Gorakh Vedant
गोरख वेदान्त
Rs.325.00
Gorakh Vedant
गोरख वेदान्त
Weight | .495 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
Author : Anubhavnath Shivyogi
Language : Hindi
Edition : 2021
ISBN : 9789390179411
Publisher : RG GROUP
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‘मनुस्मृति’ सामाजिक व्यवस्था, विधि, न्याय एवं प्रशासन-तंत्र पर विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है, जो विद्वान् महर्षि मनु द्वारा संस्कृत की पद्यात्मक शैली (श्लोकों) में लिऌा गई है। इस ग्रंथ में मनु ने तत्कालीन समाज में प्रचलित कुरीतियों एवं मनुष्य के स्वभाव का अति सूक्ष्म परिवेक्षण कर मानव-समाज को सुव्यवस्थित, सुऌखी, स्वस्थ, संपन्न, वैभवशाली एवं सुरक्षित बनाने हेतु विविध नियमों का प्रावधान किया है, ताकि नारी व पुरुष, बच्चे व बुजुर्ग, विद्वान् व अनपढ़, स्वस्थ व विकलांग, संपन्न व गरीब, सभी सऌमान एवं प्रतिष्ठा के साथ रह सकें तथा समाज और देश की चतुर्मुऌा उन्नति में अपना प्रशंसनीय योगदान करने में सफल हों।
मनुस्मृति किसी धर्म विशेष की पुस्तक नहीं है। यह वास्तव में मानव-धर्म की पुस्तक है तथा समाज की तत्कालीन स्थिति से परिचित कराती है। समाज की सुव्यवस्था हेतु मनुष्यों के लिए जो नियम अथवा अध्यादेश उपयुत समझे, मनु ने इस मानव-धर्म ग्रंथ में उनका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। इसमें मानवाधिकारों के संरक्षण पर अनेक श्लोक हैं। मनुस्मृति में व्यतियों द्वारा प्राप्त ज्ञान, उनकी योग्यता एवं रुचि के अनुसार उनके कर्म निर्धारित किए गए हैं तथा कर्मानुसार ही प्रत्येक व्यति के अधिकारों, कर्तव्यों, उारदायित्वों एवं आचरणों के बारे में स्पष्ट मत व अध्यादेश अंकित हैं।
सरल-सुबोध भाषा में समर्थ-सशत-समरस समाज का मार्ग प्रशस्त करनेवाला ज्ञान-संपन्न ग्रंथ।
हिंदू सम्राट् हेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू) को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। वैश्य परिवार में जनमे हेमू ने 22 लड़ाइयाँ लड़ीं व जीतीं। दिल्ली पर अधिकार करने के बाद हेमू ने अपनी बहादुरी और दूरदर्शिता से राजा विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त की।
इस पुस्तक में हेमू के व्यक्तित्व के यथार्थपरक चित्रण हेतु बिहार के सासाराम क्षेत्र में प्रचलित लोकगीतों व भगवत मुदित द्वारा रचित रसिक अनन्यमाल व राजस्थान से मिले कुछ तथ्यों को भी आधार बनाया गया है, जिससे प्रतीत होता है कि हेमू एक कुशल संगठक, जनप्रिय नेता, श्रेष्ठ घुड़सवार, तलवारबाज तथा तुलगमा सैनिकों की भाँति घोड़े की पीठ पर बैठे-बैठे ही धनुष से बाणों का संधान करनेवाले एक महान् योद्धा व सेनानायक थे।
उन्होंने लगभग 350 वर्षों की दासता के बाद दिल्ली में पुनः हिंदू साम्राज्य की स्थापना की, लेकिन भारत के भाग्य को यह स्वीकार न था। अतः पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू की आँख में लगे तीर ने जीती बाजी को पराजय में परिवर्तित कर दिया। फिर भी हेमू का स्वाभिमान, देशभक्ति, अपूर्व साहस और बलिदान हम सभी राष्ट्रप्रेमियों के लिए सदैव प्रेरणा का अथाह स्रोत बना रहेगा।
भारत के गौरव सम्राट् हेमचंद्र विक्रमादित्य की प्रेरणाप्रद जीवनी, जो नई पीढ़ी को उनके पराक्रम और शूरवीरता से परिचित करवाएगी।
‘रामायण’ भारतीय पौराणिक ग्रंथों में सबसे पूज्य एवं जन-जन तक पहुँच रखनेवाला ग्रंथ है। रामकथा की पावन गंगा सदियों से हिंदू जन-मानस में प्रवाहित होती रही है। भारत ही नहीं, संसार भर में बसनेवाले हिंदू रामायण के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं।
रामकथा का प्रसार और प्रभाव इतना व्यापक है कि इससे संबंधित कथाओं-उपकथाओं की चर्चा बड़ी श्रद्धा के साथ की जाती है। रामकथा इतनी रसात्मक है कि बार-बार सुनने-जानने को मन सदैव उत्सुक रहता है।
विद्वान् लेखक ने पुस्तक को इस उद्देश्य के साथ लिखा है कि हमारी नई पीढ़ी भारतीय संस्कार, आदर्श एवं जीवन-मूल्यों को आत्मसात् कर सके। इन कहानियों में पर्वतों, नदियों, नगरों, योद्धाओं के पराक्रम, शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों, मायावी युद्धों के साथ-साथ ऋषियों, महर्षियों एवं राजर्षियों के पावन चरित्रों का वर्णन अत्यंत सरल भाषा में किया गया है।
विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक को पढ़कर इसके आदर्शों, सदाचारों एवं सद्गुणों का अपने जीवन में अनुकरण-अनुसरण करेंगे।
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