Title :Kulapini Munshi (Pictorial Biography)
Author : K. M. Munshi
Pages : 828
ISBN : 9788172764982
Kulapini Munshi (Pictorial Biography)
KULAPATI MUNSHI (Pictorial Biography by K.M. Munshi (Author, Foreword)
Rs.100.00
Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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0 out of 5(0)त्रिशूल ‘ के लिए मैं ऐसे व्यक्ति की सुलाश में था जिसे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मिसाइल युद्ध की ठोस जानकारी हो बल्कि जो टीम के सदस्यों में आपसी समझ बढ़ाने के लिए पेचीदगियों को भी समझा सके और टीम का समर्थन प्राप्त कर सके । इसके लिए मुझे कमांडर एस.आर. मोहन उपयुक्त लगे, जिनमें काम को लगन के साथ करने की जादुई शक्ति थी । कमांडर मोहन नौसेना से रक्षा शोध एवं विकास में आए थे ।
‘ अग्नि ‘, जो मेरा सपना थी, के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो इस परियोजना में कभी-कभी मेरे दखल को बरदाश्त कर सके । यह बात मुझे आर.एन. अग्रवाल में नजर आई । वह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकोलॉजी के विलक्षण छात्रों में से थे । वह डी.आर.डी.एल. में वैमानिकी परीक्षण सुविधाओं का प्रबंधन सँभाल रहे थे ।
तकनीकी जटिलताओं के कारण ‘ आकाश ‘ एवं ‘ नाग ‘ को तब भविष्य की मिसाइलों के रूप में तैयार करने पर विचार किया गया । इनकी गतिविधियाँ करीब आधे दशक बाद तेजी पर होने की उम्मीद थी । इसलिए मैंने ‘ आकाश ‘ के लिए प्रह्लाद और ‘ नाग ‘ के लिए एन. आर. अय्यर को चुना । दो और नौजवानो-वी.के. सारस्वत एवं ए.के. कपूर को क्रमश: सुंदरम तथा मोहन का सहायक नियुक्त किया गया ।
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ‘ अग्नि ‘, ‘ पृथ्वी ‘, ‘ आकाश ‘, ‘ त्रिशूल ‘ और ‘ नाग ‘ मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।SKU: n/a -
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0 out of 5(0)काला पानी की भयंकरता का अनुमान इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि इसका नाम सुनते ही आदमी सिहर उठता है। काला पानी की विभीषिका, यातना एवं त्रासदी किसी नरक से कम नहीं थी। विनायक दामोदर सावरकर चूँकि वहाँ आजीवन कारावास भोग रहे थे, अत: उनके द्वारा लिखित यह उपन्यास आँखों-देखे वर्णन का-सा पठन-सुख देता है। इस उपन्यास में मुख्य रूप से उन राजबंदियों के जीवन का वर्णन है, जो ब्रिटिश राज में अंडमान अथवा ‘काला पानी’ में सश्रम कारावास का भयानक दंड भुगत रहे थे। काला पानी के कैदियों पर कैसे-कैसे नृशंस अत्याचार एवं क्रूरतापूर्ण व्यवहार किए जाते थे, उनका तथ वहाँ की नारकीय स्थितियों का इसमें त्रासद वर्णन है। इसमें हत्यारों, लुटेरों, डाकुओं तथा क्रूर, स्वार्थी, व्यसनाधीन अपराधियों का जीवन-चित्र भी उकेरा गया है। उपन्यास में काला पानी के ऐसे-ऐसे सत्यों एवं तथ्यों का उद्घाटन हुआ है, जिन्हें पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
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Rated 5.00 out of 5(1)हमारे राष्ट्र निर्माताओं में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य का स्थान बहुत ऊँचा है। कई विद्वानों ने तो उन्हें आधुनिक हिंदू धर्म का जनक ही कहा है। शंकराचार्य ने समस्त हिंदू-राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने एवं उसे संगठित करने का प्रयास किया। देश के चारों कोनों पर चार धामों के प्रति श्रद्धा केंद्रित करते हुए उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष की, मातृ-भू की मूर्ति जन-जन के हृदय पर अंकित कर दी। पंचायतन का पूजन प्रारंभ कर विभिन्न संप्रदायों को एक-दूसरे के आराध्य देवों के प्रति केवल सहिष्णुता का भाव ही नहीं तो सभी देवताओं के प्रति अपने इष्टदेव के माध्यम से वही श्रद्धा एवं आदर का भाव व्यक्त करने को प्रेरित किया, इसके अनुसार प्रत्येक पाँचों देवताओं—विष्णु, शुक्र, शक्ति, गणपति और सूर्य की पूजा करता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने इष्टदेव को बीच में तथा चारों ओर अन्य चार देवताओं को रखकर पूजन करने की उसे छूट है। चार धामों के समान ही उन्होंने समाज को धर्म मार्ग पर नियंत्रित एवं अनुशासित रखने के लिए चार शंकराचार्यों की अध्यक्षता में भारत के चारों कोनों में चार मठ स्थापित किए।
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