- Sanjeev Jaiswal Sanjay
- 9789381063279
- Hindi
- Prabhat Prakashan
- Hard Cover
Democracy Ka Chautha Khamba
पता नहीं किस भले आदमी ने बता दिया कि डेमोक्रेसी के तीन खंभे होते हैं—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका! तीन खंभों पर कभी कोई इमारत टिकी है जो डेमोक्रेसी टिकेगी? गनीमत समझो कि अपने देश में डेमोक्रेसी का एक चौथा खंभा ‘धर्मपालिका’ का भी है। अगर यह न होता तो डेमोक्रेसी का कब का सत्यानाश हो जाता। यह खंभा है तो अदृश्य, मगर बीच-बीच में धूम-धड़ाके से दिखता रहता है। डेमोक्रेसी के सारे फालोअर और ऑब्जर्वर मजबूती से इसे थामे रहते हैं। कुछ इसके साथ ‘यूज एंड थ्रो’ का संबंध रखते हैं तो कुछ ‘कैच एंड यूज’ का। मल्टीपरपज यूटीलिटी है इस खंभे की। जब जैसा दाँव लगा, वैसा इस्तेमाल कर लिया। यह खंभा जन-जन (सच्ची बोले तो वोटर) की हृदय-स्थली में मजबूती से गड़ा है, तभी गाहे-बगाहे बाकी तीनों खंभों की चूलें हिलाता रहता है। देश का शायद ही कोई ऐसा खंभा हो, जो इस खंभे के आगे नतमस्तक न हुआ हो। चाहे खुशी से या मजबूरी में, मगर दंडवत् सभी ने की है।
—इसी संग्रह से
Rs.340.00 Rs.400.00
Weight | 0.450 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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