Author : Pt. Narendra
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 978-81-7077-309-2
BINDING : Paperback
EDITION : 2022
PAGES : 186
WEIGHT : 250 gm
Hyderabad ke Aryon ki Sadhna aur Sangharsh
आर्यसमाज का जन्म यों तो क्रान्ति की घड़ियों में ही हुआ। 1857 की क्रान्ति हो चुकी थी, अंग्रेजों का दमनचक्र भी अपनी पराकाष्ठा पर था, जुबानों पर ताले डाले दिए गए थे। लोग समझने लगे थे कि स्वाधीनता की बात करने वाला दशब्दियों तक भी कोई नहीं होगा। ऐसी विषम परिस्थितियों में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की नींव रखी। पर सुदूर दक्षिण में यह हवा कुछ देर से पहुँची।
हिन्दुओं पर जो जुल्म उन दिनों निजाम की हुकूमत में ढ़ाए जा रहे थे, उन्हें याद करके भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आर्यसमाज ने यहाँ एक नई दिशा हिन्दू समाज को दी।
हैदराबाद में आर्यसमाज के आधे से अधिक इतिहास के तो लेखक स्वयं नायक हैं। स्वाधीनता की लहर भी हैदराबाद में आर्यसमाज के द्वारा ही पहले पहल चली। सामाजिक और राजनैतिक, दोनों तरह की क्रान्ति में आर्यसमाज ही अगुआ बना रहा। इस पुस्तक को लिखकर पंडित नरेन्द्रजी ने बहुत-सी बिखरी हुई उन स्मृतियों को इकट्ठा कर दिया है जो देर होने से विस्मृति के गर्त में दबती चली जातीं। -प्रकाशवीर शास्त्री
Rs.150.00
Weight | 0.310 kg |
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