Gita Press
Showing 241–254 of 254 results
-
Gita Press, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Upnishad Ank 0659
कल्याण के इस विशेषांक में नौ प्रमुख उपनिषदों – (ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय एवं श्वेताश्वतर) का मूल, पदच्छेद, अन्वय तथा व्याख्या सहित संकलन है। इसके अतिरिक्त इस में 45 उपनिषदों का हिन्दी-भाषान्तर, महत्त्वपूर्ण स्थलों पर टिप्पणी तथा प्रायः सभी उपनिषदों का हिन्दी अनुवाद दिया गया है।
SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, कहानियां
Upyogi Kahaniya 0137
कहानियाँ मनुष्य-जीवन में प्रेरणास्रोत का कार्य करती हैं। इस पुस्तक में भला आदमी, सच्चा लकड़हारा, दया का फल, मित्र की सलाह, अतिथि-सत्कार आदि 36 प्रेरक कहानियों का अनुपम संग्रह है। सरल तथा रोचक भाषा में संगृहीत ये कहानियाँ बालकोंके जीवन-निर्माण में विशेष सहायक हैं।
SKU: n/a -
Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vedant-Darshan
महर्षि वेदव्यास-प्रणीत ब्रह्मसूत्र भारतीय दर्शन का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ वेद के चरम सिद्धान्त परब्रह्म का निदर्शन कराता है। अतः इसे वेदान्त-दशर्न भी कहते हैं। वेद के उत्तरभाग उपासना और ज्ञान दोनों की मीमांसा करने के कारण इसका एक नाम उत्तरमीमांसा भी है। पदच्छेद और अन्वय सहित विस्तृत हिन्दी-व्याख्या।
SKU: n/a -
Gita Press
Vinay-Patrika
यह अद्भुत पुस्तक संत-शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के आर्त हृदय का भावात्मक परिचय है। इसमें उन्होने विभिन्न देवी-देवताओं के चरणों में प्रणत होकर श्रीरामभक्ति के वरदान की याचना के साथ भगवान श्रीराम की कृपा पक्ष का सुन्दर वर्णन किया है। भावात्मक व्याख्या के साथ उपलब्ध।
SKU: n/a -
Gita Press
Virah-Padavali
इस पुस्तकमें श्री सूरदास जी के द्वारा विरचित गोपी-विरह-सम्बन्धी 325 पदों का संग्रह है। इसमें अक्रूर जी के साथ श्रीकृष्ण के मथुरागमन के समय यशोदा एवं गोपियों की विरह-दशा का बड़ा ही मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है। The book consists of 325 poems describing heart-touching separation of Gopis. A heart rending vivid description regarding separation of Gopis and Yashoda, the foster Mother of Krishna, at the time of departure of Krishna along with Akrura to Mathura.
SKU: n/a -
Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Vishnu Sahasranama 0819
प्रार्थना
महाभारतमें भगवान्के अनन्य भक्त पितामह भीष्मद्वारा भगवान्के जिन परम पवित्र सहस्र नामोंका उपदेश किया गया, उसीको श्रीविष्णुसहस्रनाम कहते हैं । भगवान्के नामोंकी महिमा अनन्त है । हीरा, लाल, पन्ना सभी बहुमूल्य रत्न हैं पर यदि वे किसी निपुण जड़ियेके द्वारा सम्राट्के किरीटमें यथास्थान जड़ दिये जायँ तो उनकी शोभा बहुत बढ़ जाती है और अलग अलग एक एक दानेकी अपेक्षा उस जड़े हुए किरीटका मूल्य भी बहुत बढ़ जाता है । यद्यपि भगवान्के नामके साथ किसी उदाहरणकी समता नहीं हो सकती, तथापि समझनेके लिये इस उदाहरणके अनुसार भगवान्के एक सहस्र नामोंको शास्त्रकी रीतिसे यथास्थान आगे पीछे जो जहाँ आना चाहिये था वहीं जड़कर भीष्म सदृश निपुण जड़ियेने यह एक परम सुन्दर, परम आनन्दप्रद अमूल्य वस्तु तैयार कर दी है । एक बात समझ रखनी चाहिये कि जितने भी ऐसे प्राचीन नामसंग्रह, कवच या स्तवन हैं वे कविकी तुकबन्दी नहीं हैं । सुगमता और सुन्दरताके लिये आगे पीछे जहाँ तहाँ शब्द नहीं जोड़ दिये गये हैं । परन्तु इस जगत् और अन्तर्जगत्का रहस्य जाननेवाले, भक्ति, ज्ञान, योग और तन्त्रके साधनमें सिद्ध, अनुभवी पुरुषोंद्वारा बड़ी ही निपुणता और कुशलताके साथ ऐसे जोड़े गये हैं कि जिससे वे विशेष शक्तिशाली यन्त्र बन गये हैं और जिनके यथा रीति पठनसे इहलौकिक और पारलौकिक हु कामना सिद्धिके साथ ही यथाधिकार भगवान्की अनन्यभक्ति या सायुज्य मुक्तितककी प्राप्ति सुगमतासे हो सकती है । इसीलिये इनके पाठका इतना महात्मय है और इसीलिये सर्वशास्त्रनिष्णात परम योगी और परम ज्ञानी सिद्ध महापुरुष प्रात स्मरणीय आचार्यवर श्रीआद्यशङ्कराचार्य महाराजने लोककल्याणार्थ इस श्रीविष्णुसहस्रनामका भाष्य किया है । आचार्यका यह भाष्य ज्ञानियों और भक्तों दोनोंके लिये ही परम आदरकी वस्तु है ।
पूज्यपाद स्वामीजी श्रीभोलेबाबाजीने भाष्यका हिन्दी भाषान्तर कर पाठकोंपर बड़ा उपकार किया है । मेरी प्रार्थना है कि पाठक इसका अध्ययन और मनन करके विशेष लाभ उठावें ।
SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vivek Chudamani 0133
Gita Press, Hindi Books, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिVivek Chudamani 0133
भगवान् शंकराचार्य के द्वारा विरचित ग्रन्थों में विवेक-चूड़ामणि का विशेष स्थान है। इसमें ब्रह्मनिष्ठा का महत्त्व, ज्ञानोपलब्धि का उपाय, प्रश्न-निरूपण, आत्मज्ञान का महत्त्व, पञ्चप्राण, आत्म-निरूपण, मुक्ति कैसे होगी? आत्मज्ञान का फल आदि तत्त्वज्ञान के विभिन्न विषयों का अत्यन्त सुन्दर निरूपण किया गया है।
SKU: n/a