शिवाजी महाराज के लिए स्वराज का स्वप्न देख पाना और उसे साकार कर पाना कैसे संभव हो पाता? फिर वह; वर्षा के पानी के बहाव को रोकने; हवा से बिजली पैदा कर पाने; समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने और आग; धुआँ व ध्वनि का संचार का माध्यम की तरह उपयोग कर पाने में कैसे सक्षम हो पाते?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने उत्तम प्रबंधकीय कौशल से हिंद स्वराज का सफल संयोजन किया। उनके बताए प्रबंधन सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक और प्रभावी है।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Maharaj The Greatest
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Maharaj The Greatest
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (HB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (HB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (PB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Shri Ramakrishna Paramhansa
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांShri Ramakrishna Paramhansa
There was a priest in Kali Maa’s temple at Dakshineshwar, who remained immersed in divine devotion during his entire lifetime. This book presents his life-story and teachings.
From his childhood till the time that he left his mortal body, his life was replete with various incidents that convey the depth of devotion. These incidents have been narrated with their deeper connotation in this book. This book relates the saga of how human life can go through highs and lows to attain its highest potential.
Written in a simple and lucid manner, this book reveals the hidden deep knowledge behind the conversations between the master, Shri Ramakrishna Paramhansa and his disciples that paved the way to the formation of the Ramakrishna Mission.
Shri Ramakrishna’s honest attitude and his pristine wisdom have the power of awakening devotion in people even today. This book unravels the mysteries behind his peculiar ways, bringing forth the profound wisdom hidden behind his idiosyncrasies.
Let us read the life of this epitome of divine devotion and awaken the thirst for the truth and faith in the divine essence.SKU: n/a -
Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Soch Kya Hai
1981 में ज़ानेन, स्विट्ज़रलैंड तथा एम्स्टर्डम में आयोजित इन वार्ताओं में कृष्णमूर्ति मनुष्य मन की संस्कारबद्धता को कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग की मानिंद बताते हैं। परिवार, सामाजिक परिवेश तथा शिक्षा के परिणाम के तौर पर मस्तिष्क की यह प्रोग्रामिंग ही व्यक्ति का तादात्म्य किसी धर्म-विशेष से करवाती है, या उसे नास्तिक बनाती है, इसी की वजह से व्यक्ति राजनीतिक पक्षसमर्थन के विभाजनों में से किसी एक को अपनाता है। हर व्यक्ति अपने विशिष्ट नियोजन, ‘प्रोग्राम’ के मुताबिक सोचता है, हर कोई अपने खास तरह के विचार के जाल में फंसा है, हर कोई सोच के फंदे में है। सोचने-विचारने से अपनी समस्याएं हल हो जाएंगी ऐसा मनुष्य का विश्वास रहा है, परंतु वास्तविकता यह है कि विचार पहले तो स्वयं समस्याएं पैदा करता है, और फिर अपनी ही पैदा की गई समस्याओं को हल करने में उलझ जाता है। एक बात और, विचार करना एक भौतिक प्रक्रिया है, यह मस्तिष्क का कार्यरत होना है; यह अपने-आप में प्रज्ञावान नहीं है। उस विभाजकता पर, उस विखंडन पर गौर कीजिए जब विचार दावा करता है, ‘मैं हिन्दू हूं’ या ‘मैं ईसाई हूं’ या फिर ‘मैं समाजवादी हूं’-प्रत्येक ‘मैं’ हिंसात्मक ढंग से एक-दूसरे के विरुद्ध होता है। कृष्णमूर्ति स्पष्ट करते हैं कि स्वतंत्रता का, मुक्ति का तात्पर्य है व्यक्ति के मस्तिष्क पर आरोपित इस ‘नियोजन’ से, इस ‘प्रोग्राम’ से मुक्त होना। इसके मायने हैं अपनी सोच का, विचार करने की प्रक्रिया का विशुद्ध अवलोकन; इसके मायने हैं निर्विचार अवलोकन-सोच की दखलंदाज़ी के बिना देखना। ‘‘अवलोकन अपने आप में ही एक कर्म है’’, यही वह प्रज्ञा है जो समस्त भ्रांति तथा भय से मुक्त कर देती है।
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Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
The Life and Times of Chandrashekhar Azad
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)The Life and Times of Chandrashekhar Azad
Chandrashekhar Azad’s short and chequered life of a revolutionary is remembered in the annals of the history of India’s freedom struggle not merely for his indomitability in the face of odds, but for the human values he cherished. In today’s world, with the edifice of every conceivable value crumbling all around us, Azad’s life offers a paradigm for the redemption of a generation resigned to shallow ideals. Adversity came a dime a dozen to this village youth born to poor parents rich in morality and humaneness. It’s the roots that determine the actions of a person and actions, his destiny. At a time when we seem to be taking our freedom for granted, Azad’s biography is a reminder of the blood and toil that went into securing it. The road to preservation of freedom must be hemmed with respect for what we have, for being fortunate to be able to breathe in free air. The crucial caveat embedded in Azad’s biography is that we face a far greater threat from the enemies within than from enemies without.
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य, कहानियां
Varunputri
2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से नवाज़े गये नरेन्द्र कोहली की गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद रचित हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का एक नया चलन शुरू किया और पुराणों पर आधारित अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। नरेन्द्र कोहली ने अपनी चिरपरिचित छवि से हटकर वरुणपुत्री की रचना की है। इसमें पौराणिक कथाएँ, इतिहास, समकालीन घटनाएँ, कल्पित विज्ञान-कथा और फ़ैंटेसी का एक अद्भुत ताना-बाना रचा है। इसकी कथा वस्तु का फ़लक इतना व्यापक है कि इसमें उन्होंने धरती के सभी देशों के अतिरिक्त अन्य ग्रहों और आकाश गंगा को भी सम्मिलित किया है। राजनीति, पर्यावरण सुरक्षा, विश्व-शांति को समेटे हुए यह कथा समय और भूगोल की सारी सीमाओं को लाँघती ही चली जाती है और पाठक आनन्द और विस्मय भरी इस रचना में डुबकी के बाद डुबकी लगाता रहता है। तोड़ो कारा तोड़ो, वासुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, अभिज्ञान और आतंक उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Ye Rishtey Kya Hain?
‘ये रिश्ते क्या हैं’ पुस्तक जे. कृष्णमूर्ति द्वारा विभिन्न स्थानों पर दी गयीं वार्ताओं का एवं उनके द्वारा रचित लेखों का प्रासंगिक संकलन है। हमारा हर उस शख्स से, हर उस शै से क्या रिश्ता है जो हमारे जीवन में है? क्या हमारे रिश्तों में ये द्वंद्व कभी ख़त्म न होंगे? तमाम तरह की स्मृतियों व अपेक्षाओं पर आधारित ये संबंध कितने आधे-अधूरे से हैं, और वर्तमान की जीवंतता से प्रायः अपरिचित, छवियों व पूर्वाग्रहों में कैद इन्हीं रिश्तों में हम सुकून तलाशते हैं। आखिर सही रिश्ता, सम्यक् संबंध है क्या? कृष्णमूर्ति कहते हैं, ‘जब आप खुद को ही नहीं जानते, तो प्रेम व संबंध को कैसे जान पाएंगें? ‘हम रूढ़ियों के दास हैं। भले ही हम खुद को आधुनिक समझ बैठें, मान लें कि बहुत स्वतंत्र हो गये हैं, परंतु गहरे में देखें तो हैं हम रूढ़िवादी ही। इसमें कोई संशय नहीं है क्योंकि छवि-रचना के खेल को आपने स्वीकार किया है और परस्पर संबंधों को इन्हीं के आधार पर स्थापित करते हैं। यह बात उतनी ही पुरातन है जितनी कि ये पहाड़ियां। यह हमारी एक रीति बन गई है। हम इसे अपनाते हैं, इसी में जीते हैं, और इसी से एक-दूसरे को यातनाएं देते हैं। तो क्या इस रीति को रोका जा सकता है’?
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